मंदिरों में यदि बुड्ढे स्टैच्यू ही पूजने हैं तो मंदिरों का नाम बृद्धाश्रम रख लेने में क्या बुराई है ?
यदि साईं बाबा की मूर्तियाँ पूजने में कोई समस्या नहीं है तो बाबरी मस्जिद बनी रहने में क्या समस्या थी ?यदि साईं बाबा की मूर्तियाँ ही पूजनी हैं तो श्री राम मंदिर निर्माण की जरूरत क्या थी ?साईं बाबा को भगवान मान कर उनकी मूर्तियाँ पूजने के इस हिसाब से तो श्री रामजन्मभूमि मुक्ति आंदोलन ही बेकार सिद्ध हो जाता है जब सब कुछ सहकर दुम दबाकर ही रहना है और हिन्दू धर्म को पंचायती राज ही बनाना है तो आखिर मुश्लिम बंधु क्या बुरे थे ! बाबरी मस्जिद के नाम पर क्यों लड़ाई ठानी गई उनसे? आखिर उनके आस्था श्रद्धा विश्वास की परवाह क्यों नहीं की गई !वो तो हमारे धर्म की नक़ल भी नहीं करते थे ! उन लोगों के द्वारा तो कभी किसी बुढ्ढे को पकड़ कर हमारा भगवान बनाने की कोशिश भी नहीं की गई ! यदि इतनी उदारता और क्लीबता ही धारण करनी थी तो बाबरी मस्जिद बनी रहने देते और हिन्दू मुश्लिम मिलजुल कर बचा लेते गंगा जमुनी तहजीब ? मस्जिद में बैठ कर पूजते रहते श्री राम लला को !इससे अच्छा सांप्रदायिक सद्भाव का उदाहरण और क्या हो सकता था ?
वैसे भी जब मंदिरों में ओल्ड मुद्राएँ भगवान बनाकर पूजी जा सकती हैं तो लाफिंग मुद्राओं को भी बना लीजिए अपना भगवान उन्हें भी पूजिए !इतनी गिरी सोच है हमारी हमें धिक्कार है !हमें अपने शंकराचार्य में तो कमी लगती है किन्तु ओल्ड मुद्राओं में नहीं !मीडिया शंकराचार्य जी के बयान को तो विवादित बयान बता रहा है किन्तु उन संस्कार भ्रष्टों ने शंकराचार्य जी को क्या कुछ नहीं कहा पर उसकी आलोचना नहीं की गई ! इस गंगा जमुनी तहजीब को बचाने के नाम पर हिन्दू कहीं स्वाभिमान विहीन न बना दिया जाए और धार्मिक स्मगलर सनातन धर्म की प्राचीनतमा विरासत को अब अपनी न बताने लगें !मुझे इस बात का डर है !
मेरे कहने का सीधा सा मतलब है कि यदि बाबरी मस्जिद बोझ और कलंक थी तो वो किसी कलंक से कम नहीं हैं जो हमारे श्री राम ,श्री कृष्ण और श्री शिव की समता में लाकर खड़ा कर देते हैं किसी बुड्ढे स्टैच्यू को !अयोध्या में श्री राम मंदिर तो हम कुछ वर्ष बाद भी बना लेंगे किन्तु इसकी क्या गारंटी है कि वहाँ साईं बाबा नाम के बूढ़े बुत को रखकर नहीं पुजाया जाएगा !
शंकराचार्य जी के बारे में ऊटपटांग बोलने से पहले हमें यह समझना होगा कि जैसे अन्य धर्मों के प्रमुख शाही इमाम ,पोप या मुख्य ग्रंथी आदि होते हैं उसी तरह हिन्दू धर्म में शंकराचार्य जी हैं क्या उनके बारे में धर्म विरोधी टिप्पणी करना हमारी ना समझी नहीं है!
यदि आज साईं बाबा की मूर्ति को भगवान मान कर मंदिरों में रखकर पूजना शुरू कर दिया गया तो कल किसी और धर्म के लोग यदि अपने अपने धर्मों के मर चुके बुढ्ढों की मूर्तियाँ या ममी रखेंगे तो क्या उन्हें भी सांप्रदायिक सद्भाव के नाम पर पूजा जाएगा और नहीं तो उन्हें रोका किस नियम से जाएगा ?
साईंबाबा के पूजने का मतलब है कि फिर कोई भी अपने घर के बुढ्ढे की मूर्ति बनवा कर रख देगा मंदिर में तो उसे किस नियम से रोका जाएगा आखिर उसके परिवार वालों की आस्था को ठेस कैसे लगने दी जाएगी ?
जब बूढ़े साईं बाबा की मूर्ति मंदिरों में रखकर पूजनी ही है तो अन्य बूढ़ों की क्यों नहीं ?और जब साईं बाबा के नाम पर मरे हुए बुढ्ढों की मूर्तियाँ पूजनीय ही हैं तो मंदिरों में जीवित बुढ्ढों को क्यों न पूजा जाए कहने का मतलब मंदिरों को बृद्धाश्रम क्यों न मान लिया जाए ?
सभी धर्मों के लोग अपने अपने धर्म प्रमुखों की धार्मिक बातों का सम्मान करते हैं फिर हिन्दुओं को क्यों नहीं करना चाहिए ?
शंकराचार्य जी को हटाने की बात जो लोग करते हैं तो वो क्या चाहते हैं की शंकराचार्य हों ही न या दूसरे बनाए जाएँ !किन्तु यदि दूसरे बने पर वो भी ऐसा ही बोले तो क्या उन्हें भी हटाया जाएगा ? यदि वो शंकराचार्य बनेंगे तो बोलना उन्हें भी यही पड़ेगा !क्योंकि शंकराचार्य जी के बदलने से धर्मशास्त्र तो नहीं बदल जाएँगे !
शंकराचार्य जी धर्म के विषय में क्या बोलेंगे क्या यह भी उन्हें सिखाया जाएगा और यदि ऐसा ही है तो किसी को शंकराचार्य बनाने की आवश्यकता क्या है सब लोग अपने अपने धर्म का निर्णय स्वयं करने लगेंगे !
जैसे किसी मस्जिद ,गिरिजाघर ,गुरुद्वारा में जाकर आप अपने राम जी की मूर्ति बैठाना चाहेंगे तो उस धर्म के लोग बिना किसी पंचायत के सामूहिक रूप से एक आवाज में उसका विरोध कर देंगे फिर अकेले हिन्दू ही कायर क्यों हो रहा है ?
जो लोग शंकराचार्य जी के मोदी विरोध की बात करते हैं उनसे निवेदन है कि राजनीति के विषय में मोदी जी को प्रमाण मानिए किन्तु धर्म के विषय में तो शंकराचार्य जी को ही प्रमाण मानना पड़ेगा !
जो लोग सभी धर्मों सम्प्रदायों के साथ चलने की भावना से चाहते हैं कि साईं बाबा को भगवान मान लिया जाए और साईं बाबा की मूर्तियाँ मंदिरों में रखी जाएँ तो क्या उनमें हिम्मत है कि मस्जिद ,गिरिजाघर ,गुरुद्वारों में भी श्री राम जी की मूर्ति बैठा कर दिखावें ?
इसी विषय में पढ़ें हमारे अन्यलेख भी -
साईं समर्थकों को सनातन धर्मी हिन्दुओं के विरुद्ध धार्मिक षड्यंत्र नहीं करना चाहिए !जो लोग भी साईं बाबा को भगवान मानते हैं उनका सनातन धर्म से कोई सम्बन्ध नहीं हो सकता !
मुझे साईं बाबा से कोई शिकायत नहीं है वो संत या साधक जो भी रहे हों उस रूप में उनका सम्मान है किन्तु भगवान के रूप में स्थापित करने की कोई साजिश कतई स्वीकार्य नहीं होगी see more...http://bharatjagrana.blogspot.in/2014/06/blog-post_26.html
साईं समर्थक कोर्ट में केस करें या रोडों पर क्लेश किन्तु धर्मशांकर्य बर्दाश्त नहीं किया जाएगा !
साईं समर्थकों और शंकराचार्य जी के बयान के बीच मोदी जी को क्यों घसीटा जा रहा है ?
मोदी जी सनातन धर्म और शंकराचार्यों के गौरव का न केवल सम्मान करते हैं अपितु उनका जीवन स्वयं में आध्यात्मिक है उचित होगा कि उन्हें इस विवाद से दूर रखा जाए !उनके see more...http://bharatjagrana.blogspot.in/2014/06/blog-post_5253.html
श्रद्धा सबूरी का सन्देश देने वाले साईं बाबा जी के चमचों ने सनातन धर्मियों के स्वाभिमान जगद्गुरु स्वामी स्वरूपानंद जी से माफी माँगने की माँग की है क्या ये हिन्दुओं को क्यों सह जाना चाहिए ?सनातन धर्मी लोग हिन्दू लोग
कायर है?
डरपोक है ?
अज्ञानी है ?
समझौता वादी है ?
सहन शील हैं ?
जगद्गुरू शंकराचार्य श्री स्वरूपानंद जी ने धर्म रक्षा सम्बन्धी शास्त्रसम्मत बयान दिया है उसे विवादित बयान कहना ठीक नहीं होगा !see more...http://bharatjagrana.blogspot.in/2014/06/blog-post_25.html
जगद्गुरू शंकराचार्य श्री स्वरूपानंद जी ने धर्म रक्षा सम्बन्धी शास्त्रसम्मत बयान दिया है उसे विवादित बयान कहना ठीक नहीं होगा !see more...http://bharatjagrana.blogspot.in/2014/06/blog-post_25.html
साईंबाबा को भगवान ही क्यों मान लिया जाए अल्ला और ईसामसीह क्यों नहीं ?
जब साईं बाबा के किसी आचार व्यवहार से ये सिद्ध ही नहीं होता है कि साईं बाबा सनातन धर्मी हिन्दू थे तो फिर केवल हिन्दुओं के मत्थे ही क्यों मढ़ा जा रहा है उन्हें ? अगर साईंबाबा see more.....http://bharatjagrana.blogspot.in/2014/06/blog-post_24.html
साईं बाबा के विषय में शंकाराचार्य जी के बयान का विरोध क्यों ?
धर्म के विषय में यदि कुछ लोग अपने शाही इमाम की बात को प्रमाण मानते हैं और कुछ लोग अपने पोप की बात को प्रमाण मानते हैं तो हिन्दू अपने शंकाराचार्य की बात को प्रमाण न मानकर क्या साईं बाबा के चमचों को प्रमाण मान लें जिन्होंने वेद पढ़े न पुराण और न ही धर्मशास्त्र !जिनका सब कुछ मन गढंत है ऐसे अँगूठाटेक धार्मिक लोग ही बचे हैं अब हमारे धर्म का निर्णय करने को क्या ?see more...http://bharatjagrana.blogspot.in/2014/06/saain.html
साईंबाबा को भगवान बताने वालों को शास्त्रार्थ की खुली चुनौती !
अब अयोध्या में श्री राम मंदिर बनने की जगह साईं राम मंदिर बनेगा क्या !
साईं के नाम पर केवल सनातन धर्म की ही छीछालेदर क्यों की जा रही है किसी मस्जिद में साईं की मूर्ति नहीं है किसी गुरुद्वारे में साईं की मूर्ति नहीं है किसी चर्च में साईं की मूर्ति नहीं है फिर साईं बाबा का सभी धर्मों में सम्मान मान लिया जाए !see more...http://snvajpayee.blogspot.in/2014/06/blog-post_23.html
अब अयोध्या में श्री राम मंदिर बनने की जगह साईं राम मंदिर बनेगा क्या !
साईं के नाम पर केवल सनातन धर्म की ही छीछालेदर क्यों की जा रही है किसी मस्जिद में साईं की मूर्ति नहीं है किसी गुरुद्वारे में साईं की मूर्ति नहीं है किसी चर्च में साईं की मूर्ति नहीं है फिर साईं बाबा का सभी धर्मों में सम्मान मान लिया जाए !see more...http://snvajpayee.blogspot.in/2014/06/blog-post_23.html
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें