सोमवार, 9 अक्टूबर 2023

झामुमो bjp


 
रावण की गलती क्या थी आखिर क्यों जलाया जाता है हर वर्ष ?
 
  रावण की अच्छाइयाँ !
 
    रावण जलाया क्यों जाता है ?पार्ट 1
    रावण को जलाने का मतलब उसे दंड देना है किंतु दंड तब दिया जाता है जब कोई अपराध किया हो ! रावण का अपराध क्या है आखिर उसे जलाया क्यों जाता है ? 
    कुछ लोग बहुत पढ़लिखकर रावण से बड़े विद्वान् बनना चाहते थे !,किंतु जब वे ऐसा करने में असफल हुए तो रावण की निंदा करने लगे !जो लोग अपने चरित्र की रक्षा नहीं कर सके वे रावण को चरित्र भ्रष्ट सिद्ध करने में लगे हैं ! रावण के चरित्र में ऐसा क्या ख़राब था ? वो दुश्चरित्र था ये किसी को कैसे पता लगा ! किसी ने उसे कहीं देखा था या किसी ने रँगे हाथ कहीं किसी के साथ पकड़ा था !आखिर किसी को कैसे पता लगा कि रावण दुश्चरित्र था !
    वाल्मीकि जी लिखते हैं -वाल्मीकि जी कहते हैं कि कोई स्त्री ऐसी नहीं थी जिसे रावण ने बल पूर्वक अपनी पत्नी बना रखा हो !
    हनुमान जी कहते हैं - अहो तेजो महो द्युतिः -जबकि चरित्रहीन व्यक्ति के चेहरे पर तेज नहीं होता है !
  प्रातःकाल वेद पाठ सुनकर हनुमान जी मोहित हो उठते हैं ! 
   रावण यदि इतना ही गलत होता तो आज तक जलाने के लिए थोड़े बचा रहता ये उसी समय जला दिया गया होता | सीता जी स्वयं भस्म कर देतीं - यां सीतेत्यभि जानासि - 
जो लोग यह मानते हैं कि सीता विरह में श्री राम जी रोते घूम रहे थे वह एक लीला थी -हे खग हे मृग मधुकर श्रेनी !आदि वे ये क्यों नहीं मान लेते हैं कि रावण भी श्री राम जी की उसी लीला का अंग था | जिसने श्री राम जी की इच्छा से ही अवतार लिया था ! बहुरि कहेसि रावन  अवतारा !!
    यदि श्री राम जी के सीता वियोग में रुदन करना लीला है तो रावण के द्वारा सीता हरण किया जाना लीला क्यों नहीं है | यदि उसे लीला मान लिया जाए तो रावण को जलाने का औचित्य ही क्या बचता है | 
कुछ लोग पढाई में रावण की बराबरी नहीं कर पाए !

 
       रावण सीता जी का कितना बड़ा भक्त था !
 
   सूरदास जी लिखते हैं - गुपुत मतों रावण कहे तू त्रिजटी सुनु आइ !
           जानामि सीतां जनकप्रसूतां जानामि रामं मधुसूदनं च !
         बधं च जानामि निजं दशास्य तथापि सीतां न समर्पयामि || 
       द्वार पाल हरि के प्रिय दोऊ !जय अरु विजय जान सब कोऊ || 
रावण ने तो सीता हरण के समय भगवती सीता को प्रणाम भी किया था !-मन महुँ चरण बंदि सुखु माना !!
      स्वामी श्री राम हैं और स्वामिनी भगवती सीता हैं अपनी स्वामिनी को बनबास के दुःख भोगते रावण सह नहीं पाया इसलिए सीता जी को लंका में ले आया !भगवती ने कहा हमलोग बनवास व्रती हैं इसलिए नगर नहीं जाएँगे तो रावण ने उन्हें -अशोक बाटिका  में रखा था | 
    बासनात्मिका भावना से किसी स्त्री पर आशक्त कोई पुरुष उस स्त्री को इस प्रकार का आदर देता है क्या ? 
भगवती सीता के चरणों का जब चिंतन करने लगता है तब बाक़ी सब कुछ भूल जाता है | इष्ट के प्रति समर्पण ऐसा होना चाहिए -
ब्रहमन अध्ययनस्य नैष समयश। ....       

रावण को जितना सुख मिला उतना किसी और को नहीं मिला !
 
चरित्रहीन पापी व्यक्ति को सुख नहीं मिलता है जबकि रावण को सब सुख मिले !
विद्या का सुख -  जो लोग रावण के बराबर पढ़ नहीं सके वे विद्वान रावण की निंदा करने लगे !
संपत्ति का सुख - जो लोग रावण के बराबर संपत्ति नहीं कमा सके वे रावण की निंदा करने लगे | 
घर का सुख -  जो लोग अपने घर या आश्रमों की दीवालें सोने की नहीं बनवा सके वे रावण की सोने की लंका नहीं पचा सके ! 
पत्नी का सुख -.एक पत्नी के साथ निर्वाह होना जिनका कठिन हो रहा है वे 14 हजार पत्नियों को प्रेम पूर्वक साथ रखने वाले रावण को कैसे पचा सकते हैं | 
संतान का सुख - जिनका एक बेटा अपने पिता की अच्छी अच्छी बातें नहीं मानता है वे रावण को कैसे पचा पाएँगे जिसके एक लाख पुत्र और सवालाख नातियों ने यह जानते हुए भी अपना बलिदान दे दिया कि उनका पिता गलत है !जब रावण ने अपनी संतानों से कहा कि शत्रु बड़ा बलवान है उसने खरदूषण को मार दिया है !तो संतानें एक स्वर में कहने लगीं कि पिता जी आपकी इच्छा पूरी करने के लिए यदि हम लोग आपके शत्रु को मार नहीं पाए तो उसके हाथों मर तो सकते हैं !आपको संतोष तो होगा कि हमारी संताने हमारे काम आईं | स्कंध पुराण में लिखा है कि रावण जैसा संतानों का सुख किसी को नहीं हुआ | 
कुछ लोग रावण बनना चाह रहे थे जब वे स्वयं रावण बन नहीं पाए तो उन्होंने रावण की निंदा करनी शुरू कर दी और उसका पुतला जलाने लगे !उसे चरित्रभ्रष्ट सिद्ध करने लगे |अब भी किसी को भी बदनाम करने के लिए यही हथकंडे अपनाए जाते हैं रावण भी उसी भावना का शिकार रहा है !
 
  देवी देवताओं की कृपा जैसी रावण को मिली!वैसी किसी और को क्यों नहीं मिली !
 गुरु की प्रसन्नता का सुख जिन्हें भगवान् शंकर के दर्शन स्वप्न में भी नहीं हुए वे ये कैसे सह पाते कि रावण के यहाँ भगवान शिव स्वयं पूजा करवाने आते हैं |
ब्रह्मा वेद पढ़ते हैं,बृहस्पति शास्त्र चर्चा करते हैं |
 नारद वीणा बजाते हैं,
तुम्बुरु आलाप भरते हैं इंद्र माली बने हैं
 वायु देवता झाड़ू लगाते हैं | 
षष्ठी कात्यायनी देवियाँ बच्चों को दूध पिलाती हैं,
नवग्रहों की कृपा प्राप्त है | 
ये साधारण पुण्य का फल तो नहीं है | 
   
 रावण की साधना कितनी दिव्य है !
 
 लोग भगवान् की उपासना के लिए फूल पत्तिया चढ़ाते हैं जब कि रावण अपने इष्टदेव को प्रसन्न करने के लिएपेड़ों को चोट नहीं पहुँचाता था | अपितु अपने सर काट कर अग्नि कुंड में डाल देता था | ऐसा करते समय उसके मुख पर कोई उदासी भी नहीं होती थी | 

तनमें प्रमाणं शिवः
 दश शिर ने ------
 
 कंठ काण्ड विपिने ----


  
रावण कितना बड़ा प्रजातांत्रिक राजा था ?

रावण इतना लोकप्रिय क्यों था कि रावण की एक गलत इच्छा के लिए भी राक्षसों ने अपना बलिदान दे दिया !
     रावण को सोने के घर में रहने का शौक था तो उसने केवल अपने लिए सोने का घर नहीं बनवाया अपितु  उसने  संपूर्ण लंका बसियों के लिए सोने के घर बनवाए थे !इसीलिए लंका का प्रत्येक व्यक्ति रावण के लिए मर मिटने को तैयार था | 
 कोई भी आदर्श राजा अपने देश एवं देशवासियों की उन्नति करना चाहता है | प्रजा प्रजा में भेद भाव नहीं करता !
     वर्तमान नेता होते अपना एवं अपने परिवार वालों घर सोने का बनवा लेते बाकी सारे समाज को आरक्षण के दल दल में धकेल देते !
रावण ने अपनी  प्रजा में कभी फूट डालकर राज्य नहीं किया अर्थात प्रजा प्रजा में कभी भेद नहीं किया !अपितु अपनी प्रजा के साथ मिलकर सभी सुख भोगता रहा !
    वर्तमान  नेता होते तो वहां भी आरक्षण लागू कर देते कि किस जाती के घर सोने के बनेंगे  गए किसके नहीं बनेंगे !महिलाओं को को क्या मिलेगा पुरुषों को क्या मिलेगा ?
     यदि इस प्रकार का भेद भाव लंका में भी होता तो लंका की भी तरक्की नहीं हो सकती थी |
शंकर जी कादर्शन करने अकेले कैलास नहीं जाता था अपितु उन्हीं को लंका बुलाता था ताकि उसकी प्रजा भी उनका दर्शन कर सके !सभी देवी देवताओं को लंका बुलाता था | 
    अब तो देश के नायक अकेले ही सब जगह घूम लेते हैं देश वासियों को इस लायक समझते ही नहीं हैं | 
रावण ने अपनी प्रजा के साथ सभी सुख भोगे जब मृत्यु की बारी आई तब अकेले अपना ही उद्धार नहीं करवाया अपितु पहले प्रजा और परिवार का उद्धार और बाद में अपना उद्धार करवाया !
   
 
   

 
 राहुलगाँधी क्यों नहीं बन पा रहे हैं प्रधानमंत्री ! जानिए सबसे बड़ा कारण !
   राहुलगाँधी जी के नाम का पहला अक्षर र है इसलिए वे स्वयं के बलपर प्रधान मंत्री  नहीं बन पाएँगे !पार्टी या गठबंधन के लोग अपने अपने बलपर चुनाव जीतकर आवें और राहुलगाँधी को प्रधानमंत्री बना दें  तभी राहुलगाँधी का प्रधानमंत्री बन पाना संभव  है,अन्यथा नहीं !
    जिस जिस के नाम का पहला अक्षर र होता है उसके साथ ऐसा ही होता है |
  र अक्षर वाले राम जी को भरत जी का दिया हुआ राज्य मिला था !
  र अक्षर वाले रावण को कुबेर का राज्य मिला !
 
      ऐसे ही वर्तमान राजनीति में देखा जाए तो---------
    राजीव गाँधी जी को  इंद्रा जी हत्या होने से दुखी जनता ने प्रधानमंत्री बनाया था | 
    रावड़ी देवी जी के मुख्यमंत्री बनने  के पीछे लालू प्रसाद जी की लोकप्रियता थी !
    रघुबर दास जी मोदी लहर में मुख्यमंत्री  बने थे | 

    ऐसे ही कोई व्यक्ति या संगठन अपने नाम पर बहुमत प्राप्त करके राहुलगाँधी जी को प्रधानमंत्री बना  सकता है | 
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बंधुओ ! र अक्षर से नाम वाले जिन जिन लोगों ने अपने बल पर मुख्यमंत्री पद प्राप्त किया है उनमें से कोई भी अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सका !
 
  डॉ.रमन सिंह जी के नाम के पहले डॉक्टर लगने  से र अक्षर का प्रभाव कम रहा | 
      रावण को 

   सबसे पहले बात राहुल गाँधी जी की! राहुल नाम र अक्षर से प्रारंभ होता है |जिस व्यक्ति के नाम का पहला अक्षर र होता है| कोई दूसरा व्यक्ति कुछ बनावे तो बन जाता है अपने बलपर स्वयं कुछ नहीं बन पाता है |

 

वह दूसरों को किसी ऊँचे पद पर बैठा सकता है राजा ,मुख्यमंत्री,प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति आदि बना देने की क्षमता रखता है | 

  जैसे : राम जी ने सुग्रीव विभीषण आदि को राजा बनाया था | 

          राजेंद्र सिंह रज्जूभैया जी की प्रमुखता में ही पहली बार भाजपा केंद्र में सरकार बनाने में सफल हुई !      

         राम लाल जी के संगठन मंत्री रहते ही भाजपा केंद्र में पूर्ण बहुमत से सत्तासीन हुई | 

        राम गोपाल यादव जी के सहयोग से अखिलेश यादव जी मुख्य मंत्री बने | 

   र अक्षर से प्रारंभ नाम वालों की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि वे दूसरों को तो बहुत कुछ बना सकते हैं किंतु स्वयं कुछ नहीं बन सकते !इन्हें कोई दूसरा व्यक्ति सहयोग या सहानुभूति पूर्वक किसी देश प्रदेश आदि का राजा,मुख्यमंत्री,प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति आदि बना दे तो बन जाते हैं |अपने बल पर ऐसा नहीं कर पाते -

 महाराज रघु को परंपरा से राज्य मिला था !

 राम जी -भाई भरत के  दिए गए राज्य से राजा बने !

 रावण - भाई कुबेर के राज्य से राजा बना !

वर्तमान राजनीति में -

 रामनाथ कोविद जी को राष्ट्रपति पद पर बैठाने का निर्णय कुछ दूसरों का  था !जैसा कि लोकतंत्र में होता है | 

 राजीवगाँधी जी को इंद्रा जी की हत्या होने के बाद सहानुभूति पूर्वक जनता ने प्रधानमंत्री पद पर बैठाया था | 

  रघुबर दास जी  को केंद्रीय नेतृत्व के प्रभाव से सत्ता मिली थी !

  रावड़ी देवी जी  को लालू प्रसाद  जी ने मुख्यमंत्री बनाया था !                                     

  डॉ.रमन सिंह  जी को केंद्रीय नेतृत्व के प्रभाव से सत्ता मिली थी !दूसरी बात इनके नाम के पहले लगने वाले डॉक्टर शब्द से इन पर र अक्षर की अपेक्षा ड अक्षर का अधिक प्रभाव पड़ता है |

   वर्तमान युग में -

           विश्व के बहुत कम देशों प्रदेशों में र अक्षर से प्रारंभ नाम वाले लोग सत्ता के प्रमुख पदों पर पहुँच पाए हैं | भारत को ही देखा जाए तो जिस भी राज्य में र अक्षर वाले व्यक्ति को मुख्यमंत्री बनाया गया उसे किसी मज़बूरी में किसी दूसरे ने बनाया जब तक उसका मन आया तब तक उन्हें उस पद पर रखा अन्यथा हटा दिया !अपना कार्यकाल बहुत कम  लोग ही पूरा कर पाए हैं !

    आप स्वयं देखिए ऐसे मुख्यमंत्रियों की सूची !

                        मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री
रविशंकर शुक्ल - 1- 11-1956 से 31 -12 -1956 तक कुल
                            उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री
राम नरेश यादव - 23 -6 -1977 से 27 -2 -2079 तक कुल 1 वर्ष 249 दिन
रामप्रकाश गुप्त-12 -11-1999 से 28 -12 -2000
राजनाथ सिंह -28 -10 -2000 से 8 -3 -2002 तक कुल 1 वर्ष 131 दिन
                              बिहार के मुख्यमंत्री
राम सुंदर दास - 21 - 4 -1979 से 17 -2-1980 तक कुल 0 वर्ष 303 दि
रावड़ी देवी -9 मार्च 1999 से 2 -3 - 2000 तक कुल 0 वर्ष 359 दिन
रावड़ी देवी - 11 मार्च 2000 से 6 -3 - 2005 तक कुल 0 वर्ष 1821 दिन
    इसमें विशेष बात ये है कि रावड़ीदेवी लालूप्रसाद यादव के प्रभाव से मुख्यमंत्री बनीं अपने प्रभाव से नहीं!
                              झारखंड के मुख्यमंत्री
रघुबर दास -28 -12-2014 से अभी भी (मोदी लहर में बने मुख्यमंत्री हैं )
                              छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री
डॉ.रमन सिंह - 7 -12 -2003 से अभी भी हैं (पार्टी और संगठन के विशेष प्रभाव से मुख्यमंत्री बने तथा नाम के पहले लगे डॉक्टर शब्द का लाभ मिलता रहा है!  उनकी अपनी राजनैतिक कुशलता शैक्षणिक योग्यता कार्यनिष्ठा आदि उन्हें राजनीति में सफलता दिलाए हुए है! )
                                पंजाब के मुख्यमंत्री-
रामकिशन -7 जुलाई, 1964 से 5 जुलाई, 1966 तक
रजिंदर कौर भट्टल- 21 जनवरी, 1996 से 11 फरवरी, 1997
                               उड़ीसा के मुख्यमंत्री-
राजेंद्र नारायण सिंह देव - 8 मार्च 1 9 67 से 9 जनवरी 1 9 71 तक
                               केरल के मुख्यमंत्री-
आर. शंकर - सितंबर 1 9 62 से 10 सितंबर 1 9 64
                             उत्तराखंड के मुख्यमंत्री
रमेश पोखरियाल निशंक 24 जून 2009 10 सितम्बर 2011
                              गोवा के मुख्यमंत्री
रविनाइक - 25 जनवरी 1991 से 18 मई 1993 कुल 2 वर्ष, 113
                             2 -4 -1994 से 8 -4 -1994 तक
                             कर्णाटक के मुख्यमंत्री-
रामकृष्णहेगड़े -8 -3 - 1985 से 13 -2 -1986 तक कुल 342 दिन, 16 -2 -1986 से 10 अगस्त 1988 तक, 10 अगस्त 1988 से
                             मणिपुर के मुख्यमंत्री-
रणवीरसिंह -23-2-1990 से 6 -1-1992 तक
राधाविनोदकोईझाम -15 -2 -2001 से 1 -6-2001 तक
                              त्रिपुरा के मुख्यमंत्री-
राधिकारंजनगुप्ता -26 -7 -1977 से 4 -11 -1977 तक
इसके अलावा दिल्ली, जम्मूकश्मीर, सिक्किम, तेलंगाना, तमिलनाडु, राजस्थान, नागालैंड, मेघालय, मिजोरम, गुजरात, असम, अरुणाचल, पश्चिम बंगाल, हिमाचल, हरियाणा, महाराष्ट्र और आंध्रप्रदेश आदि में र अक्षर का कोई व्यक्ति मुख्यमंत्री नहीं बना!
   ऐसी परिस्थिति में र अक्षर से सम्बंधित नाम वाला कोई भी व्यक्ति प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री जैसे पदों पर पहुँच कर स्वतंत्र रूप से कोई महत्वपूर्ण जिम्मेदारी निभा पाएगा और सबको समेटकर चल पाएगा!  मुझे इसमें  कठिनाइयाँ अवश्य लगती हैं!
   र अक्षर के लोग सुयोग्य होते हैं कुशल रणनीतिकार होते हैं शिक्षा संबंधी बड़े बड़े पदों पर पहुंचते हैं किंतु जोड़ तोड़ राजनीति में दूसरों को विजयी बनवा देते हैं खुद बहुत कम बन पाते हैं !
  वैसे तो र अक्षर वाले लोग परदे के पीछे रहकर किसी दूसरे को उच्च पदों तक पहुँचाने की रणनीति बहुत अच्छी तरह से बना लेते हैं इन्हें उस क्षेत्र में महारथ हासिल होता है!
   अब बात  राहुल गाँधी जी की -

वर्तमान परिस्थितियों में राहुल गाँधी जी का  प्रधानमन्त्री बन पाना मुझे केवल कठिन ही नहीं अपितु असंभव भी लगता है |इसलिए राहुल गाँधी जी को प्रधानमंत्री बनाने के लिए कुछ आवश्यक बदलाव करने होंगे !जिनके लिए हमारे यहाँ से परामर्श लिया जा सकता है | 

      यदि आपके यहाँ भी किसी व्यक्ति का नाम र अक्षर से प्रारंभ होता है तो हमारे यहाँ आप भी पता कीजिए परिवार के अन्य सदस्यों के साथ उसका व्यवहार !!

              कमलनाथ क्या बन पाएँगे  MP के मुख्यमंत्री !यदि बने तो टिकेंगे कब तक ?

       जिस व्यक्ति के नाम का पहला अक्षर  क होता है |वह शिक्षा कला खेल कूद वकालत मीडिया काउंसलिंग कॉमेडी कविता आदि क्षेत्रों में बहुत अच्छा सफल होता है किंतु गंभीरता धारण करके रहना और गंभीर आचरण करना या राजकाल सँभालना ,मुख्यमंत्री प्रधानमंत्री आदि जिम्मेदार  पदों तक अपने बल पर पहुँच  पाना इनके बश की बात नहीं होती है |इसीलिए कोई कपिल नाम का व्यक्ति कॉमेडी और क्रिकेट में तो सफल होता है  किंतु राजनीति में सफल नहीं होता ! कपिलदेव,कपिल शर्मा,कीर्तिआजाद,कपिलसिबल,कपिल मिश्रा आदि !

   कैकेयी, कुंभकर्ण ,कर्ण,कंस जैसे लोगों ने भी गंभीरता पूर्ण आचरण नहीं किया है |दूसरों के सिखावे में आकर इन्होने अपना नुक्सान किया है | क अक्षर से प्रारंभ नाम वाले लोगों को कोई यदि ठीक से समझाने में सफल हो जाए तो ऐसे लोग उसका साथ देने के लिए उसके पक्ष में उससे अधिक जोरशोर से बकवास करते देखे जाते हैं |ऐसे समय ये गुप्त से गुप्त रहस्य खोल देने में अपनी शान समझते हैं |यह एक ऐसा दुर्गुण है जिसके कारण ऐसे लोग जीवन में किसी के विश्वास पात्र नहीं बन पाते हैं | आजीवन दूसरों के द्वारा ही उपयोग किए जाते हैं | इनसे मिलकर इनके मन के रहस्य आसानी से जाने जा सकते हैं  !इसलिए ऐसे लोग राजनीति आदि में मुख्यमंत्री प्रधानमंत्री जैसे पदों का स्वतंत्र रूप से निर्वहन नहीं कर पाते हैं |ऐसा तभी कर सकते हैं जब इन्हें कोई मजबूत सलाहकार मिले और ये उसकी बात मानें !

    जिस बैठक में राजनीति के लिए जो  गुप्त रणनीति बनाई जाती है उस पर सभी को योजनाबद्ध ढंग से चलना होता है |ऐसी बैठक में यदि एक व्यक्ति भी क अक्षर से प्रारंभ नाम वाला होता है तो उस गुप्त रणनीति की गुप्तता सुरक्षित रहनी संभव नहीं होती है |ऐसे लोग स्वभाव बश उसकी गंभीरता न समझते हुए उसकी गुप्तता को भंग करने को अपनी स्पष्टवादिता या पारदर्शिता समझते हैं | 

    इसीलिए कोई भी राजनैतिक दल क अक्षर वाले लोगों को अपने दल की किसी निर्णायक भूमिका में रखना पसंद नहीं करता !अर्थात अध्यक्ष मुख्यमंत्री प्रधानमंत्री आदि बनाना  पसंद नहीं करता | इसके अतिरिक्त भी कोई दूसरा ऐसा जिम्मेदार पद नहीं देना चाहता जहाँ कोई स्वतंत्र निर्णय लिया जाना संभव हो !

    क अक्षर से प्रारंभ नाम वाले लोग जिसके प्रति समर्पित होते हैं अपनी हैसियत भूलकर उसी की भाषा बोलने लगते हैं जिससे कुछ बड़े लोगों से दुश्मनी कर बैठते हैं जिसका ऐसे लोगों को अक्सर नुक्सान उठाना पड़ता है | क अक्षर वाला कौआ जिस भवन की छत पर बैठ जाता है उसे अपना ही घर समझने लगता है | 

   क अक्षर से ही कुत्ता नाम बनता है | ये जिस कोठी के दरवाजे बैठ जाते हैं उसे अपनी समझने के कारण ही वहाँ से आने जाने वाले लोगों को डराने धमकाने लगते हैं | ऐसे व्यक्ति भी इसी प्रकार का आचरण करते देखे जाते हैं | 

   इसीलिए कमलनाथ जी के नेतृत्व में मध्य प्रदेश काँग्रेस यदि विधानसभा  चुनाव जीत भी जाती है और कमलनाथ जी को मुख्यमंत्री बना भी देती है तो भी सत्ता में बने रहना उनके लिए आसान नहीं होगा !संभव है कि पिछली बार की तरह ही अबकी भी कमलनाथ जी से सत्ता छीनने में भाजपा सफल हो जाए | 

                             अशोकगहलौत क्या फिर से बनेंगे मुख्यमंत्री !

     जिस व्यक्ति का नाम अ अक्षर से प्रारंभ होता है !वो जिस संस्था संगठन सरकार आदि में रहता है वहाँ का प्रमुख वही होता है यदि उसे प्रमुखपद पर न बैठाया जाए तो ये उस संस्था संगठन सरकार आदि को तब तक काम नहीं करने देता है लड़ाई झगड़ा किया करता है जब तक उसे प्रमुख पद पर न बैठाया जाए !

   अटल जी,अशोक सिहल जी ,अमितशाह अजीत डोबाल,अमिताभ बच्चन,अनिल अंबानी ,अरविन्द केजरीवाल ,अखिलेश यादव  असदुद्दीन ओवैसी,अजीतपवार आकाश आनंद ,अभिषेक बनर्जी,आदित्य ठाकरे,अमित ठाकरे,आदित्य यादव,अक्षय यादव, अरविंद यादव आदि !

   अशोक गहलौत जी का नाम भी अ अक्षर से ही प्रारंभ होता है इसलिए उन्हें पराजित किया जाना आसान नहीं होगा | राजस्थान भाजपा ने अभी तक अपना मुख्यमंत्री प्रत्याशी घोषित भी नहीं किया है | ऐसे में विश्वास पूर्वक कुछ भी कहना तो संभव नहीं है फिर भी अशोक गहलौत का पक्ष अधिक बलवान है | 

    यदि शचिन पायलट से मिलने वाली चुनौतियों को देखा जाए तो इससे राजस्थान काँग्रेस में कलह तो किया जा सकता है किंतु उससे निपटने में अशोक गहलौत को कोई विशेष कठिनाई नहीं होगी | सत्ता उन्हीं के पास रहेगी |

   शचिन की तरह ही सपा के शिवपाल यादव भी श अक्षर वाले ही हैं |उनकी भी अ अक्षर वाले अखिलेश यादव से पटरी भले न खाई हो किंतु समर्पित उन्हीं के प्रति हो जाते हैं | शचिन भी अ अक्षर वाले गहलौत के साथ थोड़े बहुत कलह के साथ ऐसा ही समर्पित रुख बनाए रखेंगे !

    विशेष बात यह है कि राजस्थान भाजपा की ओर से यदि अपना मुख्यमंत्री प्रत्याशी घोषित नहीं किया जाता है इसका मतलब होगा कि भाजपा नरेंद्र मोदी और अमितशाह जी के नाम पर चुनाव लड़ रही है | ऐसा समीकरण बनते ही भाजपा और कांग्रेस में होने वाला चुनाव विशेष कठिन हो सकता है और अशोक गहलौत की सरकार नहीं भी बन सकती है | जिससे भाजपा की सरकार बनने का रास्ता खुलता दिखाई देता है |

आदित्य नाथ योगी कब तक रहेंगे मुख्यमंत्री ! 

    आदित्य नाथ जी हों या हों अजय सिंह विष्ट दोनों ही नाम अ अक्षर से प्रारंभ होते हैं | जिस व्यक्ति का नाम अ अक्षर से प्रारंभ होता है वह राजा अर्थात उस समूहसंस्था संगठन सरकार आदि का प्रमुख होता है | 

   जैसे - इस समय अ अक्षर वाला  अमेरिका सुपर पावर है ऐसे ही पहले कभी अपना अ अक्षर वाला  आर्यावर्त भी सुपर पावर रहा होगा !ऐसे ही अटल जी,अशोक सिहल जी ,अमितशाह अजीत डोबाल,अमिताभ बच्चन,अनिल अंबानी  आदि कुछ प्रमुख सुपरपावर नाम हैं |

   ऐसे ही अपनी अपनी पार्टियों में लोग सुपर पावर हैं -अमितशाह ,अरविन्द केजरीवाल ,अखिलेश यादव  असदुद्दीन ओवैसी आदि हैं !ऐसे ही आदित्य नाथ जी उत्तर प्रदेश भाजपा में सुपर पावर हैं |

  ऐसे ही अपनी अपनी पार्टियों में नंबर दो सुपर पावर हैं -अजीतपवार आकाश आनंद ,अभिषेक बनर्जी,आदित्य ठाकरे,अमित ठाकरे,आदित्य यादव,अक्षय यादव, अरविंद यादव आदि !

     कुल मिलाकर अ अक्षर वाले लोग कितने भी छोटे समूह में क्यों न हों रहना वहाँ के प्रमुख पद पर ही चाहेंगे |इसके लिए उन्हें कितना भी बवाल क्यों न करना पड़े ! 

   अ अक्षर वाले लोगों को सबसे बड़ी समस्या तब होती है जब इन्हीं के अपने उसी समूह में दूसरा कोई अ अक्षर वाला व्यक्ति भी होता है |उससे इन्हें चुनौती मिलती है | इसलिए इसे निष्क्रिय करने या उस संगठन से बाहर करने के लिए ऐसे लोग कुछ भी करने को तैयार हो जाते हैं | 

  इसीलिए अरविन्द केजरीवाल जी ने अश्वनी उपाध्याय, अंजली धमानियाँ, आनंद ,आशुतोष,आशीष खेतान,अलका लांबा आदि 13 अ  अक्षर वाले लोगों को पार्टी से निकाल बाहर किया | 

  यही स्थिति अखिलेश यादव की है - पर्णा यादव,अंशुल यादव , दित्य यादव ,भय राम सिंह यादव, क्षय यादव,रविन्द प्रताप यादव आदि अक्षर वालों की पारिवारिक चुनौती झेलनी पड़ रही है | इसका वास्तविक समाधान खोजे बिना अखिलेश यादव जी का प्रभावी रूप से राजनीति में कुछ भी कर पाना संभव नहीं है |वे घरेलू राजनीति में ही फँसे रहेंगे | इसलिए उनसे योगी आदित्यनाथ जी की सरकार को कोई खतरा नहीं हैं |  

     यूपी काँग्रेस में अ अक्षर वाले अजय राय जी हैं | ऐसे ही बसपा में मायावती जी हैं अ अक्षर वाले व्यक्ति को चुनौती उनके द्वारा दी जानी संभव ही नहीं है |आकाश आनंद अभी इस स्थिति में नहीं हैं | काँग्रेस और बसपा का जनाधार कमजोर होने के कारण उनसे योगी सरकार को कोई खतरा नहीं है | 

      इसलिए योगी आदित्य नाथ जी को उत्तर प्रदेश भाजपा में या विपक्ष में कोई चुनौती देने की स्थिति में नहीं है | भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व का भी उन्हें वैसे तो सहयोग प्राप्त है ही किंतु अ अक्षर वाले अमित शाह जी जब तक चाहेंगे तब तो योगी जी के मुख्य मंत्री बने ही रहेंगे | उन्हीं का ध्यान रखकर चलना पड़ेगा उनसे कोई बात बिगड़ न जाए ! 

    घरों में कलह क्यों होता है क्या है इसका कारण ? कैसे इससे बचा जाए !

     समाज में घरेलू कलह दिनोंदिन बढ़ता जा रहा है | इसे शांत करने के लिए कोई विज्ञान भी नहीं है |वैज्ञानिक कह रहे हैं हमने मोबाइल कंप्यूटर आदि बना दिया !बहुत सारी सुख सुविधाओं के साधन खोज दिए हैं | मनुष्य चंद्र और सूरज पर पहुँचने के लिए प्रयत्नशील है ऐसे विज्ञान पर गर्व करो !किंतु ऐसी सुखसुविधाओं को भोगने के लिए भी तो मनुष्य का जीवित रहना आवश्यक है अन्यथा ऐसे अनुसंधान किस काम के !

     जिस कलह के कारण लोग दिन रात परेशान रहते हैं | सारे सुख साधन होने के बाद भी उनका भोग नहीं कर पाते हैं |इसी कलह के कारण लोग ह्त्या आत्म हत्या तक करते देखे जाते हैं | विवाहों के नाम पर विश्वास घात होता देखा जाता है | तलाक जैसी घटनाएँ घटित होती हैं उनके छोटे छोटे बच्चे मारे मारे फिरते हैं | बूढ़े लोग वृद्धाश्रमों में भेज दिए जाते हैं बच्चे छात्रावासों में छोड़ दिए जाते हैं | भोजन होटलों का अच्छा लगने लगा है | घरों में कलह बढ़ता जा रहा है | इसके लिए कोई विज्ञान क्यों नहीं है ?

    यदि आप भी ऐसे कलह से जूझ रहे हैं तो समझिए कि ये होता क्यों है और ये शांत कैसे होगा !प्रत्येक व्यक्ति दूसरे को अपनी बात मनवाना चाहता है |वो मान नहीं रहा है इसी का कलह है वो मान क्यों नहीं रहा हैं जानें इसका कारण !

 प्रत्येक व्यक्ति का स्वभाव वैसा बनता है जैसा उसका समय चल रहा होता है |किसी का  समय कभी एक सा नहीं रहता है वो हमेंशा बदलता रहता है | उसी के अनुशार स्वभाव बदलता रहता है | स्वभाव के अनुशार ही पसंद ना पसंद आदि बनती है | 

     यदि आपका अपना समय बहुत अच्छा चल रहा होता है तो आपका स्वभाव पसंद नापसंद आदि भी बहुत अच्छी होगी !इसलिए आपको अच्छे कार्यों को करने का मन होगा !दूसरों की मदद करने की इच्छा होगी | अच्छे लोगों के साथ रहने का मन होगा |

      इसी समय आपके किसी परिवार के सदस्य या व्यापार के सहयोगी या मित्र आदि का समय बुरा चल रहा हो तो उसका स्वभाव सोच पसंद आदि बुराई की ओर होगी !उसे बुरे लोग पसंद आएँगे | बुरा आचरण अच्छा लगेगा | बुरे लोगों का साथ अच्छा लगेगा | दूसरों का शोषण करना उन्हें सताना आदि उसे पसंद होगा | 

      ऐसी परिस्थति में अपने अच्छे समय के अनुशार बनी आपकी अच्छी सोच सदाचार अच्छा व्यवहार आदि यदि आप किसी बुरे समय से प्रभावित व्यक्ति पर थोपेंगे तो वो आपकी बात कैसे मान लेगा ! यदि वो मानना भी चाहे तो भी नहीं मान पाएगा !ऐसा करने से उसका अपना तनाव बढ़ जाएगा !

   यदि आप भी ऐसे किसी तनाव से जूझरहे हैं या आपके यहाँ भी ऐसा कोई कलह बढ़ा हुआ हसी तो आप भी हमारे संस्थान में संपर्क करके पा सकते हैं कोई समाधान !

                       विवाह करने के लिए कुंडली मिलाना जरूरी है भी या नहीं !

       कुंडली मिलान करके विवाह करने से वैवाहिक जीवन का निर्वाह सुख शांति पूर्वक होगा ही ऐसा आवश्यक तो नहीं है|बहुत लोग कुंडली मिलान करके विवाह करते हैं|उनमें से भी बहुतों के तलाक होते देखे जाते हैं और जो लोग कुंडली बिचारे बिना भी विवाह करते हैं उनमें भी बहुत लोगों के विवाह सफल होते देखे जाते हैं | 
       ऐसी परिस्थिति में कुंडली मिलान करके विवाह करने में और कुंडली मिलान किए बिना विवाह करने में अंतर क्या होता है ?
 
  पुराने समय में स्वयंबर में भी विवाह करने की  परंपरा थी | कन्या जिसके गले में जयमाल डाल देती थी,उसी से विवाह हो जाता था | कन्या किसके गले में जयमाल डाल देगी ये किसी को पता नहीं होता था  ,कुंडली मिलान किए बिना भी विवाह उसी के साथ कर दिया जाता था !
     जो लोग प्रेम विवाह करते हैं वे भी कुंडली बिचारे बिना ही विवाह कर लिया करते हैं उनमें से भी कुछ वैवाहिक संबंधों को सफल होते देखा जाता है |
    बिना पढ़ेलिखे पंडितों पुजारियों से कुंडली मिलान करके भी कुछ लोग विवाह करते देखे जाते हैं | उसमें भी कुछ प्रतिशत विवाह सफल होते देखे जाते हैं | 
     कुछ लोग बाबा जोगियों गुरुओं साधू संतों की आज्ञा से विवाह करते देखे जाते हैं उनमें भी कुछ प्रतिशत विवाह सफल होते देखे जाते हैं | 
    विभिन्न धर्म एवं मान्यताओं को मानने वाले लोग कुंडली मिलान को मानते ही नहीं हैं | ऐसी बातें उनकी परंपराओं में ही नहीं होती हैं | 
    लड़के लड़कियों की कुंडलियों का मिलान किए बिना भी किए जाने वाले ऐसे विवाहों को भी सफल होते देखा जाता है | उनके वैवाहिक जीवन को भी सुख शांति पूर्वक ब्यतीत होते देखा जाता है | 
   यदि कुंडली मिलान किए बिना भी विवाह किया जा सकता है और जीवन का निर्वाह सुख शांति पूर्वक हो सकता है तो विवाह करने के लिए कुंडली मिलाने की आवश्यकता ही क्या है ?
    इस सबके बाद भी कुंडली मिलाना आवश्यक क्यों है इसकी चर्चा हम अगले वीडियो में करेंगे !
 
      कुंडली देखने के लिए ज्योतिष के विद्वान कहाँ से लाए जाएँ ! 
     ज्योतिष की होती रही उपेक्षा के कारण अपने बच्चे को कोई ज्योतिष पढ़ाना नहीं चाहता है | इसलिए  विवाह बिचारने में सक्षम ज्योतिष विद्वानों की संख्या दिनोंदिन इतनी अधिक कम होती जा रही है कि एक लाख ज्योतिषियों में से कोई एक आध ज्योतिषी ही पढ़ा लिखा मिल सकता है| ऐसी परिस्थिति में विवाह बिचारने  में सक्षम सुयोग्य विद्वानों तक पहुँचा कैसे जाए |  
   सबसे बड़ी त्रासदी तो यह है कि ज्योतिष आदि वेद वेदांगों को पढ़ाने के लिए सरकार ने जो विश्व विद्यालय बनाए हैं उनके ज्योतिष आदि विभागों में पढ़ाने के लिए भ्रष्टाचार पूर्वक नियुक्त किए गए रीडर प्रोफ़ेसरों में से ज्योतिष पढ़े लिखे बहुत कम लोग ही होते हैं, जबकि सरकारें उन्हें ज्योतिष पढ़ाने के लिए दो दो ढाई ढाई लाख रुपए मासिकसैलरी देती हैं किंतु वे ज्योतिष जानते कितनी हैं इसकी झलक तब मिलती है जब ज्योतिष संबंधी आवश्यकता पड़ने पर भी वही ज्योतिष के रीडरप्रोफ़ेसर आदि सरकार एवं समाज के किसी काम नहीं आ पाते हैं |
    ज्योतिष के वे रीडर प्रोफ़ेसर आदि मौसम एवं महामारी जैसे प्राकृतिक रोगों के विषय में पूर्वानुमान लगाने की प्रक्रिया छात्रों को तो पढ़ाते हैं किंतु स्वयं नहीं लगा पाते हैं |यदि वे ऐसा कर पाते होते तो उनके द्वारा लगाए जाने वाले सही मौसमसंबंधी पूर्वानुमानों का लाभ जनता भी उठा रही होती !प्राकृतिक आपदाओं के विषय में पूर्वानुमान  लगाए जा सके होते ! कोरोना महामारी के विषय में पूर्वानुमान लगाया जा सका होता !उसकी बार बार आने वाली लहरों के विषय में पूर्वानुमान लगाया जा सका होता,किंतु ऐसा कुछ किया नहीं जा सका है | 
     हमारे संस्थान में मौसम ,महामारी एवं उसकी लहरों के विषय में न केवल पूर्वानुमान लगाए जाते रहे अपितु आगे से आगे पीएमओ की मेल पर भेजे भी जाते रहे हैं जो सही निकलते रहे हैं | इसका मतलब ज्योतिष के द्वारा पूर्वानुमान लगाया जाना संभव है किंतु ऐसा करने वाले विद्वानों की संख्या इतनी कम है कि अभी तक मौसम या महामारी के विषय में पूर्वानुमान बताने वाला मेरे अलावा कोई दूसरा ऐसा विद्वान  अभी तक दिखाई सुनाई नहीं पड़ा है जिसने मौसम या महामारी के विषय में कोई पूर्वानुमान प्रकाशित किया हो और वो सही भी निकला हो | ऐसे लोग जीवन संबंधी घटनाओं के विषय में कोई सही पूर्वानुमान कैसे लगा सकते हैं |
    इसलिए आप अपने जीवन में घटित होने वाली परिवार व्यापार विवाह संतान स्वास्थ्य तनाव आदि से संबंधित किसी घटना के घटित होने के विषय में पहले से जानना चाहते हैं तो आप हमारे यहाँ संपर्क कर सकते हैं | 

    ज्योतिष संबंधी सही सेवाएँ पाने के लिए कुछ आपको भी  जिम्मेदारी है !
    बहुत लोगों को यह कहते सुना जाता है कि हमारे विषय में जो बताया गया था वो गलत निकला !हमें किसी ने पहले से बताया ही नहीं !अब विद्वान ज्योतिषी हैं ही नहीं ! अच्छे ज्योतिषी खोजने के लिए कहाँ जाएँ !जैसी न जाने कितनी शिकायतें ज्योतिष और ज्योतिषियों से होती हैं ,किंतु 


 
अखिलेशयादव क्या फिर कभी बन पाएँगे मुख्यमंत्री ! - वर्णविज्ञान की दृष्टि में -

 "समाजवादी पार्टी पर अ अक्षर का प्रभाव" 

  पिछले चुनावों से उत्तर प्रदेश की सत्ता से दूर रहे अखिलेश यादव क्या उत्तर प्रदेश विधान सभा के आगामी  चुनावों में कर पाएँगे कोई कमाल ! 

   मुलायम सिंह यादव जी जहाँ कई बार मुख्यमंत्री बने वहीं अखिलेश यादव अपने बल पर एक बार भी नहीं बन पाए मुख्यमंत्री ! उस बार तो मुलायम सिंह जी ने उन्हें बना दिया था मुख्यमंत्री !अब दोबारा भी कभी क्या बन पाएँगे मुख्यमंत्री ! उनके मुख्यमंत्री न बन पाने का क्या है कारण !जानिए विस्तार से -

      मुलायम सिंह जी का नाम म अक्षर से प्रारंभ होने के कारण उनका  किसी से कोई कंपटीशन नहीं था ! म अक्षर से जिसका नाम प्रारंभ होता हो ऐसा कोई उनकी बराबरी का व्यक्ति न उनके परिवार में था और  न ही पार्टी में !इसलिए उन्हें पार्टी और परिवार में कोई चुनौती देने वाला था ही नहीं !उन्हें सभी से स्नेह और सन्मान मिलता रहा !

  अखिलेश यादव के साथ ऐसा नहीं है |  उनका नाम  अ अक्षर से प्रारंभ होता है | अ अक्षर से नाम वाले लोग उनकी पार्टी में भी हैं और परिवार में भी !जिनसे उन्हें प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से चुनौती मिलती रहती है !

  अक्षर वाले मरसिंह  मिताभ बच्चन,निलअंबानी, जमखान आदि लोगों का नाम   अक्षर से प्रारंभ होने के कारण इनसे अखिलेश जी के संबंध मधुर नहीं रह पाए !

समाजवादी परिवार में - पर्णा यादव,अंशुल यादव , दित्य यादव ,भय राम सिंह यादव, क्षय यादव,रविन्द प्रताप यादव आदि अक्षर वालों की नाराजगी का अक्षर वाले खिलेश यादव को भारी राजनैतिक मूल्य चुकाना पड़ा !किसी ने प्रत्यक्ष तो किसी ने अप्रत्यक्ष रूप से खिलेश यादव की राजनीति को प्रभावित किया है | इसीकारण इनकी तब से प्रदेश में सरकार नहीं बन सकी है और इस समस्या का समाधान खोजे बिना ऐसी संभावना भी नहीं लगती है | 

   यदि आप भी अपनी संस्थाओं  संगठनों या राजनैतिक दलों में आने वाली अड़चनों का निराकरण  करना चाहते हैं या अपने और अपनों के नामों का प्रभाव समझना चाहते हैं तो आप भी हमारे यहाँ संपर्क कर सकते हैं ! यदि आपका व्यापार ,परिवार या जीवन अशांत है और तनाव दिनोंदिन बढ़ता चला जा रहा है | इसका कारण कहीं आपके साथ जुड़ा कोई व्यक्ति या आपका कोई कर्मचारी आदि ही तो नहीं है जिसकी सलाह मानने से आपका नुक्सान होता जा रहा हो ! यह जानने के लिए आप भी हमारे यहाँ संपर्क कर सकते हैं !










 

अखिलेशयादव क्या फिर कभी बन पाएँगे मुख्यमंत्री ! - वर्णविज्ञान की दृष्टि में -

 "समाजवादी पार्टी पर अ अक्षर का प्रभाव" 

  पिछले चुनावों से उत्तर प्रदेश की सत्ता से दूर रहे अखिलेश यादव क्या उत्तर प्रदेश विधान सभा के आगामी  चुनावों में कर पाएँगे कोई कमाल ! 

   मुलायम सिंह यादव जी जहाँ कई बार मुख्यमंत्री बने वहीं अखिलेश यादव अपने बल पर एक बार भी नहीं बन पाए मुख्यमंत्री ! उस बार तो मुलायम सिंह जी ने उन्हें बना दिया था मुख्यमंत्री !अब दोबारा भी कभी क्या बन पाएँगे मुख्यमंत्री ! उनके मुख्यमंत्री न बन पाने का क्या है कारण !जानिए विस्तार से -

      मुलायम सिंह जी का नाम म अक्षर से प्रारंभ होने के कारण उनका  किसी से कोई कंपटीशन नहीं था ! म अक्षर से जिसका नाम प्रारंभ होता हो ऐसा कोई उनकी बराबरी का व्यक्ति न उनके परिवार में था और  न ही पार्टी में !इसलिए उन्हें पार्टी और परिवार में कोई चुनौती देने वाला था ही नहीं !उन्हें सभी से स्नेह और सन्मान मिलता रहा !

  अखिलेश यादव के साथ ऐसा नहीं है |  उनका नाम  अ अक्षर से प्रारंभ होता है | अ अक्षर से नाम वाले लोग उनकी पार्टी में भी हैं और परिवार में भी !जिनसे उन्हें प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से चुनौती मिलती रहती है !

  अक्षर वाले मरसिंह  मिताभ बच्चन,निलअंबानी, जमखान आदि लोगों का नाम   अक्षर से प्रारंभ होने के कारण इनसे अखिलेश जी के संबंध मधुर नहीं रह पाए !

समाजवादी परिवार में - पर्णा यादव,अंशुल यादव , दित्य यादव ,भय राम सिंह यादव, क्षय यादव,रविन्द प्रताप यादव आदि अक्षर वालों की नाराजगी का अक्षर वाले खिलेश यादव को भारी राजनैतिक मूल्य चुकाना पड़ा !किसी ने प्रत्यक्ष तो किसी ने अप्रत्यक्ष रूप से खिलेश यादव की राजनीति को प्रभावित किया है | इसीकारण इनकी तब से प्रदेश में सरकार नहीं बन सकी है और इस समस्या का समाधान खोजे बिना ऐसी संभावना भी नहीं लगती है | 

   यदि आप भी अपनी संस्थाओं  संगठनों या राजनैतिक दलों में आने वाली अड़चनों का निराकरण  करना चाहते हैं या अपने और अपनों के नामों का प्रभाव समझना चाहते हैं तो आप भी हमारे यहाँ संपर्क कर सकते हैं ! यदि आपका व्यापार ,परिवार या जीवन अशांत है और तनाव दिनोंदिन बढ़ता चला जा रहा है | इसका कारण कहीं आपके साथ जुड़ा कोई व्यक्ति या आपका कोई कर्मचारी आदि ही तो नहीं है जिसकी सलाह मानने से आपका नुक्सान होता जा रहा हो ! यह जानने के लिए आप भी हमारे यहाँ संपर्क कर सकते हैं !

'इंडिया ' गठबंधन कभी भी नहीं बना पाएगा सरकार !- वर्णविज्ञान की दृष्टि में -

केशू भाई पटेल की गुजरात परिवर्तन पार्टी गुजरात में कुछ नहीं कर पाई !
माधव राव सिंधिया की पार्टी  मध्य प्रदेश विकास कांग्रेस मध्यप्रदेश में कुछ नहीं कर पाई !
राज ठाकरे की पार्टी महाराष्ट्र नव निर्माण सेना  महाराष्ट्र में कुछ नहीं कर पाई!
बंशी लाल जी की हरियाणा विकास पार्टी हरियाणा में कुछ नहीं कर पाई ! 
अमरिंदर सिंह की पंजाब लोक कांग्रेस पार्टी पंजाब में कुछ नहीं कर पाई ! 
छत्तीसगढ़ विकास पार्टी भी छत्तीस गढ़ में कुछ नहीं कर पाई !
जीके मूपनार की तमिल मनीला कांग्रेस तमिलनाडु में  कुछ नहीं कर पाई !
बिहार विकास पार्टी बिहार में कुछ नहीं कर पाई !
   झा अक्षर वाला झारखंड मुक्ति मोर्चा  झारखंड में तब तक स्थाई सरकार नहीं बना पाया जब तक उसने यूपीए में सम्मिलित होकर चुनाव नहीं लड़ा ! झारखंड मुक्ति मोर्चा के तत्वावधान में झारखंड में लडे गए चुनावों में सरकार बनाने लायक बहुमत नहीं मिला इसलिए सरकार बनती और गिरती रही !UPA के तत्त्वावधान में बनी सरकार कार्यकाल पूरा करते दिख रही है |   
    भारतीय जनता पार्टी भारत में तब तक कुछ नहीं कर पाई जब तक राजग का गठन नहीं हुआ !एक बार अपने बल पर सरकार बनाने में सफल हो भी गई तो चला नहीं पाई !जबकि देवगौडा और  गुजराल जैसे भाजपा से  कम सदस्य वाले लोगों ने अपनी सरकार बना ली थी ! किंतु भाजपा की सरकार नहीं बनी थी|भाजपा की सरकार तब बनी और चली जब राजग के तत्वावधान में चुनाव लड़ा गया !आगे भी भाजपा को सत्ता संचालित करने के लिए राजग नाम से ही चुनाव लड़ना होगा और अपनी सरकार को राजग सरकार ही कहना होगा |
    सा कुछ अन्य देशों प्रदेशों में भी होगा , किंतु जिस दल का नाम उस देश या प्रदेश के नाम के पहले अक्षर पर रखा गया हो !ऐसे राजनैतिक दलों को उन देशों प्रदेशों में अपने बल पर सत्ता में आते नहीं देखा जाता है |
     कुल मिलाकर जिस प्रदेश या देश के नाम से जो संगठन या राजनैतिक दल बनाए जाते हैं वहाँ उनका सफल होना असंभव होता ही है |इसीलिए इंडिया में इण्डिया गठबंधन का सत्ता में आना संभव नहीं है !
    यदि आप भी किसी सीट से चुनाव लड़ना चाहते हैं और जानना चाहते हैं कि यहां से सफल होंगे या नहीं !ऐसे ही यदि आप किसी देश प्रदेश जिले आदि में रहना या वहाँ कारोबार शुरू करना चाहते हैं और इस तनाव से जूझ रहे हैं कि आप सफल होंगे या नहीं होंगे,तो आप हमारे यहाँ से पता कर सकते हैं कि उस स्थान पर चुनाव लड़कर या काम करके सफल होंगे या नहीं होंगे |

     दिल्ली भाजपा बार बार क्यों हार जाती है चुनाव ? 

    जो भाजपा दिल्ली की सातो सीटें लोकसभा चुनावों में जीतती है | नगर निगम में भाजपा जीतती है वही भाजपा उसी दिल्ली  का विधानसभा चुनाव क्यों हार जाती है ?  दिल्ली वालों का दिल्लीभाजपा ने ऐसा क्या बिगाड़ा है कि मदनलाल खुराना और साहिब सिंह वर्मा जी  के शासन के बाद दिल्ली में भाजपा की सरकार ही नहीं बनी | भाजपा से यदि जनता कुपित होती तो लोकसभा और निगम में भाजपा को क्यों वोट देती !इसका मतलब जनता भाजपा से रुष्ट नहीं है अपितु दिल्ली भाजपा को नहीं पसंद कर रही है |इसका कारण क्या है और उसका सुधार कैसे होगा ? 

     मदनलाल खुराना और साहिब सिंह वर्मा जी का कार्यकाल पूरा होने के बाद दिल्ली भाजपा में जिन पाँच लोगों का बर्चस्व रहा वे हैं विजय कुमार मल्होत्रा,विजय जौली,विजय किशन शर्मा ,विजयेंद्र गुप्ता और विजय गोयल  !इन पाँचों का नाम व अक्षर से होने के कारण ये सभी आपस में ही एक दूसरे को अपने से पीछे करने में लगे रहे |इस आपसी खींच तान में काफी लंबा समय निकल गया ! जनता दिल्ली भाजपा को भूलती चली गई |  

    अब अ अक्षर वाले अरविन्द केजरीवाल जी दिल्ली के मुख्यमंत्री हैं | अ अक्षर वाले किसी व्यक्ति को पराजित करना आसान नहीं होता है | इसलिए भाजपा को कुछ विशेष नाम वालों को दिल्ली भाजपा की जिम्मेदारी सौंपनी चाहिए !उनमें से जिनके नाम द,च,भ,ध,स,अक्षरों से प्रारंभ होते हों और उनका व्यवहारिक पक्ष भी अच्छा हो |  इन अक्षरों से प्रारंभ नाम वाले  लोग यदि कर्मठ व्यवहार कुशल मधुर भाषी एवं परिश्रमी हों तो दिल्ली भाजपा को फिर से दिल्ली की सत्ता तक पहुँचाया जा सकता है | 

   यदि आप भी अपनी संस्थाओं  संगठनों या राजनैतिक दलों में आने वाली अड़चनों का निराकरण  करना चाहते हैं या अपने और अपनों के नामों का प्रभाव समझना चाहते हैं तो आप भी हमारे यहाँ संपर्क कर सकते हैं ! यदि आपका व्यापार ,परिवार या जीवन अशांत है और तनाव दिनोंदिन बढ़ता चला जा रहा है | इसका कारण कहीं आपके साथ जुड़ा कोई व्यक्ति या आपका कोई कर्मचारी आदि ही तो नहीं है जिसकी सलाह मानने से आपका नुक्सान होता जा रहा हो ! यह जानने के लिए आप भी हमारे यहाँ संपर्क कर सकते हैं !

भाजपा  का चुनावी भविष्य कैसा रहेगा ?

     भाजपा और भारत दोनों के नाम का पहला अक्षर भ है ! दोनों के नाम का अक्षर एक ही होने के कारण भाजपा का भारत की सत्ता पर पहुँच पाना संभव न था | यदि किसी प्रकार से पहुँच भी जाती तो कार्यकाल पूरा होने से पहले ही हट जाती !जबकि प्रदेशों के नाम अलग अलग अक्षरों से होने के कारण उन प्रदेशों में तो भाजपा की सरकार बन जाती थी किंतु केंद्र में सरकार नहीं बन पाती थी !भ अक्षर वाले भारत में भ अक्षर वाली भाजपा का अपने बल पर केंद्रीय सत्ता में आना संभव न  था !जो 'राजग' नाम पड़ने से संभव हुआ | 

    ऐसा करने के लिए मैंने भाजपा के शीर्ष नेतृत्व को कई पत्र लिखे कि भाजपा का नाम बदले बिना भारत में भाजपा की सरकार बननी संभव नहीं है |एक बार शृद्धेय श्री अटल जी से मिलकर भी भाजपा का नाम बदलने का निवेदन किया था ! भाजपा का नाम तो बदला नहीं किंतु 'राजग' का गठन हो गया | राजग के तत्वावधान में चुनाव लड़ने से राजग की सरकार बन गई | जो भाजपा के रहते संभव न था | भाजपा को सत्ता संचालित करने के लिए राजग में रहना ही होगा ! 

  जिस प्रकार से किसी प्रदेश या देश के नाम से जो संगठन या राजनैतिक दल बनाए जाते हैं वहाँ उनका सफल होना संभव नहीं होता है |उसीप्रकार से इंडिया में इण्डिया गठबंधन का सत्ता में आना संभव ही नहीं है !

    आप भी किसी सीट से चुनाव लड़ना चाहते हैं और जानना चाहते हैं कि यहां से सफल होंगे या नहीं !ऐसे ही यदि आप किसी देश प्रदेश जिले आदि में रहना या वहाँ कारोबार शुरू करना चाहते हैं और इस तनाव से जूझ रहे हैं कि आप सफल होंगे या नहीं होंगे,तो आप  हमारे यहाँ संपर्क करके पता कर सकते हैं कि उस स्थान पर चुनाव लड़कर या काम करके सफल होंगे या नहीं होंगे |

 मध्यप्रदेश काँग्रेस क्या जीतेगी चुनाव या फिर भाजपा मारेगी दाँव !


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