मंगलवार, 5 जनवरी 2016

'डाँसबार' बंद हुए थे तब वहाँ के नचैया गवैया बेरोजगार लैला मजनूँ 'भागवत' में घुस आए और 'भागवत' को 'भोगवत' बना दिया !

   ये  नाचनहारे भागवती मंचों पर पहुँच रहे हैं सजसँवर कर और बिखेर रहे हैं अपने स्वरूप का जलबा !जिन्हें देखने वालों की भीड़ तो उमड़ती है किंतु सुनने वाले गायब हैं! सुनें भी क्या जब ये कुछ बोल ही नहीं पाते ये ठुमके लगाते हैं तो पब्लिक देखती है और रूपए उछालती है ये गाते हैं तो पब्लिक ताली बजाती है !इन्हें देख देख कर भागवत के वास्तविक विद्वान और साधक लोग तो भागवत कहना ही छोड़ते जा रहे हैं । 
     धर्म में मिलावट - धर्म का निर्णय शास्त्र करते हैं न कि समाज किंतु धर्म के नाम पर आज हर पापी धर्म की आड़ में अपने दुर्गुण छिपाने में लगा हुआ है बड़े बड़े ऐय्यास लोग लाल पीली चद्दर ओढ़ कर अपने को कृष्ण बताने लगते हैं और अपनी ऐय्यासी को रासलीला बता देते हैं।ऐसे व्यापारी लोग लाल चद्दर ओढ़कर स्वदेशीवादी शुद्धताबादी आदि बन जाते हैं और करते हैं ब्यापार लगाते हैं बड़े बड़े उद्योग धंधे । इसी प्रकार से नग नगीने यंत्र तंत्र ताबीजों मणियों को बेचने वाले लोग अपने को ज्योतिषी बताकर ज्योतिषियों में मिलावट  कर रहे हैं ज्योतिष पढ़ने के लिए न किसी विश्वविद्यालय गए और न ही ज्योतिष पढ़ी न कोई ज्योतिष पढने के डिग्री प्रमाणपत्र लेकिन ज्योतिष वैज्ञानिकों में घुसे घूम रहे हैं । इसी प्रकार से भागवत कथा तो पहले भी लोग कर रहे थे किंतु कभी सुना था नाचते गाते किंतु शादी विवाहों में या किसी के यहाँ बच्चा होने पर नाच  गाकर  भेंटें माँगने वाले लोग अब भागवत कथा का बैनर लगा लगा कर नाचते गाते और भेंटें माँगते घूम रहे हैं लोगों को समझा रहे हैं कि कि वो भागवत कह रहे हैं भागवत के नाम पर ये आँखों में धूल झूँकना नहीं तो क्या है क्या शुकदेव जी नारद जी गोकर्ण जी सूत जी या अभी तक के और बहुत सारे महापुरुष भागवत के ना पर ऐसे ही भड़ुअई करते और नाचते गाते थे । धर्म में ऐसे ही और भी तमाम प्रकार के ड्रामे हर जगह चल रहे हैं किन्तु जागना समाज को होगा और उसे बंद करवाना होगा धर्म के क्षेत्र से सारा पाखण्ड !तब रुकेगी असहिष्णुता और बंद होंगे बलात्कार !
  असहिष्णुता और अंधविश्वास रोकने की पहल से जुड़ें आप भी और जोड़ें औरों को भी - 
    हमारे राजेश्वरी प्राच्यविद्या संस्थान का उद्देश्य है  -  'स्वस्थ समाज का निर्माण ' वो भी सभी प्रकार से -
      असहिष्णुता रोकने के लिए अब धर्म ही है एकमात्र विकल्प !धार्मिक संस्कार जगाए जाएँ लोगों को सहिष्णु बनाने के लिए उत्तेजनात्मक फिल्मी प्रसारणों पर - धार्मिक एवं विचारक लोग आगे आएँ और सँभालें अपनी भूमिका !नेताओं के बश का कुछ नहीं है ये चर्चा के नाम पर लोक सभा और विधान सभाओं का बहुमूल्य अधिकाँश समय निजी आरोपों प्रत्यारोपों में नष्ट कर देते हैं इनके द्वारा एक दूसरे पर लगाए जा रहे आरोपों प्रत्यारोपों में दिनों दिन प्रामाणिकता का अभाव होता जा रहा है अनावश्यक साथी चर्चाओं को ये सदन में घसीट लाते हैं और हुल्लड़ मचा मचा कर सरकार के विरुद्ध अविश्वास पैदा करने के लिए समूह बनाया करते हैं इनकी अधिकाँश बातों का देश या समाज से कोई लेना देना नहीं होता है संसद हो या विधान सभाएँ ये चर्चा के लिए बनी हैं और चर्चा करने के लिए शिक्षित होना आवश्यक होता है अन्यथा वो क्या बोलेंगे क्या समझेंगे क्या सलाह देंगे ऐसे लोग सदनों  में बैठकर भी उस प्रक्रिया के अंग ही नहीं बन पाते हैं ऐसे लोग बैठे बैठे बोर हुआ करते हैं मौका मिलते ही हुल्लड़ मचाने लगते हैं अपने अनुकूल परिस्थिति बनते ही कई बार मार पीट तक करने लगते हैं गाली गलौच तो धीरे धीरे आम बात होती जा रही है । ये सब वो जनता टीवी चैनलों पर देख सुन रही होती है जिसकी गाढ़ी कमाई की भारी भरकम धनराशि इन सदनों को संचालित करने में खर्च हो रही होती है !इसके लिए जिम्मेदार कौन ?
 अंधविश्वास रोकने की पहल : 'राजेश्वरी प्राच्य विद्या शोध संस्थान 'की ओर से जनहित में जारी -
 'ज्योतिष जन जागरण अभियान' में ज्योतिष शास्त्र की प्रतिष्ठा की रक्षा के लिए आप भी जुड़ें इस समाज शुद्धीकरण अभियान से -ज्योतिषक्रांति -
      ज्योतिषी बने फिर रहे 99 प्रतिशत लोगों के पास ज्योतिष सब्जेक्ट में सरकार के द्वारा प्रमाणित किसी भी विश्वविद्यालय से कोई क्वालीफिकेशन नहीं लिया गया है एक आध प्रतिशत लोगों ने वास्तु आदि विषयों में डिप्लोमा ले रखे हैं उनके पास भी डिग्री नहीं हैं क्या ऐसे लोगों को ज्योतिषी कहलाने का अधिकार होना चाहिए ?
     आप अपने ज्योतिषी से माँगिए सरकार के द्वारा प्रमाणित किसी भी विश्वविद्यालय से ज्योतिष सब्जेक्ट में प्राप्त ज्योतिष क्वालिफिकेशन के डिग्री प्रमाण पत्र !बिलकुल संकोच न करें जिनके पास होंगे वे दिखाने में बुरा नहीं मानेंगे जो बुरा मानने लगें या ऊटपटाँग तर्क देते हुए लीपापोती करें या कुछ समझाने का प्रयास करेंतो ऐसे लोगों से कुछ बहस करने की जरूरत नहीं आप अपने मन में समझ लीजिए कि ज्योतिष के नाम पर आपके साथ धोखा हो रहा था !उसे पहचानने में आपसे भूल हुई है !
      मुंबई में 'बार' बंद हुए तो बहुत लोग बेरोजगार हो गए उनमें बहुतों ने ज्योतिष का धंधा कर लिया ,इसीप्रकार से सेक्स रैकेट चलाने वाले कई लोग सेक्सधंधा बंद होते ही ज्योतिष के धंधे में घुस आए या व्यापार में घाटा हुआ तो लोग ज्योतिषी बन गए और अपने को ज्योतिषी कहने लगे उनके पास ज्योतिष का कोई क्वालिफिकेशन नहीं है यदि आप ऐसे लोगों को  मानते हैं तो वो गलत हों न हों आप जरूर गलत हैं !

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