-: जय श्री राम :-
'गौ गंगा गायत्री गीता एवं समस्त सनातन शास्त्रों की गौरव रक्षा हेतु '
राजेश्वरी प्राच्यविद्या शोध संस्थान (रजि.)
महोदय प्रणाम,
श्रीमान जी मैने दो विषय से आचार्य दो से एम.ए.और काशी हिन्दू विश्व विद्यालय से PhD की है लगभग सौ किताबें लिखी हैं प्रारंभिक कक्षाओं में लगभग 27 किताबें पढ़ाई भी जा रही हैं !ये मेरा सामान्य परिचय है ।
बंधुओ !आजकल अपना धर्म दिनोंदिन विकारों का शिकार होता जा रहा है वेदों शास्त्रों पुराणों उपनिषदों स्मृतियों आदि को बिना पढ़े लिखे बाबाओं पंडितों ,नेताओं समाज सुधारकों को टीवी चैनलों पर बैठा बैठा कर धर्म एवं धर्म शास्त्रों से संबंधित विषयों से जुड़ा निर्णय करवाता है मीडिया ! वो लोग इतने चतुर एवं बाचाल होते हैं कि तमाम कथा कहानी कविताएँ शेर शायरी आदि सुनाकर सुना देते हैं धर्म संबंधी फैसला ! लोग बाबा ऐसे भोगों का आनंद लेने के लिए ललचाने लगे हैं हो न हो उनकी भी कुछ फिल्में निकट भविष्य में आवें परदे पर और निकट भविष्य में बाबाओं के सैलून हों बाबा फैशन डिजाइनर हों !बाबा मीट शाप हो क्योंकि आयुर्वेद के अनुशार तो मीट खाने का भी निषेध नहीं है मद्यपान का भी निषेध नहीं है इसलिए बाबा वाइन शाप कहीं लिखा मिले तो चौंकिएगा नहीं !इसी प्रकार से 'शुद्ध एवं स्वदेशी बाबा आमलेट' टाइप से साइन बोर्ड भी दिख सकते हैं आप सोचिए ये शरारती लोग सनातन धर्म को कितनी गलत दिशा में मोड़े दे रहे हैं ऐसे तो वो दिन दूर नहीं है जब बाबा लोग न केवल ब्यूटीपार्लर खोलने लगेंगे अपितु इन गेरुआधारी कलियुगी ब्रह्मचारियों के मसाज पार्लर देश विदेश में अच्छी खासी लोक प्रियता हासिल कर सकते हैं ! ये कब शुद्ध मीट आमलेट बेचने लगें इनका क्या भरोस जो संन्यासव्रत की घोषणा करके उस सिद्धांतव्रत पर नहीं टिके रह सके तो अन्य मर्यादाओं का पालन करेंगे इनके विषय में ऐसा भरोसा कैसे किया जाए !
महोदय ,इस बात की पीड़ा हमें भी है कि धर्म विहीन व्यापारी लोगों ने सनातन धर्म को बहुत चोट पहुँचाई है संन्यास की घोषणा करके साधू संतों जैसे बेष बना बनाकर बहुत कितना ऊट पटांग बोलते हैं कैसी कैसी बयानबाजी करने लगे हैं अपने को संन्यासी कहकर न केवल शास्त्र विमुख जीवन जी रहे हैं अपितु गाली गलौच की भाषा का प्रयोग करते जा रहे हैं इससे आम समाज धर्म ,धार्मिक लोगों एवं धार्मिक प्रतीकों से अनास्था करने लगा है धर्म विमुख लोग अधार्मिक असहिष्णु एवं ब्यभिचारी होते जा रहे हैं नैतिक मूल्यों से लोगों का विश्वास उठता जा रहा है अब तो लोग धार्मिक गतिविधियों को भी राजनैतिक चश्मे से देखने लगे हैं !
महोदय , देश के इन लाल पीले डाढ़ा झोटा वाले बाबाब्यापारियों ने टीवी चैनलों पर बड़ी बड़ी बीमारियों के नामों की लंबी लंबी लिस्टें पढ़ पढ़ कर लोगों के मनमें मौत का ऐसा खौफ पैदा किया कि लोग इनकी ऊटपटाँग बकवासी झूठी बातों पर जैसे जैसे भरोसा करने लगे वैसे वैसे ये बाबा लोग तरह तरह की बीमारियाँ भगाने के झूठे दावे फेंकने लगे अब इन्होंने ऐसी परिस्थितियाँ पैदा कर दी हैं कि लोगों के मन में एक धारणा बनती जा रही है कि जो चीज किसी बाबा की फैक्ट्री में नहीं बनी है वो या तो मिलावटी है या अशुद्ध होगी या स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होगी या फिर विदेशी होगी ! ये लोग समाज के एक बहुत बड़े वर्ग को ये समझाने में सफल हो गए हैं कि व्यापारी मिलावटखोर हैं चोर हैं भ्रष्टाचारी हैं घटिया क्वालिटी का सामान बेचने वाले हैं और खुद को स्वदेशी शुद्ध एवं स्वच्छता का प्रतीक सिद्ध किया जा रहा है !इसी दावे के साथ इन बाबाब्यापारियों ने आटा दाल चावल घी तेल मसाले चूर्ण चटनी आचार पापड़ मैगी आदि सब कुछ बेचना शुरू कर दिया है अरबों पति बन गए !और समाज इनके प्रोडक्ट केवल इस भय से खरीद रहा है कि शुद्ध और स्वदेशी केवल यही हैं दूसरे खाएँगे तो या तो मर जाएँगे या फिर बीमार तो हो ही जाएँगे !ये भय दोहन नहीं तो और क्या है क्या ये पाप नहीं है ।
इसी प्रकार से योग से रोग भगाने के दावे करते करते ये लोग न जाने कब दवा ब्यापारी बन बैठे समाज समझ ही नहीं पाया !न केवल डाबर बैद्यनाथ की तरह बड़े बड़े दवा ब्यापारी बन बैठे अपितु दवाओं के विषय में बड़ी से बड़ी बीमारियाँ ठीक करने के झूठे दावे करने लगे !इनके दावों का किसने कब कहाँ क्या परीक्षण किया पता नहीं कैंसर ठीक करने के इनके दावों का परीक्षण हुआ या नहीं हुआ तो उनके दावों में कितनी सच्चाई थी ये समाज के सामने नहीं रखी गई जैसे जैसे पैसा बढ़ता गया वैसे वैसे ये प्रचार तंत्र पर हावी होते गए !नेताओं सरकारों को चोर कहने लगे उनके धन को ब्लैकमनी बताने लगे आज सारे प्रचार तंत्र पर उनका कब्ज़ा पैसे के बल पर है किंतु सच्चाई का गला घोंटा जा रहा है आज समाज भ्रमित है कि संन्यास तो छोड़िए इन्हें धार्मिक माना जाए या नहीं नेता भ्रमित हैं इन्हें नेता माना जाए या नहीं !अभिनेता भ्रमित हैं कि इन्हें अभिनेता माना जाए या नहीं !धनी लोग भ्रमित हैं कि इन्हें धनी माना जाए या नहीं क्योंकि ये लोग कभी भी अपने को चटाई पर सोने वाला फकीर कहने लगते हैं ! लाख टके का प्रश्न है कि इनकी दवाओं या अन्य प्रोडक्ट में कुछ विशेष नहीं है फिर इन्होंने बाजार में उपलब्ध प्रोडक्टों की निंदा क्यों की ? उपलब्ध खान पान को अशुद्ध मिलावटी और विदेशी बता बता कर मौत का खौफ पैदा क्यों किया ? ब्लैकमनी के विरुद्ध आंदोलन छेड़ना तो ठीक था किंतु साधू संन्यासियों का तो सारा धन ही ब्लैकमनी होता है क्योंकि समाज के सामने संन्यास (सब कुछ छोड़ने) की घोषणा करके समाज का विश्वास अर्जित किया और उस विश्वास के बल पर उद्योगपति बन बैठे जबकि ये विश्वास संन्यास संन्यास के लिए मिला था न कि उद्योग के लिए ये समाज के साथ धोखा है आज कई
इस पालन यदि हर इसके साथ ही इनके राजनीति में दखल देने लगे केसरकार ने इनसे
ऐसी परिस्थितियों में ऐसे लोगों के विरुद्ध कोई मुहिम छेड़ी जानी चाहिए उचित होगा कि काँग्रेस इसमें रूचि ले इसके साथ ही इस पवित्र काम में सहभागी बनने में मैं सौभाग्य समझूँगा यदि मैं भी इसमें अपना कोई योगदान दे सकूँ !
: भवदीय :
-------------------------------- आचार्य डॉ. शेष नारायण वाजपेयी --------------------------------
राजेश्वरी प्राच्यविद्या शोध संस्थान (रजि.)
महोदय प्रणाम,
श्रीमान जी मैने दो विषय से आचार्य दो से एम.ए.और काशी हिन्दू विश्व विद्यालय से PhD की है लगभग सौ किताबें लिखी हैं प्रारंभिक कक्षाओं में लगभग 27 किताबें पढ़ाई भी जा रही हैं !ये मेरा सामान्य परिचय है ।
बंधुओ !आजकल अपना धर्म दिनोंदिन विकारों का शिकार होता जा रहा है वेदों शास्त्रों पुराणों उपनिषदों स्मृतियों आदि को बिना पढ़े लिखे बाबाओं पंडितों ,नेताओं समाज सुधारकों को टीवी चैनलों पर बैठा बैठा कर धर्म एवं धर्म शास्त्रों से संबंधित विषयों से जुड़ा निर्णय करवाता है मीडिया ! वो लोग इतने चतुर एवं बाचाल होते हैं कि तमाम कथा कहानी कविताएँ शेर शायरी आदि सुनाकर सुना देते हैं धर्म संबंधी फैसला ! लोग बाबा ऐसे भोगों का आनंद लेने के लिए ललचाने लगे हैं हो न हो उनकी भी कुछ फिल्में निकट भविष्य में आवें परदे पर और निकट भविष्य में बाबाओं के सैलून हों बाबा फैशन डिजाइनर हों !बाबा मीट शाप हो क्योंकि आयुर्वेद के अनुशार तो मीट खाने का भी निषेध नहीं है मद्यपान का भी निषेध नहीं है इसलिए बाबा वाइन शाप कहीं लिखा मिले तो चौंकिएगा नहीं !इसी प्रकार से 'शुद्ध एवं स्वदेशी बाबा आमलेट' टाइप से साइन बोर्ड भी दिख सकते हैं आप सोचिए ये शरारती लोग सनातन धर्म को कितनी गलत दिशा में मोड़े दे रहे हैं ऐसे तो वो दिन दूर नहीं है जब बाबा लोग न केवल ब्यूटीपार्लर खोलने लगेंगे अपितु इन गेरुआधारी कलियुगी ब्रह्मचारियों के मसाज पार्लर देश विदेश में अच्छी खासी लोक प्रियता हासिल कर सकते हैं ! ये कब शुद्ध मीट आमलेट बेचने लगें इनका क्या भरोस जो संन्यासव्रत की घोषणा करके उस सिद्धांतव्रत पर नहीं टिके रह सके तो अन्य मर्यादाओं का पालन करेंगे इनके विषय में ऐसा भरोसा कैसे किया जाए !
महोदय ,इस बात की पीड़ा हमें भी है कि धर्म विहीन व्यापारी लोगों ने सनातन धर्म को बहुत चोट पहुँचाई है संन्यास की घोषणा करके साधू संतों जैसे बेष बना बनाकर बहुत कितना ऊट पटांग बोलते हैं कैसी कैसी बयानबाजी करने लगे हैं अपने को संन्यासी कहकर न केवल शास्त्र विमुख जीवन जी रहे हैं अपितु गाली गलौच की भाषा का प्रयोग करते जा रहे हैं इससे आम समाज धर्म ,धार्मिक लोगों एवं धार्मिक प्रतीकों से अनास्था करने लगा है धर्म विमुख लोग अधार्मिक असहिष्णु एवं ब्यभिचारी होते जा रहे हैं नैतिक मूल्यों से लोगों का विश्वास उठता जा रहा है अब तो लोग धार्मिक गतिविधियों को भी राजनैतिक चश्मे से देखने लगे हैं !
महोदय , देश के इन लाल पीले डाढ़ा झोटा वाले बाबाब्यापारियों ने टीवी चैनलों पर बड़ी बड़ी बीमारियों के नामों की लंबी लंबी लिस्टें पढ़ पढ़ कर लोगों के मनमें मौत का ऐसा खौफ पैदा किया कि लोग इनकी ऊटपटाँग बकवासी झूठी बातों पर जैसे जैसे भरोसा करने लगे वैसे वैसे ये बाबा लोग तरह तरह की बीमारियाँ भगाने के झूठे दावे फेंकने लगे अब इन्होंने ऐसी परिस्थितियाँ पैदा कर दी हैं कि लोगों के मन में एक धारणा बनती जा रही है कि जो चीज किसी बाबा की फैक्ट्री में नहीं बनी है वो या तो मिलावटी है या अशुद्ध होगी या स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होगी या फिर विदेशी होगी ! ये लोग समाज के एक बहुत बड़े वर्ग को ये समझाने में सफल हो गए हैं कि व्यापारी मिलावटखोर हैं चोर हैं भ्रष्टाचारी हैं घटिया क्वालिटी का सामान बेचने वाले हैं और खुद को स्वदेशी शुद्ध एवं स्वच्छता का प्रतीक सिद्ध किया जा रहा है !इसी दावे के साथ इन बाबाब्यापारियों ने आटा दाल चावल घी तेल मसाले चूर्ण चटनी आचार पापड़ मैगी आदि सब कुछ बेचना शुरू कर दिया है अरबों पति बन गए !और समाज इनके प्रोडक्ट केवल इस भय से खरीद रहा है कि शुद्ध और स्वदेशी केवल यही हैं दूसरे खाएँगे तो या तो मर जाएँगे या फिर बीमार तो हो ही जाएँगे !ये भय दोहन नहीं तो और क्या है क्या ये पाप नहीं है ।
इसी प्रकार से योग से रोग भगाने के दावे करते करते ये लोग न जाने कब दवा ब्यापारी बन बैठे समाज समझ ही नहीं पाया !न केवल डाबर बैद्यनाथ की तरह बड़े बड़े दवा ब्यापारी बन बैठे अपितु दवाओं के विषय में बड़ी से बड़ी बीमारियाँ ठीक करने के झूठे दावे करने लगे !इनके दावों का किसने कब कहाँ क्या परीक्षण किया पता नहीं कैंसर ठीक करने के इनके दावों का परीक्षण हुआ या नहीं हुआ तो उनके दावों में कितनी सच्चाई थी ये समाज के सामने नहीं रखी गई जैसे जैसे पैसा बढ़ता गया वैसे वैसे ये प्रचार तंत्र पर हावी होते गए !नेताओं सरकारों को चोर कहने लगे उनके धन को ब्लैकमनी बताने लगे आज सारे प्रचार तंत्र पर उनका कब्ज़ा पैसे के बल पर है किंतु सच्चाई का गला घोंटा जा रहा है आज समाज भ्रमित है कि संन्यास तो छोड़िए इन्हें धार्मिक माना जाए या नहीं नेता भ्रमित हैं इन्हें नेता माना जाए या नहीं !अभिनेता भ्रमित हैं कि इन्हें अभिनेता माना जाए या नहीं !धनी लोग भ्रमित हैं कि इन्हें धनी माना जाए या नहीं क्योंकि ये लोग कभी भी अपने को चटाई पर सोने वाला फकीर कहने लगते हैं ! लाख टके का प्रश्न है कि इनकी दवाओं या अन्य प्रोडक्ट में कुछ विशेष नहीं है फिर इन्होंने बाजार में उपलब्ध प्रोडक्टों की निंदा क्यों की ? उपलब्ध खान पान को अशुद्ध मिलावटी और विदेशी बता बता कर मौत का खौफ पैदा क्यों किया ? ब्लैकमनी के विरुद्ध आंदोलन छेड़ना तो ठीक था किंतु साधू संन्यासियों का तो सारा धन ही ब्लैकमनी होता है क्योंकि समाज के सामने संन्यास (सब कुछ छोड़ने) की घोषणा करके समाज का विश्वास अर्जित किया और उस विश्वास के बल पर उद्योगपति बन बैठे जबकि ये विश्वास संन्यास संन्यास के लिए मिला था न कि उद्योग के लिए ये समाज के साथ धोखा है आज कई
इस पालन यदि हर इसके साथ ही इनके राजनीति में दखल देने लगे केसरकार ने इनसे
ऐसी परिस्थितियों में ऐसे लोगों के विरुद्ध कोई मुहिम छेड़ी जानी चाहिए उचित होगा कि काँग्रेस इसमें रूचि ले इसके साथ ही इस पवित्र काम में सहभागी बनने में मैं सौभाग्य समझूँगा यदि मैं भी इसमें अपना कोई योगदान दे सकूँ !
एम. ए.(व्याकरणाचार्य) ,एम. ए.(ज्योतिषाचार्य)-संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय वाराणसी
एम. ए.हिंदी -कानपुर विश्वविद्यालय \ PGD पत्रकारिता -उदय प्रताप कालेज वाराणसी
पीएच.डी हिंदी (ज्योतिष)-बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी (BHU )वाराणसी
पीएच.डी हिंदी (ज्योतिष)-बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी (BHU )वाराणसी
see more … http:// jyotishvigyananusandhan. blogspot.in/p/blog-page_7811. html
K -71 ,छाछी बिल्डिंग, कृष्णा नगर, दिल्ली -110051
Tele: +91-11-22002689, +91-11-22096548
Mobile : +919811226973, +919968657732
Email: vajpayeesn@gmail.com
Web: www.DrSNVajpayee.com
K -71 ,छाछी बिल्डिंग, कृष्णा नगर, दिल्ली -110051
Tele: +91-11-22002689, +91-11-22096548
Mobile : +919811226973, +919968657732
Email: vajpayeesn@gmail.com
Web: www.DrSNVajpayee.com
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें