सबसे पहले बात राहुल गाँधी जी की! राहुल नाम र अक्षर से प्रारंभ होता है |जिस व्यक्ति के नाम का पहला अक्षर र होता है| कोई दूसरा व्यक्ति कुछ बनावे तो बन जाता है अपने बलपर स्वयं कुछ नहीं बन पाता है |
वह दूसरों को किसी ऊँचे पद पर बैठा सकता है राजा ,मुख्यमंत्री,प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति आदि बना देने की क्षमता रखता है |
जैसे : राम जी ने सुग्रीव विभीषण आदि को राजा बनाया था |
राजेंद्र सिंह रज्जूभैया जी की प्रमुखता में ही पहली बार भाजपा केंद्र में सरकार बनाने में सफल हुई !
राम लाल जी के संगठन मंत्री रहते ही भाजपा केंद्र में पूर्ण बहुमत से सत्तासीन हुई |
राम गोपाल यादव जी के सहयोग से अखिलेश यादव जी मुख्य मंत्री बने |
र अक्षर से प्रारंभ नाम वालों की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि वे दूसरों को तो बहुत कुछ बना सकते हैं किंतु स्वयं कुछ नहीं बन सकते !इन्हें कोई दूसरा व्यक्ति सहयोग या सहानुभूति पूर्वक किसी देश प्रदेश आदि का राजा,मुख्यमंत्री,प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति आदि बना दे तो बन जाते हैं |अपने बल पर ऐसा नहीं कर पाते -
महाराज रघु को परंपरा से राज्य मिला था !
राम जी -भाई भरत के दिए गए राज्य से राजा बने !
रावण - भाई कुबेर के राज्य से राजा बना !
वर्तमान राजनीति में -
रामनाथ कोविद जी को राष्ट्रपति पद पर बैठाने का निर्णय कुछ दूसरों का था !जैसा कि लोकतंत्र में होता है |
राजीवगाँधी जी को इंद्रा जी की हत्या होने के बाद सहानुभूति पूर्वक जनता ने प्रधानमंत्री पद पर बैठाया था |
रघुबर दास जी को केंद्रीय नेतृत्व के प्रभाव से सत्ता मिली थी !
रावड़ी देवी जी को लालू प्रसाद जी ने मुख्यमंत्री बनाया था !
डॉ.रमन सिंह जी को केंद्रीय नेतृत्व के प्रभाव से सत्ता मिली थी !दूसरी बात इनके नाम के पहले लगने वाले डॉक्टर शब्द से इन पर र अक्षर की अपेक्षा ड अक्षर का अधिक प्रभाव पड़ता है |
वर्तमान युग में -
विश्व के बहुत कम देशों प्रदेशों में र अक्षर से प्रारंभ नाम वाले लोग सत्ता के प्रमुख पदों पर पहुँच पाए हैं | भारत को ही देखा जाए तो जिस भी राज्य में र अक्षर वाले व्यक्ति को मुख्यमंत्री बनाया गया उसे किसी मज़बूरी में किसी दूसरे ने बनाया जब तक उसका मन आया तब तक उन्हें उस पद पर रखा अन्यथा हटा दिया !अपना कार्यकाल बहुत कम लोग ही पूरा कर पाए हैं !
आप स्वयं देखिए ऐसे मुख्यमंत्रियों की सूची !
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री
रविशंकर शुक्ल - 1- 11-1956 से 31 -12 -1956 तक कुल
उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री
राम नरेश यादव - 23 -6 -1977 से 27 -2 -2079 तक कुल 1 वर्ष 249 दिन
रामप्रकाश गुप्त-12 -11-1999 से 28 -12 -2000
राजनाथ सिंह -28 -10 -2000 से 8 -3 -2002 तक कुल 1 वर्ष 131 दिन
बिहार के मुख्यमंत्री
राम सुंदर दास - 21 - 4 -1979 से 17 -2-1980 तक कुल 0 वर्ष 303 दि
रावड़ी देवी -9 मार्च 1999 से 2 -3 - 2000 तक कुल 0 वर्ष 359 दिन
रावड़ी देवी - 11 मार्च 2000 से 6 -3 - 2005 तक कुल 0 वर्ष 1821 दिन
इसमें विशेष बात ये है कि रावड़ीदेवी लालूप्रसाद यादव के प्रभाव से मुख्यमंत्री बनीं अपने प्रभाव से नहीं!
झारखंड के मुख्यमंत्री
रघुबर दास -28 -12-2014 से अभी भी (मोदी लहर में बने मुख्यमंत्री हैं )
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री
डॉ.रमन
सिंह - 7 -12 -2003 से अभी भी हैं (पार्टी और संगठन के विशेष प्रभाव से
मुख्यमंत्री बने तथा नाम के पहले लगे डॉक्टर शब्द का लाभ मिलता रहा है!
उनकी अपनी राजनैतिक कुशलता शैक्षणिक योग्यता कार्यनिष्ठा आदि उन्हें
राजनीति में सफलता दिलाए हुए है! )
पंजाब के मुख्यमंत्री-
रामकिशन -7 जुलाई, 1964 से 5 जुलाई, 1966 तक
रजिंदर कौर भट्टल- 21 जनवरी, 1996 से 11 फरवरी, 1997
उड़ीसा के मुख्यमंत्री-
राजेंद्र नारायण सिंह देव - 8 मार्च 1 9 67 से 9 जनवरी 1 9 71 तक
केरल के मुख्यमंत्री-
आर. शंकर - सितंबर 1 9 62 से 10 सितंबर 1 9 64
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री
रमेश पोखरियाल निशंक 24 जून 2009 10 सितम्बर 2011
गोवा के मुख्यमंत्री
रविनाइक - 25 जनवरी 1991 से 18 मई 1993 कुल 2 वर्ष, 113
2 -4 -1994 से 8 -4 -1994 तक
कर्णाटक के मुख्यमंत्री-
रामकृष्णहेगड़े -8 -3 - 1985 से 13 -2 -1986 तक कुल 342 दिन, 16 -2 -1986 से 10 अगस्त 1988 तक, 10 अगस्त 1988 से
मणिपुर के मुख्यमंत्री-
रणवीरसिंह -23-2-1990 से 6 -1-1992 तक
राधाविनोदकोईझाम -15 -2 -2001 से 1 -6-2001 तक
त्रिपुरा के मुख्यमंत्री-
राधिकारंजनगुप्ता -26 -7 -1977 से 4 -11 -1977 तक
इसके
अलावा दिल्ली, जम्मूकश्मीर, सिक्किम, तेलंगाना, तमिलनाडु, राजस्थान,
नागालैंड, मेघालय, मिजोरम, गुजरात, असम, अरुणाचल, पश्चिम बंगाल, हिमाचल,
हरियाणा, महाराष्ट्र और आंध्रप्रदेश आदि में र अक्षर का कोई व्यक्ति
मुख्यमंत्री नहीं बना!
ऐसी परिस्थिति में र अक्षर से सम्बंधित नाम वाला कोई भी व्यक्ति
प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री जैसे पदों पर पहुँच कर स्वतंत्र रूप से कोई
महत्वपूर्ण जिम्मेदारी निभा पाएगा और सबको समेटकर चल पाएगा! मुझे इसमें कठिनाइयाँ अवश्य लगती हैं!
र अक्षर के लोग सुयोग्य होते हैं कुशल रणनीतिकार होते हैं शिक्षा संबंधी
बड़े बड़े पदों पर पहुंचते हैं किंतु जोड़ तोड़ राजनीति में दूसरों को विजयी
बनवा देते हैं खुद बहुत कम बन पाते हैं !
वैसे तो र अक्षर वाले लोग परदे के पीछे रहकर किसी दूसरे को उच्च पदों तक
पहुँचाने की रणनीति बहुत अच्छी तरह से बना लेते हैं इन्हें उस क्षेत्र में महारथ
हासिल होता है!
अब बात राहुल गाँधी जी की -
वर्तमान परिस्थितियों में राहुल गाँधी जी का प्रधानमन्त्री बन पाना मुझे केवल कठिन ही नहीं अपितु असंभव भी लगता है |इसलिए राहुल गाँधी जी को प्रधानमंत्री बनाने के लिए कुछ आवश्यक बदलाव करने होंगे !जिनके लिए हमारे यहाँ से परामर्श लिया जा सकता है |
यदि आपके यहाँ भी किसी व्यक्ति का नाम र अक्षर से प्रारंभ होता है तो हमारे यहाँ आप भी पता कीजिए परिवार के अन्य सदस्यों के साथ उसका व्यवहार !!
कमलनाथ क्या बन पाएँगे MP के मुख्यमंत्री !यदि बने तो टिकेंगे कब तक ?
जिस व्यक्ति के नाम का पहला अक्षर क होता है |वह शिक्षा कला खेल कूद वकालत मीडिया काउंसलिंग कॉमेडी कविता आदि क्षेत्रों में बहुत अच्छा सफल होता है किंतु गंभीरता धारण करके रहना और गंभीर आचरण करना या राजकाल सँभालना ,मुख्यमंत्री प्रधानमंत्री आदि जिम्मेदार पदों तक अपने बल पर पहुँच पाना इनके बश की बात नहीं होती है |इसीलिए कोई कपिल नाम का व्यक्ति कॉमेडी और क्रिकेट में तो सफल होता है किंतु राजनीति में सफल नहीं होता ! कपिलदेव,कपिल शर्मा,कीर्तिआजाद,कपिलसिबल,कपिल मिश्रा आदि !
कैकेयी, कुंभकर्ण ,कर्ण,कंस जैसे लोगों ने भी गंभीरता पूर्ण आचरण नहीं किया है |दूसरों के सिखावे में आकर इन्होने अपना नुक्सान किया है | क अक्षर से प्रारंभ नाम वाले लोगों को कोई यदि ठीक से समझाने में सफल हो जाए तो ऐसे लोग उसका साथ देने के लिए उसके पक्ष में उससे अधिक जोरशोर से बकवास करते देखे जाते हैं |ऐसे समय ये गुप्त से गुप्त रहस्य खोल देने में अपनी शान समझते हैं |यह एक ऐसा दुर्गुण है जिसके कारण ऐसे लोग जीवन में किसी के विश्वास पात्र नहीं बन पाते हैं | आजीवन दूसरों के द्वारा ही उपयोग किए जाते हैं | इनसे मिलकर इनके मन के रहस्य आसानी से जाने जा सकते हैं !इसलिए ऐसे लोग राजनीति आदि में मुख्यमंत्री प्रधानमंत्री जैसे पदों का स्वतंत्र रूप से निर्वहन नहीं कर पाते हैं |ऐसा तभी कर सकते हैं जब इन्हें कोई मजबूत सलाहकार मिले और ये उसकी बात मानें !
जिस बैठक में राजनीति के लिए जो गुप्त रणनीति बनाई जाती है उस पर सभी को योजनाबद्ध ढंग से चलना होता है |ऐसी बैठक में यदि एक व्यक्ति भी क अक्षर से प्रारंभ नाम वाला होता है तो उस गुप्त रणनीति की गुप्तता सुरक्षित रहनी संभव नहीं होती है |ऐसे लोग स्वभाव बश उसकी गंभीरता न समझते हुए उसकी गुप्तता को भंग करने को अपनी स्पष्टवादिता या पारदर्शिता समझते हैं |
इसीलिए कोई भी राजनैतिक दल क अक्षर वाले लोगों को अपने दल की किसी निर्णायक भूमिका में रखना पसंद नहीं करता !अर्थात अध्यक्ष मुख्यमंत्री प्रधानमंत्री आदि बनाना पसंद नहीं करता | इसके अतिरिक्त भी कोई दूसरा ऐसा जिम्मेदार पद नहीं देना चाहता जहाँ कोई स्वतंत्र निर्णय लिया जाना संभव हो !
क अक्षर से प्रारंभ नाम वाले लोग जिसके प्रति समर्पित होते हैं अपनी हैसियत भूलकर उसी की भाषा बोलने लगते हैं जिससे कुछ बड़े लोगों से दुश्मनी कर बैठते हैं जिसका ऐसे लोगों को अक्सर नुक्सान उठाना पड़ता है | क अक्षर वाला कौआ जिस भवन की छत पर बैठ जाता है उसे अपना ही घर समझने लगता है |
क अक्षर से ही कुत्ता नाम बनता है | ये जिस कोठी के दरवाजे बैठ जाते हैं उसे अपनी समझने के कारण ही वहाँ से आने जाने वाले लोगों को डराने धमकाने लगते हैं | ऐसे व्यक्ति भी इसी प्रकार का आचरण करते देखे जाते हैं |
इसीलिए कमलनाथ जी के नेतृत्व में मध्य प्रदेश काँग्रेस यदि विधानसभा चुनाव जीत भी जाती है और कमलनाथ जी को मुख्यमंत्री बना भी देती है तो भी सत्ता में बने रहना उनके लिए आसान नहीं होगा !संभव है कि पिछली बार की तरह ही अबकी भी कमलनाथ जी से सत्ता छीनने में भाजपा सफल हो जाए |
अशोकगहलौत क्या फिर से बनेंगे मुख्यमंत्री !
जिस व्यक्ति का नाम अ अक्षर से प्रारंभ होता है !वो जिस संस्था संगठन सरकार आदि में रहता है वहाँ का प्रमुख वही होता है यदि उसे प्रमुखपद पर न बैठाया जाए तो ये उस संस्था संगठन सरकार आदि को तब तक काम नहीं करने देता है लड़ाई झगड़ा किया करता है जब तक उसे प्रमुख पद पर न बैठाया जाए !
अटल जी,अशोक सिहल जी ,अमितशाह अजीत डोबाल,अमिताभ बच्चन,अनिल अंबानी ,अरविन्द केजरीवाल ,अखिलेश यादव असदुद्दीन ओवैसी,अजीतपवार आकाश आनंद ,अभिषेक बनर्जी,आदित्य ठाकरे,अमित ठाकरे,आदित्य यादव,अक्षय यादव, अरविंद यादव आदि !
अशोक गहलौत जी का नाम भी अ अक्षर से ही प्रारंभ होता है इसलिए उन्हें पराजित किया जाना आसान नहीं होगा | राजस्थान भाजपा ने अभी तक अपना मुख्यमंत्री प्रत्याशी घोषित भी नहीं किया है | ऐसे में विश्वास पूर्वक कुछ भी कहना तो संभव नहीं है फिर भी अशोक गहलौत का पक्ष अधिक बलवान है |
यदि शचिन पायलट से मिलने वाली चुनौतियों को देखा जाए तो इससे राजस्थान काँग्रेस में कलह तो किया जा सकता है किंतु उससे निपटने में अशोक गहलौत को कोई विशेष कठिनाई नहीं होगी | सत्ता उन्हीं के पास रहेगी |
शचिन की तरह ही सपा के शिवपाल यादव भी श अक्षर वाले ही हैं |उनकी भी अ अक्षर वाले अखिलेश यादव से पटरी भले न खाई हो किंतु समर्पित उन्हीं के प्रति हो जाते हैं | शचिन भी अ अक्षर वाले गहलौत के साथ थोड़े बहुत कलह के साथ ऐसा ही समर्पित रुख बनाए रखेंगे !
विशेष बात यह है कि राजस्थान भाजपा की ओर से यदि अपना मुख्यमंत्री प्रत्याशी घोषित नहीं किया जाता है इसका मतलब होगा कि भाजपा नरेंद्र मोदी और अमितशाह जी के नाम पर चुनाव लड़ रही है | ऐसा समीकरण बनते ही भाजपा और कांग्रेस में होने वाला चुनाव विशेष कठिन हो सकता है और अशोक गहलौत की सरकार नहीं भी बन सकती है | जिससे भाजपा की सरकार बनने का रास्ता खुलता दिखाई देता है |
आदित्य नाथ योगी कब तक रहेंगे मुख्यमंत्री !
आदित्य नाथ जी हों या हों अजय सिंह विष्ट दोनों ही नाम अ अक्षर से प्रारंभ होते हैं | जिस व्यक्ति का नाम अ अक्षर से प्रारंभ होता है वह राजा अर्थात उस समूहसंस्था संगठन सरकार आदि का प्रमुख होता है |
जैसे - इस समय अ अक्षर वाला अमेरिका सुपर पावर है ऐसे ही पहले कभी अपना अ अक्षर वाला आर्यावर्त भी सुपर पावर रहा होगा !ऐसे ही अटल जी,अशोक सिहल जी ,अमितशाह अजीत डोबाल,अमिताभ बच्चन,अनिल अंबानी आदि कुछ प्रमुख सुपरपावर नाम हैं |
ऐसे ही अपनी अपनी पार्टियों में लोग सुपर पावर हैं -अमितशाह ,अरविन्द केजरीवाल ,अखिलेश यादव असदुद्दीन ओवैसी आदि हैं !ऐसे ही आदित्य नाथ जी उत्तर प्रदेश भाजपा में सुपर पावर हैं |
ऐसे ही अपनी अपनी पार्टियों में नंबर दो सुपर पावर हैं -अजीतपवार आकाश आनंद ,अभिषेक बनर्जी,आदित्य ठाकरे,अमित ठाकरे,आदित्य यादव,अक्षय यादव, अरविंद यादव आदि !
कुल मिलाकर अ अक्षर वाले लोग कितने भी छोटे समूह में क्यों न हों रहना वहाँ के प्रमुख पद पर ही चाहेंगे |इसके लिए उन्हें कितना भी बवाल क्यों न करना पड़े !
अ अक्षर वाले लोगों को सबसे बड़ी समस्या तब होती है जब इन्हीं के अपने उसी समूह में दूसरा कोई अ अक्षर वाला व्यक्ति भी होता है |उससे इन्हें चुनौती मिलती है | इसलिए इसे निष्क्रिय करने या उस संगठन से बाहर करने के लिए ऐसे लोग कुछ भी करने को तैयार हो जाते हैं |
इसीलिए अरविन्द केजरीवाल जी ने अश्वनी उपाध्याय, अंजली धमानियाँ, आनंद ,आशुतोष,आशीष खेतान,अलका लांबा आदि 13 अ अक्षर वाले लोगों को पार्टी से निकाल बाहर किया |
यही स्थिति अखिलेश यादव की है - अपर्णा यादव,अंशुल यादव , आदित्य यादव ,अभय राम सिंह यादव, अक्षय यादव,अरविन्द प्रताप यादव आदि अ अक्षर वालों की पारिवारिक चुनौती झेलनी पड़ रही है | इसका वास्तविक समाधान खोजे बिना अखिलेश यादव जी का प्रभावी रूप से राजनीति में कुछ भी कर पाना संभव नहीं है |वे घरेलू राजनीति में ही फँसे रहेंगे | इसलिए उनसे योगी आदित्यनाथ जी की सरकार को कोई खतरा नहीं हैं |
यूपी काँग्रेस में अ अक्षर वाले अजय राय जी हैं | ऐसे ही बसपा में मायावती जी हैं अ अक्षर वाले व्यक्ति को चुनौती उनके द्वारा दी जानी संभव ही नहीं है |आकाश आनंद अभी इस स्थिति में नहीं हैं | काँग्रेस और बसपा का जनाधार कमजोर होने के कारण उनसे योगी सरकार को कोई खतरा नहीं है |
इसलिए योगी आदित्य नाथ जी को उत्तर प्रदेश भाजपा में या विपक्ष में कोई चुनौती देने की स्थिति में नहीं है | भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व का भी उन्हें वैसे तो सहयोग प्राप्त है ही किंतु अ अक्षर वाले अमित शाह जी जब तक चाहेंगे तब तो योगी जी के मुख्य मंत्री बने ही रहेंगे | उन्हीं का ध्यान रखकर चलना पड़ेगा उनसे कोई बात बिगड़ न जाए !
घरों में कलह क्यों होता है क्या है इसका कारण ? कैसे इससे बचा जाए !
समाज में घरेलू कलह दिनोंदिन बढ़ता जा रहा है | इसे शांत करने के लिए कोई विज्ञान भी नहीं है |वैज्ञानिक कह रहे हैं हमने मोबाइल कंप्यूटर आदि बना दिया !बहुत सारी सुख सुविधाओं के साधन खोज दिए हैं | मनुष्य चंद्र और सूरज पर पहुँचने के लिए प्रयत्नशील है ऐसे विज्ञान पर गर्व करो !किंतु ऐसी सुखसुविधाओं को भोगने के लिए भी तो मनुष्य का जीवित रहना आवश्यक है अन्यथा ऐसे अनुसंधान किस काम के !
जिस कलह के कारण लोग दिन रात परेशान रहते हैं | सारे सुख साधन होने के बाद भी उनका भोग नहीं कर पाते हैं |इसी कलह के कारण लोग ह्त्या आत्म हत्या तक करते देखे जाते हैं | विवाहों के नाम पर विश्वास घात होता देखा जाता है | तलाक जैसी घटनाएँ घटित होती हैं उनके छोटे छोटे बच्चे मारे मारे फिरते हैं | बूढ़े लोग वृद्धाश्रमों में भेज दिए जाते हैं बच्चे छात्रावासों में छोड़ दिए जाते हैं | भोजन होटलों का अच्छा लगने लगा है | घरों में कलह बढ़ता जा रहा है | इसके लिए कोई विज्ञान क्यों नहीं है ?
यदि आप भी ऐसे कलह से जूझ रहे हैं तो समझिए कि ये होता क्यों है और ये शांत कैसे होगा !प्रत्येक व्यक्ति दूसरे को अपनी बात मनवाना चाहता है |वो मान नहीं रहा है इसी का कलह है वो मान क्यों नहीं रहा हैं जानें इसका कारण !
प्रत्येक व्यक्ति का स्वभाव वैसा बनता है जैसा उसका समय चल रहा होता है |किसी का समय कभी एक सा नहीं रहता है वो हमेंशा बदलता रहता है | उसी के अनुशार स्वभाव बदलता रहता है | स्वभाव के अनुशार ही पसंद ना पसंद आदि बनती है |
यदि आपका अपना समय बहुत अच्छा चल रहा होता है तो आपका स्वभाव पसंद नापसंद आदि भी बहुत अच्छी होगी !इसलिए आपको अच्छे कार्यों को करने का मन होगा !दूसरों की मदद करने की इच्छा होगी | अच्छे लोगों के साथ रहने का मन होगा |
इसी समय आपके किसी परिवार के सदस्य या व्यापार के सहयोगी या मित्र आदि का समय बुरा चल रहा हो तो उसका स्वभाव सोच पसंद आदि बुराई की ओर होगी !उसे बुरे लोग पसंद आएँगे | बुरा आचरण अच्छा लगेगा | बुरे लोगों का साथ अच्छा लगेगा | दूसरों का शोषण करना उन्हें सताना आदि उसे पसंद होगा |
ऐसी परिस्थति में अपने अच्छे समय के अनुशार बनी आपकी अच्छी सोच सदाचार अच्छा व्यवहार आदि यदि आप किसी बुरे समय से प्रभावित व्यक्ति पर थोपेंगे तो वो आपकी बात कैसे मान लेगा ! यदि वो मानना भी चाहे तो भी नहीं मान पाएगा !ऐसा करने से उसका अपना तनाव बढ़ जाएगा !
यदि आप भी ऐसे किसी तनाव से जूझरहे हैं या आपके यहाँ भी ऐसा कोई कलह बढ़ा हुआ हसी तो आप भी हमारे संस्थान में संपर्क करके पा सकते हैं कोई समाधान !
विवाह करने के लिए कुंडली मिलाना जरूरी है भी या नहीं !
"समाजवादी पार्टी पर अ अक्षर का प्रभाव"
पिछले चुनावों से उत्तर प्रदेश की सत्ता से दूर रहे अखिलेश यादव क्या उत्तर प्रदेश विधान सभा के आगामी चुनावों में कर पाएँगे कोई कमाल !
मुलायम सिंह यादव जी जहाँ कई बार मुख्यमंत्री बने वहीं अखिलेश यादव अपने बल पर एक बार भी नहीं बन पाए मुख्यमंत्री !
उस बार तो मुलायम सिंह जी ने उन्हें बना दिया था मुख्यमंत्री !अब दोबारा
भी कभी क्या बन पाएँगे मुख्यमंत्री ! उनके मुख्यमंत्री न बन पाने का क्या
है कारण !जानिए विस्तार से -
मुलायम सिंह जी का नाम म अक्षर से प्रारंभ होने के कारण उनका किसी से कोई कंपटीशन नहीं था ! म अक्षर से जिसका नाम प्रारंभ होता हो ऐसा कोई उनकी बराबरी का व्यक्ति न उनके परिवार में था और न ही पार्टी में !इसलिए उन्हें पार्टी और परिवार में कोई चुनौती देने वाला था ही नहीं !उन्हें सभी से स्नेह और सन्मान मिलता रहा !
अखिलेश यादव के साथ ऐसा नहीं है | उनका नाम अ अक्षर से प्रारंभ होता है | अ अक्षर से नाम वाले लोग उनकी पार्टी में भी हैं और परिवार में भी !जिनसे उन्हें प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से चुनौती मिलती रहती है !
अ अक्षर वाले अमरसिंह अमिताभ बच्चन,अनिलअंबानी, आजमखान आदि लोगों का नाम अ अक्षर से प्रारंभ होने के कारण इनसे अखिलेश जी के संबंध मधुर नहीं रह पाए !
समाजवादी परिवार में - अपर्णा यादव,अंशुल यादव , आदित्य यादव ,अभय राम सिंह यादव, अक्षय यादव,अरविन्द प्रताप यादव आदि अ अक्षर वालों की नाराजगी का अ अक्षर वाले अखिलेश यादव को भारी राजनैतिक मूल्य चुकाना पड़ा !किसी ने प्रत्यक्ष तो किसी ने अप्रत्यक्ष रूप से अखिलेश यादव की राजनीति को प्रभावित किया है | इसीकारण इनकी तब से प्रदेश में सरकार नहीं बन सकी है और इस समस्या का समाधान खोजे बिना ऐसी संभावना भी नहीं लगती है |
यदि आप भी अपनी संस्थाओं संगठनों या राजनैतिक दलों में आने वाली अड़चनों का निराकरण करना चाहते हैं या अपने और अपनों के नामों का प्रभाव समझना चाहते हैं तो आप भी हमारे यहाँ संपर्क कर सकते हैं ! यदि आपका व्यापार ,परिवार या जीवन अशांत है और तनाव दिनोंदिन बढ़ता चला जा रहा है | इसका कारण कहीं आपके साथ जुड़ा कोई व्यक्ति या आपका कोई कर्मचारी आदि ही तो नहीं है जिसकी सलाह मानने से आपका नुक्सान होता जा रहा हो ! यह जानने के लिए आप भी हमारे यहाँ संपर्क कर सकते हैं !
अखिलेशयादव क्या फिर कभी बन पाएँगे मुख्यमंत्री ! - वर्णविज्ञान की दृष्टि में -
"समाजवादी पार्टी पर अ अक्षर का प्रभाव"
पिछले चुनावों से उत्तर प्रदेश की सत्ता से दूर रहे अखिलेश यादव क्या उत्तर प्रदेश विधान सभा के आगामी चुनावों में कर पाएँगे कोई कमाल !
मुलायम सिंह यादव जी जहाँ कई बार मुख्यमंत्री बने वहीं अखिलेश यादव अपने बल पर एक बार भी नहीं बन पाए मुख्यमंत्री ! उस बार तो मुलायम सिंह जी ने उन्हें बना दिया था मुख्यमंत्री !अब दोबारा भी कभी क्या बन पाएँगे मुख्यमंत्री ! उनके मुख्यमंत्री न बन पाने का क्या है कारण !जानिए विस्तार से -
मुलायम सिंह जी का नाम म अक्षर से प्रारंभ होने के कारण उनका किसी से कोई कंपटीशन नहीं था ! म अक्षर से जिसका नाम प्रारंभ होता हो ऐसा कोई उनकी बराबरी का व्यक्ति न उनके परिवार में था और न ही पार्टी में !इसलिए उन्हें पार्टी और परिवार में कोई चुनौती देने वाला था ही नहीं !उन्हें सभी से स्नेह और सन्मान मिलता रहा !
अखिलेश यादव के साथ ऐसा नहीं है | उनका नाम अ अक्षर से प्रारंभ होता है | अ अक्षर से नाम वाले लोग उनकी पार्टी में भी हैं और परिवार में भी !जिनसे उन्हें प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से चुनौती मिलती रहती है !
अ अक्षर वाले अमरसिंह अमिताभ बच्चन,अनिलअंबानी, आजमखान आदि लोगों का नाम अ अक्षर से प्रारंभ होने के कारण इनसे अखिलेश जी के संबंध मधुर नहीं रह पाए !
समाजवादी परिवार में - अपर्णा यादव,अंशुल यादव , आदित्य यादव ,अभय राम सिंह यादव, अक्षय यादव,अरविन्द प्रताप यादव आदि अ अक्षर वालों की नाराजगी का अ अक्षर वाले अखिलेश यादव को भारी राजनैतिक मूल्य चुकाना पड़ा !किसी ने प्रत्यक्ष तो किसी ने अप्रत्यक्ष रूप से अखिलेश यादव की राजनीति को प्रभावित किया है | इसीकारण इनकी तब से प्रदेश में सरकार नहीं बन सकी है और इस समस्या का समाधान खोजे बिना ऐसी संभावना भी नहीं लगती है |
यदि आप भी अपनी संस्थाओं संगठनों या राजनैतिक दलों में आने वाली अड़चनों का निराकरण करना चाहते हैं या अपने और अपनों के नामों का प्रभाव समझना चाहते हैं तो आप भी हमारे यहाँ संपर्क कर सकते हैं ! यदि आपका व्यापार ,परिवार या जीवन अशांत है और तनाव दिनोंदिन बढ़ता चला जा रहा है | इसका कारण कहीं आपके साथ जुड़ा कोई व्यक्ति या आपका कोई कर्मचारी आदि ही तो नहीं है जिसकी सलाह मानने से आपका नुक्सान होता जा रहा हो ! यह जानने के लिए आप भी हमारे यहाँ संपर्क कर सकते हैं !
'इंडिया ' गठबंधन कभी भी नहीं बना पाएगा सरकार !- वर्णविज्ञान की दृष्टि में -
दिल्ली भाजपा बार बार क्यों हार जाती है चुनाव ?
जो भाजपा दिल्ली की सातो सीटें लोकसभा चुनावों में जीतती है | नगर निगम में भाजपा जीतती है वही भाजपा उसी दिल्ली का विधानसभा चुनाव क्यों हार जाती है ? दिल्ली वालों का दिल्लीभाजपा ने ऐसा क्या बिगाड़ा है कि मदनलाल खुराना और साहिब सिंह वर्मा जी के शासन के बाद दिल्ली में भाजपा की सरकार ही नहीं बनी | भाजपा से यदि जनता कुपित होती तो लोकसभा और निगम में भाजपा को क्यों वोट देती !इसका मतलब जनता भाजपा से रुष्ट नहीं है अपितु दिल्ली भाजपा को नहीं पसंद कर रही है |इसका कारण क्या है और उसका सुधार कैसे होगा ?
मदनलाल खुराना और साहिब सिंह वर्मा जी का कार्यकाल पूरा होने के बाद दिल्ली भाजपा में जिन पाँच लोगों का बर्चस्व रहा वे हैं विजय कुमार मल्होत्रा,विजय जौली,विजय किशन शर्मा ,विजयेंद्र गुप्ता और विजय गोयल !इन पाँचों का नाम व अक्षर से होने के कारण ये सभी आपस में ही एक दूसरे को अपने से पीछे करने में लगे रहे |इस आपसी खींच तान में काफी लंबा समय निकल गया ! जनता दिल्ली भाजपा को भूलती चली गई |
अब अ अक्षर वाले अरविन्द केजरीवाल जी दिल्ली के मुख्यमंत्री हैं | अ अक्षर वाले किसी व्यक्ति को पराजित करना आसान नहीं होता है | इसलिए भाजपा को कुछ विशेष नाम वालों को दिल्ली भाजपा की जिम्मेदारी सौंपनी चाहिए !उनमें से जिनके नाम द,च,भ,ध,स,अक्षरों से प्रारंभ होते हों और उनका व्यवहारिक पक्ष भी अच्छा हो | इन अक्षरों से प्रारंभ नाम वाले लोग यदि कर्मठ व्यवहार कुशल मधुर भाषी एवं परिश्रमी हों तो दिल्ली भाजपा को फिर से दिल्ली की सत्ता तक पहुँचाया जा सकता है |
यदि आप भी अपनी संस्थाओं संगठनों या राजनैतिक दलों में आने वाली अड़चनों का निराकरण करना चाहते हैं या अपने और अपनों के नामों का प्रभाव समझना चाहते हैं तो आप भी हमारे यहाँ संपर्क कर सकते हैं ! यदि आपका व्यापार ,परिवार या जीवन अशांत है और तनाव दिनोंदिन बढ़ता चला जा रहा है | इसका कारण कहीं आपके साथ जुड़ा कोई व्यक्ति या आपका कोई कर्मचारी आदि ही तो नहीं है जिसकी सलाह मानने से आपका नुक्सान होता जा रहा हो ! यह जानने के लिए आप भी हमारे यहाँ संपर्क कर सकते हैं !
भाजपा का चुनावी भविष्य कैसा रहेगा ?
भाजपा और भारत दोनों के नाम का पहला अक्षर भ है ! दोनों के नाम का अक्षर एक ही होने के कारण भाजपा का भारत की सत्ता पर पहुँच पाना संभव न था | यदि किसी प्रकार से पहुँच भी जाती तो कार्यकाल पूरा होने से पहले ही हट जाती !जबकि प्रदेशों के नाम अलग अलग अक्षरों से होने के कारण उन प्रदेशों में तो भाजपा की सरकार बन जाती थी किंतु केंद्र में सरकार नहीं बन पाती थी !भ अक्षर वाले भारत में भ अक्षर वाली भाजपा का अपने बल पर केंद्रीय सत्ता में आना संभव न था !जो 'राजग' नाम पड़ने से संभव हुआ |
ऐसा करने के लिए मैंने भाजपा के शीर्ष नेतृत्व को कई पत्र लिखे कि भाजपा का नाम बदले बिना भारत में भाजपा की सरकार बननी संभव नहीं है |एक बार शृद्धेय श्री अटल जी से मिलकर भी भाजपा का नाम बदलने का निवेदन किया था ! भाजपा का नाम तो बदला नहीं किंतु 'राजग' का गठन हो गया | राजग के तत्वावधान में चुनाव लड़ने से राजग की सरकार बन गई | जो भाजपा के रहते संभव न था | भाजपा को सत्ता संचालित करने के लिए राजग में रहना ही होगा !
जिस प्रकार से किसी प्रदेश या देश के नाम से जो संगठन या राजनैतिक दल बनाए
जाते हैं वहाँ उनका सफल होना संभव नहीं होता है |उसीप्रकार से इंडिया में इण्डिया गठबंधन का सत्ता में आना संभव ही नहीं है !
मध्यप्रदेश काँग्रेस क्या जीतेगी चुनाव या फिर भाजपा मारेगी दाँव !
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