तापमान
महामारी के पैदा होने और समाप्त होने में या संक्रमितों की संख्या बढ़ने और कम होने में तापमान के बढ़ने और कम होने की भी बड़ी भूमिका बताई जाती रही है |
अप्रैल मई जून आदि के महीनों में गर्मी तो हर वर्ष होती है किंतु 2016 के अप्रैल मई में आधे भारत में गरमी से संबंधित अचानक अलग प्रकार की घटनाएँ घटित होने लगीं ! जमीन के अंदर का जलस्तर तेजी से नीचे जाने लगा बहुत इलाके पीने के पानी के लिए तरसने लगे | पानी की कमी के कारण ही पहली बार पानी भरकर लातूर में एक ट्रेन भेजी गई थी |गर्मी का असर केवल जमीन के अंदर ही नहीं था अपितु वातावरण में इतनी अधिक ज्वलन शीलता विद्यमान थी कि आग लगने की घटनाएँ बहुत अधिक घट रही थीं यह स्थिति उत्तराखंड के जंगलों में तो 2 फरवरी 2016 से ही प्रारंभ हो गई थी क्रमशः धीरे धीरे बढ़ती चली जा रही थी 10 अप्रैल 2016 के बाद ऐसी घटनाओं में बहुत तेजी आ गई थी ! ऐसा होने के पीछे का कारण किसी को समझ में नहीं आ रहा था |इस वर्ष आग लगने की घटनाएँ इतनी अधिक घटित हो रही थीं इस बिषय में संबंधित वैज्ञानिक कुछ कहने की स्थिति में नहीं थे उन्हें खुद कुछ समझ में ही नहीं आ रहा था | अंत में आग लगने की घटनाओं से हैरान परेशान होकर 28 अप्रैल 2016 को बिहार सरकार के राज्य आपदा प्रबंधन विभाग ने ग्रामीण इलाकों में सुबह नौ बजे से शाम छह बजे तक खाना न पकाने की सलाह दी थी . इतना ही नहीं अपितु इस बाबत जारी एडवाइजरी में इस दौरान पूजा करने, हवन करने, गेहूँ का भूसा और डंठल जलाने पर भी पूरी तरह रोक लगा दी गई थी | इस बिषय में जब वैज्ञानिकों से पूछा गया कि इस वर्ष ऐसा क्यों हो रहा है और यदि ऐसा होना ही था तो इसका पूर्वानुमान क्यों नहीं लगाया जा सका ?तो उन्होंने कहा कि इस बिषय में हमें स्वयं ही कुछ नहीं पता है कि इस वर्षा ऐसा क्यों हुआ !ये तो रिसर्च का बिषय है इसलिए ऐसे बिषयों पर अनुसंधान की आवश्यकता है | सन 2019 \2020 की सर्दियों के बिषय में मौसम विभाग की पुणे इकाई ने सामान्य से कम सर्दी का अनुमान व्यक्त किया था लेकिन सर्दी ने तो सौ साल के रिकार्ड तोड़ दिये। इसके बाद एक बार फिर गलत हुई मौसम वैज्ञानिकों की भविष्यवाणी !2020-21 में लानीना का प्रभाव बताकर शीतऋतु में अधिक सर्दी होने की भविष्यवाणी की गई थी किंतु अबकी बार तो जनवरी से ही तापमान बढ़ने लग गया था ऐसा होने के पीछे का कारण जब उन भविष्यवक्ताओं से पूछा गया तब उन्होंने वही जलवायु परिवर्तन एवं ग्लोबल वार्मिंग को कारण बता दिया था |
21अप्रैल 2020 - कोरोना ने बदलामौसम का मिजाज़! भारत में सबसे ठंडा अप्रैल, ब्रिटेन में चल रही लू ! कोरोना महामारी के बीच ब्रिटेन में गर्मी ने पिछले 361 साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया है. वहां अप्रैल में भीषण गर्मी और लू चल रही है.|
30 मई 2020- भारत में इस साल मई के महीने में भी गर्मी नहीं है मार्च और अप्रैल के बाद मई के महीने में भी तेज़ हवाएं चलीं और रुक-रुक कर बारिश होती रही !
19 सितंबर 2020-जिस सितंबर में मौसम करवट लेने लगता है और जाड़े की सुगबुगाहट होने लगती है, इस बारउमस भरी गर्मीहो रही है तेज धूप की चुभन और उमस पसीना पोंछने पर मजबूर कर रही है, तापमान कम होने का नाम नहीं ले रहा।
सन 2019 \2020 की सर्दियों के बिषय में मौसम विभाग की पुणे इकाई ने सामान्य से कम सर्दी का अनुमान व्यक्त किया था लेकिन सर्दी ने तो सौ साल के रिकार्ड तोड़ दिये। इस पर पत्रकारों ने मौसम विभाग की उत्तर क्षेत्रीय पूर्वानुमान इकाई के प्रमुख डॉ. कुलदीप श्रीवास्तव से पूछा कि सर्दी की दस्तक से पहले मौसम विभाग ने कहा था कि इस साल सर्दी सामान्य से कम रहेगी,लेकिन सर्दी ने तो सौ साल के रिकार्ड तोड़ दिये। पहले मानसून और अब सर्दी का पूर्वानुमान भी गलत साबित हुआ क्यों ? इस प्रश्न का उत्तर देते हुए उन्होंने कहा कि कड़ाके की ठंड मौसम की चरम गतिविधि का नतीजा है जिसका सटीक पूर्वानुमान लगाना संभव ही नहीं है |मौसम के इस तरह के अनपेक्षित और अप्रत्याशित रुझान का सटीक पूर्वानुमान लगाने की तकनीक दुनिया में कहीं भी नहीं है।सर्दी ही नहीं, अतिवृष्टि और भीषण गर्मी जैसी मौसम की चरम गतिविधियों का दीर्घकालिक अनुमान संभव ही नहीं है।
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