गुरुवार, 26 जून 2014

साईं समर्थकों को सनातन धर्मी हिन्दुओं के विरुद्ध धार्मिक षड्यंत्र नहीं करना चाहिए !

जो लोग भी साईं बाबा को भगवान मानते हैं उनका सनातन धर्म से कोई सम्बन्ध नहीं हो सकता !

      मुझे साईं बाबा से कोई शिकायत नहीं है वो संत या साधक जो भी रहे हों  उस रूप में उनका सम्मान है किन्तु भगवान के रूप में स्थापित करने की कोई साजिश कतई स्वीकार्य नहीं होगी !रही बात सनातन धर्म से जुड़े धार्मिक लोगों के द्वारा  साईं बाबा को भगवान रूप में समर्थन करने की तो सनातन धर्मी साधू संत ऐसा कर ही नहीं सकते क्योंकि सनातन धर्म के शास्त्रीय नियम उन्हें ऐसा करने की अनुमति ही नहीं देते और जो सनातन शास्त्रों को नहीं मानते वो सनातन धर्म के साधू संत किस बात के !

       यदि शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद जी पर किसी भी राजनैतिक पार्टी से जुड़े होने का आरोप लगाकर आज हम मुख छिपाना भी चाहें तो मेरी आत्मा मुझे इसकी अनुमति नहीं देती है सच्चाई ये है कि स्वामी जी से मेरा कोई सीधा परिचय नहीं है इसलिए उनका पक्ष लेने में मेरा कोई निजी स्वार्थ होगा ये आशंका बिलकुल नहीं रखनी चाहिए मैं जिस मजबूरी में फँसा हूँ वो ये है कि धार्मिक व्यवस्था बनाए रखने के लिए किसी के यहाँ इमाम होता है तो कहीं पोप और किसी के यहाँ मुख्यग्रंथी होता है किन्तु सनातन हिन्दू धर्म में तो शंकराचार्य ही होते हैं !वो सर्व सम्मति एवं  पूर्वस्वीकृत परम्पराओं का पालन करते हुए  बनाए जाते हैं  शास्त्रों के उच्चकोटि के विद्वान होते हैं सनातन धर्म से सम्बंधित शास्त्रीय शंकाओं का समाधान करते हैं किसी को लगता हो कि वो उनके शास्त्रीय उत्तरों से संतुष्ट नहीं है तो वो उनसे शास्त्रीय प्रमाणों के साथ मिल कर शंका समाधान कर सकता है फिर भी न संतुष्ट हो तो वो  उनसे शास्त्रीय  तर्कों के आधार पर शास्त्रार्थ कर सकता है ! इनका प्रमुख दायित्व सनातन शास्त्रीय नियमों का स्वयं पालन करना एवं औरों को पालन करने के लिए प्रेरित करना होता है ,उनका दायित्व यह भी होता है कि सनातन धर्म के शास्त्रीय नियमों ,विधानों ,परम्पराओं का  पालन करने के लिए स्वधर्मियों को  प्रेरित करना हिन्दुओं के मान विन्दुओं की रक्षा के लिए प्रयास करना आदि आदि ! श्री राम मंदिर के आंदोलन में भी स्वामी जी को कैद करके चुनार किले में रखा गया था !

      रही बात शंकराचार्य जी के काम की जाकिर नाइक जैसे फूहड़ लोगों की बकवासों का जवाब देना उनका काम नहीं होता है क्योंकि बकवासों एवं मन गढंत तर्कों के जवाब नहीं हुआ करते उसमें तो गाली गलौच और मार पीट होती है वो काम शंकराचार्य जी का नहीं है ! शंकराचार्य जी का काम तो शास्त्रीय व्यवस्था देना है बाक़ी काम सनातन हिन्दुओं का है,हाँ जहाँ कहीं शास्त्रीय पक्ष रखने की बात आएगी शंकराचार्य जी को आगे आना होगा वो उनका दायित्व है इसी का पालन वो साईं बाबा के मुद्दे पर भी कर रहे हैं उन्होंने बार बार कहा है कि व्यक्तिगत रूप से साईंबाबा से हमारा कोई द्वेष नहीं है किन्तु साईं के अनुयायी पूजा विधानों में सनातन हिन्दू धर्म के शास्त्रीय नियमों की चोरी न करें अर्थात पूजापाठ में हिन्दुओं की शास्त्रीय प्राचीन परम्पराओं की नक़ल न करें अन्यथा सनातन धर्म के भक्तों को भ्रम होता है कि साईं बाबा भी देवता हैं इसीप्रकार से इस्लाम धर्म में उपासना स्थल को मस्जिद ,ईसाईयों में गिरिजाघर ,सिक्खों का गुरुद्वारा एवं सनातन धर्मियों का मंदिर होता है तो साईं संप्रदाय  के लोग अपने आराधना स्थल का नाम मंदिर न रखकर कुछ और रख लें  ! इसी प्रकार से  साईं संप्रदाय की सभी पूजा प्रक्रियाओं में सनातन धर्म की नक़ल होती नहीं दिखनी चाहिए । 

 



            

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