सोमवार, 27 फ़रवरी 2017

मेरा पत्र आपके नाम -

आदरणीय श्रीमान जी !
                                       आपको  सादर प्रणाम !!                                
      निवेदन : समयविज्ञान पर ज्योतिषशास्त्र के द्वारा किए जा रहे शोधकार्य में सहयोग करने हेतु !
महोदय !
         इसी विषय से सम्बंधित एक निवेदन मेरा भी है इस संसार के सभी वैज्ञानिक विषयों का प्रमुख कारण 'समय' है वैज्ञानिक अनुसंधानों में असफल होने पर वैज्ञानिक भी कुदरत या समय को ही दोष देते हैं कोई चिकित्सक किसी रोगी की चिकित्सा के बाद भी जब रोगी को रोगमुक्त नहीं कर पाता है तो वो भी समय को ही दोष देता है !संसार में समाज में या किसी के व्यक्तिगत जीवन में जो कुछ भी बन या बिगड़ रहा होता है वो सब कुछ अच्छे बुरे समय के प्रभाव से ही हो रहा होता है ।समय सबसे अधिक बलवान है वैज्ञानिकों से लेकर सबके सभी प्रयासों के सफल असफल होने का प्रमुख कारण समय ही है ।इसलिए सबसे पहले आवश्यक है कि 'समय' के विषय में ही अनुसन्धान किया जाए !मेरी जानकारी के अनुसार अच्छे बुरे समय के अनुसन्धान के लिए ज्योतिष के अलावा कोई दूसरा माध्यम नहीं है !महोदय ! मैंने ज्योतिष से आचार्य (MA) एवं  हिंदी (ज्योतिष) से Ph. D . काशी हिन्दू विश्व विद्यालय से की है अपने  विषय में ही शोध कार्य करना हमारा स्वाभाविक कर्तव्य है ! मैंने लोगों के व्यक्तिगत जीवन से लेकर प्रकृति से सम्बंधित कई विषयों पर रिसर्च किया भी है जिसके परिणाम काफी उत्साहबर्द्धक रहे हैं ।
         जो जैसा चाहता है वैसा हो जाने पर सुख और न  होने पर दुःख होता है और उसके विरुद्ध होने से मानसिक तनाव पैदा होता है तनाव से मनोरोग और उससे स्वास्थ्य तो खराब होता ही है साथ ही तमाम प्रकार की अप्रिय दुखद दुर्घटनाएँ भी घटते देखी जाती हैं। 
        सबके अपने अपने समय के कारण ही यह निश्चित होता है कि किसको  किस विषय को पढ़ने में सफलता मिलेगी किसमें नहीं ?कब पदोन्नति होगी कब नहीं ?कब स्वास्थ्य ठीक रहेगा कब ख़राब ?कब विवाह होगा कब नहीं ?किस समय किसके साथ विवाह करने से कितने समय तक सुख मिलेगा और कब दुःख ?कब संतान होगी कब नहीं होगी ?कब व्यापार चलेगा कब बिगड़ेगा ?किस काम से लाभ होगा किससे नुक्सान ?कब जमीन या मकान खरीदने से ठीक रहेगा कब नहीं!
      किसी के बुरे समय के प्रभाव से उसके साथ सब कुछ बुरा होने लगता है किंतु समय के महत्त्व को न समझने वाले लोग समय की अपेक्षा कुछ लोगों को जिम्मेदार मानने लगते हैं कुछ सम्बन्ध छोड़ देते हैं कुछ रिस्ते तोड़ लेते हैं कुछ को शत्रु मानने लगते हैं जबकि किसी का कोई दोष नहीं होता इसका प्रमुख कारण बुरा समय ही होता है । 
    प्राचीन चिकित्सा शास्त्र में समय के अनुशार ही चिकित्सा करने की पद्धति का वर्णन मिलता है जिसका समय जब अच्छा आ जाता है तब उसे कोई बीमारी नहीं होती और यदि कोई बीमारी पहले से चली आ भी रही हो तो शुभ समय के प्रभाव से बिना किसी औषधि के वो बीमारी स्वतः समाप्त होने लगती है फिर भी ऐसे रोगियों के स्वास्थ्य सुधारने के प्रयास  में लगे तांत्रिक ,वैद्य  या डॉक्टर आदि लोग उसका श्रेय (क्रेडिट) स्वयं लेने लगते हैं अपनी अपनी पद्धतियों को देने लगते हैं यही गुणी लोग बुरे समय से पीड़ित रोगियों की चिकित्सा करके जब उन्हें स्वस्थ करने या बचा पाने में असफल होते हैं तब वे रोगी के भाग्य ,कुदरत और बुरे समय को दोष देने लगते हैं यदि बुरा होने के लिए दोषी समय है  तो अच्छा होने का श्रेय(क्रेडिट)भी समय को ही क्यों न दिया जाए ! समय के प्रभाव से वर्षा बाढ़ आँधी तूफान और भूकंप जैसी घटनाएँ घटती हैं ऐसी सभी प्राकृतिक घटनाएँ एक दूसरे से सम्बंधित होती हैं !जिनमें एक घटना का अध्ययन करके भविष्यमें घटित होने वाली दूसरी घटना का पूर्वानुमान लगाया जा सकता है।
     महोदय !इसी विषय में अविश्वसनीय सी लगने वाली हमारी एक और बात पर विश्वास कीजिए कि सभी भूकंप प्रकृति का कोई न कोई महत्त्वपूर्ण संदेशा लेकर आते हैं जो प्रकृति, समाज, स्वास्थ्य, राजनीति, विदेशनीति आदि से संबंधित कुछ बड़ी सूचनाएँ दे रहे होते हैं बिलकुल उसी तरह जैसे हमारी आँख फड़क रही होती है तो हम मान लेते हैं कि हमारा कोई प्रियजन हमें याद कर रहा है इसी प्रकार से हमारा कोई अशुभ अंग फड़क रहा होता है तो हम समझ लेते हैं कि हमारे साथ कुछ बुरा होने वाला है बिलकुल इसी तरह से भूकंप आने का मतलब भी पृथ्वी के अंग फड़कना ही तो है । इसके भी शुभ और अशुभ फल होते हैं । जो भूकंप पीड़ित क्षेत्र में हम पृथ्वी वासियों को देखने सुनने और सहने पड़ते हैं।
     भूकंप चेतावनी का अभिप्राय समझ कर हम लोग बहुत अधिक नहीं तो अपना आंशिक बचाव तो कर ही सकते हैं । इसी विचार से भूकंपों की भाषा समझने के लिए मैं गहन रिसर्च करता रहा हूँ जिसमें 70-80प्रतिशत सफलता पा सका हूँ जिसके बलपर ही मैंने कई भूकंपों के फल अपने ब्लॉग पर उसी दिन लिखे जिनका संशोधन दोबारा नहीं किया गया इस बात की जाँच की जा सकती है और उनमें से अधिकाँश सही सिद्ध होते देखे गए हैं ।ऐसी परिस्थिति में न केवल भूकम्पों से सम्बंधित ये विधा अपितु और भी काफी कुछ प्रकृति और मानव जीवन से सम्बंधित बातों के रहस्य सुलझाने में ये शास्त्रीय विधाएँ बड़ी मदद करने वाली सिद्ध हो सकती हैं ।
     मैं ऐसे सभी विषयों पर पिछले  बीस वर्षों से शोध कार्य करता रहा हूँ !जिसके काफी अच्छे परिणाम सामने आए हैं !इस रिसर्च के आधार पर मेरा मानना है कि मानसिक तनाव  बहुत बड़े स्तर तक नियंत्रित  किया जा सकता है !पारिवारिक कलह एवं तलाक जैसी दुर्घटनाएँ घटाई जा सकती हैं आपराधिक प्रवृत्तियों में कमी लाई जा सकती है एवं इसके द्वारा चिकित्सा पद्धति को और अधिक प्रभावी बनाया जा सकता है !
       ऐसे सभी विषयों के प्रभाव को सिद्ध करने के लिए मेरे पास पर्याप्त शोध सामग्री है किंतु सरकार के संबंधित कई मंत्रालयों में बार बार संपर्क करने पर भी ऐसे विषयों में रिसर्च के लिए सरकारी सहायता नहीं मिल पा रही है जिसका कारण ज्योतिष के विषय में किसी स्पष्ट नीति का न होना बताया जा रहा है।
      अतएव आपसे निवेदन है कि समय विज्ञान के विषय में ज्योतिष शास्त्र के द्वारा किए जाने वाले हमारे शोध कार्य में कृपा पूर्वक सरकार हमारी मदद करे ।
                                                     :प्रार्थी :
                                       डॉ.शेष नारायण वाजपेयी
                               फ्लैट नं 3 , K-71,दुग्गल बिल्डिंग,छाछी बिल्डिंगचौक ,कृष्णा नगर दिल्ली 110051
                                   मो नं -9811226973 \9811226983 
                                  Gmail -vajpayeesn@gmail.com
 मेरा विनम्र परिचय -

    मैंने वैदिक विज्ञान पर अनुसंधान करने के लिए ही ज्योतिष आयुर्वेद तंत्र योग एवं विभिन्न प्राचीन वैदिक विषयों का अध्ययन किया है मैं अपना संपूर्ण समय इसी रिसर्च कार्य में लगा रहा हूँ जो मानवता के हित के लिए बहुत बड़ा कार्य है इससे प्रकृति से लेकर मानव स्वभाव ,स्वास्थ्य, समाज एवं  परिवारों से जुड़े कई बड़े रहस्य खोले जा सकते हैं ! 

ज्योतिष के विषय में फैलाए गए भ्रम को समझिए :
        समय संबंधी जाँच पड़ताल एवं पूर्वानुमान के लिए ज्योतिष से अच्छा कोई दूसरा विज्ञान है ही नहीं किंतु कुछ अज्ञानी वे लोग ज्योतिष को अंधविश्वास बताने लगे थे जो ज्योतिषशास्त्र के साथ किए जा रहे दुर्व्यवहारों के विषय में जानते नहीं हैं !सच्चाई ये है कि कोई अपने पढ़ने लिखने योग्य बुद्धमान लड़के को ज्योतिष पढ़ाना नहीं चाहता कुछ गरीबों के लड़के मजबूरी में ज्योतिष पढ़ने की ओर प्रवृत्त हो जाते हैं उनमें कुछ बुद्धमान भी होते हैं जिन्होंने वर्तमान समय में धारण कर रखा है ज्योतिष शास्त्र !बाकी अपने को ज्योतिषी कहने वाले 99 प्रतिशत वे लोग हैं  जिन्होंने ज्योतिष पढ़ी ही नहीं है न ही उनके पास ज्योतिष सब्जेक्ट में हासिल की गई सरकार के किसी विश्व विद्यालय का कोई डिग्री प्रमाणपत्र ही होता है ! ऐसे लोगों ने ज्योतिषशास्त्र के नाम पर झूठ बोल बोल कर ज्योतिष शास्त्र  के गौरव को इतना अधिक घटा दिया है कि इससे लोगों का विश्वास उठने लगा है जबकि डॉक्टरों की तरह ही ज्योतिषियों के भी ज्योतिष विषय डिग्री प्रमाण पत्र चेक किए जाते और फर्जी या झोला छाप ज्योतिषियों पर कार्यवाही की  ये समस्या ही नहीं पैदा होती !ज्योतिष के विषय में अयोग्य लोगों पर भरोसा करके पछताने वाले लोग निराश होकर ज्योतिष शास्त्र को अंध विश्वास मानने लगते हैं !


  आचार्य डॉ. शेष नारायण वाजपेयी
                    संस्थापकः
    राजेश्वरीप्राच्यविद्याशोधसंस्थान
                         तथा
 दुर्गापूजाप्रचारपरिवारएवंज्योतिषजनजागरणमंच 
व्याकरणाचार्य (एम.ए.)
संपूर्णानंदसंस्कृतविश्वविद्यालय वाराणसी   ज्योतिषाचार्य(एम.ए.ज्योतिष)
 संपूर्णानंदसंस्कृतविश्वविद्यालय वाराणसी  
   एम.ए.      हिन्दी    
कानपुर   विश्व  विद्यालय 
पी.जी.डिप्लोमा पत्रकारिता 
उदय प्रताप कॉलेज वाराणसी 
 पी.एच.डी. हिन्दी (ज्योतिष)   
  बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी बी. एच. यू.  वाराणसी
                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                              विशेषयोग्यताः-वेद, पुराण, ज्योतिष, रामायणों तथा समस्त प्राचीनवाङ्मयएवं राष्ट्र भावना से जुड़े साहित्य का लेखन और स्वाध्याय 
 प्रकाशितः-पाठ्यक्रम की अत्यंत प्रचारित प्रारंभिक कक्षाओं की हिन्दी की किताबें
कारगिल विजय      (काव्य )     
श्री राम रावण संवाद  (काव्य )
श्री दुर्गा सप्तशती     (काव्य अनुवाद ) 
श्री नवदुर्गा पाठ      (काव्य)                               
श्री नव दुर्गा स्तुति (काव्य ) 
 श्री परशुराम(एक झलक)
 श्री राम एवं रामसेतु  
 (21 लाख 15 हजार 108 वर्षप्राचीन

विशेषनिवेदन :प्राचीन भारतीय संस्कृति एवं वैदिक विज्ञान से जुड़े जनहितकारी रिसर्च कार्यों के लिए आप से सादर सहयोग की अपेक्षा -
               : वैदिकविज्ञान  अनुसंधान कोष :

और भी -


आदरणीय श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी एवं श्री श्याम बिहारी मिश्र जी के साथ 
आचार्य डॉ.शेष नारायण  वाजपेयी

श्रद्धेय श्री रज्जू भइया जी के साथ आचार्य डॉ.शेष नारायण वाजपेयी 


आदरणीय  डॉ. मुरली मनोहर जोशी जी के साथ 
आचार्य डॉ. शेष नारायण वाजपेयी                श्रीमान कुशाभाऊ ठाकरे जी के साथ आचार्य डॉ. शेष नारायण वाजपेयी
श्रीमती सुषमा स्वराज जी के साथ आचार्य डॉ. शेष नारायण वाजपेयी
        श्री मदनलाल खुराना जी के साथ आचार्य डॉ.शेष नारायण वाजपेयी




                                          




                            
                                                                                                                                                                                                                                                        

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