बुधवार, 12 मार्च 2014

पहले मीठा बोल कर राहुल ने माँगे थे वोट तीखा बोलेंगें !

 मोदी के खिलाफ राहुल गाँधी ने अपनाई ‘तीखे बोल’ की रणनीति !किन्तु आखिर क्यों ?

    इसका मतलब तो यही हुआ कि यदि सीधे बोलने से नहीं माने तो हमें तीखा भी बोलना आता है क्या ये बात जनता को समझाने के लिए प्रचारित करवाई जा रही है ?जहाँ तक बात मोदी जी की है मोदी जी ने आखिर क्या बिगाड़ा है वो तो कहीं आगे पीछे भी नहीं थे जब आप सरकार चला रहे थे ! किन्तु जनता तो कर्म देखती है बोल नहीं !अपने कर्मों के भय से ही आज सुना है कि बड़े बड़े दिग्गज चुनाव लड़ने तक को तैयार नहीं हैं !

      अभी तो मोदी जी की लहर है तब इतना लड़खड़ा गई है काँग्रेस ! किन्तु जब मोदी जी के समर्थन में उमड़ेगा जन समुद्र तब क्या होगा काँग्रेस का हाल ?कहीं सन 2014 काँग्रेस पर इतना भारी तो नहीं पड़ जाएगा कि काँग्रेस मुक्त भारत का सपना साकार ही होने जा रहा हो जिस भय से काँग्रेसी सूरमा तक भयभीत सुने जा रहे हैं !आखिर कुछ तो होगा ही

     खैर, हमें क्या लेना देना हम तो जनता हैं हमें तो राहुल  जी से पूछना है किया क्या है पिछले दस वर्षों में आपने जो बोलोगे ? हिम्मत है तो बताओ न कि क्या किया है !क्यों नहीं रोक सके महँगाई ?क्यों खेला गैस सिलेंडरों का खेल ?क्यों नहीं नियंत्रित हो सके बलात्कार ?क्यों होता रहा भ्रष्टाचार ! घोटाले! आखिर क्या करते रहे आप ?ये सारा पाप होता रहा आप मौन होकर देखते रहे और यदि नहीं तो आप करते क्या रहे क्यों नहीं कोई प्रयास किया आपने !

     जनता की   ये सभी समस्याएँ आपको पता नहीं थीं या आपको पता थीं आप कुछ करना नहीं चाहते थे या करना चाहते थे कर नहीं पाए !या कुछ करने का मूड ही नहीं हुआ या करने नहीं दिया गया या मन था कि चुनाव के समय करेंगे अभी से क्या करना चुनावों तक तो जनता सब कुछ भूल जाएगी !या सरकार आपकी बात ही नहीं मानती थी या आप स्वयं ही कुछ नहीं करना चाह रहे थे या चाह कर भी कुछ कर नहीं पा रहे थे यदि हाँ तो अब क्या कर लोगे ? अब क्यों बर्बाद करना चाहते हो देश का समय ?यदि कुछ कर पाना आपके बश में नहीं है तो किसी और को ही करने दीजिए और उससे आप भी सीखिए कि आखिर सरकार चलाई कैसे जाती है ?

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