मंगलवार, 9 जून 2015

फर्जीडिग्री का अपराध तो ज्योतिषी और तांत्रिक भी करते हैं वो तो खुले आम कानून को दिखा रहे हैं ठेंगा !देखो टीवी चैनलों पर फेंकते हैं कितनी लंबी लंबी !

  संस्कृत विश्वविद्यालय बंद करे सरकार!अन्यथा उनकी दी हुई डिग्रियों की गरिमा की रक्षा करे ! टीवी चैनलों पर सुबह से ज्योतिषीय भविष्य  बताने वालों के पास क्या होती हैं ज्योतिष डिग्रियाँ !उनकी बातें ज्योतिष शास्त्र से कहीं मेल नहीं खातीं,सरकार उनकी डिग्रियों की जाँच क्यों नहीं करती !अपराध तो अपराध है उसमें पक्षपात कैसा ? आदर्श शासक को प्रजा प्रजा में भेद नहीं करना चाहिए !
     कानून सबके लिए समान होना चाहिए अन्यथा पक्षपात के आरोप तो सरकारों पर लगेंगे ही !फर्जी डिग्रियों के मामले में भेदभाव क्यों ?फर्जी डिग्री वाले ज्योतिषियों तांत्रिकों की डिग्रियों की क्यों नहीं होती है जाँच ? ज्योतिष और तंत्र के क्षेत्र में आडम्बर फैलाने वाले फर्जी लोगों पर कार्यवाही होते ही समाप्त हो जाएगा अंध विश्वास ! ऐसे लोगों ने उपद्रव उठा रखा है टीवी चैनलों पर ? इन विषयों के नाम पर जो मुख में आ रहा है सो बक रहे हैं !   
    जिनकी  दी हुई डिग्रियों का गौरव बचा नहीं पा रही है सरकार !सरकार के जिन संस्थानों में दस दस वर्ष परिश्रम पूर्वक पढ़ने वाले ज्योतिष छात्रों की डिग्रियों की पहचान सुरक्षित रख पाने में सरकार सक्षम नहीं है !फिर उनकी जिंदगी से खिलवाड़ क्यों किए जा रहे हैं ?यदि ज्योतिष बिना पढ़े लिखे लोग भी अपने नाम  के साथ विश्व विद्यालयीय ज्योतिष डिग्रियाँ लगा सकते हैं तो उन बेचारों की डिग्रियों का क्या महत्त्व जिन्होंने इन्हें लेने के लिए अपने जीवन के दस बारह वर्ष लगाकर कठिन पढ़ाई की है !आज मीडिया या आधुनिक शिक्षा से शिक्षित लोग या नास्तिक लोग उस ज्योतिष और तंत्र को अंध विश्वास कहने लगे हैं जिन्हें सरकार अपने संस्कृत विश्वविद्यालयों में एक डिपार्टमेंट बनाकर पाठ्यक्रम पूर्वक पढ़ा रही है आखिर क्या गलती है वहाँ पढ़ने वाले छात्रों की जो वहाँ परिश्रम पूर्वक पढ़ भी रहे हैं उसके बाद भी अपमानित जीवन जीने पर मजबूर हैं लोग उन्हें अन्धविश्वास फैलाने वाला मानते  हैं आखिर क्यों क्या सरकार अंधविश्वास पढ़वा रही है अपने संस्कृत विश्वविद्यालयों में? 
     फर्जी डिग्री या बिना डिग्री वाले ज्योतिषियों तांत्रिकों ने समाज से इतना झूठ बोलकर ठगा है इतने बड़े बड़े झूठे दावे किए हैं उनसे निराश हताश होकर लोग पढ़े लिखे डिग्री होल्डर ज्योतिष एवं तंत्र  के वास्तविक विद्वानों को अपमानित कर रहे हैं आखिर क्यों ?
     प्रतिदिन अखवारों में छपने वाला या टीवी चैनलों पर बताया जाने वाला राशिफल सौ प्रतिशत झूठ होता है किन्तु राशिफल के नाम पर प्रतिदिन दिन भर क्यों बोला जा रहा है झूठ ?seemore... http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_71.html

    जिन नग नगीने यंत्र ताबीज कवच मणियों आदि के शास्त्र में कहीं कोई नाम नहीं है प्रमाण नहीं हैं केवल ज्योतिष और तंत्र की आड़ में भाग्य सुधारने के नाम पर बेचे जा रहे हैं ये खुली धोखा धड़ी है जनहित में इसे रोकने के लिए कुछ  जाना चाहिए ! 
   'कालसर्प योग' का शास्त्रों में कहीं जिक्र नहीं है किंतु झूठे बहम में क्यों फँसाया जा रहा है समाज ?
  विज्ञान की दुहाई देने वाला मीडिया और सरकारें निर्मल बाबा टाइप के दरवारों की सच्चाई समझने के लिए अपने स्थापित किए हुए संस्कृत विश्व विद्यालयों के प्रोफेसरों से क्यों नहीं करती हैं संपर्क और कार्यवाही ?
अपने को आत्म ज्ञानी कहने वाले आशाराम जी जैसे और भी तमाम स्वयंभू धर्म गुरुओं की वास्तविकता क्या है समझने के लिए संस्कृत विश्व विद्यालयों के विद्वानों एवं प्रोफेसरों का सम्मिलित कोई बोर्ड क्यों नहीं गठित किया जाता है जिनके  प्रमाणित सार्टिफिकेट प्रदान करने के बाद ही ऐसे लोगों को विज्ञापन देने की अनुमति मिले !
   ज्योतिष और तंत्र जैसे जिन विषयों को युनिवर्सिटियों में पढ़ाया जा रहा है उन विषयों में बिना डिग्री या फर्जी डिग्री वालों को प्रतिबंधित क्यों नहीं किया जाता है ?ऐसे लोगों का विज्ञापन करने वाले टीवी चैनलों एवं अखवारों पर क्यों नहीं की जाती है कार्यवाही ?

 बंधुओ ! जिन विश्व विद्यालयों से दस बारह वर्ष पढ़ाई करने वाले लोगों को वहाँ से जो डिग्रियाँ मिलती हैं वही बिना पढ़े लिखे लोग भी अपने नाम के साथ लगा लेते हैं टीवी चैनलों पर टीवी एंकर उन्हें ज्योतिषाचार्य(MA in ज्योतिष) कहते हैं जबकि उनके पास ऐसी कोई डिग्री होती नहीं हैं ! 
   जस्टडायल जैसी विज्ञापन कंपनियाँ डिग्री होल्डर विद्वानों को पीछे करके और फर्जी लोगों के दावों को प्रमाणित करने के लिए उनसे पैसे लेकर गारंटेड स्टैम्प सुविधा देती हैं ये है सरकारी संस्थानों की डिग्रियों की इज्जत !
    ज्योतिष एजुकेशन के लिए सरकार संस्कृत विश्व विद्यालयों पर भी अन्य सभी विषयों की तरह ही  सरकारी कोष से इसकी शिक्षा पर भी भारी भरकम धनराशि खर्च होती है फिर उनकी डिग्रियों का इतना महत्त्व क्यों नहीं है कि फर्जी डिग्री वालों को रोका  जाए ?अन्यथा कोई सरकारी नियमानुशार लीगल ढंग से विश्व विद्यालयों से ज्योतिष का पाठ्यक्रम पढ़कर डिग्री क्यों लेगा ?हर आदमी बिना पढ़े लिखे ही अपने नाम के साथ उन डिग्रियों का व्यवहार करने लगेगा फिर इन संस्कृत विश्व विद्यालयों का क्या होगा ?यदि नहीं तो ऐसे संस्थानों के संचालन पर सरकार को अपने कोष से भारी भरकम धनराशि क्यों खर्च करनी चाहिए यदि उनका और उनके द्वारा संचालित संस्थानों की  शिक्षा व्यवस्था एवं उनकी डिग्रियों का गौरव बचाकर नहीं रखना है तो ?
     संस्कृत विश्व विद्यालयों के संचालन पर भारी भरकम धनराशि खर्च करने के बाद भी आज फर्जी ज्योतिषियों और फर्जी तांत्रिकों ने ज्योतिष और तंत्र जैसी दिव्य एवं भारत की प्राचीन विद्याओं को अंध विश्वास की श्रेणी में लाकर खड़ा कर दिया है सरकार ऐसे लोगों के विरुद्ध कोई कार्यवाही क्यों नहीं करती है ?
इसी कारण बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी जैसे बड़े संस्थानों से कई वर्ष तक शिक्षा लेकर डिग्री लेने वाले  ज्योतिष छात्रों को भी अपमान झेलना पड़ रहा है आज !
    मेरा अनुमान है कि टीवी चैनलों पर छाए रहने वाले या अखवारों में छापने वाले 90 प्रतिशत से अधिक लोग किसी सरकारी संस्कृत विश्व विद्यालय में नहीं गए हैं जहाँ ज्योतिष का डिपॉर्टमेंट है सरकारी स्लेबस है सामान्य विद्यालयों की तरह कक्षाएँ लगती है पढ़ाई होती है डिग्रियाँ मिलती हैं जो B.A.,M.A. के समकक्ष मानी जाती हैं बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी जैसे संस्थानों में भी ज्योतिष डिपार्टमेंट हैं जहाँ से ज्योतिष सब्जेक्ट में  Ph.D. तक करवाई जाती है।जिसमें ज्योतिष छात्रों के दस से बारह वर्ष लग जाते हैं तब वो ज्योतिष शास्त्री या ज्योतिषाचार्य आदि बन पाते हैं ।
    सरकारी  संस्कृत विश्व विद्यालयों में सामान्य विषयों की तरह ही ज्योतिष का भी पाठ्यक्रम निश्चित है नियमानुशार वहाँ भी ज्योतिष से B.A.,M.A. की पढ़ाई परीक्षाएँ एवं डिग्रियाँ शास्त्री एवं आचार्य नाम से प्रदान की जाती हैं इसके बाद ज्योतिष से Ph.D. भी करवाई जाती है जिसमें ज्योतिष छात्रों के दस से बारह वर्ष लग जाते हैं तब वो ज्योतिष शास्त्री या ज्योतिषाचार्य आदि बन पाते हैं ।
    सरकार के द्वारा निर्धारित शिक्षा नीतियों का सम्मान करते हुए अपने जीवन के बहुमूल्य दस से बारह वर्ष लगाकर परिश्रम पूर्वक ज्योतिष विषय की डिग्रियाँ प्राप्त करने वाले ज्योतिष छात्रों विद्वानों की ज्योतिष डिग्रियों का क्या महत्त्व रह जाता है है जब बिना ज्योतिष पढ़े लिखे लोग भी अपने नाम के साथ वे डिग्रियाँ लगाने लगते हैं जो कि आजकल खूब प्रचलन में है टैलीविजन चैनलों पर विज्ञापन देते समय भी ये लोग अपने को ज्योतिषाचार्य कहते हैं एंकर भी इन्हें विश्व  के जाने माने ज्योतिषाचार्य कहते हैं

फर्जी डिग्री रखना यदि अपराध है तो टीवी चैनलों पर ज्योतिष बताने वाले अधिकांश ज्योतिषियों के पास ज्योतिष सॅब्जेक्ट से सम्बंधित किसी सरकारी विश्व विद्यालय से प्राप्त कोई डिग्री नहीं हैं फिर भी वो अपने मुख से अपने को ज्योतिषाचार्य अर्थात (M.A. in Jyotish) बोल रहे होते हैं टी.वी.एंकर भी चिल्ला चिल्लाकर  उन्हें विश्व के जाने माने  ज्योतिषाचार्य  बता रही होती है उन पर क्यों नहीं होती है कोई कार्यवाही ?
भगवान बचावे ऐसे निर्मल बाबाओं की कल्पित एवं शौकीन शक्तियों के आडंबर से -
     ऐसे मलमल  बाबाओं की कल्पित शक्तियाँ न केवल बड़ी चटोरी हैं अपितु शौक़ीन एवं फैशनेबल भी हैं वो गोल गप्पे तो माँगती ही हैं साथ ही पर्स दुपट्टा क्रीम भी मँगवाती हैं!मलमल बाबाओं एवं अशास्त्रीय ज्योतिषियों की निराधार बकवास देश के धार्मिक एवं शास्त्रीय ताने बाने  को रौंदती चली जा रही है !
     बंधुओ!जिन्होंने  ज्योतिष नहीं पढ़ी वे कंप्यूटर लिए बैठे हैं और जिन्होंने ग्रहों की शांति के लिए शास्त्रीय वैदिक उपाय करने के लिए 'ग्रहशांति' जैसे मंत्रग्रंथों को नहीं पढ़ा वे  उपायों के नाम पर कौवे कुत्ते तीतर बटेर चीटी चमगादड़ों के उपाय बताते घूम रहे हैं जिन्होंने फलित ग्रन्थ नहीं पढ़े वे कल्पित राशिफलों को दिन में कई कई बार कई कई प्रकार से अलग अलग लोग जो मुख में आया सो बेधड़क फ़ेंकते जा रहे हैं ,कोई गाली देने का आदती कुशल शराबी दम भर शराब पीकर जितनी जल्दी गालियाँ नहीं दे सकता उससे जल्दी टीवीज्योतिषकर्मी  सैकड़ों जन्मों का हाल एक साँस में विधउपाय बक जाते हैं केवल अँगूठी बेचने के लिए एक मजबूत जगह टाँग फँसाकर बैठ जाते हैं जो बहम मछली के काँटे से अधिक फँसावदार होता है जो बिना मांस(धन)नोचे निकलता नहीं है ।  
   ऐसे बाबाओं ज्योतिषकर्मियों की मन गढंत कहानियों उपायों पाखंडों एवं बकवासों ने शास्त्रीय ज्ञान विज्ञान देवी देवताओं पूजा पाठ एवं हिंदू धर्म निष्ठा को बुरी तरह रौंदा है जो मुख में आता है सो बेझिझक बक देते हैं ये लोग और उसी को धर्म बता देते हैं आखिर आम समाज इतना नासमझ क्यों है कि उन बातों को धर्म मान लेते हैं लोग ! 
    अरे!हिंदुओ आपका धर्म मन गढंत नहीं है वेदों शास्त्रों पुराणों उपनिषदों रामायणों की असीम पूँजी आपके पूर्वजों की आपके पास है आपकी क्या मजबूरी है कि आप ऐसे लोगों के पास रोने धोने गिड़गिड़ाने पहुँचते हैं जो न तो आपके धर्म एवं धर्म शास्त्रों को जानते हैं और न ही किसी पूजा पाठ में रूचि रखते हैं !ऐसे लोग हिन्दू धर्म के लिए समर्पित भी नहीं होते हैं वो किसी को कुछ पूजने के लिए बताते हैं किसी को कुछ !
       बंधुओ !देश में धर्म एवं धर्म शास्त्रों की उपेक्षा करने की कितनी तेजी से पृथा सी चल पड़ी है जिसे समय रहते यदि रोका  नहीं गया तो बहुत जल्दी धर्म ,धर्म शास्त्र एवं शास्त्र प्रमाणित पूजा पाठ एवं चरित्रवान शास्त्रीय पद्धति का पालन करने वाले साधू संत विद्वान पंडित समुदाय अप्रासंगिक हो जाएँगे !तब शाश्वत सत्य धर्म,अध्यात्म एवं सभी प्रकार के शास्त्रीय ज्ञान विज्ञान से भारतीय संस्कृति को कौन सींचेगा कैसे बचेंगे भारतीयों में वे पवित्र संस्कार जिनके बल पर भारत को विश्व गुरु होने का गौरव प्राप्त था!
  मलमल बाबाओं के गोलगप्पी उपायों ने देश को कुसंस्कारों और बलात्कारों की ओर मोड़ा है अभी क्या अभी तो सब चुप हैं किन्तु जब जिस पर कानून का शिकंजा कसता है तब सब कबूलते हैं कि किसका कितना कब से कैसा शोषण चल रहा था अभी तो एक दूसरे की सुन सुन कर चरणों में कोटि कोटि प्रणाम करने का स्लोगन सभी रटते जा रहे हैं । 
   ऐसे तथाकथित बाजारू बाबाओं की बकवास सुन सुन कर लोग इतने निष्ठुर होते जा रहे हैं कि आम समाज से लेकर टेलीवीजनों तक पर ज्योतिष और धर्म के नाम पर अब केवल और केवल बकवास ही सुनाई पड़ने लगी है ऐसे लोग जो कुछ बोल रहे होते  हैं उन बेचारों को खुद नहीं पता होता है कि वो ऐसा क्यों बोल  रहे हैं।जो वो समाज को समझा रहे हैं ये उन्होंने समझा कहाँ से है किसी शास्त्र  पुराणों में उन्हें लिखा मिला है क्या ?किसी कोर्स में उन्होंने पढ़ा है क्या ?जो वो कह रहे हैं उसके पीछे तर्क क्या हैं ये उन्हें स्वयं भी नहीं पता है !बंधुओ!सच्चाई ये है कि ज्योतिष और धर्म के नाम पर ऐसे लोग एक बार जो कुछ बक चुके होते हैं दुबारा यदि आप उसी विषय में पूछ दो तो उन्हें याद ही नहीं होता है कि वो पहले क्या और क्यों बोले थे दुबारा नए तरह से बोल जाएँगे कई बार पहले वाली अपनी बात के विरुद्ध बोल जाएँगे क्योंकि उन्हें होश ही नहीं होता है कि पहले बोले क्या थे !
      ऐसे लोगों की पोल तब खुल जाती है जब इनसे पूछो कि ये जो कुछ तुम बता रहे हो ये तुमने कहीं किसी स्कूल कालेज में पढ़ा भी है क्या ?कहीं लिखा भी है और यदि हाँ तो क्या कोई प्रमाणित पुस्तक है क्या ?इतने सुनते ही चेहरे उतर जाते हैं और कोई जवाब देने की जगह हकलाने लगते हैं ये लोग !
ज्योतिषशास्त्र  के नाम पर ऐसी बकवास ? 
      लालकिताब जैसी ज्योतिष की जिन किताबों का ज्योतिष के विश्व विद्यालयीय स्लेबस में या प्राचीन ज्योतिष में या भारतीय ज्योतिष की किसी भी विधा में कहीं  कोई उल्लेख ही नहीं है| किसी पढ़े लिखे व्यक्ति के मुख से कभी ऐसी किसी किताब के बारे में कोई चर्चा ही नहीं सुनी गई है।वैसे भी लालकिताब के नाम पर की गई भविष्य वाणियाँ और बताए गए उपाय तर्क संगत न होने के कारण विश्वसनीय नहीं हैं।जहाँ एक ओर तो मनुष्य जाति इस सृष्टि की  रत्न मानी गई है नर से नारायण की ओर बढ़ने का द्वार नर अर्थात मनुष्य शरीर ही बताया गया है वहीं  किसी मनुष्य को सामने नारायण की ओर देखने के बजाए उपायों के नाम पर कौवे कुत्ते बिल्ली पूजना सिखाया जाए टिंडा जौं चावल धनियाँ मेथी मिर्च हल्दी  गुड़ गोबर कोयले आदि के उपाय बताए जाएँ !यह कैसा मजाक है ! इसी प्रकार एक मलमल बाबा  दरवार लगाता है उसकी शक्तियाँ न केवल बड़ी चटोरी हैं अपितु शौक़ीन एवं फैशनेबल भी हैं वो गोल गप्पे तो माँगती ही हैं पर्स दुपट्टा क्रीम भी मँगवाती हैं!इसप्रकार परेशान लोगों के साथ भाग्य बदलने के नाम पर इतनी धोखा धड़ी चल  रही है! 
    पहली बात तो इनकी बातों के कोई प्रमाण नहीं होते,दूसरी बात इनका कोई तर्क नहीं है, तीसरी बात जन्म जन्मान्तर के कर्मों के संचय से बना मनुष्य का भाग्य जो बड़ी बड़ी तपस्या से मुश्किल से वो भी आंशिक रूप से ठीक हो पाता है उसे गुड़ गोबर कोयले कौवे कुत्ते बिल्लियों का पूजन भजन करके कैसे ठीक किया जा सकता है?किन्तु लाल किताब एवं लालकिताबी भविष्य भौंकने वालों की ही माया है कि भगवान को पूजने वाले मनुष्य से कौवे कुत्ते पुजवाए जा रहे हैं!आश्चर्य इस बात का है कि ये सब ड्रामा हमें फँसाने के लिए किया जा रहा है यह जानते हुए भी ऐसी बकवास लोग सुन रहे हैं!लोग सुनें भी क्यों न !भारी भरकम विज्ञापन न होता तो क्यों सुनते लोग?गलत धन का संचय है जो विज्ञापनों में फूँका जा रहा है और भाड़े के प्रशंसा कर्मियों को पकड़ पकड़ कर उनसे कराई जा रही है अपनी बेवकूफत की तारीफ, इसके बदले उन्हें पैसे दिए जाते हैं।अपनी उम्र से दो गुनी अधिक उम्र के लोगों को बेटा बेटा कहकर बुलाते हैं ये लोग! न सुनने वाले को शर्म न कहने वाले को! किन्तु प्रशंसा और पैसे पाने का लोभ किसी भी व्यक्ति को पागल बना देता है वही पागलपन ऐसे दरवारों में दिखता है। दूसरी ओर पढ़े लिखे ज्योतिषियों के पास ईमानदारी के कारण ब्लैकमनी नहीं होता इसलिए  वो न तो टी.वी.वालों को पैसे दे पाते हैं और न ही खरीद पाते हैं भाड़े के प्रशंसाकर्मी ही !बिना पैसे के झूठी प्रशंसा करने वाली वो सुन्दर सी लड़की भी नहीं मिलती! जो अक्सर मटक मटक कर भविष्य भौंकताओं की झूठी तारीफों के पुल बाँध रही होती है। उसी झुट्ठी के बिना शास्त्रीय ज्योतिषी बेचारे पिटते चले जा रहे हैं !क्योंकि उसे देखने के चक्कर में बड़े बड़े लोग फँसने के बाद होश में आते हैं तब  ज्योतिषशास्त्र  को गाली  देते हैं उन्हें यह होश ही नहीं होता है कि वो जिस के चक्कर में पड़े थे वो वह ज्योतिष नहीं थी जिसे वे गाली दे रहे हैं।जिस चक्कर में विश्वामित्र पराशर आदि बड़े बड़े ऋषि फँस  गए वहाँ हम जैसे लोग क्या हैं ?वैसे भी ज्योतिषी के पास उस तरह की लड़की का काम ही क्या है? 
    इसलिए मेरा निवेदन है कि इन लाल किताबी मलमल दरवारों के चक्कर में जो पड़े सो पड़े किन्तु इससे  ज्योतिष का कहीं कोई लेना देना नहीं है ।


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