वर्तमान समय में इस तथाकथित लोकतांत्रिक प्रणाली में यदि लोकतंत्र की परिभााषा सही रूप से लागू की जाती
दान लेना - दान देना, वेद पढ़ना - वेद पढ़ाना, यज्ञ करना - यज्ञ कराना ये 6 कर्म ब्राह्मणों के हैं जो इन कर्मों को करते हैं ऐसे ब्राह्मण न तो पतित हैं और न ही कलियुग के प्रभाव से प्रभावित हैं जो ब्राह्मणों के घर जन्म लेकर भी ब्राह्मणोचित इन षड कर्मों से विहीन हैं और धर्म कर्म के विचारों से हीन हैं वो केवल कहलाने मात्र के लिए ब्राह्मण हैं बाक़ी शास्त्र उन्हें ब्राह्मण होने की मान्यता नहीं देता है इसलिए जो ब्राह्मण ब्राह्मणोचित इन षड कर्मों को करते हैं बेशक कम करते हों या जितना संभव हो उतना कर लेते हों वो भी प्रशंसनीय हैं कम से कम भ्रष्ट तो नहीं हुए और अपने ब्राह्मणत्व को बचाकर रखा है किन्तु जो लोग स्वेच्छाचार वश हर अच्छा बुरा कार्य करते हैं हर कुछ कहते हैं और हर प्रकार के भोग भोगते हैं ऐसे स्वेच्छाचारियों का ब्राह्मणत्व से कोई लेना देना नहीं होता है । वो खुद को ब्राह्मण कहें तो कहते रहें जो लोग उन्हें ब्राह्मण मानते हों वो मानते रहें किन्तु शास्त्र उनके ब्राह्मणत्व को स्वीकार नहीं करता ! ब्राह्मणों ने अपने त्याग और तपस्या के बल पर ही हर युग में अपनी जीवंतता बना और बचाकर रखी है !
दान लेना - दान देना, वेद पढ़ना - वेद पढ़ाना, यज्ञ करना - यज्ञ कराना
ये 6 कर्म ब्राह्मणों के हैं जो इन कर्मों को करते हैं वो ब्राह्मण पतित नहीं हैं और जो इन्हें नहीं करते उनकी वो जानें ……. !
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