रावण के इतना भाग्यशाली दृढ़सिद्धांत का व्यक्ति न कोई हुआ है और न होगा !जानिए कैसे ?
नेताओं को इसमें बुराइयों पर अच्छाइयों की विजय दिखती है किंतु पूछ दो कि रावण की कोई 5 बुराई प्रमाण सहित बताओ केवल कोरी बकवास नहीं !ऐसे प्रश्न सुनते ही दाँत निकल आते हैं !ऐसे लोग देश और समाज को क्या दिशा देंगे जिनका अपने प्राचीन ज्ञान विज्ञान के प्रति इतना थोथा अध्ययन हो या अध्ययन ही न हो !वे दो कौड़ी के लोग रावण को दोषी ठहराकर खुद राम के पक्ष में खड़े हो जाते हैं जिनके न चित्र में दम न चारित्र में ऐसे राजनैतिक समझदार लोग राजनीति के नाम पर केवल धोखा धड़ी करते घूम रहे हैं !अपने नाते रिश्तेदारों को चुनावी टिकट बाँटने वाले !पैसे वालों को टिकट बेच देने वाले !अफसरों से घूस मँगवाकर पैसे कमाने वाले रावण की बुराईयाँ करते घूम रहे हैं !अफसर चीख चीख कर कहते हैं कि घूस का पैसा ऊपर तक जाता है किंतु ऊपर वाले बोलने को ही तैयार नहीं हैं !
नेताओं को इसमें बुराइयों पर अच्छाइयों की विजय दिखती है किंतु पूछ दो कि रावण की कोई 5 बुराई प्रमाण सहित बताओ केवल कोरी बकवास नहीं !ऐसे प्रश्न सुनते ही दाँत निकल आते हैं !ऐसे लोग देश और समाज को क्या दिशा देंगे जिनका अपने प्राचीन ज्ञान विज्ञान के प्रति इतना थोथा अध्ययन हो या अध्ययन ही न हो !वे दो कौड़ी के लोग रावण को दोषी ठहराकर खुद राम के पक्ष में खड़े हो जाते हैं जिनके न चित्र में दम न चारित्र में ऐसे राजनैतिक समझदार लोग राजनीति के नाम पर केवल धोखा धड़ी करते घूम रहे हैं !अपने नाते रिश्तेदारों को चुनावी टिकट बाँटने वाले !पैसे वालों को टिकट बेच देने वाले !अफसरों से घूस मँगवाकर पैसे कमाने वाले रावण की बुराईयाँ करते घूम रहे हैं !अफसर चीख चीख कर कहते हैं कि घूस का पैसा ऊपर तक जाता है किंतु ऊपर वाले बोलने को ही तैयार नहीं हैं !
श्री राम और श्री रावण दोनों ही इस पृथ्वी पर एक ही प्रयोजन की पूर्ति के लिए आए थे दोनों का उद्देश्य सामाजिक बुराइयों को समाप्त करना था !बुराइयोंके आ जाने पर बड़ा से बड़ा व्यक्ति नष्ट हो सकता है श्री राम ने इस बात का उपदेश किया और रावण ने इसी बात को चरितार्थ करके दिखा दिया कि बुराइयों से जब रावण जैसे महान पराक्रमी राजा का सर्वनाश हो सकता है तो हम लोगों को भी सुधरना चाहिए !
रावण को मारने के लिए स्वयं पधारे थे श्री राम इतना बड़ा सम्मान !ब्रह्मा स्वयं वेद पढ़ते थे !भगवान् शिव स्वयं पूजा करवाने जाया करते थे !वायु देवता बुहारी करते थे अग्नि देवता माली बने थे !षष्ठी कात्यायनी देवियाँ बच्चों का पालन पोषण करती थीं नवग्रह सीढ़ी बने हुए थे !
माता जानकी का इतना बड़ा भक्त जिन्हें प्रणाम करके वो सुखी होता था ! "मन महुँ चरण बंदि सुख माना" माता सीता के लिए जंगल की वेदनाएँ उससे देखी नहीं गईं तो उठा कर अपने यहाँ ले गया था !मैया ने कहा पिता बचन से हम नगर नहीं जा सकते तो "बन अशोक तेहिं राखत भयऊ !" रानियों को लगता था जैसे सभी नारियां रावण को देखकर मोहित हो जाती हैं वैसे ही सीता भी हो जाएँगी तो रावण ने कहा भारतीय नारियों के सतीत्व को कोई योद्धा पराजित नहीं कर सकता और न ही वो किसी से डरती हैं उनके लिए विश्व का साम्राज्य तुच्छ है यह दिखाने के लिए अपनी रानियों को पुष्प वाटिका ले गया था -
तेहि अवसर रावण तहँ आवा !
संग नारि बहु किए बनावा !!
कोई किसी स्त्री को विवाह हेतु राजी करने के लिए भीड़ लेकर जाता है क्या ?हमने रामायण को अपनी कलुषित दृष्टि से देख डाला ये अपराध हमने किया है !इसमें रावण कहीं से दोषी नहीं है जिसकी कमी श्री राम नहीं निकाल सके !गोस्वामी तुलसी दास जी नहीं निकाल सके उसे दोषी हम कैसे सिद्ध कर सकते हैं !
रावण
तो बहुत बड़ा विद्वान् पराक्रमी तपस्वी था !14000 स्त्रियों,लाखों परिजनों
करोड़ों अनुयायियों का स्नेह भाजन था !इतने बड़े जान समूह का समर्पण प्राप्त
कर लेना बहुत बड़ी बात थी रावण के जैसा संतान सुख आज तक किसी को हुआ ही नहीं
! पिता की अच्छी अच्छी बातों को बिना बिचारे ठुकरा देने वाला समाज ,पिता
को वृद्धाश्रम भेज देने समाज उस भाग्यशाली रावण की बराबरी कैसे कर सकता है
जिस पिता की गलत इच्छा की पूर्ति के लिए सब बलिदान देते चले गए किसी ने
एक बार भी रावण से नहीं कहा कि आप पुनर्विचार कर लीजिए !
रावण का पुतला ही क्यों उसकी मॉं का क्यों नहीं ?
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