साईं समर्थकों और शंकराचार्य जी के बयान के बीच मोदी जी को क्यों घसीटा जा रहा है ?
मोदी जी सनातन धर्म और शंकराचार्यों के गौरव का न केवल सम्मान करते हैं अपितु उनका जीवन स्वयं में आध्यात्मिक है उचित होगा कि उन्हें इस विवाद से दूर रखा जाए !उनके राष्ट्रसेवा सम्बन्धी कार्यों में बिघ्न डालना ठीक नहीं है!
रही बात मेरी तो
मैं कट्टर सनातन धर्मी और कट्टर भाजपाई हूँ।राजनीति अपनी जगह है और धर्म अपनी जगह वैसे भी दाँत दर्द होने पर आँख के
डाक्टर के पास क्यों जाना !इसलिए राजनीति की किसी बात का
निर्णय करना होगा तो हिन्दू राष्ट्रवादी पार्टी होने के नाते मैं भाजपा के
प्रति समर्पित हूँ किन्तु बात जब धर्म एवं धर्मशास्त्रों से सम्बंधित होगी
तो हम साधू संतों विद्वानों एवं शंकराचार्यों के समर्थन में ही रहूँगा
!फिर शंकराचार्य जी का समर्थन करके कोई उन पर
एहसान तो किया नहीं जा रहा है उन्होंने शास्त्र सम्मत बात कही है जो सनातन
धर्मी हैं वो सनातन धर्म की रक्षा के लिए उनकी ये शास्त्रीय बात मान लें और जो नहीं हैं वो न मानें !
कुछ लोग साईं सम्प्रदायी
होकर भी सनातन धर्मी रहना चाहते हैं ये धर्मशांकर्य है जो हो ही नहीं सकता क्योंकि इस दुविधापूर्ण धर्म पालन का सनातन धर्म
में कोई सम्मान ही नहीं है !चूँकि साईं संप्रदाय का कोई वजूद नहीं है इसलिए उनके यहाँ
कैसा भी चलेगा !उनके यहाँ न कोई धर्म है और न कोई धर्म शास्त्र !उन बेचारों को अपना शास्त्र स्वयं गढ़ना पड़ता है वो
बेचारे भी कहाँ तक कितना झूठ बोलें कि साईं बाबा ने उनके कान में क्या कहा
था या किसके कान में क्या कहा था !
समस्या यह है कि जिस के धर्म से नक़ल की है उसी के शीर्ष धर्माचार्य को आँखें माफी कहना ये असह्य है! साईं सम्प्रदायी लोग अपनी अपनी ढपली अपना
अपना राग बजा रहे हैं कोई कुछ बक रहा है कोई कुछ, वहाँ तो साईं बाबा के लोगों के समर्थन में झूठ बोलने की होड़ सी लगी हुई है
कि शोर मचाकर कौन झूठा किससे कितना आगे निकल जाए ! यदि साहस है तो
शास्त्रार्थ का सामना क्यों नहीं करते हैं ये पुतला फूँकने प्रदर्शन से कोई
राजनीति थोड़े है जो दबाव बना लेंगे !यहाँ तो शास्त्रीय सच्चाई चलेगी ! इस शास्त्रीय सच्चाई से साईं सम्प्रदाय के लोगों को जितना भी
बुरा लगता हो लगे किन्तु सनातन शास्त्रीय मूल्यों से समझौते का सवाल ही नहीं उठता !
चूँकि शंकराचार्य जी हमारे धर्म के शीर्ष धर्माचार्य हैं और उनके बयान का सम्मान हम सनातन धर्मी नहीं करेंगे तो कौन करेगा ?इसलिए मैं शंकराचार्य जी के सम्मान और समर्थन में ही हूँ !
जो लोग हमसे यह जानना चाहते हैं कि शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद जी ने मोदी जी का विरोध किया था किन्तु कैसे ?
ये सच है कि पत्रकार के प्रश्न पूछने पर उन्होंने क्रोध जरूर किया था
किन्तु इससे ये साबित नहीं हो जाता कि उन्होंने मोदी जी पर क्रोध किया था
हो सकता है कि उनका क्रोध पत्रकार के प्रश्नों पर ही हो जैसे अभी ही हुआ
है !मैंने सुना है कि अभी भी प्रश्न किसी पत्रकार ने ही साईं बाबा की पूजा
के विषय में किया था उसके जवाब में उन्होंने जो बोला उसके परिणाम स्वरूप
आज शोर मचा हुआ है और यदि साईं बाबा का नाम लेने पर वो जवाब ही न देते या
गुस्सा करते तो यही होता कि वो साईं बाबा से चिढ़ते हैं वही जो मोदी जी के
प्रकरण में आज कहा जा रहा है !आखिर मोदी जी के विरोध में शंकराचार्य जी ने कहीं कोई बयान दिया हो तो बताया जाए केवल कौआ नाक ले गया वाले फार्मूले से नाक न देखना और कौवे के पीछे दौड़ने लगना ये उचित नहीं है वैसे भी जिसके प्रमाण अपने पास न हों मैं उस बात को विश्वसनीय नहीं मानता हूँ !
कुल मिलाकर साईं बाबा संत रूप में तो स्वीकार्य हैं किन्तु भगवंत रूप नहीं !
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