'आर्यावर्त' नाम का पहला अक्षर अ है |ऐसे ही अमेरिका का पहला अक्षर अ है |जैसे अ अक्षर वाला अमेरिका अब सुपरपावर है वैसे ही अपने देश का नाम जब 'आर्यावर्त' था तब अपना देश भी विश्व प्रशासक होगा |
अ अक्षर से जिस देश या व्यक्ति का नाम होता है | वो पराक्रम से अपनी प्रतिष्ठा बनाता है | इसीलिए भारत का नाम जब आर्यावर्त था तब अपना देश अपने पराक्रम से विश्व प्रशासक था | अब यदि भारत का नाम आर्यावर्त रखा जाए तो भारत के पराक्रम का विश्व में विस्तार होगा किंतु अ अक्षर वाला अमेरिका इसे सह नहीं पाएगा !जबकि भारत नाम रखने से अमेरिका से भी अपने स्नेह पूर्ण संबंध बने रहेंगे |
अ अक्षर का प्रभाव ज्योतिष की दृष्टि से -
जिसका नाम अ अक्षर से प्रारंभ होता है वह जहाँ होता है वहाँ का प्रमुख ही होता है | जैसे -अटल जी,अमिताभबच्चन जी,अशोक सिंहल जी,आलोक जी ,अजीत सिंह जी ,अजीत डोभाल जी हैं !(सम्राट अशोक, अकबर )आदि !
उत्तरप्रदेश में - भाजपा में आदित्यनाथ,सपा में अखिलेश यादव,बसपा में आकाश आनंद और कांग्रेस में अजय राय !
दिल्ली में -अरविन्द केजरीवाल,अरविंदर सिंह लवली,आदेश गुप्ता जी(पूर्वअध्यक्ष) आदि |
महाराष्ट्र में - अजित पवार जी अपने पराक्रम से उपमुख्यमंत्री बन ही गए हैं |अब 'उप' ही तो हटाना है 'मुख्यमंत्री' बने बनाए हैं | ऐसा किए बिना वे रह नहीं सकते !
जिस संगठन में अ अक्षर वाले व्यक्ति की जगह यदि कोई दूसरा व्यक्ति प्रमुख होता है तो वो पद पर भले ही बैठा रहे ,बाक़ी अ अक्षर वाले लोग नंबर दो पर होते हुए काम नंबर एक कही करते हैं | अर्थात उस संगठन का नियंत्रण अपने हाथ में ही रखते हैं ! जैसे- अमितशाह ,अखिलेश यादव,अजितपवार,अभिषेकबनर्जी,आकाशआनंद,आदित्यठाकरे, अमितठाकरे ,अमरसिंह आदि |
किसी संगठन में एक स्तर के एक से अधिक लोग अ अक्षर से नाम वाले हुए तो उनमें आपस में ही बर्चस्व की लड़ाई छिड़ जाती है जिससे या तो संगठन समाप्त होता है या फिर उनमें से कोई एक व्यक्ति ही अ अक्षर वाला बचता है |जैसे - अन्ना आंदोलन समाप्त हो गया !आम आदमी पार्टी में केवल अरविंद केजरी वाल ही अ अक्षर वाले बचे |और समाज वादी पार्टी एवं परिवार में अ अक्षर वाले अखिलेश यादव को भारी राजनैतिक मूल्य चुकाना पड़ा !
अब देखिए विस्तार से -
अन्ना आंदोलन - अन्नाहजारे,अरविंद केजरी वाल ,अग्निवेश और अमितत्रिवेदी से सहमति नहीं रही !
दिल्ली सरकार में - दिल्ली के उस समय के उपराज्यपाल अनिलबैजल जी,मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल जी,उस समय के पुलिस कमिश्नर आलोक कुमार वर्मा जी एवं अमूल्य कुमार पटनायक जी के साथ चली सरकार में कलह काफी रही |
आमआदमीपार्टी में - अरविंद केजरी वाल जी की अ अक्षर वाले सभी नेताओं से तब तक विवाद चलता रहा जब उन्हें निकाल नहीं दिया या वे निकल नहीं गए !- अश्वनीउपाध्याय, आशुतोष ,अजीत झा, अलकालांबा, आशीष खेतान, अंजलीदमानियाँ , आनंदजी, आदर्शशास्त्री, असीमअहमद, अजेश, अवतार, अजय,अखिलेश,अनिल,आदि !अमानतउल्ला खान अल्प संख्यक चेहरा होने के कारण हैं | अब बड़ा प्रश्न यह है कि अ अक्षर वाली आमआदमीपार्टी में अ अक्षर वाले अरविंद केजरी वाल जी कब तक रह पाएँगे ?
समाजवादी पार्टी में - अ अक्षर वाले अमरसिंह, अमिताभ बच्चन,अनिलअंबानी, आजमखान आदि लोग अ अक्षर वाले अखिलेश जी के साथ नहीं रह पाए !
समाजवादी परिवार में - अपर्णा यादव,अंशुल यादव , आदित्य यादव ,अभय राम सिंह यादव, अक्षय यादव,अरविन्द प्रताप यादव आदि अ अक्षर वालों की नाराजगी का अ अक्षर वाले अखिलेश यादव को भारी राजनैतिक मूल्य चुकाना पड़ा !किसी ने प्रत्यक्ष तो किसी ने अप्रत्यक्ष रूप से अखिलेश यादव की राजनीति को प्रभावित किया है | इसीकारण इनकी तब से प्रदेश में सरकार नहीं बन सकी है |
काँग्रेस : काँग्रेस के शीर्ष में कोई प्रभावी अक्षर न होने के कारण काँग्रेस प्रभाव हीं बनी हुई है |काँग्रेस को चाहिए कि वो किसी प्रभावी नाम को शीर्ष पर लावे !
कुल मिलाकर प्रशासन के मामले में अ अक्षर सर्व श्रेष्ठ है | इसीलिए जन्म देने वाली मैया को 'अम्मा' कहा जाता था | अपनी माँ को अम्मा कहने वाले बच्चे अन्य बच्चों की अपेक्षा अधिक अनुशासित रहते हैं |
'हिंदुस्तान ' अपने देश का नाम होने से होता है बड़ा नुक्सान! -ज्योतिष
''हिंदुस्तान' नाम ह अक्षर से शुरू होता है | ह अक्षर
से जिस देश या व्यक्ति का नाम होता है वो दूसरों के पीछे चले वाला सेवक ही
रहता है |कठोर निर्णय लेना इनके बश का नहीं होता है | हरीसिंह जी के भ्रमित निर्णय के कारण ही कश्मीर समस्या अभी तक चली आ रही है |इसलिए हिंदुस्तान नाम देश
को दुर्बल बना सकता है |भारत के कमजोर रहने से जिनका भला होता है
|उन्होंने भारत और आर्यावर्त जैसे पवित्र और पराक्रमी नामों की जगह हमारे
देश का नाम हिंदुस्तान रखा था | ताकि वे और उनकी संतानें हम सनातन धर्मियों
को गुलाम बनाकर रख सकें |हिंदुस्तान नाम
का प्रयोग जैसे जैसे बढ़ता गया वैसे वैसे भारत वर्ष अपनी
संस्कृति संस्कार स्वाभिमान भूलता गया और गुलामी की मानसिकता को स्वीकारता
चला गया | जिससे भारत वर्ष की सीमाएँ समिटती चली गईं !ह अक्षर की कमजोरी के कारण ही संपूर्ण विश्व
में आज कोई हिंदूराष्ट्र नहीं बचा है |'हिंदूराष्ट्र' कभी हो
भी नहीं सकता है | यदि बन भी जाए तो 'नेपाल' की तरह टिक नहीं पाएगा !
ह अक्षर : ह अक्षर की कमजोरी के कारण ही ह अक्षर से नाम वाले लोग अपने बलपर प्रधानमंत्री मुख्यमंत्री या मंत्री नहीं बन पाते हैं |कोई सहारा देकर इन्हें कुछ बना दे या हटा दे वो उसकी मर्जी ! जिन ह अक्षर वालों के सलाहकार समर्पित सक्षम एवं समझदार होते हैं वही ह अक्षर वाले लोग कुछ चमत्कार कर पाते हैं | जैसे सम्राट हर्ष !ह अक्षर वाले सम्राट हर्षबर्द्धन बहुत बड़े विद्वान कलाकार एवं संगीतज्ञ होने के कारण अत्यंत प्रभाव शाली थे !इसके साथ ही अवन्ति, सिंहनाद, स्कन्दगुप्त जैसे समर्पित मजबूत सलाहकारों के सहयोग से उन्होंने बड़े यशस्वी ढंग से लंबे समय तक राजकाज संचालित किया !
हनुमान जी - वर्णविज्ञान की दृष्टि से ह अक्षर शासन प्रशासन में अत्यंत कमजोर प्रजाति का है !इसीलिए ह अक्षर से नाम वाले लोग किसी दूसरे की प्रेरणा से ही शासन प्रशासन संबंधी कठोर निर्णय ले पाते हैं | स्वतंत्ररूप से मजबूत निर्णय लेना इनके लिए बहुत कठिन होता है | इसीलिए हनुमान जिसे कहा गया था - इतनहि करेउ तात तुम जाई !सीतहि देखि कहेउ सुधि आई ||हनुमानजी का नाम ह अक्षर से होने के कारण ही वे आजीवन सेवक बनकर ही रहे !जबकि सुग्रीव अंगद विभीषण आदि राजा बने !राम जी- श्री राम जी के जन्म का नाम ज्योतिष के अनुशार 'ह' अक्षर से ही निकला था !किंतु वशिष्ठ जी ने इसे कमजोर अक्षर मान कर ही श्री राम जी का नाम ह अक्षर से न रखकर अपितु 'र' अक्षर से राम रखा था |उनके राम नाम रखने का कोई ज्योतिषीय आधार नहीं है | इसीलिए लिखा गया - "धरेउ नाम गुरु हृदय बिचारी !"
'हस्तिनापुर'- 'आसंदीवत' नामक अत्यंत विकसित नगर में हाथियों की संख्या अधिक बढ़ जाने से उसे हस्तिनापुर कहा जाने लगा | 'ह' की कमजोरी के कारण ही तो उसे सात बार गंगा जी बहा ले गईं !एक बार बलराम जी ने हल से इस नगर को खींच कर गंगा जी में लटका दिया था !
हिंदी - हिंदीभाषी लोगों की जो रूचि या आदर अंग्रेजी के प्रति है वो हिंदी के प्रति क्यों नहीं है |
हिंदू - हिंदू नाम मिलने के बाद ही तो हिंदुओं के प्रमुख तीर्थ अयोध्या मथुरा काशी के प्रमुख मंदिर तोड़े गए !
हिंदुस्तान- देश का नाम हिंदुस्तान पड़ने के बाद ही तो यह देश सैकड़ों वर्षों तक परतंत्र रहा और देश के टुकड़े टुकड़े हो गए !पहले तो ऐसा नहीं हुआ था !
हिंदूकुश -'पारियात्र' पर्वत का नाम हिंदूकुश कर दिया गया !
हिंदमहासागर- रत्नाकर समुद्र का नाम 'हिंदमहासागर' रख दिया गया |
शत्रुओं ने हमें हमारे इतिहास से अलग करने के लिए हमारे हमारे देश धर्म ,भाषा,समुद्र,पर्वत आदि सबके नाम ह अक्षर पर रख लिए !ऐसा करने से ये कमजोर हो गए !इसलिए इनका कोई इतिहास नहीं बचा | हिंदी, हिंदू, हिंदुस्तान, हिंदूकुश एवं हिंदमहासागर जैसे नाम भारत के प्राचीन वांग्मय में कहीं मिलते ही नहीं हैं | इसलिए इनकी प्राचीन जड़ें अपने साहित्य में कैसे खोजी जाएँगी !ये हमें हमारी जड़ों से काटने का एक कुचक्र रचकर पवित्र भारतवर्ष को टुकड़ों टुकड़ों में बाँट दिया गया !पहले तक विस्तार था और अब कहाँ तक है |
हिंदूशब्द :
अलबरूनी 1017 से 1020 ईस्वी तक भारत में रहकर भारत के ज्ञानविज्ञान का
अध्ययन करके उसने निश्चय किया कि सनातनधर्मियों को हिंदू और भारत वर्ष को
हिंदू नाम से प्रचारित किया जाए तो ये दुर्बल हो जाएँगे !इसी उद्देश्य से
उसने अपनी 'किताब-उल-हिंद' ने पहली बार लिखित रूप में हिंदू शब्द का प्रयोग
किया था ! ये शब्द भारतीय भाषाओं का न होकर अपितु उन्हीं की भाषा का है
|इसलिए इसका मोह भारतीयों को तुरंत छोड़ देना चाहिए !जिससे इसके कारण
भविष्य में होने वाले संभावित नुक्सान से बचा जा सके !
वर्ण विज्ञान की दृष्टि से विशेष निवेदन :
आपके घर परिवार में भी किसी सदस्य का नाम जिस अक्षर से प्रारंभ होता है या होने वाली बहू का नाम जिस अक्षर से प्रारंभ होता है, उसके संबंध आपके घर के अलग अलग नाम वाले अलग अलग सदस्यों में से किसके साथ कैसे रहने की संभावना है |उसके लिए क्या सावधानी बरती जानी चाहिए !जिससे उसके साथ मधुर संबंध बनाकर रखे जा सकें ! यह पता करने के लिए आप हमारे यहाँ संपर्क कर सकते हैं |
आपके व्यापार में ,संस्था में ,संगठन में, राजनैतिकदल या सरकार में किसी सदस्य या अधिकारी का नाम जिस किसी अक्षर से प्रारंभ होता है तो वो वहाँ अपने साथ कार्यरत अन्य सदस्यों अधिकारियों कर्मचारियों आदि में से किस नाम वाले व्यक्ति के साथ उस व्यक्ति का कैसा वर्ताव रहेगा |उन सभी को आपसे में मिलजुलकर काम करने के लिए उनमें से किसको किस प्रकार की सावधानी बरतनी पड़ेगी !यह पता करने के लिए आप हमारे यहाँ संपर्क कर सकते हैं |
किसी व्यक्ति से, अधिकारी से, राजनेता या व्यापारी से हमें कोई काम करवाने के लिए मिलने जाना है तो उसे अपनी बात मनवाने के लिए उसके और अपने नाम के पहले अक्षरों पर बिचार किया जाना बहुत महत्त्व पूर्ण होता है |
कई बार मंत्रियों और उनके साथ काम करने वाले निर्णायक अधिकारियों के नाम के पहले अक्षरों का ठीक ताल मेल नहीं बैठता है,तो वो उस मंत्री के अच्छे काम काज को भी बुरी तरह प्रस्तुत करके बार बार मंत्री को तनाव देते रहते हैं जिससे उसकी प्रतिष्ठा समाप्त होती है |
यदि आप कोई रसोइया, ड्राइवर आदि विश्वसनीय कर्मचारी नियुक्त करना चाहते हैं ,तो उसका व्यवहार आपके पारिवारिक सदस्यों के प्रति कैसा रहेगा |
यदि किसी देश की ओर से आपके पास कोई प्रतिनिधि मंडल मिलने आता है |उसके साथ परिचर्चा करके कुछ महत्वपूर्ण निणय लिए जाने हैं या कुछ समझौते अपने हित में करवाए जाने हैं या अपनी बात उन्हें मनवानी है ,तो उस प्रतिनिधि मंडल में आए सभी सदस्यों के नाम का पहला अक्षर पता करके उसी के अनुशार अपने सदस्यों का चयन किया जाना चाहिए | जिससे अपने सदस्यों की बातों का अच्छा प्रभाव उस प्रतिनिधि मंडल के सदस्यों पर पड़े और हमारी बातों से वे सहमत होते चले जाएँ |ऐसा करने के लिए उनके सदस्यों के अनुशार अपने सदस्यों का चयन करने के लिए आप हमारे यहाँ संपर्क कर सकते हैं |
'भारत' नाम रहने से देश को होगा बहुत लाभ !और बनेगा विश्वगुरु ! - ज्योतिष
'देर आए दुरुस्त आए अच्छा है ! भारत नाम को अधिक व्यवहार में लाने का 'मेरा निवेदन प्रधानमंत्री जी ने स्वीकार कर लिया है इसके लिए उन्हें बहुत बहुत बधाई !
Make in India 2014 , Digital India 2015, Skill India 2015, Stand up india 2016 Khelo India 2018 जैसी योजनाओं के नाम करण में 'भारत' और 'आर्यावर्त' जैसे नामों की उपेक्षा से आहत होकर 20 अक्टूबर 2018 को मैंने प्रधानमंत्री जी एवं संघप्रमुख से पत्र के माध्यम से विनम्र निवेदन किया था कि अपने देश का 'भारत' या फिर 'आर्यावर्त' नाम ही विशेष व्यवहार में लाया जाए !देखें प्रधानमंत्री जी को भेजा गया वह मेल और उसमें संलग्न पीडीएफ का चित्र -
20 अक्टूबर 2018 को ही संघ प्रमुख जी से किया गया विनम्र निवेदन !कि अपने देश के भारतवर्ष या फिर 'आर्यावर्त'नामो को ही अधिक व्यवहार में लाया जाए !देखें वह मेल और उसमें संलग्न पीडीएफ का चित्र -
अब बात बिस्तार से समझिए कि भारतवर्ष एवं आर्यावर्त जैसे नामों को अधिक व्यवहार में लाने के लिए कहने का एक कारण तो ये है कि दोनों नाम भारत की अपनी प्राचीनता से जुड़े हुए हैं | दूसरा सबसे बड़ा ज्योतिष संबंधी कारण यह है कि इन नामों का व्यवहार जैसे जैसे बढ़ाया जाएगा वैसे वैसे देश का सम्मान आर्थिक विकास एवं विश्वसनीयता बढ़ती चली जाएगी !विगत कुछ वर्षों मोदी जी के भाषणों में भारत शब्द का व्यवहार जैसे जैसे बढ़ता जा रहा है वैसे वैसे विश्व का भारत पर भरोसा बढ़ता जा रहा है |
मैंने 'ज्योतिष' एवं 'वर्णविज्ञान' से संबंधित विषय में ही BHU से पीएचडी की है |इसलिए किसके किस नाम को पुकारने का किस पर क्या प्रभाव पड़ेगा !ये मुझे ये अच्छी प्रकार से पता है| लोगों के बनते बिगड़ते आपसी संबंधों में भी इसका बहुत प्रभाव पड़ता है |
मैंने ज्योतिष की दृष्टि से भारत, आर्यावर्त हिंदुस्तान और इंडिया जैसे प्रचलित चारों नामों पर बिचार किया !कि इनमें से किस नाम का देश पर क्या प्रभाव पड़ेगा !इस अनुसंधान में मैंने पाया -
इंडिया नाम रखना कैसा रहेगा ?
इंडिया का पहला अक्षर इ है !इ अक्षर व्यापार से प्रतिष्ठा बढ़ाता है | इसलिए वर्णविज्ञान की दृष्टि से इंडिया शब्द भारतवर्ष को केवल व्यापार का केंद्र बना सकता है | इससे अधिक और कुछ नहीं !इससे अपने देश की कोई पहचान नहीं बन पाएगी और न ही कोई सम्मान बन पाएगा !
भारत : भारत का पहला अक्षर भ है |भ अक्षर से जिसका नाम होता है वह सदाचरण से विद्या से पवित्रता से प्रेम से प्रतिष्ठा प्राप्त करता है |इसलिए 'भारत' नाम का प्रभाव बढ़ने से अपना देश विश्वगुरु का सम्मान पाएगा ! विश्व मंच पर भारत की बात बड़ी शृद्धा और सम्मान से सुनी जाएगी | भारत की विश्वसनीयता बहुत अधिक बढ़ जाएगी |
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