सोमवार, 9 दिसंबर 2013

काँग्रेस पर क्रुद्ध एवं भाजपा से निराश जनता ने आम आदमी पार्टी को दे दिया अपना वोट !

       क्या यह सच है कि काँग्रेस पर क्रुद्ध एवं  भाजपा से निराश जनता ने अपना वोट कुँए में डालने की अपेक्षा आम आदमी पार्टी को दे दिया है  ? दिल्ली की जनता भाजपा से इतना अधिक नाराज क्यों है ?

    सीटों की दृष्टि से तो ऐसा नहीं कहा  जा सकता  है कि दिल्ली  में भाजपा की भारी पराजय  हुई है किन्तु विश्वसनीयता में भारी गिरावट आई है इससे  इंकार भी नहीं किया जा सकता है  -

     बंधुओ! लोकतंत्र में हार जीत तो लगी ही रहती है इसी क्रम में काँग्रेस को कभी न कभी तो हारना ही था  इसलिए काँग्रेस  का  हारना उतना  चिंतयनीय नहीं है जितना कि भाजपा का इस तरह से जीतना है!  काँग्रेस  की सरकार का पंद्रह वर्षीय कार्यकाल कोई कम तो नहीं होता है इसलिए इसमें दिल्ली भाजपा के लिए खुश होने जैसी कोई बात ही नहीं है। आलू प्याज की महँगाई के नाम पर पंद्रह वर्षों पहले खदेड़ी गई भाजपा जनता के मन में आज तक अपना विश्वास कायम नहीं कर सकी है या यूँ कह लें कि जिस छींके के टूटने की प्रतीक्षा कोई बिल्ली पिछले पंद्रह वर्षों से कर रही थी वह टूटा तो सही किन्तु उसे एक चूहा लेकर भाग गया बिल्ली देखती रह गई !दिल्ली के इन चुनावों में वो हालत भाजपा की हुई है। काँग्रेस हमेंशा से भाजपा विरोधी प्रचार करके अपना गुण गान करती रही  है कि सांप्रदायिक शक्तियों को सत्ता तक नहीं पहुँचने देना है यहाँ भी उसकी यही  भावना विजयी हुई है। सत्ता की परसी हुई थाल भाजपा के मुख नहीं लगने दी गई ,और अभी अभी पैदा हुए भाजपा से बहुत छोटे  दल की ओर सत्ता खिसकाने का पूरा प्रयास किया गया भाजपा के इस प्रकार के मानमर्दन में भी काँग्रेस सफल हुई है !उसने दिखा दिया कि इतने दिन सत्ता में रहने के कारण हमसे जनता रुष्ट थी यह सच है इसीलिए हमें हराया यह लोक तन्त्र में हर जगह होता ही है किन्तु जनता  भाजपा से क्यों नाराज है कि पंद्रह वर्ष बाद भी दिल्ली की सत्ता तुम्हें नहीं सौंपी गई !आश्चर्य इस बात का है। see more .... http://bharatjagrana.blogspot.in/2013/12/blog-post_9.html


कोई टिप्पणी नहीं: