रविवार, 1 सितंबर 2013

आशाराम जी अचानक इतने बुरे कैसे हो गए ?

आशाराम जी में हो सकता है एक साधू के गुण न हों किंतु देश के बयोवृद्ध सम्मानित नागरिक वो भी हैं न्याय उनके साथ भी हो !

    जो साधू होगा वो एकांत में बैठकर कहीं साधना करेगा वो करोड़ों अनुयायियों की फौज क्यों तयार करेगा सैकड़ों आश्रम क्यों बनाएगा ,झूठ मूठ अपने को आत्म ज्ञानी ब्रह्म ज्ञानी आदि क्यों बोलेगा इतना धन इकट्ठा क्यों करेगा यही कारण है कि कोई साधूसंत आशाराम जी के समर्थन में आगे नहीं आया !रही बात टी.वी. चैनलों ने उन्हें धर्म गुरू की पहचान दिलाई आज वही टी.वी. चैनल उनसे यह पहचान छीन रहे हैं ये उनके और टी.वी. चैनलों का आपसी मामला है ये उनके समय का फेर है !सच्चाई ईश्वर को पता है या फिर आशाराम जी या उस लड़की को !आशाराम जी तथा उस लड़की के स्वभाव या निजी जीवन शैली बात व्यवहार आदि से आम समाज अपरिचित है, यदि विश्व विख्यात बयोवृद्ध करोड़ों अनुयायियों की आस्था के केंद्र आशाराम जी की बातों पर समाज विश्वास न करे तो अकारण उस नाबालिग लड़की की बातों पर ही विश्वास कैसे कर लिया जाए यह सबसे बड़ा प्रश्न है? जब तक क़ानूनी जाँच में कोई सुपुष्ट प्रमाण आम समाज के सामने नहीं आते तब उनके लिए शैतान जैसे शब्द का प्रयोग करना क्या सभ्यता के विरुद्ध नहीं होगा ?

       संभव है कि वे निन्यानबे प्रतिशत दोषी ही निकलें किंतु यदि क़ानूनी जाँच में एक प्रतिशत भी ऐसी  संभावना ही बनी कि वे निर्दोष साबित हुए तो उनकी इस मानहानि की भरपाई मीडिया या आम समाज कैसे करेगा?इस देश के सम्मानित नागरिक होने के नाते यह प्रश्न पूछने का अधिकार उन्हें भी है इसलिए हमें अभी से उस उत्तर की जगह रिक्त छोड़कर ही चलना चाहिए यही न्याय है । कानून को अपना काम करने देना चाहिए !

डॉ. शेष नारायण वाजपेयी 

संस्थापक -राजेश्वरी प्राच्य विद्या शोध संस्थान 

9811226973

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