मंगलवार, 21 जनवरी 2014

KALLU

कानपुर के प्रशासन से पीड़ित एक परिवार की पुकार !है कोई मददगार ?

       आज हर राजनैतिक दल का अपना अपना एक प्रधानमंत्री प्रत्याशी है जिसे देवी देवता सिद्ध करने पर वो  लोग तुले हुए हैं उन सबका देश की जनता से इतना ही कहना है  कि हम या हमारा प्रत्याशी जब प्रधान मंत्री बनेगा तब हम देश में बिलकुल रामराज्य ले आएँगे सब कुछ अच्छा कर देंगे किन्तु तब क्यों आज क्यों नहीं !क्या सत्ता के बिना किसी  पीड़ित  का नैतिक सहयोग भी नहीं किया जा सकता !और यदि ऐसा है तो सत्ता में आने के बाद हो पाएगा इसकी क्या गारंटी ?क्योंकि इसके लिए इच्छाशक्ति का होना बहुत आवश्यक है। 
         बात कानपुर के विनायक पुर की है यहाँ रमाशंकर पाण्डेय रहते  हैं इनका पैतृक गाँव नदीहा  में है ये कानपुर में ही लगभग 4000 पर कहीं नौकरी करते हैं इनके तीन बेटे हैं ! बड़ा लड़का आशीष (कल्लू) कानपुर से बाहर रहकर सामान्य नौकरी करता  है जिसमें पांच या छै हजार रुपए मिल जाते हैं दूसरा भी काम करता है जिसका कोई खास व्यवसाय नहीं बन पाया है!तीसरा पढता है!प्रापर्टी के नाम पर गाँव में खेती एवं यहाँ एक छोटा सा मकान दो कमरे का है जिसमें प्लास्टर तक नहीं है आर्थिक अभाव में किसी प्रकार गुजर बसर चल पाता है । सम्पूर्ण परिवार कि सामूहिक संचित संपत्ति के रूप में इनके पास बीस हजार के आसपास बैंक बैलेंस होगा ।गाँव में खेती है इसके अलावा कोई संपत्ति नहीं है किन्तु ईमानदारी पूर्वक जीवन जीते हैं। 
        अभी दिसंबर को नए वर्ष पर बड़ा लड़का आशीष (कल्लू) बाहर से आया था जो अपने पुराने मित्रों में सम्मिलित था किन्तु उन मित्रों की आदतें बिगड़ चुकी थीं वो लूट पाट  करने की ओर  प्रवृत्त हो चुके थे सम्भवतः इसकी जानकारी उसे नहीं रही होगी या जो भी रहा हो कह पाना कठिन है! ३०-१२-२०१३ को स्वरूप नगर में कोई लूट की घटना हुई जिसमें उन मित्रों के संपर्क और साथ में  रहने के कारण आशीष पाण्डेय को भी एक मित्र के यहाँ रात में सोते समय उठाकर पुलिस उसके घर लाई  जहाँ रात में ही घर की तलाशी ली गई पूरा परिवार साक्ष्य था न कोई धन निकला और न ही कोई औजार जिसका पुलिस को शक था अंत में यह कहते हुए उसे पकड़ कर ले जाया गया कि पूछ ताछ की जाएगी।इसके बाद छोड़ दिया जाएगा किन्तु उनके पास  अपरिचित व्यक्ति आया जिसने कहा कि तुम्हारा लड़का थाने में बंद है यदि छोड़ाना हो तो २५००० रूपए देकर अभी छूट जाएगा नहीं तो जेल भेज दिया जाएगा इसी प्रकार पैसे किसी रात में की निशानदेही पर
        जहाँ अपनी पैतृक जमीन का बटवारा करने के लिए इनका केस चल रहा है लगभग तिन साल हो रहे हैं न तो बंटवारा किया जा रहा है और न ही उसमें होने वाली फसल का हिस्सा ही इन्हें दिया जा रहा है जो पिछले तीन वर्ष पहले तक इन्हें मिलता रहा है इनके भाई कल्याण पुर में रहते हैं वो पैसे में सक्षम होने के कारण उनकी बात प्रशासन भी मानता दिखता है साफ सी बात है कि यदि ऐसा न होता तो ये फसल तैयार करते हैं किन्तु वो लोग कटवा लेते हैं जब ये पुलिस में कम्प्लेन करते हैं तो पुलिस इन्हें ही अपनी भाषा व्यवहार से तिरस्कार पूर्वक भगा देती है इसी प्रकार अभी धान की फसल भी कटा कर इन्होंने रखी जिसे बलपूर्वक इनके भाई लोग उठा ले गए !पुलिस में कम्प्लेन करने पर इनकी कोई बात सुनी ही नहीं जाती है । उचित तो यह है कि या तो इनका हिस्सा इन्हें दिया जाए अन्यथा जब तक निर्णय न हो तब तक इनकी फसल में इनका हिस्सा तो मिलना चाहिए !इनका गरीब परिवार है आखिर ये कहाँ जाएँ ?
         


मानती है यही कारण है कि इनकी

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