रविवार, 16 मार्च 2014

kejarivaal

केजरी वाल जी से लोग कुपित क्यों हैं ?

      जानीहि सत्यं  जगत् सारमेतत्
           मृषा भाषितं यद् भवान् पुण्य क्षीणः |
       इयं  केजरीवाल जी  कालक्रीडा
             सदा  क्षीणपुण्यं  देवतापि  त्यजन्ति ||
                                     -डॉ.शेष नारायण वाजपेयी
   केजरीवाल जी! आप तो सुशिक्षित हैं आपको पता ही होगा कि जो आपके द्वारा जाने अनजाने में उन अन्ना जी को ठेस लगी होगी जो आपको ही सब कुछ मानते  थे, इसी प्रकार से जनता को जो आश्वासन जिस रूप में आपने दिए वे पूरे नहीं कर सके इसीप्रकार से सादा जीवन जीने की प्रतिज्ञा करके जो बिलासिता के वैभव एकत्रित करने लगे इन सब बातों से झूठ और छल नाम का जो दोष आपको लगा है उससे आपके संचित पुण्य क्षीण हुए हैं। महोदय !ये सब तो समय और उन्हीं पुण्यों का ही खेल है इसमें मीडिया का क्या दोष ?पुण्य क्षीण होने पर तो देवता भी साथ छोड़ देते हैं मीडिया किस खेत की मूली है !
         see more ……इस लिंक को जरूर पढ़ें -
   मीडिया और भ्रष्टाचार --कविता, गॉंधी जी के तीन बंदरों की snvajpayee.blogspot.in/2013/09/blog-post_29.html


केजरी वाल जी आप अपना अहंकार छोड़ क्यों नहीं देते !

      जानीहि सत्यं  जगत् सारमेतत्
           मृषा भाषितं यद् भवान् पुण्य क्षीणः |
       इयं  केजरीवाल जी  कालक्रीडा
             सदा  क्षीणपुण्यं  देवतापि  त्यजन्ति ||
                                     -डॉ.शेष नारायण वाजपेयी
   केजरीवाल जी! आप तो सुशिक्षित हैं आपको पता ही होगा कि जो आपके द्वारा जाने अनजाने में उन अन्ना जी को ठेस लगी होगी जो आपको ही सब कुछ मानते  थे, इसी प्रकार से जनता को जो आश्वासन जिस रूप में आपने दिए वे पूरे नहीं कर सके इसीप्रकार से सादा जीवन जीने की प्रतिज्ञा करके जो बिलासिता के वैभव एकत्रित करने लगे इन सब बातों से झूठ और छल नाम का जो दोष आपको लगा है उससे आपके संचित पुण्य क्षीण हुए हैं। महोदय !ये सब तो समय और उन्हीं पुण्यों का ही खेल है इसमें मीडिया का क्या दोष ?पुण्य क्षीण होने पर तो देवता भी साथ छोड़ देते हैं मीडिया किस खेत की मूली है !
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मीडिया हमेंशा भाग्यशालियों का ही साथ देता हैं देखिए आशाराम प्रकरण को !
      जानीहि सत्यं  जगत् सारमेतत्
           मृषा भाषितं यद् भवान् पुण्य क्षीणः |
       इयं  केजरीवाल जी  कालक्रीडा
             सदा  क्षीणपुण्यं  देवतापि  त्यजन्ति ||
                                     -डॉ.शेष नारायण वाजपेयी
   केजरीवाल जी! आप तो सुशिक्षित हैं आपको पता ही होगा कि जो आपके द्वारा जाने अनजाने में उन अन्ना जी को ठेस लगी होगी जो आपको ही सब कुछ मानते  थे, इसी प्रकार से जनता को जो आश्वासन जिस रूप में आपने दिए वे पूरे नहीं कर सके इसीप्रकार से सादा जीवन जीने की प्रतिज्ञा करके जो बिलासिता के वैभव एकत्रित करने लगे इन सब बातों से झूठ और छल नाम का जो दोष आपको लगा है उससे आपके संचित पुण्य क्षीण हुए हैं। महोदय !ये सब तो समय और उन्हीं पुण्यों का ही खेल है इसमें मीडिया का क्या दोष ?पुण्य क्षीण होने पर तो देवता भी साथ छोड़ देते हैं मीडिया किस खेत की मूली है !
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केजरीवाल जी !आपको अन्ना जी का शाप तो नहीं लग  गया है !
      जानीहि सत्यं  जगत् सारमेतत्
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       इयं  केजरीवाल जी  कालक्रीडा
             सदा  क्षीणपुण्यं  देवतापि  त्यजन्ति ||
                                     -डॉ.शेष नारायण वाजपेयी
   केजरीवाल जी! आप तो सुशिक्षित हैं आपको पता ही होगा कि जो आपके द्वारा जाने अनजाने में उन अन्ना जी को ठेस लगी होगी जो आपको ही सब कुछ मानते  थे, इसी प्रकार से जनता को जो आश्वासन जिस रूप में आपने दिए वे पूरे नहीं कर सके इसीप्रकार से सादा जीवन जीने की प्रतिज्ञा करके जो बिलासिता के वैभव एकत्रित करने लगे इन सब बातों से झूठ और छल नाम का जो दोष आपको लगा है उससे आपके संचित पुण्य क्षीण हुए हैं। महोदय !ये सब तो समय और उन्हीं पुण्यों का ही खेल है इसमें मीडिया का क्या दोष ?पुण्य क्षीण होने पर तो देवता भी साथ छोड़ देते हैं मीडिया किस खेत की मूली है !
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आप  में पाप के प्राचुर्य से संताप हो रहा है इसमें मीडिया का क्या दोष !
      जानीहि सत्यं  जगत् सारमेतत्
           मृषा भाषितं यद् भवान् पुण्य क्षीणः |
       इयं  केजरीवाल जी  कालक्रीडा
             सदा  क्षीणपुण्यं  देवतापि  त्यजन्ति ||
                                     -डॉ.शेष नारायण वाजपेयी
   केजरीवाल जी! आप तो सुशिक्षित हैं आपको पता ही होगा कि जो आपके द्वारा जाने अनजाने में उन अन्ना जी को ठेस लगी होगी जो आपको ही सब कुछ मानते  थे, इसी प्रकार से जनता को जो आश्वासन जिस रूप में आपने दिए वे पूरे नहीं कर सके इसीप्रकार से सादा जीवन जीने की प्रतिज्ञा करके जो बिलासिता के वैभव एकत्रित करने लगे इन सब बातों से झूठ और छल नाम का जो दोष आपको लगा है उससे आपके संचित पुण्य क्षीण हुए हैं। महोदय !ये सब तो समय और उन्हीं पुण्यों का ही खेल है इसमें मीडिया का क्या दोष ?पुण्य क्षीण होने पर तो देवता भी साथ छोड़ देते हैं मीडिया किस खेत की मूली है !
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