रविवार, 27 जनवरी 2019

परशुराम चालीसा का अर्थ


                                 रु - रू 
हे भगवान परशुराम जी !आपने भृगुवंश में जन्म लिया है आप सारे संसार के स्वामी हैं !माता रेणुका के गर्भ से आप प्रकट हुए हैं !स्वामी आपके चरणों में मेरा बार बार वंदन  स्वीकार हो !

 आपके  सम्मुख चारों वेद शोभायमान हैं और आपके पृष्ठभाग में धनुषबाण सुशोभित हो रहा है तथा आपके कंधे पर शुभ यज्ञोपवीत विराजमान है !ऐसे महान सामर्थ्यवान स्वामी परशुराम जी आपके चरणों में हमारा प्रणाम स्वीकार हो !


   हे भगवन !आपके मस्तक का तेज तीनों लोकों में व्याप्त हो रहा है ! हे दीनबंधु आपका नाम स्मरण करने वाले भक्तों के बड़े बड़े संकट समाप्त  हो जाते हैं !
 
  आपके द्वारा कंधे में धारण किया गया अत्यंत सुंदर शुभ यज्ञोपवीत आपके वक्षस्थल की असीम शोभा को  बढ़ा रहा है ! 

     आप जिधर जाते हैं उधर आपके तपोमय शरीर की सहज सुगंध से सुगंधित होकर वायु बहने लगती है!आपके शरीर से निकलते हुए तेज की किरणें कमल की पंखुड़ियों की तरह आपके चारों ओर सुशोभित हो रही हैं !

   हे स्वामी परशुराम जी ! श्री इंदुशेषर भगवान् शंकर को अपने हृदय में श्रद्धा पूर्वक धारण करके आप जहाँ कहीं गए वहाँ विजय आपकी ही होते देखी गई है !


    हे  दशों दिशाओं में विजय पताका फहराने वाले स्वामी !मैं आपके चरणों में बार  बार  दंडवत प्रणाम करता हूँ !मुझपर आप कृपा करें !


  हे परशुधर आपकी जय हो ! हे करुणानिधान आपकी जय हो !हे यामदग्नि अपने   चरणों में झुके हुए भक्तों के के आप सभी दुःख दूर करने वाले हो ! हे भृगुनंदन आपकी जय हो !


   यमदग्नि ऋषि के पुत्र रूप में प्रकट होकर मनुष्य शरीर धारण करने वाले आप ब्राह्मणादि मनुष्यों की देवताओं की एवं गाय आदि सभी प्राणियों की पीड़ा नष्ट कीजिए !


 हे प्रभु !अपने  भक्तों के लिए ही आपने मनुष्य शरीर धारण किया है सभी दिशाओं में ,सभी प्राणियों में ,सभी वस्तुओं में तथा सभी स्वरूपों में आपके ही तपो तेज के  दर्शन हो रहे हैं !


  हे स्वामी !जब मिथिला में सीता स्वयंबर हुआ था उस समय आपने वहाँ पहुँच कर घमंडी राजाओं को जैसे ही ललकारा था आपका नाम सुनते ही अभिमानी राजा लोग भयभीत होकर भाग खड़े हुए थे !



  भक्तों पर कृपा करने वाले हे कृपासिंधु भगवान परशुराम जी !इस प्रकार से आपका प्रताप तीनों लोकों में व्याप्त हो रहा है इसीलिए आपका भजन करने वाले भक्तों के संपूर्ण दुःख नष्ट हो जाते हैं !


   हे दीनानाथ !आप सभी भक्तों पर कृपा करने वाले हैं हे प्रभु भक्तों के दुःख नष्ट करने के लिए ही तो आपने सभी सुख छोड़कर मनुष्य शरीर धारण किया है !


  हे दीनबंधु !आप संपूर्ण चराचर जगत की रक्षा के लिए ही कठोर पृथ्वी पर फरसा लिए विचरण किया करते हैं इसीलिए तो सभी संत ऋषि मुनि आपके गुण गाया करते हैं !


    हे प्रभु !जो उन्मादी असुर नृप लोग सज्जन लोगों को पीड़ा पहुँचाया करते हैं ब्राह्मणादि मनुष्यों को संतों को देवताओं और गायों को सताते हैं !ऐसे असुरों का संहार करके आपने भक्तों पर बहुत बड़ा उपकार किया है !


     हे प्रभु !जो असुर लोग अनेकों प्रकार के अत्याचार किया करते हैं ऐसे आसुरी स्वभाव के पापी अत्याचारियों का वध जैसा बड़ा असुर संहार करके आपने सभी प्राणियों पर बहुत बड़ी कृपा की है !

      हे लीलाधर !हे बलधाम !आपने सारे संसार को विस्मित कर देने वाली मातु कंठ छेदन जैसी लीला की थी जिसे देखकर सारा संसार आश्चर्य चकित रह गया था !

    हे स्वामी ! पिता जी की आज्ञा का पालन करने के लिए ही आपने इस प्रकार की विस्मयकारी लीला की थी इसके बाद आपने माता को जीवित करके जीवन दान दे दिया था आपके अलावा और दूसरा ऐसा कौन है जो किसी को जीवन दान दे सकता हो !        


   हे भृगुनंदन ! सहस्राबाहु का उसके सैनिकों सहयोगियों के साथ आपने लीला में ही बध कर दिया था हे भृगुकुल शिरोमणि आपकी जय हो !हे प्रभु आपकी जय हो !हे स्वामी आपकी जय हो !

     हे भगवन !आपकी कृपा से भक्त लोग सारे सुख प्राप्त किया करते हैं आपका ध्यान करने वालों की सारी  मनोकामनाएँ पूर्ण हो जाती हैं !


    अपने भक्तों को अभय देने के लिए ही तो आपने कुठार धारण कर रखा है जिससे आपने असुरों का वध किया और  देवताओं को निर्भय किया था !


     धर्म के विरुद्ध आचरण करने वाले एवं दूसरे जीवों के जीने का अधिकार छीनने वाले पापियों  को खोज खोज कर उनका संहार करके इस धराधाम को आपने सज्जनों के रहने लायक बनाया है !


    जो सज्जन स्वभाव के राजा लोग प्रेम पूर्वक प्रजा का पालन किया करते थे वे डर कर जब आपकी शरण में आए तो आप उन्हें भी अभय दान देकर विदा कर दिया करते थे !


    इस प्रकार से हे भगवन !आपके भक्त कितने भी बड़े संकट से कहीं जूझ रहे हों आप उन पर कृपा करके उनका दुःख तुरंत दूर कर दिया करते हैं !


    भक्त लोग आपका स्मरण करके अपनी सभी प्रकार की पीड़ाएँ  नष्ट कर लिया करते हैं बड़े बड़े रोग दोष दुःख संकट आदि आपका चिंतन करने मात्र से ही दूर हो जाते हैं !


      हे भृगुनन्दन !बड़े बड़े विषैले जीव जंतु यदि आपके भक्तों को काट लेते हैं तो उनके जहर का असर आपके भक्तों को परेशान  नहीं कर पाता  है !ऐसा उत्तम आपका प्रभाव है !


      हे परशुधर !आपके भक्तों को भूतों प्रेतों का भय कभी नहीं लगता है और जो लोग प्रेत बाधा से परेशान  हैं वे भी वे आपका स्मरण करते ही प्रेत बाधा से मुक्त हो जाते हैं !


     हे कृपालु आपकी जय हो ,समस्त संसार के लिए बंदनीय प्रभो आपकी जय हो ,हे रेणुका कुमार आपकी जय हो !हे भक्तवत्सल !आप सभी भक्तों पर कृपा करें !


   हे स्वामी !आप हमारी सभी मनोकामनाएँ पूर्ण करें !हे कृपासिंधु !हम आपके भक्त हैं आप हम पर कृपा करें हमारा आपको नमस्कार है !


    हे प्रभु ! आपका भक्त विपत्ति सह रहा हो ऐसा कभी देखा नहीं गया है क्योंकि आप ऐसा सह नहीं पाते हैं और स्वयं ही सारे दुःख दूर कर दिया करते हैं !ऐसा कृपालु आपका स्वभाव है !


    हे प्रणतपाल ! आपका स्मरण करते ही सभी ऋद्धियाँ सिद्धियाँ स्वयं सहायता करने लगती हैं ऐसा आश्चर्य जनक आपका प्रभाव है !


     हे स्वामी !सारे संसार के पदार्थ आपके ही आधीन हैं आप ही सभी सुख देने वाले हैं आप ही  सभी विधान बनाने वाले हैं , हे प्रभु आप हम सब पर कृपा कीजिए !


    संसार के जो भी प्राणी इस परशुराम चालीसा को पढ़ेंगे उन्हें सभी सुख प्राप्त होंगे !इस बचन  के प्रमाण के लिए साक्षी स्वरूस्वयं साक्षात ईश्वर ही है !


      जो कोई भी भगत इस परशुराम चालीसा को मन लगाकर श्रद्धापूर्वक सौ  बार पढ़ता है उसे भगवान् परशुराम जी की कृपा अवश्य प्राप्त होती है !


     भगवान परशुराम जी का भजन करने वाले भक्त सभी विद्याओं को पढ़ने में सफल होते हैं और उन्हें सभी सुख प्राप्त होते हैं !

                       
  इस चालीसा  को जो लोग श्रद्धापूर्वक पढ़ते हैं और परशुराम जी का सदा स्मरण करते हैं उनकी सभी मनोकामनाएँ पूर्ण हो जाती हैं  और  वह  परशुराम जी के पावन धाम को प्राप्त कर पाते हैं !

    हाथ में फरसा लिए हुए और काँधे पर धनुषवाण धारण किए हुए तथा भक्तों के भय को दूर करते हुए प्रभु सदा विचरण किया करते हैं संसार में ऐसा कृपालु दूसरा और कौन है !


       सभी प्रकार के दुःख और सभी प्रकार के संकट हरते हुए भगवान परशुराम जी सारे संसार में विचरण किया करते हैं !हे रेणुकाकुमार !आपको बार बार बंदन है !


      हे प्रभु परशुराम जी !जो राजा लोग श्रद्धा पूर्वक आपकी निरंतर पूजा करते हैं उन्हें न तो कोई संकट होता है और न ही किसी से डरना पड़ता है वो सारे संसार में अभय होकर हमेंशा विचरण किया करते हैं !


                         Web : www.drsnvajpayee.com

      
      
    

1 टिप्पणी:

samir sardana ने कहा…

The Parashooran Paradox

What is the "Paradox of Parshooram" ? The man copulated wuth his mother,on the instructions of his father - who was an impotentica sage.The Hindoo Model,is that the Gods sent the husband of Brahmin wives,to jungles for penance and austerities - while the Hindoo Gods, seduced the wives of the Brahmins,and mated with them.

The father of Parshooram,did not want to mate iwth his wife,as he was on a celibacy trip.Hence his son banged mommy - but the Kshatriyas saw the kid.To hide the shame and guilt - the son and poppy,blamed the Kshatriyas - and theh killed all the Kshatriyas ! In Hindooism,incest is normal - even Gan-pati mated with his mother.

This is all a "copy and paste",from Greek Theology and Creativity.dindooohindoo

Net result - all the Kshatriya men were dead, and their women were on heat - and so,they copulated with the Brahmins,to breed a "new race" of Kshatriyas.These "mew" breed had the DNA of the Brahmins (cowards,weasels and impotenticas) and the DNA of their mothers (which is "whoring") - the "born agains" Kshatriyas.

The Disaster

When the Sakas,Scythians,Turks,Afghans,Mongols,Central Asians,Greeks,Persians, Abyssinians etc., attacked Hindoosthan - there was no martial race left,as the "real" so called Kshatriyas were killed.These Kshatriya cowards,joined hands with Babar and the Brits and the Portugese to kill and rape Hindoos.These "rat" Kshatriyas were called Rakpoots,Jats and Sikhs etc.

The DNA of these "born again" Kshatriyas (as stated above),explains Y the Hindoos were raped again and again and again and again (The DNA of Poppy - The Brahmin - and so were,their women.This also explains Y the Rajpoots sold their women,like whores,to the Mughals and the Brits - to save their lives and money (The DNA of their 1st mommy).

This also explains Y the Sakas,Scythians,Turks,Afghans,Mongols, Greeks,Persians, Abyssinians etc.,who stayed back in Hindoosthan,and married locals - also produced cowards,weasels,idiots and impotenticas.

The Curse

It is all the curse of Parshooram - the Curse of Incest and the Curse of Hindooism. Just like the curse of Ishvaku - whose own kids from the same mommy married each other - and then lineaged into Rama,the coward and impotentica.

Rama - captures the disaster the doom of the Hindoo race,and the Hindoo DNA - which is Y the Hindoo Muslims and Nassara,are treated as trash,all over the world - with real Muslims and Jesuits.