वैदिक
विज्ञान से भूकंपों के विषय में हमारे द्वारा किए जा रहे रिसर्च कार्य में
सहयोग करना तो दूर उस पर चर्चा करने में बेइज्जती समझते हैं भूकंप वाले वो
लोग जो भूकंपों के विषय में खुद कुछ नहीं कर पाए न बता पाए !एक सेकेण्ड का
भी तो पूर्वानुमान नहीं दे पाए वो लोग !
भूकंपमंत्र से विहीन मंत्रालय से भूकंपों के विषय में अभी तक किसी भी सरकार के कार्यकाल में किसी भी प्रकार का कोई सहयोग जनता को नहीं मिल सका है फिर भी सबकी सैलरी और सबके खर्च का बोझ उठाती है बेचारी जनता !!
भूकंपों की पढ़ाई भी होती है किंतु जो विषय जबतक पढ़ाने वालों को ही नहीं समझ में आएगा वो विषय तब तक कैसे पढ़ा लेगा कोई !
भूकंप बनता कैसे है आता कब है इनके आने को रोकने के लिए कुछ किया जा सकता है क्या ?यदि हाँ तो क्या ?और नहीं तो क्यों ?इस दिशा में अभी तक की प्रगति क्या है खोज क्या हुई किस आधार पर हुई !फिर वो अचानक गलत कैसे हो गई !किस आधार पर उस खोज को अपनाया गया और खर्च की जाती है उस पर भारी भरकम धनराशि और फिर कैसे रोक दी गई ! भूकंप होता कितने प्रकार का है तथा उनके लक्षण क्या हैं और बचाव कैसे हो सकता है आदि बातों को स्वयं जाने समझे बिना कैसे पढ़ाया जा सकता है भूकंप !
ऐसे भूकंप प्रिय विभागों में भूकंपों के विषय में पढ़ाया क्या जाता होगा !सब्जेक्ट क्या होगा ?मंत्रविहीन मंत्रालय की भूमिका आखिर क्या है !भूकंप खोजने के लिए खोदे जाने वाले गड्ढों को शुरू करने के लिए फीते काटना गड्ढे खोदना फिर मिट्टी डालकर बंद कर देना और बजट बनाकर सरकार को भेज देना बस या कुछ और !
भूकंप के आने पर बुलेटिन दे देना !"खुले मैदान में आ जाएँ अभी आफ्टर शॉक्स आ सकते हैं!कितनी तीव्रता थी क्या केंद्र था कहाँ कहाँ कितने झटके लगे थे वे गिनकर बता दिए जाते हैं जनता को !धरती कितने मीटर या किलोमीटर किधर खिसक गई ये भी नाप तौल कर बता दिया जाता है । प्लेटों के विषय में वही पुरानी घिसी पिटी तर्कहीन तथ्यविहीन डरावनी बातें इसके बाद कही जाती है वही डेंजर जोन वाले अध्याय की डरावनी कथा और सबसे बाद में निकट भविष्य में कहाँ कहा आ सकता है कितना भयानक भूकंप ये बातें जरूर बता देते हैं वे लोग !जिन्हें भूकंपों के विषय में खुद कुछ पता न हो फिर भी इतनी बड़ी बड़ी बातें कर जाना वास्तव में बहुत बड़ी हिम्मत की बात है हर कोई इतना साहस नहीं कर सकता है !
इसके बाद भूकंप संबंधी बातों के विषय में खबरें बनाने के लिए मीडिया कुछ शब्द भूकंपी बातें बताने वालों के मुख में अपनी सुविधानुसार डाल डाल कर निकाल लेता है वही बन जाती हैं उनकी अपनी खबरें !
इसके बाद सुबुद्ध मीडिया सँभाल लेता है सारी जिम्मेदारी !वही पुरानी रिकार्डिंग के बड़े बड़े भयानक वीडियो दिखा दिखा कर डराता है भूकम्पीय आपदा से डरे सहमे समाज को !भूकंपों के विषय में जहाँ कोई काम काज ही न हो पाया हो वो भूकंप मंत्रालय !भूकंप वैज्ञानिकों का मतलब कुछ न कर पाने पर भी वैज्ञानिकों जैसा सम्मान और सैलरी पाने वाले लोग ! भूकंपों के पूर्वानुमान के संबंध में कुछ भी पता न लगा पाने वाले भी भूकंप वैज्ञानिक कहे जा सकते हैं !किंतु भारत के प्राचीन वैदिक विज्ञान के द्वारा भूकंपों के रहस्य सुलझाने के लिए प्रयास और परिश्रम करने वाले लोगों की ओर न सरकार ध्यान देती है और न ही कोई और !
अपने बल पर वैदिक विज्ञान के द्वारा भूकंपों के बारे में पता लगाने वाले लोगों के कुछ महत्त्वपूर्ण प्रयासों पर क्यों भरोसा करे कोई सरकार !अपने प्रयासों को परिणाम तक पहुँचाने के लिए धन और संसाधनों की आवश्यकता में मदद के लिए सरकार के कई मंत्रालयों को पत्र भेजे जा चुके हैं RTI से जानकारी माँगी जा चुकी है फोन पर भी संपर्क किया जा चुका है किंतु कोई संतोष जनक उत्तर कहीं से नहीं मिलता है !
भूकंप मंत्रालय के लोगों के द्वारा हमसे पूछा जाता है कि हमने साईंस पढ़ी है या नहीं और यदि नहीं तो उनके हिसाब से हम भूकंपों के विषय में सोच क्यों और कैसे रहे हैं उन्हें इस बात की बड़ी समस्या है !वो समझदार लोग भूकंपों के विषय में कुछ न करके भी खुद को तो वैज्ञानिक मनवाने को तैयार हैं किंतु वैदिक विज्ञान को कुछ मानने के लिए तैयार ही नहीं हैं।
जब हम भूकंपों के विषय में कुछ बात विचार उनसे पूछना बताना चाहते हैं तो वे हमसे पूछते हैं कि साइंस आपने पढ़ी नहीं मशीनें आपके पास हैं नहीं लोगों को आपने एप्वाइंट किया नहीं फिर आप भूकंप के विषय में कैसे कुछ कह सकते हैं !इस सब कुछ न कर पाने के कारण उनके हिसाब से तो वैदिक विज्ञान केवल अंध विश्वास है ।मंत्रालय के ही किसी एक सरकार द्वारा सैलरी सम्मानित किए जा रहे महोदय से मेरी थोड़ी बहस भी हुई तो उन्होंने कहा -"अच्छा चलो तुम ये बताओ कि अगला भूकंप कब अर्थात किस तारीख को किस समय और किस जगह पर आएगा !" ये बता दो तो जानें कि वैदिकविज्ञान वास्तव में सच है !
अब आप विचार करें कि हजारों करोड़ खर्च करके भी जो लोग जो बातें जितनी सटीक नहीं बता पा रहे हैं जो बताने की वे सैलरी उठा रहे हैं वैसी वैसी बातें हमें बिना कोई सहयोग दिए हमारी परीक्षा लेने के लिए हमसे पूछ रहे हैं भूकंपों के नाते रिस्तेदार लोग !
बंधुओ ! भूकंप आकर चले जाते हैं भूकंप विभागों में रिसर्च चलता रहता है किंतु वह न जाने कैसा रिसर्च है कि सैकड़ों वर्षों से पहले पाव दान पर ही खड़ा हुआ है वहाँ से हिला ही नहीं है । जमींन में पहले कुछ गड्ढे खोदे जाते हैं और फिर मिट्टी से भर दिए जाते हैं । गढ्ढे खोदने पूरने में ही लग रहा है धन !मेरी जानकारी के अनुशार तो अभी तक इस बात का निश्चय भी नहीं किया जा सका है कि भूकंप आता क्यों है और इसके लिए खोज किस दिशा में चल रही है अर्थात भूकंपों को खोजा कहाँ कहाँ जा रहा है !भूकंप आने के कारण धरती में हैं कि धरती के बाहर हैं कि आकाश में हैं और जहाँ कहीं हैं उन्हें पकड़ा क्यों नहीं जा रहा है फिर भी धरती के अंदर गड्ढे खोदे जा रहे हैं कई बार मुझे शंका होती है कि कहीं ये सारी कवायद केवल समय पास करने के लिए ही तो नहीं है । जो लोग अभी तक इस निष्कर्ष पर ही नहीं पहुँच पाए हैं कि भूकंपों को खोजा कहाँ और किस प्रकार से जाए !भूकंपों की ओर अभी तक चले कितने कदम हैं ये जानना तो दूर चलना किधर है अभी तक तो पता इसका भी नहीं लगा पाए हैं ऐसे भूकंप के रिसर्ची लोग वैदिक विज्ञान को गलत बता रहे हैं !
भूकंपों के विषय में हमारे वैदिकविज्ञान के द्वारा किए गए अभी तक के अनुसन्धान !
भूकंपमंत्र से विहीन मंत्रालय से भूकंपों के विषय में अभी तक किसी भी सरकार के कार्यकाल में किसी भी प्रकार का कोई सहयोग जनता को नहीं मिल सका है फिर भी सबकी सैलरी और सबके खर्च का बोझ उठाती है बेचारी जनता !!
भूकंपों की पढ़ाई भी होती है किंतु जो विषय जबतक पढ़ाने वालों को ही नहीं समझ में आएगा वो विषय तब तक कैसे पढ़ा लेगा कोई !
भूकंप बनता कैसे है आता कब है इनके आने को रोकने के लिए कुछ किया जा सकता है क्या ?यदि हाँ तो क्या ?और नहीं तो क्यों ?इस दिशा में अभी तक की प्रगति क्या है खोज क्या हुई किस आधार पर हुई !फिर वो अचानक गलत कैसे हो गई !किस आधार पर उस खोज को अपनाया गया और खर्च की जाती है उस पर भारी भरकम धनराशि और फिर कैसे रोक दी गई ! भूकंप होता कितने प्रकार का है तथा उनके लक्षण क्या हैं और बचाव कैसे हो सकता है आदि बातों को स्वयं जाने समझे बिना कैसे पढ़ाया जा सकता है भूकंप !
ऐसे भूकंप प्रिय विभागों में भूकंपों के विषय में पढ़ाया क्या जाता होगा !सब्जेक्ट क्या होगा ?मंत्रविहीन मंत्रालय की भूमिका आखिर क्या है !भूकंप खोजने के लिए खोदे जाने वाले गड्ढों को शुरू करने के लिए फीते काटना गड्ढे खोदना फिर मिट्टी डालकर बंद कर देना और बजट बनाकर सरकार को भेज देना बस या कुछ और !
भूकंप के आने पर बुलेटिन दे देना !"खुले मैदान में आ जाएँ अभी आफ्टर शॉक्स आ सकते हैं!कितनी तीव्रता थी क्या केंद्र था कहाँ कहाँ कितने झटके लगे थे वे गिनकर बता दिए जाते हैं जनता को !धरती कितने मीटर या किलोमीटर किधर खिसक गई ये भी नाप तौल कर बता दिया जाता है । प्लेटों के विषय में वही पुरानी घिसी पिटी तर्कहीन तथ्यविहीन डरावनी बातें इसके बाद कही जाती है वही डेंजर जोन वाले अध्याय की डरावनी कथा और सबसे बाद में निकट भविष्य में कहाँ कहा आ सकता है कितना भयानक भूकंप ये बातें जरूर बता देते हैं वे लोग !जिन्हें भूकंपों के विषय में खुद कुछ पता न हो फिर भी इतनी बड़ी बड़ी बातें कर जाना वास्तव में बहुत बड़ी हिम्मत की बात है हर कोई इतना साहस नहीं कर सकता है !
इसके बाद भूकंप संबंधी बातों के विषय में खबरें बनाने के लिए मीडिया कुछ शब्द भूकंपी बातें बताने वालों के मुख में अपनी सुविधानुसार डाल डाल कर निकाल लेता है वही बन जाती हैं उनकी अपनी खबरें !
इसके बाद सुबुद्ध मीडिया सँभाल लेता है सारी जिम्मेदारी !वही पुरानी रिकार्डिंग के बड़े बड़े भयानक वीडियो दिखा दिखा कर डराता है भूकम्पीय आपदा से डरे सहमे समाज को !भूकंपों के विषय में जहाँ कोई काम काज ही न हो पाया हो वो भूकंप मंत्रालय !भूकंप वैज्ञानिकों का मतलब कुछ न कर पाने पर भी वैज्ञानिकों जैसा सम्मान और सैलरी पाने वाले लोग ! भूकंपों के पूर्वानुमान के संबंध में कुछ भी पता न लगा पाने वाले भी भूकंप वैज्ञानिक कहे जा सकते हैं !किंतु भारत के प्राचीन वैदिक विज्ञान के द्वारा भूकंपों के रहस्य सुलझाने के लिए प्रयास और परिश्रम करने वाले लोगों की ओर न सरकार ध्यान देती है और न ही कोई और !
अपने बल पर वैदिक विज्ञान के द्वारा भूकंपों के बारे में पता लगाने वाले लोगों के कुछ महत्त्वपूर्ण प्रयासों पर क्यों भरोसा करे कोई सरकार !अपने प्रयासों को परिणाम तक पहुँचाने के लिए धन और संसाधनों की आवश्यकता में मदद के लिए सरकार के कई मंत्रालयों को पत्र भेजे जा चुके हैं RTI से जानकारी माँगी जा चुकी है फोन पर भी संपर्क किया जा चुका है किंतु कोई संतोष जनक उत्तर कहीं से नहीं मिलता है !
भूकंप मंत्रालय के लोगों के द्वारा हमसे पूछा जाता है कि हमने साईंस पढ़ी है या नहीं और यदि नहीं तो उनके हिसाब से हम भूकंपों के विषय में सोच क्यों और कैसे रहे हैं उन्हें इस बात की बड़ी समस्या है !वो समझदार लोग भूकंपों के विषय में कुछ न करके भी खुद को तो वैज्ञानिक मनवाने को तैयार हैं किंतु वैदिक विज्ञान को कुछ मानने के लिए तैयार ही नहीं हैं।
जब हम भूकंपों के विषय में कुछ बात विचार उनसे पूछना बताना चाहते हैं तो वे हमसे पूछते हैं कि साइंस आपने पढ़ी नहीं मशीनें आपके पास हैं नहीं लोगों को आपने एप्वाइंट किया नहीं फिर आप भूकंप के विषय में कैसे कुछ कह सकते हैं !इस सब कुछ न कर पाने के कारण उनके हिसाब से तो वैदिक विज्ञान केवल अंध विश्वास है ।मंत्रालय के ही किसी एक सरकार द्वारा सैलरी सम्मानित किए जा रहे महोदय से मेरी थोड़ी बहस भी हुई तो उन्होंने कहा -"अच्छा चलो तुम ये बताओ कि अगला भूकंप कब अर्थात किस तारीख को किस समय और किस जगह पर आएगा !" ये बता दो तो जानें कि वैदिकविज्ञान वास्तव में सच है !
अब आप विचार करें कि हजारों करोड़ खर्च करके भी जो लोग जो बातें जितनी सटीक नहीं बता पा रहे हैं जो बताने की वे सैलरी उठा रहे हैं वैसी वैसी बातें हमें बिना कोई सहयोग दिए हमारी परीक्षा लेने के लिए हमसे पूछ रहे हैं भूकंपों के नाते रिस्तेदार लोग !
बंधुओ ! भूकंप आकर चले जाते हैं भूकंप विभागों में रिसर्च चलता रहता है किंतु वह न जाने कैसा रिसर्च है कि सैकड़ों वर्षों से पहले पाव दान पर ही खड़ा हुआ है वहाँ से हिला ही नहीं है । जमींन में पहले कुछ गड्ढे खोदे जाते हैं और फिर मिट्टी से भर दिए जाते हैं । गढ्ढे खोदने पूरने में ही लग रहा है धन !मेरी जानकारी के अनुशार तो अभी तक इस बात का निश्चय भी नहीं किया जा सका है कि भूकंप आता क्यों है और इसके लिए खोज किस दिशा में चल रही है अर्थात भूकंपों को खोजा कहाँ कहाँ जा रहा है !भूकंप आने के कारण धरती में हैं कि धरती के बाहर हैं कि आकाश में हैं और जहाँ कहीं हैं उन्हें पकड़ा क्यों नहीं जा रहा है फिर भी धरती के अंदर गड्ढे खोदे जा रहे हैं कई बार मुझे शंका होती है कि कहीं ये सारी कवायद केवल समय पास करने के लिए ही तो नहीं है । जो लोग अभी तक इस निष्कर्ष पर ही नहीं पहुँच पाए हैं कि भूकंपों को खोजा कहाँ और किस प्रकार से जाए !भूकंपों की ओर अभी तक चले कितने कदम हैं ये जानना तो दूर चलना किधर है अभी तक तो पता इसका भी नहीं लगा पाए हैं ऐसे भूकंप के रिसर्ची लोग वैदिक विज्ञान को गलत बता रहे हैं !
भूकंपों के विषय में हमारे वैदिकविज्ञान के द्वारा किए गए अभी तक के अनुसन्धान !
- भूकंप को भेजते समय संसार की शुभचिंतक प्रकृति उस क्षेत्र के लोगों के लिए कोई न कोई महत्त्वपूर्ण संदेशा भेजती है खाली हाथ कभी नहीं आता है कोई भी भूकंप !यह निश्चित है ।
- प्रकृति के संदेशवाहक होते हैं भूकंप इसलिए वैदिक विज्ञान के द्वारा समझे और पढ़े जा सकते हैं वे संदेश और भविष्य के लिए भी सतर्क हुआ जा सकता है ।
- भूकंप हमें अतीत का दर्पण दिखाते हैं वर्तमान में हो रही प्राकृतिक भूलों का एहसास करवाते हैं और भविष्य में प्रकृति के साथ संतुलन बना कर चलने के लिए प्रेरित कर रहे होते हैं । निकट भविष्य में घटित होने वाली कुछ महत्त्वपूर्ण घटनाओं की सूचना दे रहे होते हैं !
- भूकंपों के द्वारा दिए गए संदेश प्रकृति या मौसम से संबंधित हो सकते हैं स्त्री पुरुषों से लेकर सभी जीवों जंतुओं के स्वास्थ्य और स्वभाव से संबंधित हो सकते हैं दो देशों के आपसी संबंधों विचारों व्यवहारों से संबंधित हो सकते हैं ।
- भूकंप जब जहाँ और जैसे आता है वो स्थान,समय और वहाँ की उस समय की प्राकृतिक स्थिति एवं मनुष्यों और जीवों में होने वाले रोगों और जीव जंतुओं के स्वभावों के सूक्ष्म लक्षणों का अध्ययन करके पहचाना जा सकता है किसी भूकंप के आने का उद्देश्य !
- जो भूकंप जब ,जहाँ और जैसे आता है उसके आने के कुछ मिनट बाद ही इस बात की उद्घोषणा की जा सकती है कि किस भूकंप के बाद आफ्टर शॉक्स आएँगे किसके बाद नहीं !
- जो भूकंप जब ,जहाँ और जैसे आता है उसके आधार पर इस रहस्य को सुलझाया जा सकता है कि किस भूकंप के आने के कितने दिन पहले से किन किन जीवों के स्वभावों और व्यवहार में किस किस प्रकार के परिवर्तन आने लगे होंगे अर्थात किस किस प्रकार के परिवर्तन कितने दिन या महीने पहले से अनुभव किए जाने योग्य होते हैं ।
मेरा अनुमान है कि इस विषय का रहस्य समाज को जिस दिन पता चलेगा कि भूकंपों का हमारे जीवन से इतना नजदीकी संबंध है वो क्षण भूकंप
के विषय में जानकारी की दृष्टि से ऐतिहासिक होगा !भारत वर्ष के सनातन हिंदू
धर्म के प्राचीनतम वैदिक विज्ञान का महान चमत्कार उस दिन दुनियाँ देखेगी
!इसी उद्घोषणा के साथ !!
आपसे विनम्र निवेदन !
भूकंपों के विषय में वैदिक विज्ञान के द्वारा चलाए जा रहे हमारे
भूकंपों से संबंधित अनुसन्धान कार्य में क्या आप हमारे साथ जुड़ कर अपनी
सुविधानुसार हमारी आर्थिक मदद करना चाहेंगे यदि हाँ तो आपका अग्रिम
धन्यवाद !
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