ज्योतिषशास्त्र तो सौ प्रतिशत सही होता है किंतु आपकी पहुँच जिस ज्योतिषी तक होती है वो ज्योतिषी जितना सही और योग्य होगा आप को तो लाभ उतना ही मिलेगा वो भी तब जब ज्योतिषी परिश्रम पूर्वक ईमानदार वर्ताव करेगा तो !और ज्योतिषी से उतने ही ईमानदार वर्ताव की आशा रखी जा सकती है जैसा आर्थिक आदि वर्ताव उसके साथ किया जाएगा !जो स्वाभाविक है !
आपका ज्योतिषी और जो भी जितने भी बड़े बड़े दावे करे किंतु ये उसका विज्ञापन होता है इसलिए इस पर विशेष ध्यान मत दो अपितु आपको संपूर्ण ध्यान इस पर देना चाहिए कि आपका ज्योतिषी ज्योतिष शास्त्रवैज्ञानिक है या नहीं!अर्थात किसी प्रमाणित सरकारी विश्वविद्यालय से ज्योतिष विषय में कोई उच्च डिग्री ली है या नहीं यदि हाँ तो ज्योतिषी योग्य है और जिसका ज्योतिषी योग्य है उसके लिए ज्योतिषविज्ञान है और यदि आपका ज्योतिषी योग्य नहीं है तोआपके लिए ज्योतिष अन्धविश्वास है।
जैसे चिकित्साविज्ञान में भी किसी की हार्टसर्जरी उतनी ही सफल है जितना अच्छा सर्जन है अन्यथा यदि कोई सोच ले कि हार्टसर्जरी में काटना और सिलना ही तो होता है ये काम तो जूते सिलने वाला मोची भी कर सकता है फिर सर्जन के पास क्यों जाएँ मोची से ही क्यों न करवा लें ये काम !तो जैसे परिणाम आएँगे वैसे ही परिणाम ज्योतिष में अनक्वालिफाइड ज्योतिष कर्मियों से भी आएँगे ऐसी हिम्मत बाँधकर चलना चाहिए !
यदि आप चिकित्सा विज्ञान के साथ न्याय करना चाहते हैं तो उसके लिए जितना जरूरी वेल एजुकेटेड चिकित्सक होता है ठीक उसी प्रकार से ज्योतिष के साथ न्याय करने के लिए उतना ही जरूरी वेल एजुकेटेड ज्योतिषी होता है पुराने जवाने में योग्यता परखने के लिए डिग्री प्रमाणपत्र नहीं हुआ करते थे इसलिए वैद्य हों या ज्योतिषी इनकी सफल सेवाओं एवं लोकप्रियता के आधार पर ही इन्हें योग्य मान लिया जाता था ऐसे विशिष्ट वैद्यों को राजवैद्य एवं विशिष्ट ज्योतिषियों को राजज्योतिषी के रूप में प्रतिष्ठा पूर्ण स्थान प्राप्त होता था किंतु ऐसे वैद्य और ज्योतिषियों की संख्या सीमित होने के कारण भारी कंपटीशन था साथ ही योग्यता होने पर भी अधिक संख्या के लोग ऐसे स्थानों पर प्रतिष्ठित नहीं किए जा सकते थे । अतएव कालांतर में इन विषयों में भी डिग्रियाँ और प्रमाण पत्रों की व्यवस्था चिकित्सा और ज्योतिष दोनों ही क्षेत्रों में सरकारी स्तर से समान रूप से हुई किंतु चिकित्सा में साइड इफेक्ट से सीधे नुक्सान होने की संभावना थी इसलिए इधर समाज जागरूक हुआ और सरकार भी सतर्कता पूर्वक झोलाछाप चिकित्सकों की धर पकड़ करती रही उनके ऊपर कानूनी कार्यवाही भी होती रही तो चिकित्सा क्षेत्र तो यथा संभव पवित्र बना रहा किंतु ज्योतिष के क्षेत्र में झोलाछाप ज्योतिषियों के द्वारा बड़े बड़े नफा नुक्सान किए गए जिससे बड़े सारे परिवार बर्बाद हुए और भी हानि लाभ हुए किंतु उसका प्रत्यक्ष दोष किसी ज्योतिषी पर नहीं मढ़ा जा सका जिससे सदोष लोग भी बचते चले गए और ज्योतिष के झरोखों में छिपे अपराध होते रहे ।
आज आवश्यकता है कड़ाई पूर्वक ज्योतिषीय अपराध रोके जाने की इससे निरपराध वास्तविक ज्योतिष वैज्ञानिकों की पहचान स्वयं ही होने लगेगी इसका सबसे बड़ा लाभ यह होगा कि समाज को वास्तविक ज्योतिषशास्त्रीय ज्ञान विज्ञान का लाभ मिलने लगेगा इससे जीवन से सम्बंधित कई बड़ी समस्याओं से मुक्ति मिल सकती है ।
ज्योतिषियों के साथ अच्छे वर्ताव की आवश्यकता है कुछ लोग मधुर बातें करके,कुछ लोग अपनी मजबूरी बताकर,कुछ लोग भविष्य का लालच देकर या कुछ फल मीठा कपड़े आदि देकर हाथ पैर जोड़कर रो धोकर चतुराई पूर्वक ज्योतिषियों को खुश कर देना चाहते हैं किंतु ऐसी कुटिलता समझकर विद्वान ज्योतिषी भी वैसा ही वर्ताव कर देते हैं।कुछ लोग अपनी श्रद्धानुशार कुछ धन देकर खुश करते हैं तो ज्योतिषी भी श्रद्धानुशार बता देते हैं जो बन पड़ता है किंतु शास्त्रीय सच्चाई सामने नहीं आ पाती है !लोगों के लिए विद्वान ज्योतिषी भी वैसे ही हथकंडे अपनाते हैं जैसा वो आर्थिक व्यवहार करते हैं तब दोष शास्त्र को दिया जाता है किंतु क्यों?
इसी भावना से समझना पड़ेगा ज्योतिषशास्त्र और ज्योतिष वैज्ञानिकों को !आज कुछ लोग जो इसकी बारीकियाँ और मजबूरियाँ नहीं समझते !वो ज्योतिष जानने पढ़ने लिखने के नाम पर तो जीरो होते हैं किंतु ये बड़ी आसानी से कह देते हैं कि वे ज्योतिष को नहीं मानते या ज्योतिष अंध विश्वास है !इसी प्रकार से जो लोग जीवन में फ्री का ज्योतिषी खोजने के चक्कर में हमेंशा बिना पढ़े लिखे फर्जी झोलाछाप लोगों से ज्योतिष सेवा लेने का भ्रम पाले रहते हैं किन्तु नफा नुक्सान होने पर दोष ज्योतिषशास्त्र का देते हैं अपनी दरिद्रता या कंजूसी को नहीं !उन्हें पता रहना चाहिए कि वो ज्योतिषी ही नहीं था जिससे वो काम चला रहे थे !इसीप्रकार कई बार विद्वान ज्योतिषी भी नाते रिश्तेदारी या सोर्स सिफारिस बल से फ्री सेवा देने के चक्कर में उतना परिश्रम तो करते नहीं है इसलिए उससे से ज्योतिषसेवा की क्वालिटी प्रभावित होती है ।ऐसी परिस्थिति में लोग ज्योतिष विद्या और विद्वान की योग्यता पर प्रश्न उठाते हैं जो ठीक नहीं हैं ।कोई जितना बड़ा बर्तन लेकर समुद्र के पास जाएगा समुद्र उतना ही पानी उसे देगा ,वैसे भी जीरो बॉड का बल्ब लगाकर पूर्ण प्रकाश की अपेक्षा कभी नहीं की जानी चाहिए !इसलिए किसी ज्योतिषवैज्ञानिक एवं उसकी विद्या के साथ अच्छा व्यवहार करके ही उससे अच्छे व्यवहार की उम्मीद की जानी चाहिए !बंधुओ !ज्योतिष न केवल अत्यंत कठिन विद्या है अपितु आप जो भी प्रश्न करते हैं उसका शास्त्रीय सही उत्तर खोजने के लिए उन्हें जो आवश्यक परिश्रम करना होता है वो कोई ज्योतिषी आखिर निस्वार्थ होकर क्यों करेगा !
आपका ज्योतिषी और जो भी जितने भी बड़े बड़े दावे करे किंतु ये उसका विज्ञापन होता है इसलिए इस पर विशेष ध्यान मत दो अपितु आपको संपूर्ण ध्यान इस पर देना चाहिए कि आपका ज्योतिषी ज्योतिष शास्त्रवैज्ञानिक है या नहीं!अर्थात किसी प्रमाणित सरकारी विश्वविद्यालय से ज्योतिष विषय में कोई उच्च डिग्री ली है या नहीं यदि हाँ तो ज्योतिषी योग्य है और जिसका ज्योतिषी योग्य है उसके लिए ज्योतिषविज्ञान है और यदि आपका ज्योतिषी योग्य नहीं है तोआपके लिए ज्योतिष अन्धविश्वास है।
जैसे चिकित्साविज्ञान में भी किसी की हार्टसर्जरी उतनी ही सफल है जितना अच्छा सर्जन है अन्यथा यदि कोई सोच ले कि हार्टसर्जरी में काटना और सिलना ही तो होता है ये काम तो जूते सिलने वाला मोची भी कर सकता है फिर सर्जन के पास क्यों जाएँ मोची से ही क्यों न करवा लें ये काम !तो जैसे परिणाम आएँगे वैसे ही परिणाम ज्योतिष में अनक्वालिफाइड ज्योतिष कर्मियों से भी आएँगे ऐसी हिम्मत बाँधकर चलना चाहिए !
यदि आप चिकित्सा विज्ञान के साथ न्याय करना चाहते हैं तो उसके लिए जितना जरूरी वेल एजुकेटेड चिकित्सक होता है ठीक उसी प्रकार से ज्योतिष के साथ न्याय करने के लिए उतना ही जरूरी वेल एजुकेटेड ज्योतिषी होता है पुराने जवाने में योग्यता परखने के लिए डिग्री प्रमाणपत्र नहीं हुआ करते थे इसलिए वैद्य हों या ज्योतिषी इनकी सफल सेवाओं एवं लोकप्रियता के आधार पर ही इन्हें योग्य मान लिया जाता था ऐसे विशिष्ट वैद्यों को राजवैद्य एवं विशिष्ट ज्योतिषियों को राजज्योतिषी के रूप में प्रतिष्ठा पूर्ण स्थान प्राप्त होता था किंतु ऐसे वैद्य और ज्योतिषियों की संख्या सीमित होने के कारण भारी कंपटीशन था साथ ही योग्यता होने पर भी अधिक संख्या के लोग ऐसे स्थानों पर प्रतिष्ठित नहीं किए जा सकते थे । अतएव कालांतर में इन विषयों में भी डिग्रियाँ और प्रमाण पत्रों की व्यवस्था चिकित्सा और ज्योतिष दोनों ही क्षेत्रों में सरकारी स्तर से समान रूप से हुई किंतु चिकित्सा में साइड इफेक्ट से सीधे नुक्सान होने की संभावना थी इसलिए इधर समाज जागरूक हुआ और सरकार भी सतर्कता पूर्वक झोलाछाप चिकित्सकों की धर पकड़ करती रही उनके ऊपर कानूनी कार्यवाही भी होती रही तो चिकित्सा क्षेत्र तो यथा संभव पवित्र बना रहा किंतु ज्योतिष के क्षेत्र में झोलाछाप ज्योतिषियों के द्वारा बड़े बड़े नफा नुक्सान किए गए जिससे बड़े सारे परिवार बर्बाद हुए और भी हानि लाभ हुए किंतु उसका प्रत्यक्ष दोष किसी ज्योतिषी पर नहीं मढ़ा जा सका जिससे सदोष लोग भी बचते चले गए और ज्योतिष के झरोखों में छिपे अपराध होते रहे ।
आज आवश्यकता है कड़ाई पूर्वक ज्योतिषीय अपराध रोके जाने की इससे निरपराध वास्तविक ज्योतिष वैज्ञानिकों की पहचान स्वयं ही होने लगेगी इसका सबसे बड़ा लाभ यह होगा कि समाज को वास्तविक ज्योतिषशास्त्रीय ज्ञान विज्ञान का लाभ मिलने लगेगा इससे जीवन से सम्बंधित कई बड़ी समस्याओं से मुक्ति मिल सकती है ।
ज्योतिषियों के साथ अच्छे वर्ताव की आवश्यकता है कुछ लोग मधुर बातें करके,कुछ लोग अपनी मजबूरी बताकर,कुछ लोग भविष्य का लालच देकर या कुछ फल मीठा कपड़े आदि देकर हाथ पैर जोड़कर रो धोकर चतुराई पूर्वक ज्योतिषियों को खुश कर देना चाहते हैं किंतु ऐसी कुटिलता समझकर विद्वान ज्योतिषी भी वैसा ही वर्ताव कर देते हैं।कुछ लोग अपनी श्रद्धानुशार कुछ धन देकर खुश करते हैं तो ज्योतिषी भी श्रद्धानुशार बता देते हैं जो बन पड़ता है किंतु शास्त्रीय सच्चाई सामने नहीं आ पाती है !लोगों के लिए विद्वान ज्योतिषी भी वैसे ही हथकंडे अपनाते हैं जैसा वो आर्थिक व्यवहार करते हैं तब दोष शास्त्र को दिया जाता है किंतु क्यों?
इसी भावना से समझना पड़ेगा ज्योतिषशास्त्र और ज्योतिष वैज्ञानिकों को !आज कुछ लोग जो इसकी बारीकियाँ और मजबूरियाँ नहीं समझते !वो ज्योतिष जानने पढ़ने लिखने के नाम पर तो जीरो होते हैं किंतु ये बड़ी आसानी से कह देते हैं कि वे ज्योतिष को नहीं मानते या ज्योतिष अंध विश्वास है !इसी प्रकार से जो लोग जीवन में फ्री का ज्योतिषी खोजने के चक्कर में हमेंशा बिना पढ़े लिखे फर्जी झोलाछाप लोगों से ज्योतिष सेवा लेने का भ्रम पाले रहते हैं किन्तु नफा नुक्सान होने पर दोष ज्योतिषशास्त्र का देते हैं अपनी दरिद्रता या कंजूसी को नहीं !उन्हें पता रहना चाहिए कि वो ज्योतिषी ही नहीं था जिससे वो काम चला रहे थे !इसीप्रकार कई बार विद्वान ज्योतिषी भी नाते रिश्तेदारी या सोर्स सिफारिस बल से फ्री सेवा देने के चक्कर में उतना परिश्रम तो करते नहीं है इसलिए उससे से ज्योतिषसेवा की क्वालिटी प्रभावित होती है ।ऐसी परिस्थिति में लोग ज्योतिष विद्या और विद्वान की योग्यता पर प्रश्न उठाते हैं जो ठीक नहीं हैं ।कोई जितना बड़ा बर्तन लेकर समुद्र के पास जाएगा समुद्र उतना ही पानी उसे देगा ,वैसे भी जीरो बॉड का बल्ब लगाकर पूर्ण प्रकाश की अपेक्षा कभी नहीं की जानी चाहिए !इसलिए किसी ज्योतिषवैज्ञानिक एवं उसकी विद्या के साथ अच्छा व्यवहार करके ही उससे अच्छे व्यवहार की उम्मीद की जानी चाहिए !बंधुओ !ज्योतिष न केवल अत्यंत कठिन विद्या है अपितु आप जो भी प्रश्न करते हैं उसका शास्त्रीय सही उत्तर खोजने के लिए उन्हें जो आवश्यक परिश्रम करना होता है वो कोई ज्योतिषी आखिर निस्वार्थ होकर क्यों करेगा !
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