शनिवार, 28 जून 2014

बूढ़ेसाईं को हिन्दू मन्दिरों में क्यों साईं संप्रदाय के वृद्धाश्रमों में क्यों न पूजा जाए ?

  जिन मंदिरों में बूढ़ेसाईं ही पुजेंगे उन्हें मंदिर ही क्यों  वृद्धाश्रम क्यों न बोला जाए ! और साईंसम्प्रदाय  नाम से नया सम्प्रदाय क्यों न चला लिया जाए ! 

     इससे सारे विवाद ही समाप्त हो जाएँ !यदि किसी की साईं के प्रति आस्था है तो आधी अधूरी क्यों सम्पूर्ण रूप से उसी संप्रदाय में क्यों न समर्पित हो जाएँ!आखिर धर्म में मिलावट क्यों करनी ? हिन्दुओं की नक़ल करना आवश्यक क्या है ?साईं की पूजा सनातन परम्पराओं  में घुसपैठ  करके  क्यों स्वतन्त्र  रूप से क्यों न की जाए ! 

   जैसे भगवान की पूजा बाबरी मस्जिद में नहीं हो सकती थी वैसे ही इंसानों की पूजा मंदिरों  में नहीं हो सकती !अब नहीं सहा जाएगा अपने देवी देवताओं और साधू संतों का अपमान !अब अपने मंदिरों को बदनाम नहीं होने दिया जाएगा !अब मंदिरों में नहीं मचाने दी जाएगी साईं भड़ैती !

       हिन्दुओ ! यदि साईं बाबा को भगवान मानना ही था तो बाबरी मस्जिद को भी  मंदिर क्यों न मान लिया जाता !   आखिर क्यों मरने दिया गया हजारों हिन्दुओं को ? हिन्दू स्वाभिमान के नाम पर आखिर झूठ ही क्यों ललकारा जाता रहा ? क्यों जगाया जाता रहा बेकार का जोश? क्यों होते रहे सांप्रदायिक दंगे ?जिन पर विश्वास करके आखिर क्यों मरते रहे हिन्दू स्वाभिमानी लोग !यदि साईं बाबा को ही पूजना था तो पूजते रहते ?

     गंभीर चिंता एवं चिंतन का विषय है कि साईं के अनुयायी सनातन धर्मियों के भगवान को भगवान नहीं मान सके और उन्होंने अपना नया भगवान बनाकर  पूजना शुरू कर दिया तो वो लोग हमारे साधू संतों का आदर क्यों करेंगे ! ये लोग कहते हैं कि जिन सनातन धर्मियों की  मनोकामनाएँ देवी देवता पूरी नहीं कर सके उनकी साईं बाबा ने पूरी की हैं इसीलिए सनातन धर्मी लोग देवी देवताओं को भूलकर साईं को पूजने लगे और इनके वृद्धाश्रमों में आने लगे हैं और उनकी मनो कामनाएँ साईं पूरी कर रहे हैं।अरे !हिन्दुओ ! गाय का  दूध न मिले तो क्या कुतिया का दूध पीना ठीक है क्या अपने श्री राम और श्री कृष्ण को भूल जाओगे ? इसी प्रकार से यदि किसी के पिता जी किसी कारण से अपने पुत्र की इच्छाएँ पूरी न कर सकें तो क्या उसे अपना बाप बदल लेना चाहिए !भारतीय सरकार की नीतियों से यदि देश के सैनिक सहमत न हों तो क्या उन्हें अपने देश के प्रति निष्ठा से समझौता कर लेना चाहिए !यदि नहीं तो धर्म  से क्यों ?

   अरे ! सनातन धर्म के कर्णधार हिन्दुओ !क्या साईं सम्प्रदाय के लोगों के द्वारा किया गया अपने भगवान का  अपमान तुम्हें स्वीकार है ?इसी प्रकार से हमारे शंकराचार्य जी के लिए साईं अनुयायी कहते हैं कि आज साईं के आगे साधू संतों एवं शंकराचार्यों को कोई पूछता नहीं है इसलिए वो लोग बूढ़ेसाईं का नाम लेकर अपनी मार्केटिंग करने में लगे हुए हैं केवल इतना ही नहीं अपितु हिन्दुओं के शंकराचार्य जी से कहते हैं "हम लोगों से माफी माँगो !" उनका कहना यह भी है कि शंकराचार्य जी का बुढ़ापे में दिमाग ख़राब हो गया है इसलिए उन्हें धमकाकर उनका दिमाग ठीक करने के लिए कानून का सहारा लिया जा रहा है !इन लोगों के हौसले इतने बुलंद हो रहे हैं !अरे सनातनी हिन्दुओ ! क्या तथाकथित गंगा जमुनी संस्कृति बचाने के नाम पर सह जाओगे यह अपमान ! फिर कैसा स्वाभिमान ?इससे अच्छा होता है स्वाभिमान विहीन जीवन ?

     अरे ! सनातन धर्मी हिन्दुओ !अपने देवी देवताओं ,साधू संतों धर्म गुरुओं  एवं शंकराचार्यों ,महापुरुषों का जब इस प्रकार से अपमान सहना ही है तो किस बात  का हिन्दू स्वाभिमान ! आगे इस लिंक को क्लिक करें और सनातन धर्मी इस लिंक को भी पढ़ें -  -http://bharatjagrana.blogspot.in/2014/06/blog-post_27.html



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