सोमवार, 13 जनवरी 2014

आम आदमी पार्टी के नेताओं एवं उनके बयानों तथा गतिविधियों की जाँच होनी चाहिए !

आम आदमी पार्टी के नेताओं पर अब  कितना  कैसे किया जाए विश्वास ?

     आम आदमी पार्टी के नेताओं ने जो आश्वासन दिए  क्या वे पूरे कर पाना इनके बश की बात नहीं है इसमें इनकी अनुभव हीनता मानी जाए या जनता से झूठ बोलकर उसे अपने चंगुल में फंसाने की चालाकी मानी जाए ?यदि ऐसा नहीं है तो दिल्ली की पूर्ववर्ती सरकार पर जो घोटालों या भ्रष्टाचार के आरोप लगाए गए थे अभी तक उनकी जांच क्यों नहीं कराई  गई और कहा जा रहा था कि इनको जेल भेजा जाएगा उसके आधार क्या थे और यदि थे तो उनका पालन अब क्यों नहीं किया जा रहा है और यदि नहीं थे तो किसी राष्ट्रिय दल के विरुद्ध ऐसे अपमान जनक आरोप लगा कर उनकी गुडविल अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ख़राब करने का प्रयास किया क्यों गया और अन्यथा उसकी जांच एवं कार्यवाही में  बाधा  क्या है इसकी जांच क्यों न कराई जाए! बात बात में जन मत संग्रह की बात करने कराने वाले लोग इतने बड़े घपले घोटाले चाल चालाकी के लिए दिल्ली या देश की जनता की राय सुमारी क्यों नहीं करा लेते हैं ?

    आम आदमी पार्टी के एक नेता ने पहले कश्मीर में जनमत  संग्रह करने की बात कही फिर नक्सलवाद प्रभावित इलाकों में सैन्य बलों की तैनाती की बात कह कर उन्होंने ऐसे लोगों के प्रति जो हमदर्दी पूर्ण बर्ताव करने की कोशिश की है वह चिंता जनक है !

        इससे  संदेह होता है कि वो ऐसे ऊट पटांग वक्तव्य आखिर दे क्यों रहे हैं वो कोई साधारण व्यक्ति नहीं हैं वरिष्ठ वकील हैं आम आदमी पार्टी के कुछ बड़े नीति निर्धारक नेताओं में से एक एवं वरिष्ठ नेता है वो पूरे होश में ये सारे वक्तव्य दे रहे हैं।  बात अलग है कि पार्टी ने उनके कुछ विवादित वक्तव्यों से अपने को अलग कर लिया है किन्तु प्रश्न यह उठता है कि यदि पार्टी उनके बयानों से सहमत  नहीं थी तो उनसे कहा जाना चाहिए था कि अबकी बार जो बोला सो बोला दूसरी बार  इस प्रकार का कोई बयान  नहीं दिया जाना चाहिए अन्यथा हम लोगों का साथ साथ चल पाना अत्यंत कठिन होगा !यदि ऐसा कुछ किया गया होता तो प्रशांत जी दूसरा बयान  इस प्रकार का नहीं देते !इसका सीधा सा मतलब है कि पार्टी उनसे  एवं उनके बयानों से सहमत है!बात और है कि सामाजिक दिखावा के रूप में पार्टी ने उनके बयानों से अपने को अलग किया है कहीं ये केवल प्रशांत जी के ही बयान  न होकर अपितु प्रशांत जी के बयान  पार्टी की किसी   विशेष रणनीति का हिस्सा तो नहीं हैं ये तो रही बात बयानों की जिनसे ये संकेत मिलता दिखाई देता है कि उन अलगाव वादियों के साथ आम आदमी पार्टी के बीच आपस में कहीं कुछ  पक तो नहीं रहा है जिसके साथ संपर्क की सारी  जिम्मेदारी हो सकता है कि प्रशांत भूषण को दी गई हो! उन्हीं को खुश करने का प्रयास अपने बयानों से प्रशांत भूषण जी किया करते हैं!कहीं उनके साथ ही तो कोई समझौता नहीं चल रहा है क्योंकि जिस प्रकार से अन्ना का उपयोग करके उन्हें अलग कर दिया गया तथा  काँग्रेस को भ्रष्टाचारी बताते  बताते उससे समर्थन ले लिया गया इसी  प्रकार से अलगाव वादियों  को गलत कहते कहते  उनके साथ भी इनका कोई समझौता चल भी रहा हो तो कौन सी बड़ी बात है !

         कहीं यही कारण तो नहीं है आम आदमी पार्टी सरकार के लोगों का सुरक्षा से इंकार करने का!कहीं उन्हें विश्वास हो कि ये अलगाव वादीयों से प्रशांत भूषण जी संपर्क में हैं ही इसलिए उनसे आम आदमी पार्टी वालों को कोई खतरा है ही नहीं और देश वासियों से हमें क्या खतरा है !इसी लिए सुरक्षा न लेने की चर्चाएं चलाई जा रही हैं !क्योंकि इससे आम आदमी बन्ने में आसानी होगी और उससे वोट लाभ होगा । 

    अन्यथा आवश्यक सुरक्षा न लेना कौन सी बुद्धिमानी है ईश्वर न करे यदि कोई  वारदात होती है तो उसका जिम्मेदार कौन होगा !फिर अरविन्द जी के माता पिता  पत्नी बच्चे आदि स्वजन भी उनके ऊपर सुरक्षा लेने का दबाब  क्यों नहीं डाल रहे हैं आखिर उन्हें ऐसा  क्यों लगता है कि कोई सुरक्षा लिए बिना भी अरविन्द जी सुरक्षित हैं आखिर उनके इस विश्वास का  आधार क्या है !इसकी जांच तो होनी चाहिए !!! 

      इसीप्रकार से  कुमार विश्वास का भी आचरण संदेह के घेरे में है ,वैसे भी आम आदमी पार्टी  के नेताओं की  बातों व्यवहारों से अब तो संशय होने ही लगा है जैसे कुमार विश्वास के द्वारा कभी मोदी जी की प्रखर  प्रशंसा किया जाना और कभी आलोचना !आखिर मोदी जी के विषय में उनका वास्तविक आकलन क्या है स्पष्ट किया जाना चाहिए !

      इसीप्रकार चना चबेना चबाकर देश सेवा की बात करने वाला कोई भी नेता यदि तीन सौ गाड़ियाँ अर्थात भारी  लाव लश्गर के साथ अमेठी में घुसता है इसके बाद भी अपने को आम आदमी कहता है या अपने को नौकर कहता है तो  इसका सीधा सा मतलब है कि कुमार विश्वास या तो झूठ बोल रहे  हैं और या फिर वो आम आदमी के नहीं अपितु किसी बहुत बड़े संपन्न वर्ग के नेता हैं !आम आदमी के पास इतना धन कहाँ से आया जिसके जुलूस में तीन सौ कारें हों वो आम आदमी कैसा और यदि उसे आम आदमी मान भी लिया जाए तो उसके पास इतना धन कहाँ से आया  इसकी तो जांच  होनी ही चाहिए ! 

 

आम आदमी पार्टी का भविष्य बहुत अच्छा नहीं दिखता है -ज्योतिष

आम आदमी पार्टी  क्या अपनी साख बचाने एवं बनाने में  सफल हो पाएगी ?

       आम आदमी पार्टीं में अभी तक के प्रकाश में आए नामों के अनुशार अरविंद केजरी वाल  के साथ मनीष सिसोदिया एवं योगेन्द्र यादव ये  दो लोग तो हर परिस्थिति में अरविंद केजरी वाल का सहयोग करते रहेंगे ये अपना मन दबाकर साथ नहीं दे पाएंगे जहाँ तक इनका see  more  ...http://bharatjagrana.blogspot.in/2014/01/blog-post_13.html

 

अरविन्द केजरीवाल जी नैतिक मूल्यों से भटक रहे हैं क्या ?

केजरी वाल जी को बहुत बहुत  बधाई !

         इस लिए नहीं कि वे मुख्य मंत्री बन गए हैं अपितु इस लिए कि बिना मुख्य मंत्री वाली दिल्ली को किसी काल्पनिक मुख्यमंत्री की शरण मिली या यूँ कह लें कि छाया  मिली ।बहुमsee  more...http://bharatjagrana.blogspot.in/2013/12/blog-post_28.html



 

 

कोई टिप्पणी नहीं: