अब सशक्त भाजपा का साथ देना चाहते हैं लोग ! ढुलमुल रवैया लोगों को पसंद नहीं है!!!
अब भाजपा को किसी की शर्त के सामने घुटने नहीं टेकने चाहिए अपने बल पर चुनाव लड़ना चाहिए।
कुछ हो न हो किन्तु भाजपा को एक बात तो समाज के सामने स्पष्ट कर ही देनी चाहिए कि उसे आम समाज के सहारे चलना है या साधू समाज के ? जो चरित्रवान विरक्त तपस्वी एवं शास्त्रीय स्वाध्यायी संत हैं उनके धर्म एवं वैदुष्य में सेवा भावना से सहायक होकर विनम्रता से साधुओं का आशीर्वाद लेना एवं उनकी समाज सुधार की शास्त्रीय बातों विचारों के समर्थन में सहयोग देना ये और बात है! सच्चे साधू संत भी अपने धर्म कर्म में सहयोगी दलों नेताओं व्यक्तियों कार्यक्रमों में साथ देते ही हैं किन्तु उसके लिए कोई शर्त रखे और वो मानी जाए ये परंपरा ही ठीक नहीं है !
विदेश से कालाधन लाने जैसी भ्रष्टाचार निरोधक लोकप्रिय योजनाओं के लिए भाजपा को स्वयं अपने कार्यक्रम न केवल बनाने अपितु घोषित भी करने चाहिए ताकि ऐसी योजनाओं का श्रेय केवल भाजपा और उसके लिए दिन रात कार्य करने वाले उसके परिश्रमी कार्यकर्ताओं को मिले।वो भाजपा की पहचान में सम्मिलित हो जिन्हें लेकर दुबारा समाज में जाने लायक कार्यकर्ता बनें उनका मनोबल बढ़े !अन्यथा कुछ योजनाओं का श्रेय नाम देव ले जाएँगे कुछ का कामदेव और भाजपा के पास अपने लिए एवं अपने कार्यकर्ताओं के लिए बचेगा क्या ? ऐसे तो दस लोग और मिल जाएँगे वो भी अपने अपने मुद्दे भाजपा को पकड़ा कर चले जाएँगे भाजपा उन्हें ढोती फिरे श्रेय वो लोग लेते रहें ।
इसलिए भाजपा को मुद्दे अपने बनाने चाहिए उनके आधार पर समर्थन माँगना चाहिए । अब यह समाज ढुलममुल भाजपा का साथ छोड़कर अपितु सशक्त भाजपा का साथ देना चाहता है।
जो ऐसी शर्तें रखते हैं ऐसे लोगों के अपने समर्थक कितने हैं और वो उनका कितना साथ देते हैं यह उनके आन्दोलनों में देखा जा चुका है किसी ने पुलिस के विरोध में एक दिन धरना प्रदर्शन भी नहीं किया था सब भाग गए थे ।
दूसरी बात संदिग्ध साधुओं की विरक्तता पर अब सवाल उठने लगे हैं अब लोग किसी बाबा की अविरक्तता सहने को तैयार नहीं हैं किसी भी व्यापारी या ब्याभिचारी बाबा से अधिक संपर्क इस समय लोग नहीं बना रहे हैं सम्भवतः इसीलिए कथा कीर्तन भी घटते जा रहे हैं ।
इसलिए भाजपा समर्थकों का भाजपा से निवेदन है कि वो अपने मुद्दों पर ही समाज से समर्थन माँगे तो बेहतर होगा !
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