हमसे पूछते हैं धरती माँ कैसे हो सकती है अरे ये तो भाव का सम्बन्ध है अन्यथा यदि केवल किसी को जन्म देकर ही 'माँ' बन सकते होते तो जिनके पेट में कीड़े पैदा हो जाते हैं क्या वो लोग उन कीड़ों को अपनी संतान एवं खुद को उनका माता पिता मानते हैं क्या ?
भारत माता की जय कहना कोई पूजा नहीं है ये तो भारतीयों का स्वाभिमान है सपना है इच्छा है कि अपना भारत हमेंशा विजयी ही होता रहे जो भारत को अपना देश समझता है उसे ऐसा बोलने में हिचकिचाहट क्यों ? धार्मिक
संस्थाओं से ऐसे घटिया बयानों की उम्मींद नहीं थी !कि वो देश की जय(जीत)
नहीं अपितु पराजय(हार) की कामना लेकर इस देश में रह रहे हैं ये देश उनका अपना
नहीं है यदि अपना मानते होते तो अपनों की विजय कौन नहीं चाहेगा !यह सपना तो देश भक्त हर भारतीय का होना चाहिए कौन भारतीय नहीं बोलना चाहेगा "भारतमाता की जय" !
ये हमारे बंधु जिस दिशा में शिर झुका रहे हैं यदि खुदा केवल उस दिशा में ही है तो बाकी तीन दिशाओं में खुदा नहीं है क्या ?दूसरा जिधर ये शिर झुका रहे हैं उधर खुदा के आलावा और कुछ नहीं है क्या ?
बन्धुओ !यदि ईश्वर अल्ला खुदा के अलावा किसी और की बंदना नहीं की जा सकती तो जिन्हें हमने देखा ही नहीं उनकी बन्दना करें कैसे ?
उन्हें किस रूप में नमन करें आखिर उनका कोई तो आकार प्रकार होता होगा हो सकता है प्रकाशपुंज ही हो !हो सकता है सारी सृष्टि का ही ध्यान करना होता हो आखिर बार बार जिसे नमन किया जाता है उसका स्वरूप कुछ तो होता ही होगा अन्यथा ध्यान किसका किया जाता है और यदि किसी के ईश्वर का कोई स्वरूप ही नहीं होता है वो बिलकुल निर्लिप्त निर्विकार निराकार आदि असीम ही है तो उसे मानने वालों के लिए क्या मंदिर क्या मस्जिद क्या गुरुद्वारे क्या गिरिजाघर !ऐसे धर्म स्थलों का महत्त्व ही क्यों ?आधुनिक भाषा में कहें तो लैंडलाइन फोन के लिए निश्चित जगहें होती हैं किंतु मोबाईल तो जहाँ जाओ वहीँ फोन सुविधा आदि !
कोई
मुस्लिम यदि खुदा के अलावा किसी और के सामने सर झुका दे तो क्या वो
मुशलमान नहीं रह जाता ?
बंधुओ
! कुछ महीनों पहले आप लोगों ने एक चित्र देखा होगा जिसमें प्राण संकट में
आने पर एक मुशलमान बालक एक सिंह के सामने सिर झुका कर हाथ जोड़कर प्राणों
की भीख माँग रहा था !दुर्भाग्यवश उस पर शेर ने हमला किया और उसका बहुमूल्य जीवन बचाया नहीं
जा सका !मुझे नहीं पता उसके बाद उसका शरीर मिला या नहीं मिल पाया किंतु
ऐसी किसी भी घटनाओं में यदि शव मिल जाता है तो उसका अंतिम संस्कार इस्लाम
धर्म के अनुसार करना चाहिए या नहीं क्योंकि अल्ला के अलावा किसी और अर्थात
शेर के सामने सिर झुका देने के बाद भी वो मुसलमान रहा या नहीं और उसका
अंतिम संस्कार इस्लामिक रीति रिवाज से किया जाना चाहिए या नहीं ?
वैसे
भी नमाज के समय सर झुकाने से जैसे और बहुत सारी चीजें सामने पड़ती हैं हम
उनकी परवाह नहीं करते तो भारत माता की जय बोलने में हिचकिचाहट क्यों ? हम तो खुदा के
भाव से ही सर झुकाते रहें इसमें क्या आपत्ति होनी चाहिए ?
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