शनिवार, 20 सितंबर 2025

व्यवहारविज्ञान और महामारी

                                                 महामारी के बिषय में विनम्र निवेदन !

    महामारी संबंधी अनुसंधानों के द्वारा महामारी को रोका जाना तो संभव होता नहीं है | इससे संबंधित अनुसंधानों से ऐसी अपेक्षा भी नहीं है |कोई महामारी जब अचानक आ जाती है तो उससे सुरक्षा करने के लिए तैयारियों का समय नहीं मिल पाता है| इसलिए महामारी से समाज को सुरक्षित बचाया जाना संभव नहीं हो पाता है |महामारी के आने से पहले यदि सही पूर्वानुमान लगा लिया जाए तो महामारी से सुरक्षा की  तैयारियाँ करने के लिए समय मिल सकता है |कोरोना महामारी के बिषय में जो भी पूर्वानुमान लगाए जाते रहे वे सही नहीं निकल सके | इसका कारण पूर्वानुमान लगाने के लिए किसी विज्ञान का न होना हो सकता है | विज्ञान के बिना पूर्वानुमान  लगाने संबंधी अनुसंधान किए भी कैसे जा सकते हैं |

    ऐसी स्थिति में  पूर्वानुमान  लगाने के लिए जब तक कोई विश्वसनीय विज्ञान नहीं है, तब तक महामारी को समझने एवं उसके बिषय में सही पूर्वानुमान लगाने के लिए व्यवहारविज्ञान संबंधी  अनुसंधान किए जाने चाहिए | परंपराओं से प्राप्त अनुभव यदि महामारी से लोगों को सुरक्षित बचाने में इनसे यदि मदद मिलती है तो  ऐसी मदद जनहित के उद्देश्य से ली जानी चाहिए  | 

     इसी उद्देश्य से मैं छोटी बड़ी सभी लहरों के बिषय में पूर्वानुमान लगाने के लिए जो प्रयत्न करता आ रहा हूँ | वे हमारे अनुभव में तो सही निकले हैं फिर भी कोई हमारे अनुसंधानों को कीजिए कि क्या ये वास्तव में सही हैं | यदि आपको भी ये सही लगते हैं तो यह कोरोना महामारी के संदर्भ में भारतीयपरंपरा विज्ञान की इतनी बड़ी उपलब्धि होगी |जिसकी तुलना विश्व के किसी दूसरे अनुसंधानों से नहीं की जा सकती है | 

     हमारे अनुसंधानों के परीक्षण के लिए इस पुस्तक में उन मेलों के चित्रों को  प्रकाशित किया जा रहा है | जो महामारी की प्रत्येक लहर आने से पहले मेरे द्वारा पीएमओ की मेल पर भेजी जाती रही हैं | उनमें महामारी की आने वाली लहर के बिषय में पूर्वानुमानों की तारीखें लिखी होती थीं | उन तारीखों का कोरोना ग्राफ से मिलान करने पर वे सही निकलती रही हैं | उन ग्राफ़ों के चित्र या अखवारों के चित्र भी प्रमाणरूप में प्रकाशित किए जा रहे हैं | उन पूर्वानुमानों  का परीक्षण स्वतंत्र रूप से भी किया या कराया जा सकता है | 

     महामारी संबंधी अध्ययनों अनुसंधानों से प्राप्त परिणामों के आधार पर यह कहा जा सकता है कि महामारी को समझने एवं उसके बिषय में पूर्वानुमान लगाने में इतनी बड़ी सफलता किसी अन्य प्रकार से  नहीं मिल पाई है |जितनी सही जानकारी  व्यवहारविज्ञान  के आधार पर खोजी जा सकी है | 

                                               परिवर्तनों की पहचान ही व्यवहारविज्ञान है | 

    

    किसी गर्भिणी स्त्री के गर्भ के प्रारंभिक दिनों में उसके शरीर स्वरूप स्वभाव स्वास्थ्य आदि में कुछ परिवर्तन होते हैं |उन परिवर्तनों को देखकर अनुभवी माताएँ  एवं प्रसव कराने वाली दाइयाँ गर्भ होने का अनुमान लगा लिया करती हैं |यही व्यवहारविज्ञान है | 

    ऐसे ही भूकंप आँधी तूफ़ान चक्रवात बज्रपात वर्षा बाढ़ एवं महामारी जैसी घटनाएँ जब प्रकृति के गर्भ में प्रवेश करती हैं तो गर्भिणी स्त्री की तरह ही संपूर्ण प्राकृतिकवातावरण में कुछ उस प्रकार के परिवर्तन होने लगते हैं |प्रकृति में कुछ उसप्रकार के चिन्ह उभरने लगते हैं| उन परिवर्तनों चिन्हों  को पहचानने वाले  प्रकृति विशेषज्ञ भूकंप आँधी तूफ़ान चक्रवात बज्रपात वर्षा बाढ़ एवं महामारी जैसी घटनाओं के बिषय में पूर्वानुमान लगा लिया करते हैं |
     
संपूर्ण प्राकृतिक वातावरण में प्रतिपल परिवर्तन होते रहते हैं | उनमें से बहुत सारे परिवर्तन ऐसे होते हैं | जो भूकंप आँधी तूफ़ान चक्रवात बज्रपात वर्षा बाढ़ एवं महामारी जैसी प्राकृतिक घटनाओं से संबंधित  होते हैं | इसके लिए विभिन्नप्रकार की प्राकृतिक घटनाओं से संबंधित चिन्हों को प्राकृतिक वातावरण में निरंतर देखते या खोजते रहना होता है |जो व्यक्ति ऐसे प्राकृतिक परिवर्तनों को पहचानता है | उसकी प्रक्रिया को समझता है |परिवर्तन में लगने वाले समय का अनुमान कर लेता है |वो प्राकृतिक घटनाओं एवं महामारियों के बिषय में पूर्वानुमान लगा सकता है महामारी से संबंधित प्रत्यक्ष लक्षणों को प्राकृतिक वातावरण में पहले से पहचानना होता है | उसी के आधार पर महामारी  के बिषय में अनुमान पूर्वानुमान आदि लगा लेना होता है | 

     इनमें से प्रत्येक घटना से संबंधित प्राकृतिक चिन्ह अलग अलग होते हैं | जो उन घटनाओं से आगे पीछे घटित होते दिखाई पड़ते हैं | ऐसे चिन्ह प्राकृतिक वातावरण के प्रत्येक अंश में समय समय पर प्रकट होते  रहते हैं | इन चिन्हों में  कुछ छोटी तो कुछ बड़ी प्राकृतिक घटनाएँ होती हैं |भूकंप  जैसी घटनाएँ स्वयं तो घटित हो ही रही होती हैं | इसके साथ ही साथ उसी क्षेत्र में तैयार हो रही किसी दूसरी घटना की सूचना भी दे रही होती हैं |  

 



 

इसमें बिशेष बात ये है कि जिसमें जैसे परिवर्तन हो सकते हैं वैसे ही होते हैं |वे परिवर्तन कैसे भी नहीं होते हैं |इसलिए प्रत्येक जीव वस्तु पेड़ पौधों घटनाओं परिस्थिति आदि में  उनके अनुसार परिवर्तन होते हैं |  


  ऐसे संकेतों के दिखने एवं घटना घटित होने के बीच का जो समय होता है वो बहुत महत्वपूर्ण होता है | संकेतों को देखकर ही यदि घटना के बिषय में अनुमान  लगा लिया जाए तो प्राकृतिक आपदाओं तथा महामारियों  आदि से लोगों की सुरक्षा की तैयारियाँ पहले से करके रखी जा सकती हैं | जहाँ जब जैसी घटनाएँ घटित होनी होती हैं | उसी के अनुसार संकेत दिखाई  देते हैं | ये घटनाएँ प्रकृति से लेकर जीवन तक से संबंधित घटनाओं की सूचना निरंतर देती रहती हैं |




    इसी प्रकार से  भूकंप आँधी तूफ़ान चक्रवात बज्रपात वर्षा बाढ़ एवं महामारी जैसी प्राकृतिक घटनाएँ भी प्राकृतिक परिवर्तन ही हैं |ऐसी कोई भी घटना जब प्रकृति के गर्भ में आती है तो प्राकृतिकवातावरण में उसी के अनुरूप चिन्ह उभरते हैं |        


      प्रकृति के वर्तमानस्वरूप के आधार पर भावी स्वरूप का पूर्वानुमान लगा लेना ही व्यवहार विज्ञान है |"अभी ऐसा तो भविष्य में कैसा !" इसी प्रक्रिया से भविष्य संबंधी सभी अंदाजे लगाए जाते  हैं | 

   अलनीनो लानिना जैसी अनुसंधान प्रक्रिया  व्यवहारविज्ञान  का ही स्वरूप हैं | अलनीनो में प्रशांत महासागर का पूर्वी भाग गर्म हो जाता है,और  लानीना में तापमान औसत से ठंडा होता है, इसके आधार पर वर्षा के बिषय में पूर्वानुमान लगाया जाता है | व्यवहारविज्ञान में प्रत्यक्ष लक्षणों के आधार पर भविष्य में घटित होने वाली संभावित घटनाओं के बिषय में अनुमान लगाना होता है कि भविष्य में कब क्या घटित हो सकता है |

     प्राकृतिक वातावरण में जब जिस प्रकार के चिन्ह अधिकता में प्रकट होने लगते हैं, तब उस प्रकार की घटना के घटित होने की संभावना अधिक बन जाती है |ऐसे चिन्हों की जैसे जैसे अधिकता बढ़ती जाती है | वैसे वैसे उस प्रकार की घटना के घटित होने का समय समीप आता जाता है | इसी के आधार पर उनकी अनुमानित तारीख़ निश्चित कर ली जाती है कि इस प्रकार की घटना लगभग इस तारीख़ से घटित होनी प्रारंभ हो जाएगी | इसी प्रकार से उसके समाप्त होने की तारीख तय कर ली जाती है | 

   ऐसी किसी   घटना से संबंधित चिन्ह जिस क्षेत्र विशेष में दिखाई पड़ते हैं | उस घटना के उसी क्षेत्र में  घटित होने की संभावना अधिक होती है | ऐसे प्रत्यक्ष लक्षणों की पहचान ही व्यवहार विज्ञान है | समय समय पर प्राकृतिक वातावरण में उभरने वाले ऐसे चिन्हों को भीड़ भाड़ भरी जगहों की अपेक्षा खेतों खलिहानों जंगलों आदि के खुले प्राकृतिक वातावरण में अधिक स्पष्टरूप से देखा जा सकता है | 

                                                 व्यवहारविज्ञान और महामारी   

      मनुष्य आदि  संपूर्ण जीव प्रकृति की  गोद में ही सुखी रहते हैं | प्राकृतिक आवरण को ओढ़े हुए मनुष्यों का जीवन सुरक्षित है | कोई भी प्राकृतिक आपदा या महामारी प्राकृतिक आवरण का वेधन करती हुई ही  मनुष्यों तक पहुँचती  है | प्राणियों तक पहुँचने से  पूर्व वो प्राकृतिक वातावरण में अपने चिन्ह छोड़ जाती हैं | ऐसे चिन्ह जब प्राकृतिक वातावरण में उभरने लगें | उन्हें यदि उसी समय  पहचान लिया जाए तो वहीं से सुरक्षा की तैयारियाँ प्रारंभ कर दी जाती हैं |जिनसे ऐसे संकटों को मनुष्यों तक  पहुँचने से पहले ही रोक लिया जाता है | यदि आंशिक रूप से पहुँच भी गए तो उनका प्रभाव कम करके लोगों को प्रायः सुरक्षित बचा लिया जाता है | 
                              
                                                                 
   प्राचीनकाल में प्रजा की कुशलता की कामना रखने वाले शासकों प्रशासकों को प्राकृतिक परिवर्तनों का महत्त्व पता होता था इसलिए वे प्राकृतिक वातावरण में हो रहे परिवर्तनों और उनके प्रभावों का अधययन अनुसंधान आदि बहुत सूक्ष्मता से निरंतर करते करवाते रहते थे | इसके लिए प्रतिपल प्राकृतिक परिवर्तनों पर दृष्टि बनाए रखना आवश्यक होता है |
       प्राचीनकाल में राजा लोग प्राकृतिक परिवर्तनों को देखने समझने एवं लोगों से अनुभव लेने के लिए प्रायः गाँवों में खेतों खलिहानों बगीचों जंगलों आदि में जाकर वहाँ के लोगों के प्रकृति बिषयक अनुभव लिया करते थे |वहाँ के बनबासियों किसानों पशु चारकों आदि से चर्चा करके प्राकृतिक परिवर्तनों के बिषय में आगे से आगे पता लगाते रहते थे | प्राकृतिक परिवर्तनों के साथ साथ पशुओं पक्षियों का व्यवहार बदलता रहता है | 
     कुल मिलाकर राजा लोग अनेकों प्रकार से प्राकृतिक परिवर्तनों पर दृष्टि बनाए रखते थे | प्रकृति में कभी कहीं  बिपरीत चिन्ह प्रकट होते सुनते या  देखते तो उनके परिणामों पर बिचार करते | ऐसे बिषयों पर गहन चिंतन मनन करने के लिए जंगलों में निरंतर निवास करने वाले ऋषिमुनियों के आश्रमों में जाकर उनसे परामर्श करते | संभावित घटनाओं के बिषय में पूर्वानुमान पता लगाते | उन घटनाओं से बचाव की तैयारियाँ करने लग जाते थे |
    प्राचीनकाल में ऐसे चिन्हों को देखने तथा उनका संग्रह करने के लिए ऋषि वैज्ञानिक अपना सारा जीवन जंगलों में बिता दिया करते थे | ऐसे प्राकृतिक परिवर्तनों को निरंतर देखते रहते |उनके प्रभावों परिणामों पर बिचार करते | उनसे मनुष्यों को सुरक्षित कैसे  बचाया जाए ! इस पर बिचार करते | 
    वर्तमान समय में  प्रशांत महासागर में घटित होने वाली अलनीनो और लानिना जैसी घटनाएँ भी  प्राकृतिक  वातावरण में प्रकट होने वाले ऐसे ही संकेत हैं | जो भविष्य में घटित होने वाली मौसमसंबंधी घटनाओं के बिषय में सूचना दे रहे होते हैं | ये व्यवहारविज्ञान संबंधी वही पद्धति है |   
     इसीप्रकार से उत्तरभारत के प्रसिद्ध महाकवि घाघ ने बहुत सारे ऐसे प्राकृतिक लक्षणों का वर्णन किया है | जो मौसमसंबंधी घटनाओं के घटित होने के काफी पहले से घटित होने लगते हैं | उन लक्षणों के आधार पर संभावित घटनाओं को पहचान कर उनके बिषय में अनुमान पूर्वानुमान आदि लगा लिया जाता है |ये भी वही व्यवहारविज्ञान संबंधी पद्धति है |
      कोरोनामहमारी के समय की तरह उस समय यदि  इतने इतने लोग प्राकृतिक आपदाओं महामारियों आदि में मृत्यु को प्राप्त हो जाते तो उस आदि काल में सृष्टि का आगे बढ़ना कैसे संभव हो पाता |  उस समय तो जनसंख्या भी बहुत कम होती थी |
    सनातन शास्त्रों पुराणों संहिताओं आदि में ऐसे अनेकों उदाहरण मिलते हैं | जिनमें व्यवहारविज्ञान के आधार पर ही महामारी के बिषय में अनुमान पूर्वानुमान आदि लगाने की विधि बताई गई है |इसी  व्यवहारविज्ञान संबंधी अनुसंधान प्रक्रिया को अपना कर प्राचीनकाल में लोग प्राकृतिक संकटों से जनधन की सुरक्षा कर लिया करते थे | 
    महामारी के बिषय में पूर्वानुमान लगाने की विधि का वर्णन आयुर्वेद के शीर्षग्रंथ चरकसंहिता के जनपदोध्वंस अध्याय में मिलता है | भगवान पुनर्वसु अपने शिष्यों को आकाश में प्रकट हुए कुछ खगोलीय चिन्हों को दिखाते हुए कहते हैं कि ये चिन्ह निकट भविष्य में  महामारी पैदा होने के संकेत दे रहे हैं | इसलिए महामारी से मनुष्यों की सुरक्षा की तैयारियाँ अभी से शुरू कर दी जानी चाहिए |प्राकृतिक लक्षणों के आधार पर ही उन्होंने भावी महामारी के बिषय में पूर्वानुमान लगा लिया था |  
    ऐसा सब कुछ सोच बिचार कर व्यक्तिगत रूप से मैं पिछले 35 वर्षों से प्रकृति को पढ़ने समझने एवं उसकी भाषा को समझने में निरंतर लगा रहता हूँ | ये लंबे समय तक के अभ्यास एवं अनुभवों का ही परिणाम है कि मैं  प्रकृति के स्वभाव को समझने में सफल हुआ हूँ | इससे संबंधित अनुसंधानों के बिषय में अभी बहुत कुछ किए जाने की आवश्यकता है | 
                                                                   बिशेष बात  
    मेरे द्वारा निरंतर किए जाते रहे अनुसंधानों में हुए अनुभवों कभी कभी तो ऐसा लगने लगता है कि जैसे प्रकृति समय समय पर अपनी सलाह देती रहती है | महामारी जब प्रारंभ होनी होती है| उसके लगभग बारह वर्ष पहले से ऋतुओं का समय स्वभाव प्रभाव सीमाएँ आदि परिवर्तित होने  लगती हैं | कई बार ऋतुओं का व्यवहार उनके  स्वभाव के विरुद्ध होते देखा जाने लगता है |इन्हीं सभी संकेतों के आधार पर ही भावी रोगों महारोगों को समझना पड़ता है|इनके बिषय में सूक्ष्म अध्ययन करके भावी महामारी या कुछ अन्य प्राकृतिकघटनाओं के बिषय में अनुमान पूर्वानुमान आदि लगा लिया जाता है | 
     मेरे अनुभव के अनुसार कोरोना महामारी आने के लगभग 12 वर्ष पहले से प्रकृति में  कुछ उस प्रकार के प्राकृतिक लक्षण प्रकट होने लगे थे | जो प्रकृति में कोई विशेष प्रकार का रोग घटित होने के संकेत देने लगे थे | सन 2016 के बाद यह स्पष्ट  होने  लगा था कि प्रकृति का झुकाव  प्राकृतिक तत्वों में असंतुलन पैदा करता जा  रहा है | ये प्राणियों के स्वास्थ्य  के लिए अच्छे संकेत  नहीं हैं | इस प्रकार के लक्षण बढ़ते देखकर मैंने सर्व प्रथम  20 अक्टूबर 2018 को भारत के पीएमओ को मेल भेजी थी |   
 
                20 अक्टूबर 2018 को पीएमओ को भेजी गई मेल में लिखित स्वास्थ्य संबंधी विशेष अंश  !

    " 10 अक्टूबर 2018 से लेकर 30 नवंबर 2018 तक लगभग 50 दिन का समय सारे विश्व के लिए ही अच्छा नहीं है !ये समय जैसे जैसे आगे बढ़ता जाएगा वैसे ही वैसे इस समय का दुष्प्रभाव उत्तरोत्तर क्रमशः और अधिक बढ़ता जाएगा !इसमें प्राकृतिक आपदाएँ हों या मनुष्यकृत लापरवाही उत्तेजना उन्माद आदि का अशुभ असर  इस समय विशेष अधिक होगा ! वायु प्रदूषण सीमा से काफी अधिक बढ़ जाएगा !स्वाँस,सूखी खाँसी की समस्याएँ काफी अधिक बढ़ जाएँगी !घबड़ाहट बेचैनी कमजोरी चक्कर आने जैसे रोगों से भय फैलेगा !इस समय थोड़ा सा विवाद भी बहुत बड़े संघर्ष का स्वरूप धारण कर सकता है !यद्यपि ऐसी घटनाएँ इस समय में सारे विश्व में घटित होंगी !"  
 ये महामारी का पूर्व रूप ही था | जो सन 2018 में थोड़े समय के लिए आया था | इस समय संक्रमण काल कम होने के कारण इसका सामान्य प्रभाव कुछ देशों प्रदेशों में ही दिखाई पड़ा था |     
     मैंने अपने समयसंबंधी अनुसंधान के द्वारा महामारी के बिषय में शुरू से समाप्ति तक वो सबकुछ पता लगाने का प्रयत्न किया है | जो जो महामारी को समझने के लिए आवश्यक था | महामारी संबंधी प्रत्येक लहर की जानकारी एवं अनुमान पूर्वानुमान आदि मेल के माध्यम से भारत के पीएमओ की मेलपर आगे से आगे भेजता रहा हूँ | 
     इसी क्रम में 19 मार्च 2020 को पीएमओ को भेजी गई मेल में मैंने महामारी के स्वभाव प्रभाव विस्तार प्रसार माध्यम अंतर्गम्यता अनुमान पूर्वानुमान आदि के बिषय में जो जो लिखा है | वो सब सही घटित हुआ है |इनकी गणना मैंने समयविज्ञान के अनुसार ही की थी | 
     
                             20 अक्टूबर 2018 को पीएमओ को भेजी गई मेल का वह चित्र 
 
                              कोरोनामहामारी से संक्रमितों की संख्या कब कब बढ़ी !
  
  महामारी के संपूर्ण कालखंड को देखा जाए तो इसमें कुछ लहरें बिल्कुल स्पष्ट थीं | जिनके बिषय में सबको पता है |  
            17 सितंबर 2020 को संक्रमितों की संख्या सबसे अधिक हुई थी | यह है उस ग्राफ का  चित्र 
 
  
    इस समय संक्रमितों की संख्या बढ़ने के  बिषय में व्यवहारविज्ञान के आधार पर मैंने जो पूर्वानुमान लगाकर 16 जून 2020 को पीएमओ की मेल पर भेजा था | उसमें मैंने लिखा था कि 24  सितंबर 2020 को संक्रमितों की संख्या सबसे अधिक होगी !
   इस प्रकार से  60 दिन पहले पीएमओ की मेल पर मेरे द्वारा भेजा गया यह पूर्वानुमान लगभग सही निकला है | यह है, 16 जून 2020 को पीएमओ को भेजी गई उस मेल का चित्र -
  
            6  मई 2021 को संक्रमितों की संख्या सबसे अधिक हुई थी | यह है उस ग्राफ का  चित्र                    
 
    इस समय संक्रमितों की संख्या बढ़ने के  बिषय में व्यवहारविज्ञान के आधार पर मैंने जो पूर्वानुमान लगाकर 19  अप्रैल 2021 को पीएमओ की मेल पर भेजा था | उसमें मैंने लिखा था कि 2 मई 2021को संक्रमितों की संख्या सबसे अधिक होगी !उसके बाद कम होने लगेगी | दिल्ली में तो ऐसा ही हुआ था 2 मई 2021 से ही संक्रमितों की संख्या कम होने लगी थी किंतु राष्ट्रीय स्तर पर 6 मई 2021 से संक्रमितों की संख्या कम होनी प्रारंभ हुई थी |  
   इस प्रकार से 16 दिन पहले पीएमओ की मेल पर मेरे द्वारा भेजा गया यह पूर्वानुमान लगभग सही निकला है | यह है 19 अप्रैल 2021 को पीएमओ को भेजी गई उस मेल का चित्र -

 
            20  जनवरी 2022 को संक्रमितों की संख्या सबसे अधिक हुई थी | यह है उस ग्राफ का  चित्र              
 
   इस समय संक्रमितों की संख्या बढ़ने के  बिषय में व्यवहारविज्ञान के आधार पर मैंने जो पूर्वानुमान लगाकर 18  दिसंबर 2021  को पीएमओ की मेल पर भेजा था | उसमें मैंने लिखा था कि 20 जनवरी 2022 को संक्रमितों की संख्या सबसे अधिक होगी !उसके बाद कम होनी प्रारंभ हो जाएगी | ऐसा ही हुआ था |  
 
   इस प्रकार से  32 दिन पहले पीएमओ की मेल पर मेरे द्वारा भेजा गया यह पूर्वानुमान पूरी तरह सही निकला है | यह है 18  दिसंबर 2021 को पीएमओ को भेजी गई उस मेल का चित्र - 

 
 
 जुलाई -अगस्त 2022 में संक्रमितों की संख्या एक बार फिर बढ़ने लगी थी !यह है उस ग्राफ का  चित्र-        
 
 
     इस समय संक्रमितों की संख्या बढ़ने के  बिषय में व्यवहारविज्ञान के आधार पर मैंने पूर्वानुमान लगाकर 29 अप्रैल 2022 को ही पीएमओ  की मेल पर भेज दिया  था | उसमें मैंने लिखा था -"कोरोना महामारी की पाँचवीं लहर 3 जुलाई 2022 से प्रारंभ होने जा रही है जो 15 अगस्त 2022 तक संपूर्ण वायु मंडल में व्याप्त रहेगी | उसके संपर्क  वाले लोग संक्रमित होते जाएँगे | इसके बाद महामारी की पाँचवीं लहर नियंत्रित होनी प्रारंभ होगी ,जो प्रत्यक्ष रूप से 21 अगस्त 2022 से समाप्त होते देखी जाएगी |"यह पूर्वानुमान पूरी तरह सही निकला है !यह है 29 अप्रैल 2022 को पीएमओ को भेजी गई उस मेल का चित्र -
 
 
सन 2023 के  फरवरी-मार्च-अप्रैल में संक्रमितों की संख्या एक बार फिर बढ़ने लगी थी !यह है उस ग्राफ का  चित्र-   
 
   इससमय संक्रमितों की संख्या बढ़ने के  बिषय में व्यवहारविज्ञान के आधार पर पूर्वानुमान लगाकर मैंने  29 दिसंबर 2022 को ही पीएमओ  की मेल पर भेज दिया  था | उसमें मैंने लिखा था - 
     "कोरोना महामारी की अगली लहर  10  जनवरी 2023  से प्रारंभ होगी !14 जनवरी 2023 से बढ़नी प्रारंभ होगी  और 22 जनवरी 2023 से महामारी जनित संक्रमण काफी तेजी से बढ़ना प्रारंभ हो जाएगा | 14 फरवरी 2023 से 20 फरवरी 2023 तक संक्रमितों की संख्या कुछ कम होनी शुरू होगी !" "21 फरवरी 2023 से संक्रमितों की संख्या फिर बढ़नी शुरू होगी जो 16 मार्च 2023 तक बढ़ेगी उसके बाद  समाप्त होनी शुरू होगी जिसमें करीब 30 दिन का समय लगेगा !" ये पूरी तरह सही निकला है |यह है 29 दिसंबर 2022 को पीएमओ को भेजी गई उस मेल का चित्र -




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                                                             कुछ  खंडित  लहरें 
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      कोरोनामहामारी जनित संक्रमण जब जब अधिक बढ़ा तब तो उसे लहार मान लिया गया किंतु जब कम बढ़ा उसे लहर नहीं माना गया किंतु जब कम बढ़ा उसके बिषय में भी मैंने पहले से पूर्वानुमान लगाकर  पीएमओ की मेल पर  भेजता रहा हूँ और वे सही निकलते रहे हैं | यहाँ ऐसे ही कुछ पूर्वानुमान प्रस्तुत हैं |       
     
मार्च - अप्रैल 2020  में संक्रमितों की संख्या बढ़ रही थी |
 
      इस बिषय में मैंने 19 मार्च 2020 को पीएमओ की मेल पर पूर्वानुमान भेज कर ये बताया था कि 6 मई 2020 से कोरोनासंक्रमण घटने लगेगा | ऐसा ही हुआ था | ये है उस मेल का चित्र -
 
  ये हैं उससमय के न्यूज़पेपर ! 
 
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मार्च - अप्रैल 2022 में संक्रमितों की संख्या बढ़ रही थी | इसका पूर्वानुमान लगाकर 20  फरवरी 2022   को ही मैंने पीएमओ की मेल पर भेज दिया  था | 
ये है  20  फरवरी 2022 को पीएमओ को भेजे गए उस मेल का चित्र ! 
 
     "उसमें मैंने लिखा था -"कोरोना महामारी की चौथी लहर 27 फरवरी 2022 से प्रारंभ होगी और 8 अप्रैल 2022 तक क्रमशः बढ़ती चली जाएगी |इसके बाद 9 अप्रैल 2022 से भगवती दुर्गा जी की कृपा से महामारी की चौथी लहर समाप्त होनी प्रारंभ हो जाएगी और धीरे धीरे समाप्त होती चली जाएगी |"  ऐसा ही हुआ था |  ये है उस मेल का चित्र-
 
ये हैं उससमय के प्रमाणरूप न्यूजपेपर !
     
    बीबीसी :25-3-2022 :कोविड-19 : भारत को कोरोना वायरस की चौथी लहर के लिए कितना तैयार रहना चाहिए?

जागरण  3 अप्रैल 2023 : Coronavirus Update: भारत में एक हफ्ते में कोरोना मामलों में दोगुना इजाफा, जनवरी 2022 के बाद सबसे तेज !see more.. https://www.jagran.com/news/national-coronavirus-update-today-corona-cases-double-in-india-in-a-week-fastest-since-january2022-23374689.html 

 नईदुनियाँ :23 April 2022: देश में फिर बढ़ा कोरोना संक्रमण, 24 घंटों में 2527 नए केस, 33 मौतें !see more...Corona Update 23 April 2022: देश में फिर बढ़ा कोरोना संक्रमण, 24 घंटों में 2527 नए केस, 33 मौतें - Corona Update 23 April 2022: Corona infection increased again in Country, 2527 new cases in 24 hours, 33 deaths  

आजतक : 29-4-2022: Corona in Delhi: दिल्ली में कोरोना की सुपरस्पीड... ढाई हफ्ते में 9 गुना बढ़े एक्टिव मरीज, क्या फिर लगेगा लॉकडाउन?see ...  https://www.aajtak.in/coronavirus/story/coronavirus-in-delhi-covid-cases-in-delhi-active-cases-lockdown-satyendar-jain-ntc-1454789-2022-04-29

 
बीबीसी इंडिया बोल, 30 अप्रैल 2022, Covid-19 के बढ़ते Case, एक और Wave की दस्तक? see .. https:/www.youtube.com/live/Aw3h44q-xEA

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सन 2023  के नवंबर दिसंबर  में संक्रमितों की संख्या फिर बढ़ रही  थी|इसका पूर्वानुमान 6 जुलाई 2023को ही मैंने पीएमओ की मेल पर भेज दिया था | यह है उस  मेल का चित्र ! 

 
 ये हैं उससमय के प्रमाण रूपन्यूज़पेपर !
 
   11-1-2024-जिसका डर था वही हुआ, दिसंबर में कोरोना से दुनियाभर में हुईं 10 हजार से अधिक मौतें, ये रही मुख्य वजह!SEE...https://www.amarujala.com/photo-gallery/lifestyle/fitness/world-health-organization-says-nearly-10-000-deaths-were-reported-in-december-due-to-gatherin

11 Jan 2024 -कोरोना के नए वेरिएंट और भीड़-भाड़ ने बढ़ाया संक्रमण, पिछले महीने 10 हजार मौतें, डब्‍ल्‍यूएचओ ने डरायाSEE...https://navbharattimes.indiatimes.com/world/rest-of-europe/coronavirus-news-today-who-says-alarming-rise-nearly-10000-died-from-covid-19-new-variant-jn1-last-month/articleshow/106728936.cms 
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सन 2023  के नवंबर दिसंबर  में संक्रमितों की संख्या फिर बढ़ रही  थी|इसका पूर्वानुमान 6 जुलाई 2023को ही मैंने पीएमओ की मेल पर भेज दिया था | यह है उस  मेल का चित्र ! 

 
 ये हैं उससमय के प्रमाण रूपन्यूज़पेपर !

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 ये हैं उससमय के प्रमाण रूपन्यूज़पेपर !
  18 सितंबर 2024 कोरोना का नया वैरिएंट दुनिया में तेजी से फैल रहा है। इस नए वैरिएंट का नाम- XEC है। जून महीने में दस्तक के साथ महज तीन महीने में यह 27 देशों तक फैल चुका है। https://www.livehindustan.com/international/corona-new-variant-xec-spreading-27-countries-in-three-months-how-effective-vaccine-201726648780181.html
 
  19 सितंबर 2024तेजी से फैल रहा कोरोना का नया XEC वेरिएंट, 27 देशों में मिले मरीज,क्या फिर दिखेगा 2020 जैसा खौफनाक नजारा?see more... https://www.dnaindia.com/hindi/health/report-new-corona-variant-covid-19-xec-variant-termed-more-contagious-spreads-to-27-countries-know-its-symptoms-4132282 
 
20-9-2024   कितना खतरनाक है Europe में तबाही मचा रहा Corona का Variant, India में भी खतरा?see...https://ndtv.in/videos/how-dangerous-is-the-corona-variant-causing-havoc-in-europe-a-threat-in-india-too-839723 
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सन 2025 के मई जून  में संक्रमितों की संख्या बढ़ रही  थी| 
   इसका पूर्वानुमान 4 मार्च 2025 को  ही मैंने पीएमओ की मेल पर भेज दिया था | यह है उस  मेल का चित्र ! 
 
 
 ये हैं उससमय के प्रमाण रूपन्यूज़पेपर !
 
 15 May  2025 -हांगकांग और सिंगापुर में फिर बढ़े कोविड के मामले, एशिया में नई लहर की आशंका
हाल ही में कोविड पॉजिटिव टेस्ट की संख्या पिछले एक साल में सबसे अधिक देखी गई है।see ...https://hindi.business-standard.com/international/covid-19-cases-surge-in-hong-kong-and-singapore-as-new-wave-hits-asia-id-439497
एशिया में फिर से बढ़ा कोविड-19 का खतरा, हांगकांग और सिंगापुर में फैला कोरोना

https://newstrack.com/world/corona-cases-spike-in-hong-kong-and-singapore-as-new-wave-spreads-across-asia-512422

एशिया में फिर से बढ़ा कोविड-19 का खतरा, हांगकांग और सिंगापुर में फैला कोरोना

https://newstrack.com/world/corona-cases-spike-in-hong-kong-and-singapore-as-new-wave-spreads-across-asia-512422
एशिया में फिर से बढ़ा कोविड-19 का खतरा, हांगकांग और सिंगापुर में फैला कोरोना

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15 May  2025 -  एशिया में फिर से बढ़ा कोविड-19 का खतरा, हांगकांग और सिंगापुर में फैला कोरोना एशिया के दो घनी आबादी वाले प्रमुख शहरों हांगकांग और सिंगापुर में कोविड-see more....https://newstrack.com/world/corona-cases-spike-in-hong-kong-and-singapore-as-new-wave-spreads-across-asia-512422 
 
एशिया में फिर से बढ़ा कोविड-19 का खतरा, हांगकांग और सिंगापुर में फैला कोरोना एशिया के दो घनी आबादी वाले प्रमुख शहरों हांगकांग और सिंगापुर में कोविड-

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एशिया में फिर से बढ़ा कोविड-19 का खतरा, हांगकांग और सिंगापुर में फैला कोरोना एशिया के दो घनी आबादी वाले प्रमुख शहरों हांगकांग और सिंगापुर में कोविड-

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16 मई 2025 की भविष्यवाणी : 25 सितंबर 2025 से फिर बढ़ेगी कोरोना संक्रमितों की संख्या ! इस बिषय में 16 मई 2025 को पीएमओ को भेजी गई मेल का चित्र -

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 कोरोना महामारी का स्वभाव प्रभाव एवं बचाव के उपाय आदि मैंने पीएमओ की मेल पर 19 मार्च 2020 को ही भेज दिए थे -देखें उस मेल का चित्र - 
 
19 मार्च 2020 को पीएमओ को भेजी गई मेल के प्रसंग के अनुसार अंश -
 
    19 मार्च 2020 की मेल का महामारी पर समय का प्रभाव पड़ने से संबंधित अंश -"
   "  किसी भी महामारी की शुरुआत समय के बिगड़ने से होती है और समय के सुधरने पर ही महामारी की समाप्ति होती है | समय से पहले इस पर नियंत्रण करने के लिए अपनाए जाने वाले प्रयास उतने अधिक प्रभावी नहीं होते हैं |"  
  
 19 मार्च 2020 की मेल का महामारी पैदा होने की प्रक्रिया से संबंधित अंश -"
  "  कोई भी महामारी तीन चरणों में फैलती है और तीन चरणों में ही समाप्त होती है | महामारी फैलते समय सबसे बड़ी भूमिका समय की होती है | सबसे पहले समय की गति बिगड़ती  है |  ऋतुएँ समय के आधीन हैं इसलिए अच्छे या बुरे समय का प्रभाव सबसे पहले ऋतुओं पर पड़ता है ऋतुओं का प्रभाव पर्यावरण पर पड़ता है उसका प्रभाव वृक्षों बनस्पतियों फूलों फलों फसलों आदि समस्त खाने पीने की वस्तुओं पर पड़ता है वायु और जल पर भी पड़ता है इससे वहाँ के कुओं नदियों तालाबों  आदि का जल प्रदूषित हो जाता है | इन परिस्थितियों का प्रभाव जीवन पर पड़ता है | इसलिए शरीर ऐसे रोगों से पीड़ित होने लगते हैं जिनमें चिकित्सा का प्रभाव बहुत कम पड़ पाता है |"  

  19 मार्च 2020 की मेल का महामारी से  मुक्ति मिलने की प्रक्रिया से संबंधित अंश -"
    " पहले समय की गति सँभलती है उस प्रभाव से ऋतुविकार नष्ट होते हैं उससे पर्यावरण सँभलता है |उसका प्रभाव वृक्षों बनस्पतियों फूलों फलों फसलों आदि समस्त खाने पीने की वस्तुओं पर पड़ता है वायु और जल पर पड़ता है |कुओं नदियों तालाबों  आदि का जल प्रदूषण मुक्त होकर जीवन के लिए हितकारी होने लग जाता है | "  
 
 19 मार्च 2020 की मेल का निदान एवं चिकित्सा न हो पाने से संबंधित अंश - 
 "इसमें चिकित्सकीय प्रयासों का बहुत अधिक प्रभाव नहीं पड़ेगा | क्योंकि महामारियों में होने वाले रोगों का न कोई लक्षण होता है न निदान और न ही कोई औषधि होती है |" अर्थात इस महारोग के लक्षणों को न तो पहचाना जा सकेगा और न ही चिकित्सा के द्वारा इस महारोग से मुक्ति दिलाई जा सकेगी |       
 19 मार्च 2020 की मेल का व्यक्तिगत तौर पर संक्रमण से मुक्ति पाने के उपाय से संबंधितअंश -
      " ऐसी महामारियों को सदाचरण स्वच्छता उचित आहार विहार आदि धर्म कर्म ,ईश्वर आराधन एवं ब्रह्मचर्य आदि के अनुपालन से जीता जा सकता है |" अर्थात ऐसा संयमवरत कर अपने को रोगमुक्त किया जा सकता है |       
     19 मार्च 2020 की मेल में महामारी प्रथम लहर के पूर्वानुमान  संबंधी अंश - 
 "महामारी बढ़ने का यह समय  24 मार्च 2020 तक चलेगा | उसके बाद इस महामारी का समाप्त होना प्रारंभ हो जाएगा जो क्रमशः 6 मई तक चलेगा | |उसके बाद समय में पूरी तरह सुधार हो जाने के कारण संपूर्ण विश्व अतिशीघ्र इस महामारी से मुक्ति पा सकेगा |"                                    
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      वैक्सीन लगाने से रोकने के निवेदन वाली मेल मैंने 23 -12-2020 को ही पीएमओ को भेज दी थी ! देखें उस मेल का चित्र - 
 
 
 
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    महामारी का वेग जब बहुत अधिक बढ़ा हुआ था उस समय महामारी को रोकने के लिए मैंने "श्रीविपरीतप्रत्यंगिरामहायज्ञ" किया था !जिसके प्रभाव से हमारी दी हुई तारीख को ही रुक गई थी कोरोना महामारी !यह सूचना मैंने पीएमओ की मेल पर 19 अप्रैल 2021 को ही भेज दी थी | देखें उस मेल का चित्र -

 
 
 
 
 
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19 मार्च 2020 को पीएमओ को भेजी गई मेल के प्रसंग के अनुसार अंश -
 
    19 मार्च 2020 की मेल का महामारी पर समय का प्रभाव पड़ने से संबंधित अंश -"
   "  किसी भी महामारी की शुरुआत समय के बिगड़ने से होती है और समय के सुधरने पर ही महामारी की समाप्ति होती है | समय से पहले इस पर नियंत्रण करने के लिए अपनाए जाने वाले प्रयास उतने अधिक प्रभावी नहीं होते हैं |"  
  
 19 मार्च 2020 की मेल का महामारी पैदा होने की प्रक्रिया से संबंधित अंश -"
  "  कोई भी महामारी तीन चरणों में फैलती है और तीन चरणों में ही समाप्त होती है | महामारी फैलते समय सबसे बड़ी भूमिका समय की होती है | सबसे पहले समय की गति बिगड़ती  है |  ऋतुएँ समय के आधीन हैं इसलिए अच्छे या बुरे समय का प्रभाव सबसे पहले ऋतुओं पर पड़ता है ऋतुओं का प्रभाव पर्यावरण पर पड़ता है उसका प्रभाव वृक्षों बनस्पतियों फूलों फलों फसलों आदि समस्त खाने पीने की वस्तुओं पर पड़ता है वायु और जल पर भी पड़ता है इससे वहाँ के कुओं नदियों तालाबों  आदि का जल प्रदूषित हो जाता है | इन परिस्थितियों का प्रभाव जीवन पर पड़ता है | इसलिए शरीर ऐसे रोगों से पीड़ित होने लगते हैं जिनमें चिकित्सा का प्रभाव बहुत कम पड़ पाता है |"  

  19 मार्च 2020 की मेल का महामारी से  मुक्ति मिलने की प्रक्रिया से संबंधित अंश -"
    " पहले समय की गति सँभलती है उस प्रभाव से ऋतुविकार नष्ट होते हैं उससे पर्यावरण सँभलता है |उसका प्रभाव वृक्षों बनस्पतियों फूलों फलों फसलों आदि समस्त खाने पीने की वस्तुओं पर पड़ता है वायु और जल पर पड़ता है |कुओं नदियों तालाबों  आदि का जल प्रदूषण मुक्त होकर जीवन के लिए हितकारी होने लग जाता है | "  
 
 19 मार्च 2020 की मेल का निदान एवं चिकित्सा न हो पाने से संबंधित अंश - 
 "इसमें चिकित्सकीय प्रयासों का बहुत अधिक प्रभाव नहीं पड़ेगा | क्योंकि महामारियों में होने वाले रोगों का न कोई लक्षण होता है न निदान और न ही कोई औषधि होती है |" अर्थात इस महारोग के लक्षणों को न तो पहचाना जा सकेगा और न ही चिकित्सा के द्वारा इस महारोग से मुक्ति दिलाई जा सकेगी |       
 19 मार्च 2020 की मेल का व्यक्तिगत तौर पर संक्रमण से मुक्ति पाने के उपाय से संबंधितअंश -
      " ऐसी महामारियों को सदाचरण स्वच्छता उचित आहार विहार आदि धर्म कर्म ,ईश्वर आराधन एवं ब्रह्मचर्य आदि के अनुपालन से जीता जा सकता है |" अर्थात ऐसा संयमवरत कर अपने को रोगमुक्त किया जा सकता है |       
     19 मार्च 2020 की मेल में महामारी प्रथम लहर के पूर्वानुमान  संबंधी अंश - 
 "महामारी बढ़ने का यह समय  24 मार्च 2020 तक चलेगा | उसके बाद इस महामारी का समाप्त होना प्रारंभ हो जाएगा जो क्रमशः 6 मई तक चलेगा | |उसके बाद समय में पूरी तरह सुधार हो जाने के कारण संपूर्ण विश्व अतिशीघ्र इस महामारी से मुक्ति पा सकेगा |"                                    
   

 
विशेष बात : 

     19 मई 2020 को पीएमओ की मेल में मैंने पहले ही लिख दिया था कि  6 मई के बाद संक्रमण दिनों दिन कम होता चला जाएगा | ये हमें वेदविज्ञान  संबंधी अनुसंधानों के आधार पर पहले से ही पता था कि 6 मई के बाद समय बदलेगा |उस बदलाव के कारण लोग संक्रमण से मुक्त होते चले जाएँगे  | जून जुलाई आदि महीनों में  संक्रमण दिनोंदिन घटते जाने का कारण यदि समय नहीं था  तो दूसरा और क्या हो सकता है | उस समय तो कोई औषधि या चिकित्सा प्रक्रिया भी नहीं थी | 

दो संयुक्त लहरों के बिषय में विशेष बात : 

    वैदिकविज्ञान की दृष्टि से  देखा जाए  तो महामारी की पहली लहर 6 मई 2020 को समाप्त हो गई थी |उसके बाद दूसरी लहर  8 अगस्त 2020 से प्रारंभ होकर 18 सितंबर 2020 तक  शिखर पर पहुँची थी | उसके बाद संक्रमण कम होना प्रारंभ हो गया था जो 13 नवंबर 2020 में समाप्त हुआ था | इसमें विशेष बात यह है कि 6 मई 2020 से 8 अगस्त 2020  के बीच के समय में संक्रमण बहुत कमजोर पड़ जाने पर भी पहले संक्रमित होते रहे लोगों की जाँच रिपोर्टें इस समय में आती रही थीं | इसलिए महामारी जब कमजोर होती जा रही थी ,तब भी लोग संक्रमित पाए  जा  रहे  थे | इसलिए इन दोनों लहरों को मिलाकर एक करके देखा जाता रहा है |   

  19 मार्च 2020   को पीएमओ को भेजी गई  मेल का चित्र |
 
 
 
 16 जून 2020  को पीएमओ में भेजी गई मेल का अंश ! (9 अगस्त से 16 नवंबर 2020 तक रहेगी )  

   "इसके बाद यह महामारी 9 अगस्त से दोबारा प्रारंभ होनी शुरू हो जाएगी जो 24 सितंबर तक रहेगी !उसके बाद यह संक्रमण स्थायी रूप से समाप्त होने लगेगा और  16 नवंबर के बाद यह स्थायी रूप से समाप्त हो जाएगा !"

इस बिषय में वैदिकविज्ञान की प्रामाणिकता : 

   16 जून 2020 को जब संक्रमण दिनोंदिन घटता जा रहा था | इसके  बढ़ने के आसार दूर दूर तक नहीं दिखाई दे रहे थे | उसी 16 जून को वैदिकअनुसंधानों के आधार पर पूर्वानुमान लगाकर मैंने यह सूचना पीएमओ की मेल पर भेजी थी कि महामारी की अगली लहर 9 अगस्त से दोबारा प्रारंभ होनी शुरू हो जाएगी जो 24 सितंबर तक रहेगी !उसके बाद समाप्त होना शुरू होगा जो क्रमशः  16 नवंबर 2020 तक जाएगा | समय संचार में हुए परिवर्तनों के आधार पर मैंने यह पूर्वानुमान लगाया था |  

 4 अगस्त 2020 को संयुक्त राष्ट्र संघ को भेजी गई मेल का अंश !(9 अगस्त से 16 नवंबर 2020 तक रहेगी )  

"8 अगस्त के बाद कोरोना संक्रमण एक बार फिर बढ़ने लगेगा और यह कहीं भी समाज के  बड़े हिस्से को संक्रमित कर सकता है। अगले 50 दिनों में यह संक्रमण इतना बढ़ सकता है कि यह एक बार फिर अपने पुराने स्वरूप में पहुँच सकता है। रिकवरी दर बहुत कम होने लग सकती है। अनुमान है कि 24 सितंबर तक संक्रमण तेज़ी से बढ़ सकता है। इसलिए, सावधानी बरतना बेहद ज़रूरी है। इसलिए, हमें यह आकलन करने के लिए लगभग 50 दिन और इंतज़ार करना चाहिए कि यह महामारी स्थायी रूप से समाप्त होने लगी है या नहीं।"  

 23 दिस॰ 2020 को पीएमओ में भेजी गई मेल के वैक्सीन निषेध संबंधी कुछ अंश ! 
 
    प्रधानमंत्री जी ! "आपसे मेरा विनम्र निवेदन है कि अच्छी प्रकार परीक्षण करवाकर ही कोरोना वैक्सीन लोगों को लगाने की अनुमति दी जानी चाहिए |वेद वैज्ञानिक दृष्टि में मैं संपूर्ण विश्वास के साथ कह सकता हूँ कि ब्रिटेन में फैल रहा कोरोना वायरस का नया स्वरूप लोगों को लगाए जा रहे कोरोना वायरस के दुष्प्रभाव हो सकते हैं |"
     "महामारी से संक्रमितों की संख्या बिना किसी दवा या वैक्सीन के स्वयं ही दिनोंदिन तेजी से कम होती जा रही है |केवल श्रेय लेने की होड़ में सम्मिलित लोगों के द्वारा वैक्सीन के रूप में एक नई समस्या को जन्म दिया जा सकता है |"  
"यदि कोरोना महामारी भारत वर्ष में लगभग समाप्त हो ही चुकी है तो किसी वैक्सीन के रूप में एक नए प्रकार की समस्या मोल लेने की आवश्यकता ही आखिर क्या है ?" 
     "किसी भी रोग से मुक्ति दिलाने अथवा उसकी दवा या वैक्सीन बनाने के लिए सबसे पहले  चिकित्सा के सिद्धांत के अनुशार उस रोग का स्वभाव लक्षण संक्रामकता वेग विस्तार आदि समझना आवश्यक होता है अन्यथा उस रोग की चिकित्सा किस आधार पर की जा सकती है और उसकी दवा या वैक्सीन कैसे बनाई जा सकती है? "
     "मान्यवर !वेदवैज्ञानिक होने के नाते आपसे मैं केवल इतना ही निवेदन करना चाहता हूँ कि बिना वैक्सीन लाए ही भारतवर्ष  में कोरोना लगभग समाप्त हो ही चुका है जो रहा बचा है वह भी अतिशीघ्र समाप्त हो जाएगा (इसका पूर्वानुमान मैं 16 जून को ही आपको भेज चुका हूँ |)"  
       " ऐसी परिस्थिति में यदि वैक्सीन नहीं लगाई जाती है तब तो कोरोना अतिशीघ्र समाप्त हो ही जाएगा क्योंकि वातावरण में अब कोरोना वायरस के उत्पन्न होने की प्रक्रिया समाप्त हो चुकी है और भारत समेत समस्त विश्व को कोरोना के इस नए स्वरूप से अब डरने की आवश्यकता बिल्कुल ही नहीं है | यदि वैक्सीन लगाई जाती है तो ब्रिटेन की तरह ही उसके द्वारा फैलने वाले संक्रमण विस्तार का अनुमान मुझे नहीं है |मेरे अनुसंधान के अनुसार कोरोना जैसी महामारी से मुक्ति दिलाने वाली वैक्सीन निर्माण वाले दावे बहुत विश्वसनीय नहीं हैं | " 
  
23 दिस॰ 2020 की मेल पर विनम्र निवेदन !
      वैक्सीन को न लगाने के लिए कहने का मेरा उद्देश्य वैक्सीन के गुण दोष देखना नहीं था !ऐसा मैं कर भी नहीं  सकता था !क्योंकि मेरा वो बिषय भी नहीं है | मुझे इतना पता था कि इस समय यदि ऐसा कोई वैक्सीन लगाने जैसा प्रयत्न किया जाएगा तो उसके दुष्प्रभाव अधिक होंगे | यह काफी कठिन समय था | वैक्सीन लगेगी तो संक्रमण बढ़ेगा ही और जैसे जैसे वैक्सीन लगती जाएगी वैसे वैसे संक्रमण बढ़ता  जाएगा | वैक्सीन कब कितनी लगेगी या नहीं भी लगेगी इसका मुझे अनुमान नहीं था |इसलिए इसके बाद वाली लहर कब  आएगी कितनी भीषण होगी !इसके बिषय में मैंने पहले से कोई पूर्वानुमान पीएमओ को नहीं भेजा था ,क्योंकि यह लहर वैक्सीन लगाने या न लगाने पर निर्भर थी | इसलिए जैसे जैसे वैक्सीन लगती गई वैसे वैसे संक्रमण बढ़ते चला गया |समय और वैक्सीन के प्रभाव से  वो बढ़ना ही था | संक्रमण जब अधिक बढ़ गया तो सरकारों में सम्मिलित मेरे कुछ मित्रों ने व्यक्तिगत  तौर पर किसी ऐसे यज्ञ को करने के लिए मुझसे कहा कहा जिससे महामारी को रोका जा सके | ये 19 अप्रैल 2021 की बात है | इसे से प्रेरित होकर मैंने 19 अप्रैल 2021को ही रात्रि 11. 57 पर पीएमओ को मेल भेजी थी | 
 
 
 19 अप्रैल 2021को पीएमओ को भेजी गई मेल के "यज्ञ के द्वारा महामारी नियंत्रण करने संबंधी कुछ अंश ! "  

   "महोदय ! ऐसी परिस्थिति में जनता की ब्यथा से ब्यथित होकर व्यक्तिगत रूप से मैं एक बड़ा निर्णय लेने जा रहा हूँ |अपने अत्यंत सीमित संसाधनों से कल अर्थात 20 अप्रैल 2021 से "श्रीविपरीतप्रत्यंगिरामहायज्ञ" अपने  ही निवास पर गुप्त रूप से प्रारंभ करने जा रहा हूँ | यह कम से कम 11 दिन चलेगा ! इसयज्ञ रूपी 'ईश्वरीयन्यायालय' में विश्व की समस्त भयभीत मानव जाति की ओर से व्यक्तिगत रूप से पेश होकर क्षमा  माँगने का मैंने  निश्चय किया है |मुझे विश्वास है कि ईश्वर क्षमा करके विश्व को महामारी से मुक्ति प्रदान कर  देगा | यज्ञ प्रभाव के विषय में मेरा अनुमान है कि ईश्वरीय कृपा से 20 अप्रैल 2021 से ही महामारी पर अंकुश लगना प्रारंभ हो जाएगा ! 23 अप्रैल के बाद महामारी जनित संक्रमण कम होता दिखाई भी पड़ेगा !और 2 मई के बाद से पूरी तरह से संक्रमण समाप्त होना प्रारंभ हो जाएगा | "  

 18 दिस॰ 2021 को पीएमओ को भेजी गई मेल  का तीसरी लहर के बिषय में पूर्वानुमान बिषयक अंश ! "  

  "वर्तमान समय में जिस वायरस की चर्चा की जा रही है वह महामारी से संबंधित नहीं है वह ऋतु जनित सामान्य विकार है इससे महामारी की तरह डरने या डराने की आवश्यकता नहीं है |वर्तमान समय में जो संक्रमितों की संख्या बढ़ती दिख रही है वह महामारी संक्रमितों की न होकर अपितु सामान्य रोगियों की है | यह सामान्य संक्रमण भी 20 जनवरी 2022 से पूरी तरह समाप्त होकर समाज संपूर्ण रूप से महामारी की छाया से मुक्त हो सकेगा |"  

20 फ़र॰ 2022 को  आगामी लहर के बिषय में  पीएमओ को भेजी गई मेल  का पूर्वानुमान बिषयक अंश !    "कोरोना महामारी की चौथी लहर 27 फरवरी 2022 से प्रारंभ होगी और 8 अप्रैल 2022 तक क्रमशः बढ़ती चली जाएगी |इसके बाद 9 अप्रैल 2022 से भगवती दुर्गा जी की कृपा से महामारी की चौथी लहर समाप्त होनी प्रारंभ हो जाएगी और धीरे धीरे समाप्त होती चली जाएगी | "  

      समाचारआज तक  : 26-4-2022 :  दुनिया भर में कोरोना का कहर खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा है. कोरोना की तीसरी लहर समाप्त होने के बाद ऐसा लग रहा था मानों अब कोरोना हमेशा के लिए चला चला गया है लेकिन फिर से कोरोना के बढ़ते मामलों ने लोगों को परेशान करना शुरू कर दिया है. दुनिया समेत भारत में भी कोरोना के मामले तेजी से बढ़ने लगे हैं see more.. https://www.aajtak.in/health/story/corona-virus-omicron-fourth-wave-india-preparation-lockdown-restriction-doctor-explain-tlif-1452972-2022-04-26...


 29 अप्रैल 2022 को पीएमओ में भेजी गई मेल का अंश ! 
    
 "कोरोना महामारी की पाँचवीं लहर 3 जुलाई 2022 से प्रारंभ होने जा रही है जो 15 अगस्त 2022 तक संपूर्ण वायु मंडल में व्याप्त रहेगी | उसके संपर्क  वाले लोग संक्रमित होते जाएँगे | इसके बाद महामारी की पाँचवीं लहर नियंत्रित होनी प्रारंभ होगी ,जो प्रत्यक्ष रूप से 21 अगस्त 2022 से समाप्त होते देखी जाएगी |" 
विशेष जानकारी   मैप में है  
 
 21 अक्टू॰ 2022को पीएमओ में भेजी गई मेल का अंश ! 

    "24 अक्टूबर 2022 से महामारी जनित संक्रमण फिर से बढ़ना प्रारंभ होगा जो 18 नवंबर 2022 तक रहेगा | इस समय में संक्रमितों की संख्या क्रमशःबढ़ती जाएगी !इसमें भी 14 से 18 नवंबर 2022 के बीच के समय में संक्रमितों की संख्या इस बार की परिस्थिति के अनुसार सबसे अधिक रहेगी |" 

 

 29 दिस॰ 2022को पीएमओ में भेजी गई मेल का अंश !
  "  कोरोना महामारी की अगली लहर  10  जनवरी 2023  से प्रारंभ होगी !14 जनवरी 2023 से बढ़नी प्रारंभ होगी  और 22 जनवरी 2023 से महामारी जनित संक्रमण काफी तेजी से बढ़ना प्रारंभ हो जाएगा | 14 फरवरी 2023 से 20 फरवरी 2023 तक संक्रमितों की संख्या कुछ कम होनी शुरू होगी !  21 फरवरी 2023 से संक्रमितों की संख्या फिर बढ़नी शुरू होगी जो 16 मार्च 2023 तक बढ़ेगी उसके बाद  समाप्त होनी शुरू होगी जिसमें करीब 30 दिन का समय लगेगा ! विशेष बात यह है कि संक्रमण बहुत अधिक नहीं बढ़ेगा फिर भी तीसरी लहर से कम भी नहीं रहेगा ! बहुत अधिक बढ़ने या हिंसक होने से रोकने के लिए आवश्यक सावधानी बरतना श्रेयस्कर रहेगा | "
 विशेष :जानकारी मैप में है | 
 
 
 6 जुल॰ 2023 को पीएमओ में भेजी गई मेल का अंश !
    "2-10-2023 से वातावरण में महामारी संबंधी विषाणुओं का बढ़ना एक बार फिर शुरू होगा | इसी समय से लोग संक्रमित होने शुरू हो जाएँगे |इसके बाद  20-10-2023 से संक्रमितों की संख्या तेजी से बढ़नी शुरू हो जाएगी | संक्रमितों की संख्या बढ़ने का यह क्रम 2-11 -2023 तक यूँ ही चलता रहेगा |इसके बाद धीरे धीरे संक्रमण रुकना शुरू होगा,किंतु संपूर्ण प्राकृतिक वातावरण में विद्यमान होने के कारण इससे मुक्ति मिलने की प्रक्रिया में लगभग 33 दिन और लग जाएँगे |लगभग  5-12-2023 तक के आस पास महामारी की इस लहर से मुक्ति मिलनी संभव हो पाएगी |मेरा ऐसा अनुमान है | " 
 
   23 मई 2024  को पीएमओ में भेजी गई मेल का अंश !
     " 29 जून 2024 से प्राकृतिक वातावरण दिनोंदिन प्रदूषित होते देखा जा सकता है |इसी बीच कुछ देशों में महामारी जनित संक्रमण के बढने की प्रक्रिया प्रारंभ हो  सकती है |यद्यपि इसकी गति धीमी होगी फिर भी 14 नवंबर 2024 के पहले पहले महामारी का एक  झटका लग सकता है | इसे प्राकृतिक शक्तियों के द्वारा किया जाने वाला महामारी का ट्रायल कहा जा सकता है | 5 अप्रैल  2025 से महामारीजनित संक्रमण अत्यंत तेजी से बढ़ता हुआ दिखाई देगा | संभव है कि ये कोरोना महामारी की दूसरी लहर की तरह ही विशेष डरावना स्वरूप  धारण करे | जिसमें विश्व का बड़ा भाग संक्रमित हो जाए | वैश्विक दृष्टि से देखा जाए तो भिन्न भिन्न देशों में महामारी का यह तांडव 2025 के अप्रैल मई दोनों महीनों में देखने को मिल सकता है | यद्यपि इसके बिल्कुल स्पष्ट लक्षण सितंबर 2024  तक प्रकट हो जाएँगे | जिन्हें परोक्ष विज्ञान के द्वारा देखा जा सकेगा  |आवश्यकता पड़ी तो उस समय इस पूर्वानुमान की तारीखों में 10 प्रतिशत तक परिवर्तन करना पड़  सकता है |"
 
 19 अग॰ 2024 को पीएमओ में भेजी गई मेल का अंश !
    20 अगस्त 2024 से महामारी जैसे महारोगों के बढ़ने का समय शुरू हो रहा है | इससमय से प्राकृतिक वातावरण तेजी से बिषैला होना प्रारंभ हो जाएगा | इससे वायु मंडल के साथ साथ खाने पीने की  वस्तुएँ संक्रमित होने लगेंगी |बिषैले वातावरण में साँस लेने से एवं संक्रमित वस्तुओं के खानपान से लोग स्वतः संक्रमित होते चले जाएँगे | समय प्रभाव से औषधियों के भी संक्रमित हो जाने के कारण संक्रमितों को औषधियों के सेवन या चिकित्सा आदि से भी कोई लाभ नहीं होगा | 22 सितंबर 2024 से संक्रमितों की संख्या तेजी से बढ़ने लगेगी | 11 से 18 अक्टूबर के बीच में यह लहर सबसे ऊँचे स्तर पर पहुँच जाएगी | 20 अक्टूबर 2024 से संक्रमितों की संख्या धीरे धीरे कम होनी प्रारंभ हो जाएगी | इसी क्रम में ये लहर यहीं से समाप्त होनी  शुरू  हो  जाएगी | 
 
 4  मार्च  2024 को पीएमओ में भेजी गई मेल का अंश !
     "   1 मई 2025 से महामारीजनित संक्रमण अत्यंत तेजी से बढ़ता हुआ दिखाई देगा | संभव है कि ये कोरोना महामारी की तरह ही डरावना स्वरूप  धारण करे | जिसमें विश्व के बहुत लोग संक्रमित होते देखे जाएँ|यद्यपि 19 मई 2025 तक महामारी का यह स्वरूप समाज को संक्रमित करता रहेगा | उसके बाद स्वास्थ्य लाभ होना प्रारंभ  हो जाएगा | "
 
 16 मई 2025 को पीएमओ में भेजी गई मेल का अंश !
    "25 सितंबर 2025  से कोरोनामहामारी की आगामी लहर प्रारंभ होगी | यह क्रमशः बढ़ती चली जाएगी | इससे लोग तेजी से संक्रमित होते चले जाएँगे | ये कई महीनों तक चलेगी | महामारी की यह लहर 31जनवरी 2026 तक संपूर्ण वायुमंडल को बिषैला करती रहेगी  | उसके बाद विराम लगने लगेगा | 12 फरवरी 2026 के बाद समाज को भी यह भरोसा होने लगेगा | अब महामारी से मुक्ति मिल जाएगी | "       

 

 

 
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         6 मई 2020 से  8 अगस्त 2020 के बीच जो ट्रायल सफल हुए वही दूसरी लहर में असफल क्यों ?
                    
       बिचारणीय बिषय यह है कि  6 मई 2020 से  8 अगस्त 2020 के बीच जिन औषधियों टीकों आदि को कोरोना संक्रमण से मुक्ति दिलाने में सक्षम माना गया था | अप्रैल मई 2021 पहुँचते पहुँचते उन्हीं औषधियों टीकों आदि के बिषय में यह कहा जाने लगा कि उनमें संक्रमण से मुक्ति दिलाने की क्षमता नहीं है | 
      जिन औषधियों टीकों आदि के प्रभाव को महामारी से मुक्ति दिलाने पहले सक्षम माना गया| उन्हीं औषधियों टीकों आदि के बिषय में अप्रैल 2021 के बाद में कहा जाने लगा कि उनमें महामारी से मुक्ति दिलाने की  उस प्रकार की क्षमता नहीं है | 
   विज्ञान एकप्रकार का, वैज्ञानिक  एक प्रकार के और अनुसंधान एक प्रकार के उनसे प्राप्त जानकारी में इतना अंतर कैसे आया | इस बिषय में  रिसर्च करने के लिए क्या ऐसा कोई सक्षम विज्ञान ही नहीं था | कहीं ऐसा तो नहीं था कि  किसी सक्षम विज्ञान के अभाव में जब जिसप्रकार की घटना घटित होने लगती थी, तब उसप्रकार की घटना घटित होने की संभावना व्यक्त कर दी जाती थी | 
     इससे अलग यदि कोई वास्तविक विज्ञान भी था वैज्ञानिक भी थे और अनुसंधान भी होते थे,तब तो ये यह पता लगा ही लिया जाना चाहिए था कि 6 मई 2020 से  8 अगस्त 2020 के बीच दिनोंदिन संक्रमण कमजोर होते जाने का कारण क्या था ? उससमय तो संक्रमण से मुक्ति दिलाने के लिए यदि कोई औषधि  इंजेक्शन थैरेपी आदि भी उपलब्ध  नहीं थी |  
      इसका कारण यदि ये माना जाए कि एलोपैथ रेमडेसिविर जैसे इंजेक्शनों और प्लाज्मा थैरेपी जैसी चिकित्सा प्रक्रियाओं तथा होम्योपैथ की  आर्सेनिक एल्बम-30 एवं पतंजलि की कोरोनिल जैसी औषधियों के प्रभाव से  6 मई 2020 से  8 अगस्त 2020 के बीच दिनोंदिन संक्रमण कमजोर पड़ता जा रहा था तो कोरोना की दूसरी लहर  अर्थात  अप्रैल मई 2021 में इन्हीं औषधियों इंजेक्शनों थेरेपियों के द्वारा लोगों की महामारी से सुरक्षा क्यों नहीं की जा सकी | संक्रमितों को संक्रमण से मुक्ति क्यों नहीं दिलाई जा सकी ?
 
  6 मई 2020 के बाद 8 अगस्त 2020 बीच संक्रमण घटने का कारण समय था ! 
 
    इस समय संक्रमण घटने का कारण समय ही था | समय के आधार पर ही अनुसंधान करके 19 अप्रैल 2020 को ही मैंने पीएमओ में  मेल भेज दी थी कि 6 मई 2020 के बाद समय के प्रभाव से संक्रमण कमजोर होने लगेगा | 
      इसके बाद 16 जून 2020 को पीएमओ में दूसरा मेल भेज दिया था कि समय प्रभाव से  8 अगस्त 2020 से संक्रमितों की संख्या फिर बढ़ने लगेगी |जो 24 सितंबर 2020 तक बढ़ती चली जाएगी |उसके बाद संक्रमण कम होना प्रारंभ होगा | संक्रमण धीरे धीरे 13 नवंबर 2020 तक स्वयं ही घटता जाएगा ! ऐसा ही हुआ |
      महामारी एवं उसकी लहरों के आने  और जाने का कारण समय था | समय परिवर्तन शील होता है | उसमें अच्छे और बुरे दोनों प्रकार के परिवर्तन होते हैं | समय में जब अच्छे परिवर्तन होते हैं तब महामारी का वेग घटने लगता था और समय में जब बुरे परिवर्तन होते थे तब महामारी का वेग बढ़ने लगता था | अच्छा समय मनुष्यों के लिए हितकर होता है | इसलिए अच्छे समय के प्रभाव से मनुष्यों  को स्वस्थ होना ही होता है | इसलिए ऐसे समय मनुष्यों को स्वस्थ करने के लिए जितने भी प्रयत्न किए जाते हैं | उन्हें इसलिए सफल मान लिया जाता है क्योंकि लोग स्वस्थ हो रहे होते हैं | ऐसे समय कुछ लोग स्वस्थ होने का प्रयत्न कर रहे होते हैं | उन्हें ये भ्रम हो जाता है कि लोगों के स्वस्थ होने का कारण उनके द्वारा किए जा रहे प्रयत्न ही हैं | 
    ऐसे समय जिन जिन औषधियों इंजेक्सनों पैथियों या अन्य चिकित्सा पद्धतियों का जहाँ कहीं परीक्षण(ट्रायल)  आदि किया जा रहा होता है | समयप्रभाव से सुधार हो ही रहा होता है | उस सुधार को आधार मानकर उन परीक्षणों को भी सफल मान लिया जाता है | 
      ऐसे सुधार समय के कारण हो रहे थे या कि परीक्षण के लिए प्रयोग की जा रही औषधियों आदिके प्रभाव से संक्रमितों को संक्रमण से मुक्ति मिल रही है | इस रहस्य का उद्घाटन तब होता है ,जब उसके बाद समय बदलता है और बुरा समय प्रारंभ होता है | उसके प्रभाव से कोई दूसरी लहर आती है ,तब उन्हीं औषधियों इंजेक्सनों पैथियों या अन्य चिकित्सा पद्धतियों से मनुष्यों की सुरक्षा किया जाना संभव नहीं हो पाता है | संक्रमण दिनोंदिन बढ़ता चला जाता है | 
     ऐसी परिस्थिति में अंतर स्पष्ट हो जाता है कि यदि औषधियों इंजेक्सनों पैथियों या अन्य चिकित्सापद्धतियों से लाभ हुआ होता तब तो उसके  लहर में भी उनके प्रभाव से लोगों को संक्रमित नहीं होने दिया जाता | जो संक्रमित हुए भी थे | उन्हें उन्हीं चिकित्सापद्धतियों के प्रभाव से स्वस्थ कर लिया जाता ,किंतु ऐसा नहीं हो सका |  इससे ये सिद्ध हुआ कि बुरे समय के प्रभाव से लोग संक्रमित हो  रहे थे और अच्छे समय के प्रभाव से  स्वस्थ हो रहे थे | इसके अतिरिक्त किसी अन्य पद्धति की कोई भूमिका ही नहीं सिद्ध हो रही थी | 
 
                                            संक्रमण घटने और बढ़ने का समय कब कब था !
 
     6 मई 2020 से 8 अगस्त 2020  तक संक्रमण कमजोर होने का समय था | इसके बाद 8 अगस्त 2020 से 24 सितंबर 2020 तक संक्रमण बढ़ने का समय था | 24 सितंबर 2020 से 13 नवंबर 2020 तक फिर संक्रमण कमजोर होते जाने का समय था | 
     6 मई 2020 से 8 अगस्त 2020  तक एवं 24 सितंबर 2020 से 13 नवंबर 2020 तक संक्रमण से मुक्ति पाने का समय था | इसलिए ऐसे समय किसी ने कोई औषधि इंजेक्शन चिकित्सा आदि ली या नहीं ली फिर भी अच्छे समय के प्रभाव से संक्रमित लोग स्वस्थ होते चले गए | 
     इसीप्रकार से  8 अगस्त 2020 से 24 सितंबर 2020 तक एवं मार्च अप्रैल 2020 तक संक्रमण बढ़ने का समय था | संक्रमण बढ़ने के समय कोई औषधि चिकित्सा आदि ली गई या नहीं ली गई | इस समय संक्रमण बढ़ना  ही था | इसलिए संक्रमण बढ़ता चला गया | पहली लहर में जिन औषधियों इंजेक्शनों आदि को मनुष्यों की सुरक्षा की दृष्टि से सक्षम माना गया था | संक्रमितों पर उनका प्रयोग करने के बाद भी संक्रमण बढ़ता चला जा रहा था | 
     समयसंबंधी मेरे पूर्वानुमानों के आधार पर 6 मई 2020 से 8 अगस्त 2020  तक कोरोना संक्रमण कम होने का समय था | इसलिए इस समय संक्रमण कम होना ही था |संक्रमण कम करने के लिए जो लोग प्रयत्न कर रहे थे उन्हें भी लगा कि उनके प्रयत्न सफल हो गए | इस समय में किए गए ट्रायल भी सफल होने ही थे | जिसने जिस प्रकार के ट्रायल किए वे सब सफल हुए | 
     इसीसमय  कुछ लोगों ने टीकों का परीक्षण किया तो कुछ लोगों ने औषधियों का कुछ लोगों ने अन्य विभिन्न थेरेपियों का परीक्षण किया | कुछ लोगों ने और तरह तरह के तीर तुक्के आजमाए सबको लगा कि उन्हीं के प्रयास से कोरोना संक्रमण कम हो रहा है |कुछ लोग जादू टोना झाड़ फूँक आदि का सहारा ले रहे थे| समय सुधारा तो उनके स्वास्थ्य में भी  सुधार हुआ | उन्हें लगा कि उन्हें जादू टोना झाड़ फूँक आदि के प्रभाव से स्वास्थ्यलाभ हुआ है |     कुल मिलाकर सभी के स्वास्थ्य में सुधार के लिए उपाय अलग अलग थे किंतु समय 6 मई 2020 से 8 अगस्त 2020  तक का ही था | यहाँ तक कि वैक्सीनों के ट्रायल भी इसी समय में सफल माने गए |     

रेम्डेसिविर : 2 मई  2020 - "कोरोना वायरस के इलाज के लिए लगातार चिकित्सकीय परीक्षण जारी हैं. इसी बीच एक दवा रेम्डेसिविर को लेकर साकारात्मक परिणाम सामने आ रहे हैं. Remdesivir के इस्तेमाल से COVID-19 के रोगियों में तेजी से रिकवरी देखने को मिल रही है. अमेरिकी नेतृत्व वाले परीक्षण में यह दवा बीमारी के खिलाफ प्रमाणित फायदे देने वाली पहली दवा बन गई है |- NDTV 
कोरोनिल :23 जून 2020आज पतंजलि ने दो दवाएं लॉन्च की हैं जिनके बारे में कंपनी ने दावा किया है कि ये कोविड-19 की बीमारी का आयुर्वेदिक इलाज हैं |- बीबीसी   
प्लाज्मा थैरेपी :  2 जुलाई 2020 दिल्ली में शुरू हुआ देश का पहला प्लाज्मा बैंक, कोरोना मरीजों के इलाज में प्लाज्मा थेरेपी काफी कारगर साबित हो रही है | -आजतक  
आर्सेनिक एल्बम-30:  23 -8-2020 होमियोपैथिक मेडिकल एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. रामजी सिंह के अध्ययन में यह साबित भी हो रहा है। पटना के 15 हजार लोगों को वे यह दवा दे चुके हैं। 21 दिन बाद जब दवा का प्रभाव जानने के लिए फोन किया गया तो परिणाम उत्साहजनक थे। जिन पांच सौ लोगों का अबतक फीडबैक लिया गया है वे सभी कोरोना से सुरक्षित हैं। - दैनिक जागरण 
 
              वैक्सीन निर्माण की विभिन्न घोषणाएँ  भी इसी समय की गईं !
                                                5 मई 2020   से 11 अगस्त  2020 तक 
 
5 मई 2020 :इजरायल के रक्षामंत्री नैफ्टली बेन्‍नेट ने अपने एक बयान में कहा कि इजरायल के डिफेंस बायोलॉजिकल इंस्‍टीट्यूट ने कोविड-19 का टीका बना लिया है। उन्‍होंने कहा कि हमारी टीम ने कोरोना वायरस को खत्म करने के टीके के विकास को पूरा कर लिया है।
8 मई 2020 :अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया है कि उनके देश में कोरोना महामारी की वैक्सीन खोज ली गई है। अमेरिका ने 20 लाख वैक्सीन बना ली है | अमेरिकी फार्मास्यूटिकल कंपनी ने कोरोना वायरस को खत्म करने वाली दवा बना ली है। अमेरिका के कैलीफोर्निया में स्थित बायोफार्मास्यूटिकल कंपनी गिलियड साइंसेस ने कोरोना वायरस का उपचार करने वाली एंटीवायरल मेडिसिन बना ली है। इसे वेकलरी नाम दिया गया है।खास बात ये है कि इस दवा को अमेरिका के बाद जापान ने भी मंजूरी दे दी है। जापान में गंभीर हालत वाले मरीजों पर इस दवा का इस्तेमाल किया जाएगा।
 
  2 जुलाई 2020-भारत की एक कंपनी ‘भारत बायोटेक’ने इंडियन काउंसिल ऑफ़ मेडिकल रीसर्च और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ़ वायरॉलोजी, पुणे के साथ मिल कर वैक्सीन बनाने की दिशा में एक बड़ी कामयाबी हासिल की है. इस वैक्सीन को नाम दिया गया है ‘कोवैक्सिन’इसका वैक्सीन का प्री-क्लीनिकल ट्रायल कामयाब रहा है और ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ़ इंडिया की तरफ़ से इस वैक्सीन के ह्यूमन ट्रायलकी मंज़ूरी भी मिल गई है. हैदराबाद की जीनोम वैली के बायो-सेफ़्टी लेवल 3 में तैयार हुई इस वैक्सीन का अब जल्द ही पहले और दूसरे चरण का ह्यूमन ट्रायल शुरू हो जाएगा |  
13 जुलाई  2020 - रूस ने दावा किया है कि 'उनके वैज्ञानिकों ने कोरोना वायरस कीपहली वैक्सीन बना ली है ! 
 20 जुलाई 2020-वैक्सीन बनाने की दिशा में चल रहे प्रयासों की बात करें, तो दुनियाभर में कोरोना वायरस की 23 वैक्सीन के क्लीनिकल ट्रायल हो रहे हैं.कुछ देशों में वैक्सीन्स के ह्यूमन ट्रायल पहले और दूसरे चरण में सफल रहे हैं और अब भारत में भी कोवैक्सीन नाम की वैक्सीन का ट्रायल दिल्ली स्थित ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंसेज़ (एम्स) में 20 जुलाई से ही यह ट्रायल शुरू हो जाएगा.शुरू होने जा रहा है |  
11 अगस्त 2020-रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन घोषणा की कि कोरोना की वैक्सीन तैयार कर ली गई है. रूस का कहना है कि वैक्सीन को देश में बड़े पैमाने पर इस्तेमाल के लिए नियामक मंजूरी मिल गई है | 
         
            24 सितंबर 2020 से वैक्सीन लगना शुरू होने तक संक्रमण घटने का समय था !

        इस समय संक्रमण से लोगों को मुक्ति दिलाने के लिए जो जो प्रयत्न किए गए वे सभी सही निकले क्योंकि समय ही संक्रमण घटने का था | इसलिए लोग प्रयत्न करते जा रहे थे सुधार का समय होने के कारण उनके सुधार संबंधी प्रयत्नों में सफलता मिलती जा रही थी |  
22 नवंबर  2020 -चीन ने कोरोना की एक सुपर वैक्सीन बनाने का दावा किया है।
23 नवंबर 2020 - भारत के स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री ने कहा, हम अपने स्वदेशी टीके को विकसित करने कीप्रक्रिया के अंतिम चरण में हैं. हम अगले एक-दो महीनों में तीसरे चरण के परीक्षण को पूरा करने की प्रक्रिया में है|   
8  दिसंबर 2020 को ब्रिटेन में फ़ाइज़र ने टीकाकरण  शुरू किया है | 
अमेरिका ने फ़ाइज़र-बायोएनटेक कोविड वैक्सीन के आपातकालीन इस्तेमाल की मंज़ूरी दे दी है इसी दिसंबर में फ़ाइज़र वैक्सीन को ब्रिटेन, कनाडा बहरीन और सऊदी अरब ने पहले ही मंज़ूरी दे दी है.|
 30 दिसंबर 2020  ब्रिटेन ने सबसे पहले फाइजर की कोरोना वैक्सीन को इमरजेंसी इस्तेमाल की इजाजत दी थी. अब तक करीब सात लाख से अधिक लोगों को फाइजर वैक्सीन की पहली डोज दी जा ब्रिटेन ने सबसे पहले फाइजर की कोरोना वैक्सीन को इमरजेंसी इस्तेमाल की इजाजत दी थी. अब तक करीब सात लाख से अधिक लोगों को फाइजर वैक्सीन की पहली डोज दी जा  चुकी है. इस बीच ऑक्सफोर्ड की कोरोना वैक्सीन को भी ब्रिटेन ने मंजूरी दे दी है. इसका मतलब है कि यह टीका सुरक्षित और प्रभावी दोनों है | 
25 जनवरी 2021-भारत बायोटेक को कोरोना की नेजल स्प्रे वैक्सीन BBV154 के ट्रायल की इजाजत मिली है. जबकि और भी कई देशों में ट्रायल हो रहे हैं और अच्छे नतीजे देखने को मिल रहे हैं |  
 

                                        कोरोना की सबसे भयानक दूसरी लहर 
 
      इसके बाद समय में ऐसा बदलाव हुआ  23 दिस॰ 2020 को पीएमओ में मेल भेज भेज कर मैंने सूचित किया था कि "यदि वैक्सीन नहीं लगाई जाती है तब तो कोरोना अतिशीघ्र समाप्त हो ही जाएगा और यदि वैक्सीन लगाई जाती है तो ब्रिटेन की तरह ही उसके द्वारा फैलने वाले संक्रमण विस्तार का अनुमान मुझे नहीं है |मेरे अनुसंधान के अनुसार कोरोना जैसी महामारी से मुक्ति दिलाने वाली वैक्सीन निर्माण वाले दावे बहुत विश्वसनीय नहीं हैं |" 
     इससे हमारा अनुमान स्पष्ट था कि यदि वैक्सीन नहीं लगाई जाएगी तो समाज संक्रमण मुक्त हो जाएगा और यदि वैक्सीन लगाई जाती है तो संक्रमण का विस्तार होगा | इस प्रकार से जैसे जैसे संक्रमण वैक्सीन लगता चला गया वैसे वैसे संक्रमण बढ़ता चला गया | 
    इसके बाद जब संक्रमण काफी बढ़ गया था चारों ओर हाहाकार मचा हुआ था | उससमय 19 अप्रैल 2020 को पीएमओ को मेल भेजकर मैंने सूचित किया था कि 2 मई 2021 से  कोरोना संक्रमण समाप्त होना प्रारंभ हो जाएगा |

 
19 अप्रैल 2021 को पीएमओ में भेजी गई मेल का अंश !( 20 अप्रैल 2021 से 2 मई 2021 तक )
     " मेरा अनुमान है कि ईश्वरीय कृपा से 20 अप्रैल 2021 से ही महामारी पर अंकुश लगना प्रारंभ हो जाएगा ! 23 अप्रैल के बाद महामारी जनित संक्रमण कम होता दिखाई भी पड़ेगा !और 2 मई के बाद से पूरी तरह से संक्रमण समाप्त होना प्रारंभ हो जाएगा |" 
    

 
18 दिसंबर 2021 को पीएमओ में भेजी गई मेल का अंश ! 

     "वर्तमान समय में जिस वायरस की चर्चा की जा रही है वह महामारी से संबंधित नहीं है वह ऋतु जनित सामान्य विकार है इससे महामारी की तरह डरने या डराने की आवश्यकता नहीं है |वर्तमान समय में जो संक्रमितों की संख्या बढ़ती दिख रही है वह महामारी संक्रमितों की न होकर अपितु सामान्य रोगियों की है | यह सामान्य संक्रमण भी 20 जनवरी 2022 से पूरी तरह समाप्त होकर समाज संपूर्ण रूप से महामारी की छाया से मुक्त हो सकेगा |" 

20 फ़र॰ 2022को पीएमओ में भेजी गई मेल का अंश ! 

    "कोरोना महामारी की चौथी लहर 27 फरवरी 2022 से प्रारंभ होगी और 8 अप्रैल 2022 तक क्रमशः बढ़ती चली जाएगी |इसके बाद 9 अप्रैल 2022 से भगवती दुर्गा जी की कृपा से महामारी की चौथी लहर समाप्त होनी प्रारंभ हो जाएगी और धीरे धीरे समाप्त होती चली जाएगी | 

 29 अप्रैल 2022 को पीएमओ में भेजी गई मेल का अंश ! 
    
 "कोरोना महामारी की पाँचवीं लहर 3 जुलाई 2022 से प्रारंभ होने जा रही है जो 15 अगस्त 2022 तक संपूर्ण वायु मंडल में व्याप्त रहेगी | उसके संपर्क  वाले लोग संक्रमित होते जाएँगे | इसके बाद महामारी की पाँचवीं लहर नियंत्रित होनी प्रारंभ होगी ,जो प्रत्यक्ष रूप से 21 अगस्त 2022 से समाप्त होते देखी जाएगी |"
 21 अक्टू॰ 2022को पीएमओ में भेजी गई मेल का अंश ! 

    "24 अक्टूबर 2022 से महामारी जनित संक्रमण फिर से बढ़ना प्रारंभ होगा जो 18 नवंबर 2022 तक रहेगा | इस समय में संक्रमितों की संख्या क्रमशःबढ़ती जाएगी !इसमें भी 14 से 18 नवंबर 2022 के बीच के समय में संक्रमितों की संख्या इस बार की परिस्थिति के अनुसार सबसे अधिक रहेगी |" 

 29 दिस॰ 2022को पीएमओ में भेजी गई मेल का अंश !
  "  कोरोना महामारी की अगली लहर  10  जनवरी 2023  से प्रारंभ होगी !14 जनवरी 2023 से बढ़नी प्रारंभ होगी  और 22 जनवरी 2023 से महामारी जनित संक्रमण काफी तेजी से बढ़ना प्रारंभ हो जाएगा | 14 फरवरी 2023 से 20 फरवरी 2023 तक संक्रमितों की संख्या कुछ कम होनी शुरू होगी !  21 फरवरी 2023 से संक्रमितों की संख्या फिर बढ़नी शुरू होगी जो 16 मार्च 2023 तक बढ़ेगी उसके बाद  समाप्त होनी शुरू होगी जिसमें करीब 30 दिन का समय लगेगा ! विशेष बात यह है कि संक्रमण बहुत अधिक नहीं बढ़ेगा फिर भी तीसरी लहर से कम भी नहीं रहेगा ! बहुत अधिक बढ़ने या हिंसक होने से रोकने के लिए आवश्यक सावधानी बरतना श्रेयस्कर रहेगा | "
 
 6 जुल॰ 2023 को पीएमओ में भेजी गई मेल का अंश !
    "2-10-2023 से वातावरण में महामारी संबंधी विषाणुओं का बढ़ना एक बार फिर शुरू होगा | इसी समय से लोग संक्रमित होने शुरू हो जाएँगे |इसके बाद  20-10-2023 से संक्रमितों की संख्या तेजी से बढ़नी शुरू हो जाएगी | संक्रमितों की संख्या बढ़ने का यह क्रम 2-11 -2023 तक यूँ ही चलता रहेगा |इसके बाद धीरे धीरे संक्रमण रुकना शुरू होगा,किंतु संपूर्ण प्राकृतिक वातावरण में विद्यमान होने के कारण इससे मुक्ति मिलने की प्रक्रिया में लगभग 33 दिन और लग जाएँगे |लगभग  5-12-2023 तक के आस पास महामारी की इस लहर से मुक्ति मिलनी संभव हो पाएगी |मेरा ऐसा अनुमान है | " 
 
   23 मई 2024  को पीएमओ में भेजी गई मेल का अंश !
     " 29 जून 2024 से प्राकृतिक वातावरण दिनोंदिन प्रदूषित होते देखा जा सकता है |इसी बीच कुछ देशों में महामारी जनित संक्रमण के बढने की प्रक्रिया प्रारंभ हो  सकती है |यद्यपि इसकी गति धीमी होगी फिर भी 14 नवंबर 2024 के पहले पहले महामारी का एक  झटका लग सकता है | इसे प्राकृतिक शक्तियों के द्वारा किया जाने वाला महामारी का ट्रायल कहा जा सकता है | 5 अप्रैल  2025 से महामारीजनित संक्रमण अत्यंत तेजी से बढ़ता हुआ दिखाई देगा | संभव है कि ये कोरोना महामारी की दूसरी लहर की तरह ही विशेष डरावना स्वरूप  धारण करे | जिसमें विश्व का बड़ा भाग संक्रमित हो जाए | वैश्विक दृष्टि से देखा जाए तो भिन्न भिन्न देशों में महामारी का यह तांडव 2025 के अप्रैल मई दोनों महीनों में देखने को मिल सकता है | यद्यपि इसके बिल्कुल स्पष्ट लक्षण सितंबर 2024  तक प्रकट हो जाएँगे | जिन्हें परोक्ष विज्ञान के द्वारा देखा जा सकेगा  |आवश्यकता पड़ी तो उस समय इस पूर्वानुमान की तारीखों में 10 प्रतिशत तक परिवर्तन करना पड़  सकता है |"
 
 19 अग॰ 2024 को पीएमओ में भेजी गई मेल का अंश !
    20 अगस्त 2024 से महामारी जैसे महारोगों के बढ़ने का समय शुरू हो रहा है | इससमय से प्राकृतिक वातावरण तेजी से बिषैला होना प्रारंभ हो जाएगा | इससे वायु मंडल के साथ साथ खाने पीने की  वस्तुएँ संक्रमित होने लगेंगी |बिषैले वातावरण में साँस लेने से एवं संक्रमित वस्तुओं के खानपान से लोग स्वतः संक्रमित होते चले जाएँगे | समय प्रभाव से औषधियों के भी संक्रमित हो जाने के कारण संक्रमितों को औषधियों के सेवन या चिकित्सा आदि से भी कोई लाभ नहीं होगा | 22 सितंबर 2024 से संक्रमितों की संख्या तेजी से बढ़ने लगेगी | 11 से 18 अक्टूबर के बीच में यह लहर सबसे ऊँचे स्तर पर पहुँच जाएगी | 20 अक्टूबर 2024 से संक्रमितों की संख्या धीरे धीरे कम होनी प्रारंभ हो जाएगी | इसी क्रम में ये लहर यहीं से समाप्त होनी  शुरू  हो  जाएगी | 
 
 4  मार्च  2024 को पीएमओ में भेजी गई मेल का अंश !
     "   1 मई 2025 से महामारीजनित संक्रमण अत्यंत तेजी से बढ़ता हुआ दिखाई देगा | संभव है कि ये कोरोना महामारी की तरह ही डरावना स्वरूप  धारण करे | जिसमें विश्व के बहुत लोग संक्रमित होते देखे जाएँ|यद्यपि 19 मई 2025 तक महामारी का यह स्वरूप समाज को संक्रमित करता रहेगा | उसके बाद स्वास्थ्य लाभ होना प्रारंभ  हो जाएगा | "
 
 16 मई 2025 को पीएमओ में भेजी गई मेल का अंश !
    "25 सितंबर 2025  से कोरोनामहामारी की आगामी लहर प्रारंभ होगी | यह क्रमशः बढ़ती चली जाएगी | इससे लोग तेजी से संक्रमित होते चले जाएँगे | ये कई महीनों तक चलेगी | महामारी की यह लहर 31जनवरी 2026 तक संपूर्ण वायुमंडल को बिषैला करती | उसके बाद विराम लगने लगेगा | 12 फरवरी 2026 के बाद समाज को भी यह भरोसा होने लगेगा | अब महामारी से मुक्ति मिल जाएगी | " 
 
       
 
 
 

     जिस प्रकार से छोटी अंबी हरी होती है, खट्टी होती है उसकी गुठली कोमल होती है | वो अंबी  जब थोड़ी बड़ी होती है तो हरी और खट्टी तो होती है किंतु उसकी गुठली नरम नहीं रहती | कुछ समय और बीतने पर उसी अंबी  का रंग पीला और स्वाद मीठा हो जाता है और गुठली कठोर हो जाती है | इसप्रकार से अंबी में परिवर्तन तो होते हैं किंतु होने वाले परिवर्तनों को देखा जाए तो उनका प्रकार प्रायः एक सा ही होता है | सभी अंबियों के बढ़ने का यही क्रम है | इसलिए अंबी  में होने वाले ऐसे परिवर्तनों से परिचित लोग छोटी अंबी के बिषय में अंदाजा लगा लेते हैं कि इसमें कब कैसे परिवर्तन होंगे !यही व्यवहार विज्ञान है | 


 

 


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