मौसमपूर्वानुमान और वैदिकविज्ञान
किसी रोगी के रोग को समझने के लिए जिस प्रकार से रोग क्यों हुआ उसके कारण खोजे जाते हैं उसी प्रकार से वर्षा बाढ़ आँधी तूफ़ान आदि घटनाओं के घटित होने के भी कारण होते हैं जिनके प्रभाव से ऐसी घटनाएँ घटित होती हैं |उन कारणों का पता लग जाने पर प्राकृतिक घटनाओं के विषय में काफी पहले पूर्वानुमान लगा लिया जाता है |
मौसम संबंधी घटनाओं का निर्माण करने वाली शक्तियों के स्वभाव से यदि हम सुपरिचित होंगे तभी उनके विषय में पूर्वानुमान भी लगाया जा सकता है |उनके स्वभाव को समझे बिना यदि हम केवल अंदाजा लगाकर किसी भी तीर तुक्के के आधार पर कोई भविष्यवाणी कर देते हैं तो वो सही या गलत दोनों हो सकती है क्योंकि यह एक तुक्का है भविष्यवाणी नहीं |
कई बार ऐसे तुक्के भी सही हो जाने पर उसे पूर्वानुमान बताकर उसका श्रेय ले लिया जाता है किंतु यदि वही तुक्का गलत हो जाता है तो हमें उस गलती के लिए शर्मिंदा न होना पड़े इसके लिये हम जलवायुपरिवर्तन ,ग्लोबलवार्मिंग,अलनीनो-लानीना जैसी न जाने कितनी कहानियाँ गढ़ लेते हैं |
वर्षा बाढ़ आँधी तूफ़ान आदि प्राकृतिक घटनाओं के घटित होने पर यदि जलवायुपरिवर्तन ,ग्लोबलवार्मिंग,अलनीनो-लानीना जैसी घटनाओं की भी भूमिका है तो इन घटनाओं के विषय में पूर्वानुमान लगाए बिना मौसम संबंधी घटनाओं का पूर्वानुमान कैसे लगाया जा सकता है |इसलिए सबसे पहले ऐसी घटनाओं के विषय में पूर्वानुमान लगाया जाना चाहिए !इसके बिना लगाया गया किसी भी प्रकार का प्राकृतिक घटनाओं से संबंधित पूर्वानुमान आधार विहीन, अधूरा एवं अविश्वसनीय होता है क्योंकि ऐसे काल्पनिक कारणों का उपयोग तो किसी भी भविष्यवाणी के गलत होने पर अपनी सुविधानुसार कर लिया जाता है |
मौसमसंबंधी पूर्वानुमान लगाने के लिए अभी तक कोई प्रमाणित वैज्ञानिक तकनीक नहीं है यही कारण है कि प्राकृतिक घटनाओं से संबंधित भविष्यवाणियाँ तो गलत होती ही रहती हैं पर इस सच को स्वीकार करने के बजाए मौसमी घटनाओं को ही दोषी सिद्ध कर दिया जाता है |
मानसून समय से नहीं आया ,मानसून समय से गया नहीं,मानसून चकमा दे गया ,मानसून ने निराश किया आदि बातें क्यों ?सीधी सी बात है कि मानसून आने के विषय में हमने जो भविष्यवाणी की यदि वह गलत हो गई तो मानसून का दोष क्या है ?
ऐसे ही सन 2018 अगस्त में सामान्य वर्षा की भविष्यवाणी की गई किंतु केरल में भीषण वर्षा होने लगी भयंकर बाढ़ आ गई | सच्चाई ये है कि पूर्वानुमान लगाने में चूक हुई है किंतु बाढ़ आने का कारण हम जलवायुपरिवर्तन को बता रहे होते हैं |
सन 2018 के मई जून में बार बार आए हिंसक आँधी तूफ़ानों के विषय में कोई भविष्यवाणी नहीं की जा सकी थी तथा 7 और 8 मई को आँधी तूफ़ान आने के लिए भविष्यवाणी की गई तो वो पूरी तरह गलत हो गई | ऐसा इसीलिए हुआ क्योंकि आँधी तूफ़ानों के विषय में पूर्वानुमान लगाने के लिए अपने पास कोई प्रक्रिया ही नहीं है | इसलिए चूक पूर्वानुमान लगाने वालों से हुई किंतु दोष तूफानों का दिया जाने लगा -'चुपके से आते हैं चक्रवात' या ग्लोबलवार्मिंग के कारण आते हैं तूफ़ान |
कुलमिलाकर ऐसी असफल भविष्यवाणियों की सूची काफी लंबी भी हो सकती है जिसके विषय में हम केवल इतना ही कहना चाहते हैं कि मौसम संबंधी प्राकृतिक घटनाओं के विषय में पूर्वानुमान लगाने के लिए अभी तक कोई तकनीक विकसित ही नहीं हो पाई है |
वर्तमान समय में मौसम संबंधी पूर्वानुमान अनुसंधानों के नाम पर एक ऐसे ताले को खोलने का प्रयास किया जा रहा है जिसकी अपनी चाभी खो गई है दूसरी चाभियों से उसे खोलने का प्रयास किया जा रहा है किंतु ताला खुल नहीं पा रहा है | जिसको खोलने में असफल रहने के कारण ताले को ही खराब बताया जाने लगा है | किसी का ध्यान इस ओर नहीं आ रहा है कि कहीं ऐसा तो नहीं है कि हम ताला खोलने के लिए जिस चाभी का प्रयोग कर रहे हैं वो चाभी ही गलत हो |
यही स्थिति हमारे मौसम संबंधी पूर्वानुमान लगाने की है मौसम निर्माण करने वाली शक्तियों का अनुसंधान करने के बजाए जलवायुपरिवर्तन ,ग्लोबलवार्मिंग,अलनीनो-लानीना जैसी निरर्थक कल्पनाएँ की जा रही हैं और वर्षा बाढ़ और आँधी तूफ़ान जैसी घटनाओं के विषय में लगाया जाने वाला पूर्वानुमान निरंतर गलत होता जा रहा है |
बादलों या आँधी तूफ़ान जैसी घटनाओं को उपग्रहों रडारों आदि के माध्यम से देखकर उनकी गति और दिशा के हिसाब से अंदाजा लगाकर कि ये किस दिन किस देश प्रदेश या शहर आदि में पहुँच सकते हैं उसके आधार पर मौसम संबंधी भविष्यवाणी कर दी जाती हैं इसी बीच हवाएँ यदि बदल गईं तो वो अंदाजा भी गलत हो जाता है | ऐसा अंदाजा लगाने में विज्ञान कहाँ है |
मौसमविज्ञान और समय !
वैदिकविज्ञान की दृष्टि से प्रकृति में घटित होने वाली सभी प्रकार की घटनाओं का समय निश्चित है इसलिए सभी घटनाएँ अपने अपने समय पर घटित होती जाती हैं हमेंशा से ही ऐसा होता चला आ रहा है | मौसमसंबंधी घटनाएँ भी समय के आधार पर ही घटित होती हैं कब सूखा पड़ना है, कब बादल आना है, कब वर्षा होनी है, कब अधिक वर्षा होनी है कब आँधी आनी है कब तूफ़ान आना है कब चक्रवात आना है सबका अपना अपना समय सुनिश्चित होता है |भूकंप आने का भी समय निश्चित है !यहाँ तक कि वायु प्रदूषण बढ़ने घटने का भी समय निश्चित है |
इस प्रक्रिया के द्वारा मौसम पूर्वानुमान लगाने के लिए केवल उस समय को खोजना होता है जो जिस प्रकार की प्राकृतिक घटना के लिए निश्चित होता है |उस समय की खोज सिद्धांतगणित की प्रक्रिया के अनुशार करनी होती है |
जिस प्रकार से समुद्र में ऊँची ऊँची लहरें कब उठेंगी यदि इस बात का पूर्वानुमान लगाना हो तो इसके लिए वैदिक विज्ञान की दृष्टि से अमावस्या पूर्णिमा आदि तिथियों का समय निश्चित है !इसके बाद गणित के द्वारा इस बात का पूर्वानुमान लगाना होता है कि अमावस्या और पूर्णिमा आएगी किस तारीख को ?ऐसा निश्चित होने के बाद कह दिया जाता है कि उस तारीख को समुद्र में ऊँची ऊँची लहरें उठेंगी !
इस प्रकार से समुद्र के जल का स्पर्श किए बिना समुद्र के पास जाए बिना समुद्र या समुद्र जल का परीक्षण किए बिना ही केवल गणित के द्वारा उस तारीख को खोज लिया जाता है जिस दिन समुद्र में सबसे ऊँची लहरें उठनी होती हैं |
इसी प्रकार से सूर्य या चंद्र का ग्रहण कब पड़ेगा इस प्राकृतिक घटना का पूर्वानुमान लगाने के लिए पहले यह जानना होता है कि सूर्य और चंद्र ग्रहण पड़ते किस किस तिथि को हैं जब पता लगा कि सूर्य ग्रहण अमावस्या को और चंद्र ग्रहण पूर्णिमा को लगता है | इसके बाद सूर्यग्रहण किस अमावस्या को पड़ेगा और चंद्र ग्रहण किस पूर्णिमा को पड़ेगा आदि तारीख पता लगने के बाद उसका समय क्या होगा कितनी देर पड़ेगा !भविष्य में कब कब पड़ेगा आदि बातों का पूर्वानुमान सिद्धांतगणित की प्रक्रिया के अनुशार लगा लिया जाता है | इसके लिए किसी उपग्रह या रडार आदि से सूर्य चंद्र के चित्र नहीं लेने या देखने होते हैं और न ही इनके किसी प्रकार के परीक्षण की ही आवश्यकता होती है यहाँ तक कि सूर्य चंद्र और आकाश आदि तक को देखे बिना ही केवल गणित के आधार पर उस समय का पूर्वानुमान लगा लिया जाता है जिसमें इस प्रकार की घटना घटित होती है|लाखों वर्ष बीतने के बाद भी ग्रहणों के विषय में लगाए गए पूर्वानुमान बिलकुल सही एवं सटीक निकलते हैं कोई भविष्यवाणी कभी गलत नहीं हुई इसीलिए वेदवैज्ञानिकों को जलवायुपरिवर्तन , ग्लोबलवार्मिंग , अलनीनो-लानीना जैसी कभी कोई काल्पनिक कहानी नहीं गढ़नी पड़ी !
गणित के द्वारा लगाए जाने वाले पूर्वानुमानों में केवल उस समय की खोज करनी होती है समय के आधार पर ही प्राकृतिक घटनाएँ घटित होती हैं !
मानसून की तारीखें बदलते रहने का भी कारण भी समय ही है इसीलिए आजतक किसी एक निश्चित तारीख को न मानसून आया है और न भविष्य में ही कभी आएगा !
इसका कारण मानसून तिथियों के अनुशार आता है तारीखों के अनुशार नहीं !क्योंकि तिथियों का निर्माण सूर्य और चंद्र के संयोग से होता है और वर्षा बाढ़ आंधी तूफानों आदि प्राकृतिक घटनाओं का निर्माण भी सूर्य चंद्र आदि ग्रहों के वायु मंडल में पड़ने वाले प्रभाव से होता है |इसलिए मानसून के आने जाने में तिथियों का महत्त्व होता है |
'समय' का साथ लिए बिना मौसमविज्ञान अधूरा है !
प्रकृति में सभी घटनाएँ समय के अनुशार घटित हो ती है किसी भी काल खंड में समय हमेंशा एक जैसा नहीं रहता है |समय ही संसार में घटित होने वाली सभी प्रकार की घटनाओं का निर्माण और समापन करता है |
संसार में केवल 'समय'' ही स्वतंत्र है जीवन हो या प्रकृति सबको समय के अनुशार ही चलना होता है हमारे द्वारा किए जाने वाले जो प्रयास समय के अनुशार नहीं किए जाते हैं उनके सफल होने में अक्सर चंद्रयान 2 की तरह कठिनाई होती ही है |समय की उपेक्षा करके किसी भी कार्य के लिए हम प्रयास तो कर सकते हैं किंतु उसके परिणाम पर अधिकार 'समय' का होता है परिणाम कैसा होगा इस बात का पूर्वानुमान उस कालखंड में चल रहे समय के अनुसार ही लगाया जा सकता है |समय की उपेक्षा करने के कारण छोटे बड़े अनेकों प्रयास असफल होते रहते हैं कई वैज्ञानिक अनुसंधान भी इसी की भेंट चढ़ गए !
समय हमेंशा अपनी गति से चला करता है और जीवन में हो या प्रकृति में सभी घटनाएँ घटित होते चली जाती हैं | समय स्वतंत्र तो है किंतु स्वच्छंद नहीं है अपितु नियमबद्ध है इसीलिए उसका क्रम और समय अंतराल लगभग एक जैसा ही हमेंशा बना रहता है |हमारे कहने का अभिप्राय संपूर्ण प्रकृति ही समय के अनुशार संचालित होती देखी जा रही है |
प्रतिदिन के सूर्योदय तथा सूर्य के अस्त होने का समय निश्चित है प्रतिवर्ष सर्दी गर्मी वर्षा आदि ऋतुओं का समय निश्चित है उनका क्रम निश्चित है|समय का पालन संपूर्ण प्रकृति करती है !संपूर्ण संसार में सब कुछ एक जैसा रहता है केवल समय के बदलने से सबकुछ बदलता जाता है |
सर्दी का समय आते ही भयंकर सर्दी पड़ने लगती है और गर्मी का समय आते ही भीषण गर्मी पड़ने लगती है नदियाँ कुएँ तालाब आदि सब सूख जाते हैं | वर्षा का समय आते ही वर्षा होने लगती है सूखे हुए नदियाँ कुएँ तालाब आदि फिर भर जाते हैं | जाने कहाँ कहाँ से आकर कितने बादल सारे आकाश मंडल को घेर लेते हैं इन्हें कोई निमंत्रण देने तो नहीं जाता !आकाश बादलों से भर जाता है !समय बीतते ही सारे बादल न जाने कहाँ चले जाते हैं आकाश फिर साफ हो जाता है |
कुल मिलाकर प्रकृति में होने वाले ऐसे सभी प्रकार के परिवर्तनों में केवल समय बदलता जा रहा होता है उसके साथ साथ प्रकृति में बदलाव होता जाता है |
इस प्रकार से जिस प्रकृति पर समय का इतना बड़ा प्रभाव देखा जाता है वर्षा आँधी तूफ़ान आदि प्राकृतिक घटनाओं का पूर्वानुमान लगाने के लिए यदि उसी समय सिद्धांत का अनुपालन करते हुए गणितीय प्रक्रिया के द्वारा मौसम संबंधी पूर्वानुमान लगाया जाए तो अधिक सही एवं सटीक होने की संभावना होती है |
गणितीय प्रक्रिया से मौसम पूर्वानुमान लगाने का प्रकार -
प्रकृति जब सूर्य से अधिक प्रभावित होती है तब हवा तो चलती है किंतु वर्षा नहीं होती है ऐसे समय धूप अधिक निकलती है गर्मी बढ़ती है आँधी तूफ़ान की घटनाएँ घटित होती हैं वायु प्रदूषण बढ़ने लगता है |ऐसे समय में आकाश में या तो बादल नहीं रहते हैं यदि बादल होते भी हैं तो वे भूरे रंग के होते हैं ऐसे बादल तीव्र गति से किसी एक दिशा की ओर उड़ रहे होते हैं |
इसी प्रकार से जब केवल चंद्र का ही प्रभाव बढ़ता है तो आकाश में घनघोर काले काले बादल तो छा जाते हैं किंतु वर्षा अत्यंत कम होती है या नहीं भी होती है और कई बार बिना बरसे ही निकल जाते हैं | ये किसी एक ही दिशा की ओर जा रहे होते हैं |
कई बार सूर्य और चंद्र दोनों का प्रभाव समान रूप से पड़ रहा होता है ऐसे समय में सूर्य और चंद्र के बादल एक दूसरे से विपरीत दिशा में गमन कर रहे होते हैं कई बार ऐसा भी होता है कि कुछ बादल स्थिर होते हैं तो दूसरी ओर से आने वाले बादल उन्हें लाँघ रहे होते हैं |ऐसे समय में अच्छी बारिस होने की संभावना होती है | ये प्रभाव जितना अधिक शक्तिशाली होता है वर्षा का वेग भी उतना ही अधिक होता है |
कभी कभी सूर्य और चंद्र दोनों का प्रभाव अत्यंत अधिक बढ़ा हुआ होता है और दोनों का प्रभाव लगभग एक समान होता है ऐसे समय में बड़े बड़े आकार के घनघोर डरावने बादल उठते हैं इनके प्रभाव से वर्षा आँधी तूफ़ान आदि घटनाएँ साथ साथ ही घटित होते देखी जाती हैं |
ऐसे ही अन्य कुछ खगोलीय परिस्थितियाँ दूसरे ग्रहों की दूसरे ग्रहों के साथ बनती हैं उनके प्रभाव से भी कुछ इसी प्रकार की प्राकृतिक घटनाएँ घटित होती हैं |
जब कोई दो या दो से अधिक खगोलीय परिस्थितियाँ वर्षा करने वाली बन जाती हैं उस समय अधिक वर्षा होने की संभावना बन जाती है | ऐसे ही आँधी तूफ़ान आदि की घटनाएँ भी घटित होते देखी जाती हैं |
इस प्रकार से खगोलीय परिस्थितियाँ कब कैसी बन रही हैं या भविष्य में कब कैसी बनेंगी इसका पूर्वानुमान गणितीय पद्धति से आगे से आगे लगा लिया जाता है इसके साथ ही सूर्य और चंद्र का प्रभाव कब कैसा पड़ रहा है इसका पूर्वानुमान भी बहुत पहले से लगा लिया जाता है और इसी के आधार पर वर्षा बाढ़ या आँधी तूफ़ान जैसी घटनाओं का पूर्वानुमान लगा लिया जाता है |
- विनम्र निवेदन -
मैं पिछले लगभग 25 वर्षों से वैदिक विज्ञान के आधार पर प्रकृति एवं जीवन से संबंधित विषयों पर अनुसंधान करता चला आ रहा हूँ इसके आधार पर लगाए जाने वाले पूर्वानुमान प्रकृति और जीवन दोनों ही क्षेत्रों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण सही एवं सटीक होते हैं |
प्राकृतिक घटनाओं से संबंधित पूर्वानुमान पिछले लगभग 7 वर्षों से मैं अपने ब्लॉग पर प्रकाशित करता रहा हूँ |
बीते दो वर्षों से प्रत्येक महीना प्रारंभ होने से एक दो दिन पूर्व वर्षा तूफ़ान वायुप्रदूषण आदि से संबंधित पूर्वानुमान लगाकर मैं प्रधानमन्त्री जी के यहाँ ईमेल पर भेजता रहा हूँ ,इसके साथ ही मौसम विभाग तथा कुछ प्रांतों के मुख्यमंत्रियों एवं कुछ पत्रकारों के ईमेल पर भेजता रहा हूँ !वे मेल संदेश हमारे पास आज भी प्रमाण स्वरूप में संगृहीत हैं | आवश्यकता पड़ने पर प्रस्तुत किए जा सकते हैं |
हमारे द्वारा गणितीय प्रक्रिया से लगाए गए पूर्वानुमान कितने प्रतिशत सही हैं या जानने के लिए मैंने अखवारों एवं समाचार पत्रों चैनलों आदि में प्रकाशित घटनाओं के विवरण का संग्रह किया हुआ है |
ये प्रक्रिया अत्यंत सही एवं सटीक है फिर भी इन्हें और अधिक उत्तम बनाने के लिए इससे संबंधित अनुसंधान करने के लिए आवश्यक संसाधनों की आवश्यकता होती है | उससे पूर्वानुमान लगाने में और अधिक सटीकता लाई जा सकती है |
ग्रीष्मऋतु में समय ऐसा आता है जब आकाश में सूर्य तपने लगता है उसके साथ साथ संपूर्ण प्रकृति तप रही होती है गर्मी की मात्रा बढ़ जाने के कारण चारों ओर त्राहि त्राहि मची होती है नदी तालाब आदि सूखते जा रहे होते हैं इसके बाद वर्षाऋतु का समय आता है तब आकाश में घनघोर बादल छा जाते हैं और वर्षा बाढ़ जैसे दृश्य दिखाई पड़ने लगते हैं |
इसी प्रकार से समय बदलने के बाद वर्षा बीतते ही आकाश साफ हो जाता है बादल न जाने कहाँ चले जाते हैं धीरे धीरे भयंकर सर्दी होने लगती है यह शिशिर(शीत) ऋतु का समय होता है तब कोहरा पाला आदि सारी घटनाएँ घटित होते देखी जाती हैं | इसी के कुछ समय बाद फिर गर्मी पड़ने लग जाती है | ऐसी परस्पर विपरीत घटनाएँ घटित होने के पीछे कारण केवल समय ही होता है इसके अतिरिक्त संसार में बाकी किसी प्रकार का कोई बदलाव नहीं होता है समय के बदलने के साथ साथ सब कुछ बदलते चला जाता है |
कुलमिलाकर जीवन हो या प्रकृति समय का प्रभाव तो सभी जगह देखने को मिलता है अच्छे समय के प्रभाव से जीवन हो या प्रकृति सभी जगह आनंद होता है शरीरस्वस्थ मनप्रसन्न एवं शत्रु भी मित्र बन जाते हैं और विपरीत समय के प्रभाव से शरीर अस्वस्थ मन दुखी एवं अपने सगे संबंधी भी अपने से शत्रुता मानने लगते हैं |
इसी प्रकार से प्रकृति भी अच्छे समय के प्रभाव से हितकारिणी हो जाती है उचित मात्रा में सभी जगह समान एवं हितकारिणी वर्षा होती है उचित एवं अनुकूल वायु का प्रवाह होता है |समय का विपरीत प्रवाह प्रारंभ होते ही प्रकृति में भी सब कुछ विपरीत घटित होने लगता है प्रकृति भी रौद्ररूप धारण करने लग जाती है सूखा वर्षा बाढ़ आँधी तूफ़ान आदि सभी प्रकार की प्राकृतिक आपदाएँ विपरीत समय के प्रभाव से घटित होने लग जाती हैं |
खोज लिया जाता है जिस बिना किसी यंत्र की सहायता के ही प्रकृति में घटित होने वाली इतनी बड़ी बड़ी घटनाओं का पूर्वानुमान लगा लिया जाता है | इन सब से अलग सबसे पहले
यदि इन्हीं घटनाओं का पूर्वानुमान लगाने के लिए इसके वास्तविक विज्ञान का सहारा लिया जाए तो वर्षा कारक बादलों या आँधी तूफ़ान जैसी घटनाओं का निर्माण होने से महीनों वर्षों पहले इनके विषय में पूर्वानुमान लगा लेना संभव हो पाता है उसके बाद उपग्रहों से प्राप्त छाया चित्रों का अत्यंत उत्तम उपयोग किया जा सकता है |
गणित की जिस प्रक्रिया से सूर्य और चंद्र ग्रहण जैसी सुदूर आकाश में घटित होने वाली घटनाओं का सटीक पूर्वानुमान महीनों वर्षों शदियों पहले लगा लिया जाता है इसके लिए किसी उपग्रह रडार आदि की मदद कहाँ ली जाती है | विशुद्ध गणितीय प्रक्रिया के द्वारा सूर्य और चंद्र ग्रहण जैसी अत्यंत कठिन घटनाओं का पूर्वानुमान लगाया जा सकता है तो सूखा वर्षा बाढ़ आँधी तूफ़ान जैसी घटनाओं का इस गणितीय प्रक्रिया के द्वारा यदि पूर्वानुमान लगा लिया जाए तो इसमें आश्चर्य की क्या बात है | इसविषय से संबंधित अनुसंधान प्रक्रिया को भी प्रोत्साहित किया जाना चाहिए |
अच्छे और बुरे समय की पहचान कैसे हो ?
प्रायः जीवन में या प्रकृति में जो घटनाएँ अच्छी घटित हो जाती हैं ऐसे समय हम मान लेते हैं कि अच्छा समय चल रहा था इसी प्रकार से जो बुरी घटनाएँ घटित होती हैं उन्हें देखकर या उनका अनुभव करके हमें लगता है कि बुरा समय चल रहा था |ऐसा अधिकाँश लोग प्रायः कहते सुने जाते हैं |
इसके अतिरिक्त अच्छे और बुरे समय को पहचानने के लिए एक गणितीय प्रक्रिया भी है जिसके द्वारा इस बात का पूर्वानुमान लगाया जा सकता है कि भविष्य में कब अच्छा और कब बुरा समय चलेगा | चूँकि अच्छे समय में अच्छी घटनाएँ घटित होंगी और बुरे समय में बुरी इसलिए समय के आधार पर ही इस बात का पूर्वानुमान लगाया जा सकता है कि भविष्य में कब कैसी प्राकृतिक घटनाएँ घटित होंगी |
समय सबसे पहले खगोल को प्रभावित करता है इसके बाद खगोलीय घटनाएँ हमारे भूगोल को प्रभावित करती हैं जिससे प्राकृतिक वातावरण प्रभावित होता है उसके कारण प्राकृतिक घटनाएँ घटित होती हैं |
इसलिए वर्षा बाढ़ आँधी तूफ़ान आदि प्राकृतिक घटनाओं के घटित होने का वास्तविक कारण तो समय है और समय कैसा चल रहा है इसको जानने का एक मात्र साधन है खगोलीय घटनाओं का अनुसंधान !यह केवल सिद्धांत गणित के द्वारा ही संभव है |
कारण यह है कि सुदूर आकाश में जहाँ कोई संचार माध्यम नहीं हैं वहाँ जाना आना संभव नहीं है ,ऐसी परिस्थिति में उपग्रहों रडारों के द्वारा हम खगोलीय घटनाओं की वो सूक्ष्म जानकारी नहीं जुटा सकते हैं जो गणितीय प्रक्रिया के द्वारा प्राप्त कर सकते हैं |
गणित की पद्धति के द्वारा हजारों वर्ष पहले भी पूर्वानुमान परंपरा रही है इसी के आधार पर हम मनुष्यों के स्वास्थ्य ,संबंध एवं मानसिक सुख दुःख के विषय में पूर्वानुमान लगाने में सफल होते रहे हैं | इसी गणित के आधार पर हम सूर्य और चंद्र ग्रहण घटित होने के विषय में पूर्वानुमान हजारों वर्ष पहले लगा लेते रहे हैं जो एक एक मिनट सही एवं सटीक घटित होते रहे हैं |उसी गणितीय पद्धति से वर्षा बाढ़ आँधी तूफ़ान आदि प्राकृतिक घटनाओं के विषय में भी पूर्वानुमान लगा लिया जाता है |
इस क्रम में वर्षा बाढ़ आँधी तूफ़ान आदि प्राकृतिक घटनाओं का पूर्वानुमान लगाने के लिए उपग्रहों रडारों आदि के माध्यम से प्राप्त छायाचित्रों को देखने की आवश्यकता नहीं होती है अपितु केवल गणित के द्वारा इस बात का पूर्वानुमान लगा लिया जाता है कि किन किन तारीखों में कैसा समय रहेगा और उस समय के आधार पर यह जान लिया जाता है कि वर्षा बाढ़ आँधी तूफ़ान आदि किस किस प्रकार की घटनाएँ घटित होने की संभावना है |
इसकी सबसे बड़ी विशेषता ये होती है कि वर्षा या आँधी तूफ़ान आदि का पूर्वानुमान लगाने के लिए बादलों या आँधी तूफानों आदि के विषय में अंदाजा नहीं लगाना होता है कि ये किस दिशा में किस गति से जा रहे हैं उसी के अनुसार अंदाजा लगाकर ये कह दिया जाए किस दिन किस देश प्रदेश या शहर आदि में ये पहुँचेंगे |गणितीय प्रक्रिया में तो वैज्ञानिक आधार पर ही पूर्वानुमान खोज लिए जाते हैं|
प्राकृतिक घटनाओं के विषय में पूर्वानुमान लगाने की दृष्टि से गणितीय पद्धति वास्तविक विज्ञान है इसके आधार पर प्राकृतिक घटनाओं के घटित होने के पीछे के कारणों की खोज करनी होती है उनके आधार पर पूर्वानुमान लगाया जाता है | बादलों की जासूसी से ऊपर उठाकर मौसम का निर्माण करने वाली शक्तियों का अध्ययन करना होता है| इसकी एक विशेषता और है कि ये पूर्वानुमान एक दो दिन पहले ही नहीं अपितु इस गणितीय प्रक्रिया के द्वारा तो सैकड़ों वर्ष बाद घटित होने वाली प्राकृतिक घटनाओं का पूर्वानुमान भी आज ही लगा लिया जाता है क्योंकि इसका आधार केवल गणित होता है |
इससे एक लाभ और होता है कि कई बार किसी क्षेत्र में लगातार वर्षा हो रही होती है धीरे धीरे उस क्षेत्र में भयंकर बाढ़ आ जाती है ऐसे में उपग्रहों रडारों से जहाँ तक के बादलों के चित्र दिखाई पड़ रहे होते हैं केवल वहीँ तक की भविष्यवाणी कर पाना संभव होता है उसके एक दो दिन बाद यदि कुछ और भी बादल दिखाई दिखाई पड़ते हैं तो दो दिन और आगे बढ़ाकर दूसरी भविष्यवाणी कर दी जाती है ये क्रम ऐसे ही आगे भी चला करता है | ऐसी परिस्थिति में उस क्षेत्र में फँसे लोग जिन्होंने मौसमी भविष्यवाणी के आधार पर केवल तीन दिन की ही हिम्मत बाँध रखी होती है बाद के दो दिन उनके लिए बहुत भारी पड़ जाते हैं इसके बाद भी शंका बनी रहती है कि इसके बाद भी कह सकते हैं कि 72 घंटे और बरसेगा !किंतु गणितीय पद्धति से इस बात का पूर्वानुमान बहुत पहले लगा लिया जाता है कि वर्षा आखिर होगी कितने दिन |
सूर्य और प्राकृतिक घटनाओं का संबंध -
किसी रोगी के रोग को समझने के लिए जिस प्रकार से रोग क्यों हुआ उसके कारण खोजे जाते हैं उसी प्रकार से वर्षा बाढ़ आँधी तूफ़ान आदि घटनाओं के घटित होने के भी कारण होते हैं जिनके प्रभाव से ऐसी घटनाएँ घटित होती हैं |उन कारणों का पता लग जाने पर प्राकृतिक घटनाओं के विषय में काफी पहले पूर्वानुमान लगा लिया जाता है |
मौसम संबंधी घटनाओं का निर्माण करने वाली शक्तियों के स्वभाव से यदि हम सुपरिचित होंगे तभी उनके विषय में पूर्वानुमान भी लगाया जा सकता है |उनके स्वभाव को समझे बिना यदि हम केवल अंदाजा लगाकर किसी भी तीर तुक्के के आधार पर कोई भविष्यवाणी कर देते हैं तो वो सही या गलत दोनों हो सकती है क्योंकि यह एक तुक्का है भविष्यवाणी नहीं |
कई बार ऐसे तुक्के भी सही हो जाने पर उसे पूर्वानुमान बताकर उसका श्रेय ले लिया जाता है किंतु यदि वही तुक्का गलत हो जाता है तो हमें उस गलती के लिए शर्मिंदा न होना पड़े इसके लिये हम जलवायुपरिवर्तन ,ग्लोबलवार्मिंग,अलनीनो-लानीना जैसी न जाने कितनी कहानियाँ गढ़ लेते हैं |
वर्षा बाढ़ आँधी तूफ़ान आदि प्राकृतिक घटनाओं के घटित होने पर यदि जलवायुपरिवर्तन ,ग्लोबलवार्मिंग,अलनीनो-लानीना जैसी घटनाओं की भी भूमिका है तो इन घटनाओं के विषय में पूर्वानुमान लगाए बिना मौसम संबंधी घटनाओं का पूर्वानुमान कैसे लगाया जा सकता है |इसलिए सबसे पहले ऐसी घटनाओं के विषय में पूर्वानुमान लगाया जाना चाहिए !इसके बिना लगाया गया किसी भी प्रकार का प्राकृतिक घटनाओं से संबंधित पूर्वानुमान आधार विहीन, अधूरा एवं अविश्वसनीय होता है क्योंकि ऐसे काल्पनिक कारणों का उपयोग तो किसी भी भविष्यवाणी के गलत होने पर अपनी सुविधानुसार कर लिया जाता है |
मौसमसंबंधी पूर्वानुमान लगाने के लिए अभी तक कोई प्रमाणित वैज्ञानिक तकनीक नहीं है यही कारण है कि प्राकृतिक घटनाओं से संबंधित भविष्यवाणियाँ तो गलत होती ही रहती हैं पर इस सच को स्वीकार करने के बजाए मौसमी घटनाओं को ही दोषी सिद्ध कर दिया जाता है |
मानसून समय से नहीं आया ,मानसून समय से गया नहीं,मानसून चकमा दे गया ,मानसून ने निराश किया आदि बातें क्यों ?सीधी सी बात है कि मानसून आने के विषय में हमने जो भविष्यवाणी की यदि वह गलत हो गई तो मानसून का दोष क्या है ?
ऐसे ही सन 2018 अगस्त में सामान्य वर्षा की भविष्यवाणी की गई किंतु केरल में भीषण वर्षा होने लगी भयंकर बाढ़ आ गई | सच्चाई ये है कि पूर्वानुमान लगाने में चूक हुई है किंतु बाढ़ आने का कारण हम जलवायुपरिवर्तन को बता रहे होते हैं |
सन 2018 के मई जून में बार बार आए हिंसक आँधी तूफ़ानों के विषय में कोई भविष्यवाणी नहीं की जा सकी थी तथा 7 और 8 मई को आँधी तूफ़ान आने के लिए भविष्यवाणी की गई तो वो पूरी तरह गलत हो गई | ऐसा इसीलिए हुआ क्योंकि आँधी तूफ़ानों के विषय में पूर्वानुमान लगाने के लिए अपने पास कोई प्रक्रिया ही नहीं है | इसलिए चूक पूर्वानुमान लगाने वालों से हुई किंतु दोष तूफानों का दिया जाने लगा -'चुपके से आते हैं चक्रवात' या ग्लोबलवार्मिंग के कारण आते हैं तूफ़ान |
कुलमिलाकर ऐसी असफल भविष्यवाणियों की सूची काफी लंबी भी हो सकती है जिसके विषय में हम केवल इतना ही कहना चाहते हैं कि मौसम संबंधी प्राकृतिक घटनाओं के विषय में पूर्वानुमान लगाने के लिए अभी तक कोई तकनीक विकसित ही नहीं हो पाई है |
वर्तमान समय में मौसम संबंधी पूर्वानुमान अनुसंधानों के नाम पर एक ऐसे ताले को खोलने का प्रयास किया जा रहा है जिसकी अपनी चाभी खो गई है दूसरी चाभियों से उसे खोलने का प्रयास किया जा रहा है किंतु ताला खुल नहीं पा रहा है | जिसको खोलने में असफल रहने के कारण ताले को ही खराब बताया जाने लगा है | किसी का ध्यान इस ओर नहीं आ रहा है कि कहीं ऐसा तो नहीं है कि हम ताला खोलने के लिए जिस चाभी का प्रयोग कर रहे हैं वो चाभी ही गलत हो |
यही स्थिति हमारे मौसम संबंधी पूर्वानुमान लगाने की है मौसम निर्माण करने वाली शक्तियों का अनुसंधान करने के बजाए जलवायुपरिवर्तन ,ग्लोबलवार्मिंग,अलनीनो-लानीना जैसी निरर्थक कल्पनाएँ की जा रही हैं और वर्षा बाढ़ और आँधी तूफ़ान जैसी घटनाओं के विषय में लगाया जाने वाला पूर्वानुमान निरंतर गलत होता जा रहा है |
बादलों या आँधी तूफ़ान जैसी घटनाओं को उपग्रहों रडारों आदि के माध्यम से देखकर उनकी गति और दिशा के हिसाब से अंदाजा लगाकर कि ये किस दिन किस देश प्रदेश या शहर आदि में पहुँच सकते हैं उसके आधार पर मौसम संबंधी भविष्यवाणी कर दी जाती हैं इसी बीच हवाएँ यदि बदल गईं तो वो अंदाजा भी गलत हो जाता है | ऐसा अंदाजा लगाने में विज्ञान कहाँ है |
मौसमविज्ञान और समय !
वैदिकविज्ञान की दृष्टि से प्रकृति में घटित होने वाली सभी प्रकार की घटनाओं का समय निश्चित है इसलिए सभी घटनाएँ अपने अपने समय पर घटित होती जाती हैं हमेंशा से ही ऐसा होता चला आ रहा है | मौसमसंबंधी घटनाएँ भी समय के आधार पर ही घटित होती हैं कब सूखा पड़ना है, कब बादल आना है, कब वर्षा होनी है, कब अधिक वर्षा होनी है कब आँधी आनी है कब तूफ़ान आना है कब चक्रवात आना है सबका अपना अपना समय सुनिश्चित होता है |भूकंप आने का भी समय निश्चित है !यहाँ तक कि वायु प्रदूषण बढ़ने घटने का भी समय निश्चित है |
इस प्रक्रिया के द्वारा मौसम पूर्वानुमान लगाने के लिए केवल उस समय को खोजना होता है जो जिस प्रकार की प्राकृतिक घटना के लिए निश्चित होता है |उस समय की खोज सिद्धांतगणित की प्रक्रिया के अनुशार करनी होती है |
जिस प्रकार से समुद्र में ऊँची ऊँची लहरें कब उठेंगी यदि इस बात का पूर्वानुमान लगाना हो तो इसके लिए वैदिक विज्ञान की दृष्टि से अमावस्या पूर्णिमा आदि तिथियों का समय निश्चित है !इसके बाद गणित के द्वारा इस बात का पूर्वानुमान लगाना होता है कि अमावस्या और पूर्णिमा आएगी किस तारीख को ?ऐसा निश्चित होने के बाद कह दिया जाता है कि उस तारीख को समुद्र में ऊँची ऊँची लहरें उठेंगी !
इस प्रकार से समुद्र के जल का स्पर्श किए बिना समुद्र के पास जाए बिना समुद्र या समुद्र जल का परीक्षण किए बिना ही केवल गणित के द्वारा उस तारीख को खोज लिया जाता है जिस दिन समुद्र में सबसे ऊँची लहरें उठनी होती हैं |
इसी प्रकार से सूर्य या चंद्र का ग्रहण कब पड़ेगा इस प्राकृतिक घटना का पूर्वानुमान लगाने के लिए पहले यह जानना होता है कि सूर्य और चंद्र ग्रहण पड़ते किस किस तिथि को हैं जब पता लगा कि सूर्य ग्रहण अमावस्या को और चंद्र ग्रहण पूर्णिमा को लगता है | इसके बाद सूर्यग्रहण किस अमावस्या को पड़ेगा और चंद्र ग्रहण किस पूर्णिमा को पड़ेगा आदि तारीख पता लगने के बाद उसका समय क्या होगा कितनी देर पड़ेगा !भविष्य में कब कब पड़ेगा आदि बातों का पूर्वानुमान सिद्धांतगणित की प्रक्रिया के अनुशार लगा लिया जाता है | इसके लिए किसी उपग्रह या रडार आदि से सूर्य चंद्र के चित्र नहीं लेने या देखने होते हैं और न ही इनके किसी प्रकार के परीक्षण की ही आवश्यकता होती है यहाँ तक कि सूर्य चंद्र और आकाश आदि तक को देखे बिना ही केवल गणित के आधार पर उस समय का पूर्वानुमान लगा लिया जाता है जिसमें इस प्रकार की घटना घटित होती है|लाखों वर्ष बीतने के बाद भी ग्रहणों के विषय में लगाए गए पूर्वानुमान बिलकुल सही एवं सटीक निकलते हैं कोई भविष्यवाणी कभी गलत नहीं हुई इसीलिए वेदवैज्ञानिकों को जलवायुपरिवर्तन , ग्लोबलवार्मिंग , अलनीनो-लानीना जैसी कभी कोई काल्पनिक कहानी नहीं गढ़नी पड़ी !
गणित के द्वारा लगाए जाने वाले पूर्वानुमानों में केवल उस समय की खोज करनी होती है समय के आधार पर ही प्राकृतिक घटनाएँ घटित होती हैं !
मानसून की तारीखें बदलते रहने का भी कारण भी समय ही है इसीलिए आजतक किसी एक निश्चित तारीख को न मानसून आया है और न भविष्य में ही कभी आएगा !
इसका कारण मानसून तिथियों के अनुशार आता है तारीखों के अनुशार नहीं !क्योंकि तिथियों का निर्माण सूर्य और चंद्र के संयोग से होता है और वर्षा बाढ़ आंधी तूफानों आदि प्राकृतिक घटनाओं का निर्माण भी सूर्य चंद्र आदि ग्रहों के वायु मंडल में पड़ने वाले प्रभाव से होता है |इसलिए मानसून के आने जाने में तिथियों का महत्त्व होता है |
'समय' का साथ लिए बिना मौसमविज्ञान अधूरा है !
प्रकृति में सभी घटनाएँ समय के अनुशार घटित हो ती है किसी भी काल खंड में समय हमेंशा एक जैसा नहीं रहता है |समय ही संसार में घटित होने वाली सभी प्रकार की घटनाओं का निर्माण और समापन करता है |
संसार में केवल 'समय'' ही स्वतंत्र है जीवन हो या प्रकृति सबको समय के अनुशार ही चलना होता है हमारे द्वारा किए जाने वाले जो प्रयास समय के अनुशार नहीं किए जाते हैं उनके सफल होने में अक्सर चंद्रयान 2 की तरह कठिनाई होती ही है |समय की उपेक्षा करके किसी भी कार्य के लिए हम प्रयास तो कर सकते हैं किंतु उसके परिणाम पर अधिकार 'समय' का होता है परिणाम कैसा होगा इस बात का पूर्वानुमान उस कालखंड में चल रहे समय के अनुसार ही लगाया जा सकता है |समय की उपेक्षा करने के कारण छोटे बड़े अनेकों प्रयास असफल होते रहते हैं कई वैज्ञानिक अनुसंधान भी इसी की भेंट चढ़ गए !
समय हमेंशा अपनी गति से चला करता है और जीवन में हो या प्रकृति में सभी घटनाएँ घटित होते चली जाती हैं | समय स्वतंत्र तो है किंतु स्वच्छंद नहीं है अपितु नियमबद्ध है इसीलिए उसका क्रम और समय अंतराल लगभग एक जैसा ही हमेंशा बना रहता है |हमारे कहने का अभिप्राय संपूर्ण प्रकृति ही समय के अनुशार संचालित होती देखी जा रही है |
प्रतिदिन के सूर्योदय तथा सूर्य के अस्त होने का समय निश्चित है प्रतिवर्ष सर्दी गर्मी वर्षा आदि ऋतुओं का समय निश्चित है उनका क्रम निश्चित है|समय का पालन संपूर्ण प्रकृति करती है !संपूर्ण संसार में सब कुछ एक जैसा रहता है केवल समय के बदलने से सबकुछ बदलता जाता है |
सर्दी का समय आते ही भयंकर सर्दी पड़ने लगती है और गर्मी का समय आते ही भीषण गर्मी पड़ने लगती है नदियाँ कुएँ तालाब आदि सब सूख जाते हैं | वर्षा का समय आते ही वर्षा होने लगती है सूखे हुए नदियाँ कुएँ तालाब आदि फिर भर जाते हैं | जाने कहाँ कहाँ से आकर कितने बादल सारे आकाश मंडल को घेर लेते हैं इन्हें कोई निमंत्रण देने तो नहीं जाता !आकाश बादलों से भर जाता है !समय बीतते ही सारे बादल न जाने कहाँ चले जाते हैं आकाश फिर साफ हो जाता है |
कुल मिलाकर प्रकृति में होने वाले ऐसे सभी प्रकार के परिवर्तनों में केवल समय बदलता जा रहा होता है उसके साथ साथ प्रकृति में बदलाव होता जाता है |
इस प्रकार से जिस प्रकृति पर समय का इतना बड़ा प्रभाव देखा जाता है वर्षा आँधी तूफ़ान आदि प्राकृतिक घटनाओं का पूर्वानुमान लगाने के लिए यदि उसी समय सिद्धांत का अनुपालन करते हुए गणितीय प्रक्रिया के द्वारा मौसम संबंधी पूर्वानुमान लगाया जाए तो अधिक सही एवं सटीक होने की संभावना होती है |
गणितीय प्रक्रिया से मौसम पूर्वानुमान लगाने का प्रकार -
प्रकृति जब सूर्य से अधिक प्रभावित होती है तब हवा तो चलती है किंतु वर्षा नहीं होती है ऐसे समय धूप अधिक निकलती है गर्मी बढ़ती है आँधी तूफ़ान की घटनाएँ घटित होती हैं वायु प्रदूषण बढ़ने लगता है |ऐसे समय में आकाश में या तो बादल नहीं रहते हैं यदि बादल होते भी हैं तो वे भूरे रंग के होते हैं ऐसे बादल तीव्र गति से किसी एक दिशा की ओर उड़ रहे होते हैं |
इसी प्रकार से जब केवल चंद्र का ही प्रभाव बढ़ता है तो आकाश में घनघोर काले काले बादल तो छा जाते हैं किंतु वर्षा अत्यंत कम होती है या नहीं भी होती है और कई बार बिना बरसे ही निकल जाते हैं | ये किसी एक ही दिशा की ओर जा रहे होते हैं |
कई बार सूर्य और चंद्र दोनों का प्रभाव समान रूप से पड़ रहा होता है ऐसे समय में सूर्य और चंद्र के बादल एक दूसरे से विपरीत दिशा में गमन कर रहे होते हैं कई बार ऐसा भी होता है कि कुछ बादल स्थिर होते हैं तो दूसरी ओर से आने वाले बादल उन्हें लाँघ रहे होते हैं |ऐसे समय में अच्छी बारिस होने की संभावना होती है | ये प्रभाव जितना अधिक शक्तिशाली होता है वर्षा का वेग भी उतना ही अधिक होता है |
कभी कभी सूर्य और चंद्र दोनों का प्रभाव अत्यंत अधिक बढ़ा हुआ होता है और दोनों का प्रभाव लगभग एक समान होता है ऐसे समय में बड़े बड़े आकार के घनघोर डरावने बादल उठते हैं इनके प्रभाव से वर्षा आँधी तूफ़ान आदि घटनाएँ साथ साथ ही घटित होते देखी जाती हैं |
ऐसे ही अन्य कुछ खगोलीय परिस्थितियाँ दूसरे ग्रहों की दूसरे ग्रहों के साथ बनती हैं उनके प्रभाव से भी कुछ इसी प्रकार की प्राकृतिक घटनाएँ घटित होती हैं |
जब कोई दो या दो से अधिक खगोलीय परिस्थितियाँ वर्षा करने वाली बन जाती हैं उस समय अधिक वर्षा होने की संभावना बन जाती है | ऐसे ही आँधी तूफ़ान आदि की घटनाएँ भी घटित होते देखी जाती हैं |
इस प्रकार से खगोलीय परिस्थितियाँ कब कैसी बन रही हैं या भविष्य में कब कैसी बनेंगी इसका पूर्वानुमान गणितीय पद्धति से आगे से आगे लगा लिया जाता है इसके साथ ही सूर्य और चंद्र का प्रभाव कब कैसा पड़ रहा है इसका पूर्वानुमान भी बहुत पहले से लगा लिया जाता है और इसी के आधार पर वर्षा बाढ़ या आँधी तूफ़ान जैसी घटनाओं का पूर्वानुमान लगा लिया जाता है |
- विनम्र निवेदन -
मैं पिछले लगभग 25 वर्षों से वैदिक विज्ञान के आधार पर प्रकृति एवं जीवन से संबंधित विषयों पर अनुसंधान करता चला आ रहा हूँ इसके आधार पर लगाए जाने वाले पूर्वानुमान प्रकृति और जीवन दोनों ही क्षेत्रों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण सही एवं सटीक होते हैं |
प्राकृतिक घटनाओं से संबंधित पूर्वानुमान पिछले लगभग 7 वर्षों से मैं अपने ब्लॉग पर प्रकाशित करता रहा हूँ |
बीते दो वर्षों से प्रत्येक महीना प्रारंभ होने से एक दो दिन पूर्व वर्षा तूफ़ान वायुप्रदूषण आदि से संबंधित पूर्वानुमान लगाकर मैं प्रधानमन्त्री जी के यहाँ ईमेल पर भेजता रहा हूँ ,इसके साथ ही मौसम विभाग तथा कुछ प्रांतों के मुख्यमंत्रियों एवं कुछ पत्रकारों के ईमेल पर भेजता रहा हूँ !वे मेल संदेश हमारे पास आज भी प्रमाण स्वरूप में संगृहीत हैं | आवश्यकता पड़ने पर प्रस्तुत किए जा सकते हैं |
हमारे द्वारा गणितीय प्रक्रिया से लगाए गए पूर्वानुमान कितने प्रतिशत सही हैं या जानने के लिए मैंने अखवारों एवं समाचार पत्रों चैनलों आदि में प्रकाशित घटनाओं के विवरण का संग्रह किया हुआ है |
ये प्रक्रिया अत्यंत सही एवं सटीक है फिर भी इन्हें और अधिक उत्तम बनाने के लिए इससे संबंधित अनुसंधान करने के लिए आवश्यक संसाधनों की आवश्यकता होती है | उससे पूर्वानुमान लगाने में और अधिक सटीकता लाई जा सकती है |
ग्रीष्मऋतु में समय ऐसा आता है जब आकाश में सूर्य तपने लगता है उसके साथ साथ संपूर्ण प्रकृति तप रही होती है गर्मी की मात्रा बढ़ जाने के कारण चारों ओर त्राहि त्राहि मची होती है नदी तालाब आदि सूखते जा रहे होते हैं इसके बाद वर्षाऋतु का समय आता है तब आकाश में घनघोर बादल छा जाते हैं और वर्षा बाढ़ जैसे दृश्य दिखाई पड़ने लगते हैं |
इसी प्रकार से समय बदलने के बाद वर्षा बीतते ही आकाश साफ हो जाता है बादल न जाने कहाँ चले जाते हैं धीरे धीरे भयंकर सर्दी होने लगती है यह शिशिर(शीत) ऋतु का समय होता है तब कोहरा पाला आदि सारी घटनाएँ घटित होते देखी जाती हैं | इसी के कुछ समय बाद फिर गर्मी पड़ने लग जाती है | ऐसी परस्पर विपरीत घटनाएँ घटित होने के पीछे कारण केवल समय ही होता है इसके अतिरिक्त संसार में बाकी किसी प्रकार का कोई बदलाव नहीं होता है समय के बदलने के साथ साथ सब कुछ बदलते चला जाता है |
कुलमिलाकर जीवन हो या प्रकृति समय का प्रभाव तो सभी जगह देखने को मिलता है अच्छे समय के प्रभाव से जीवन हो या प्रकृति सभी जगह आनंद होता है शरीरस्वस्थ मनप्रसन्न एवं शत्रु भी मित्र बन जाते हैं और विपरीत समय के प्रभाव से शरीर अस्वस्थ मन दुखी एवं अपने सगे संबंधी भी अपने से शत्रुता मानने लगते हैं |
इसी प्रकार से प्रकृति भी अच्छे समय के प्रभाव से हितकारिणी हो जाती है उचित मात्रा में सभी जगह समान एवं हितकारिणी वर्षा होती है उचित एवं अनुकूल वायु का प्रवाह होता है |समय का विपरीत प्रवाह प्रारंभ होते ही प्रकृति में भी सब कुछ विपरीत घटित होने लगता है प्रकृति भी रौद्ररूप धारण करने लग जाती है सूखा वर्षा बाढ़ आँधी तूफ़ान आदि सभी प्रकार की प्राकृतिक आपदाएँ विपरीत समय के प्रभाव से घटित होने लग जाती हैं |
खोज लिया जाता है जिस बिना किसी यंत्र की सहायता के ही प्रकृति में घटित होने वाली इतनी बड़ी बड़ी घटनाओं का पूर्वानुमान लगा लिया जाता है | इन सब से अलग सबसे पहले
यदि इन्हीं घटनाओं का पूर्वानुमान लगाने के लिए इसके वास्तविक विज्ञान का सहारा लिया जाए तो वर्षा कारक बादलों या आँधी तूफ़ान जैसी घटनाओं का निर्माण होने से महीनों वर्षों पहले इनके विषय में पूर्वानुमान लगा लेना संभव हो पाता है उसके बाद उपग्रहों से प्राप्त छाया चित्रों का अत्यंत उत्तम उपयोग किया जा सकता है |
गणित की जिस प्रक्रिया से सूर्य और चंद्र ग्रहण जैसी सुदूर आकाश में घटित होने वाली घटनाओं का सटीक पूर्वानुमान महीनों वर्षों शदियों पहले लगा लिया जाता है इसके लिए किसी उपग्रह रडार आदि की मदद कहाँ ली जाती है | विशुद्ध गणितीय प्रक्रिया के द्वारा सूर्य और चंद्र ग्रहण जैसी अत्यंत कठिन घटनाओं का पूर्वानुमान लगाया जा सकता है तो सूखा वर्षा बाढ़ आँधी तूफ़ान जैसी घटनाओं का इस गणितीय प्रक्रिया के द्वारा यदि पूर्वानुमान लगा लिया जाए तो इसमें आश्चर्य की क्या बात है | इसविषय से संबंधित अनुसंधान प्रक्रिया को भी प्रोत्साहित किया जाना चाहिए |
अच्छे और बुरे समय की पहचान कैसे हो ?
प्रायः जीवन में या प्रकृति में जो घटनाएँ अच्छी घटित हो जाती हैं ऐसे समय हम मान लेते हैं कि अच्छा समय चल रहा था इसी प्रकार से जो बुरी घटनाएँ घटित होती हैं उन्हें देखकर या उनका अनुभव करके हमें लगता है कि बुरा समय चल रहा था |ऐसा अधिकाँश लोग प्रायः कहते सुने जाते हैं |
इसके अतिरिक्त अच्छे और बुरे समय को पहचानने के लिए एक गणितीय प्रक्रिया भी है जिसके द्वारा इस बात का पूर्वानुमान लगाया जा सकता है कि भविष्य में कब अच्छा और कब बुरा समय चलेगा | चूँकि अच्छे समय में अच्छी घटनाएँ घटित होंगी और बुरे समय में बुरी इसलिए समय के आधार पर ही इस बात का पूर्वानुमान लगाया जा सकता है कि भविष्य में कब कैसी प्राकृतिक घटनाएँ घटित होंगी |
समय सबसे पहले खगोल को प्रभावित करता है इसके बाद खगोलीय घटनाएँ हमारे भूगोल को प्रभावित करती हैं जिससे प्राकृतिक वातावरण प्रभावित होता है उसके कारण प्राकृतिक घटनाएँ घटित होती हैं |
इसलिए वर्षा बाढ़ आँधी तूफ़ान आदि प्राकृतिक घटनाओं के घटित होने का वास्तविक कारण तो समय है और समय कैसा चल रहा है इसको जानने का एक मात्र साधन है खगोलीय घटनाओं का अनुसंधान !यह केवल सिद्धांत गणित के द्वारा ही संभव है |
कारण यह है कि सुदूर आकाश में जहाँ कोई संचार माध्यम नहीं हैं वहाँ जाना आना संभव नहीं है ,ऐसी परिस्थिति में उपग्रहों रडारों के द्वारा हम खगोलीय घटनाओं की वो सूक्ष्म जानकारी नहीं जुटा सकते हैं जो गणितीय प्रक्रिया के द्वारा प्राप्त कर सकते हैं |
गणित की पद्धति के द्वारा हजारों वर्ष पहले भी पूर्वानुमान परंपरा रही है इसी के आधार पर हम मनुष्यों के स्वास्थ्य ,संबंध एवं मानसिक सुख दुःख के विषय में पूर्वानुमान लगाने में सफल होते रहे हैं | इसी गणित के आधार पर हम सूर्य और चंद्र ग्रहण घटित होने के विषय में पूर्वानुमान हजारों वर्ष पहले लगा लेते रहे हैं जो एक एक मिनट सही एवं सटीक घटित होते रहे हैं |उसी गणितीय पद्धति से वर्षा बाढ़ आँधी तूफ़ान आदि प्राकृतिक घटनाओं के विषय में भी पूर्वानुमान लगा लिया जाता है |
इस क्रम में वर्षा बाढ़ आँधी तूफ़ान आदि प्राकृतिक घटनाओं का पूर्वानुमान लगाने के लिए उपग्रहों रडारों आदि के माध्यम से प्राप्त छायाचित्रों को देखने की आवश्यकता नहीं होती है अपितु केवल गणित के द्वारा इस बात का पूर्वानुमान लगा लिया जाता है कि किन किन तारीखों में कैसा समय रहेगा और उस समय के आधार पर यह जान लिया जाता है कि वर्षा बाढ़ आँधी तूफ़ान आदि किस किस प्रकार की घटनाएँ घटित होने की संभावना है |
इसकी सबसे बड़ी विशेषता ये होती है कि वर्षा या आँधी तूफ़ान आदि का पूर्वानुमान लगाने के लिए बादलों या आँधी तूफानों आदि के विषय में अंदाजा नहीं लगाना होता है कि ये किस दिशा में किस गति से जा रहे हैं उसी के अनुसार अंदाजा लगाकर ये कह दिया जाए किस दिन किस देश प्रदेश या शहर आदि में ये पहुँचेंगे |गणितीय प्रक्रिया में तो वैज्ञानिक आधार पर ही पूर्वानुमान खोज लिए जाते हैं|
प्राकृतिक घटनाओं के विषय में पूर्वानुमान लगाने की दृष्टि से गणितीय पद्धति वास्तविक विज्ञान है इसके आधार पर प्राकृतिक घटनाओं के घटित होने के पीछे के कारणों की खोज करनी होती है उनके आधार पर पूर्वानुमान लगाया जाता है | बादलों की जासूसी से ऊपर उठाकर मौसम का निर्माण करने वाली शक्तियों का अध्ययन करना होता है| इसकी एक विशेषता और है कि ये पूर्वानुमान एक दो दिन पहले ही नहीं अपितु इस गणितीय प्रक्रिया के द्वारा तो सैकड़ों वर्ष बाद घटित होने वाली प्राकृतिक घटनाओं का पूर्वानुमान भी आज ही लगा लिया जाता है क्योंकि इसका आधार केवल गणित होता है |
इससे एक लाभ और होता है कि कई बार किसी क्षेत्र में लगातार वर्षा हो रही होती है धीरे धीरे उस क्षेत्र में भयंकर बाढ़ आ जाती है ऐसे में उपग्रहों रडारों से जहाँ तक के बादलों के चित्र दिखाई पड़ रहे होते हैं केवल वहीँ तक की भविष्यवाणी कर पाना संभव होता है उसके एक दो दिन बाद यदि कुछ और भी बादल दिखाई दिखाई पड़ते हैं तो दो दिन और आगे बढ़ाकर दूसरी भविष्यवाणी कर दी जाती है ये क्रम ऐसे ही आगे भी चला करता है | ऐसी परिस्थिति में उस क्षेत्र में फँसे लोग जिन्होंने मौसमी भविष्यवाणी के आधार पर केवल तीन दिन की ही हिम्मत बाँध रखी होती है बाद के दो दिन उनके लिए बहुत भारी पड़ जाते हैं इसके बाद भी शंका बनी रहती है कि इसके बाद भी कह सकते हैं कि 72 घंटे और बरसेगा !किंतु गणितीय पद्धति से इस बात का पूर्वानुमान बहुत पहले लगा लिया जाता है कि वर्षा आखिर होगी कितने दिन |
सूर्य और प्राकृतिक घटनाओं का संबंध -
सूर्य से प्राप्त ऊर्जा हवाओं, समुद्र धाराओं, और अन्य तंत्र द्वारा विश्व भर में
वितरित हो जाती है |पृथ्वी की जलवायु का निर्धारण और तापमान संतुलन इसी सूर्य प्रदत्त ऊर्जा से होता है |अलनीनो ला-नीना जैसी तापमान घटने बढ़ने की सूर्य प्रभाव से प्रभावित घटनाएँ हैं |सूखा वर्षा बाढ़
आँधी तूफ़ान आदि प्राकृतिक घटनाओं के घटित होने में सूर्य की सबसे प्रमुख भूमिका होती है !
खगोलीय दृष्टि से संभ्रमणकाल में पृथ्वी और सूर्य का पारस्परिक कोण बदलता रहता है इस प्रकार से सूर्य के साथ विभिन्न ग्रहों का तेज मिलकर अनेकों प्रकार की खगोलीय परिस्थितियों का निर्माण करता है जिससे पृथ्वी का वातावरण प्रभावित होता है और ऐसी ही खगोलीय परिस्थितियों से सूखा वर्षा बाढ़ आँधी तूफ़ान आदि प्राकृतिक घटनाओं का निर्माण होता है |यहाँ तक कि भूकंप जैसी घटनाएँ भी इसी परिवर्तित प्रभाव का परिणाम होती हैं |
यह विश्वविदित है कि सूर्य और चंद्र ग्रहण अमावस्या तथा पूर्णिमा में घटित होते हैं ग्रहणों का असर मौसम संबंधी घटनाओं पर भी पड़ता है समुद्र में घटित होने वाली ज्वारभाटा जैसी घटनाएँ अष्टमी अमावस्या पूर्णिमा आदि तिथियों के आस पास ही घटित होती हैं विश्व में सबसे अधिक भूकंप संबंधी घटनाएँ इन्हीं तिथियों के आसपास घटित होती हैं |
इसप्रकार से अमावस्या और पूर्णिमा के समय जल और पृथ्वी दोनों ही आंदोलित होते देखे जाते हैं ऐसी खगोलीय घटनाओं से पृथ्वी का वायुमंडल भी आंदोलित होता है जो कईप्रकार की प्राकृतिक घटनाओं का निर्माण करता है |
इसीप्रकार से सूर्य आदि समस्त ग्रहों की संक्रांति का समय है|इसके अतिरिक्त अपने अपने परिभ्रमण काल में कुछ ग्रह कई बार एक दूसरे के आमने सामने आ जाते हैं कई बार अपनी अपनी कक्षा में एक दूसरे के साथ साथ चलने लगते हैं उससे एक नए प्रकार का प्रभाव वायुमंडल पर पड़ते देखा जाता है इससे कई प्रकार की प्राकृतिक घटनाओं का निर्माण होता रहता है |
गणितीय प्रक्रिया से ऐसी सभी परिस्थितियों का पूर्वानुमान लगा लिया जाता है जिसके आधार पर आँधी तूफ़ान वर्षा बाढ़ आदि समस्त प्राकृतिक घटनाओं का पूर्वानुमान लगाना आसान हो जाता है |
यह विश्वविदित है कि सूर्य और चंद्र ग्रहण अमावस्या तथा पूर्णिमा में घटित होते हैं ग्रहणों का असर मौसम संबंधी घटनाओं पर भी पड़ता है समुद्र में घटित होने वाली ज्वारभाटा जैसी घटनाएँ अष्टमी अमावस्या पूर्णिमा आदि तिथियों के आस पास ही घटित होती हैं विश्व में सबसे अधिक भूकंप संबंधी घटनाएँ इन्हीं तिथियों के आसपास घटित होती हैं |
इसप्रकार से अमावस्या और पूर्णिमा के समय जल और पृथ्वी दोनों ही आंदोलित होते देखे जाते हैं ऐसी खगोलीय घटनाओं से पृथ्वी का वायुमंडल भी आंदोलित होता है जो कईप्रकार की प्राकृतिक घटनाओं का निर्माण करता है |
इसीप्रकार से सूर्य आदि समस्त ग्रहों की संक्रांति का समय है|इसके अतिरिक्त अपने अपने परिभ्रमण काल में कुछ ग्रह कई बार एक दूसरे के आमने सामने आ जाते हैं कई बार अपनी अपनी कक्षा में एक दूसरे के साथ साथ चलने लगते हैं उससे एक नए प्रकार का प्रभाव वायुमंडल पर पड़ते देखा जाता है इससे कई प्रकार की प्राकृतिक घटनाओं का निर्माण होता रहता है |
गणितीय प्रक्रिया से ऐसी सभी परिस्थितियों का पूर्वानुमान लगा लिया जाता है जिसके आधार पर आँधी तूफ़ान वर्षा बाढ़ आदि समस्त प्राकृतिक घटनाओं का पूर्वानुमान लगाना आसान हो जाता है |
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