सरकार और भ्रष्टाचार की साँठ गाँठ से बढ़ रहे हैं बलात्कार !
अपना एवं अपनों का पेट भरने वाली सरकारों से नहीं की जा सकती है अपराध घटाने की उम्मीद !
घूसखोर अधिकारियों पर लगाम लगाए बिना कैसे बंद हो सकते हैं बलात्कार ! क्योंकि घूँसखोरी का सीधा सा मतलब होता है कि यदि आपकी जेब में घूस देने के लिए पैसे हैं तो आप कुछ भी कर सकते हैं किसी भी पार्टी की सरकार हो आपको कुछ नहीं होगा आप किसी को मार सकते हैं जान से मार सकते हैं गोली मार सकते हैं बलात्कार कर सकते हैं आप किसी को नंगा करके रोड पर घुमा सकते हैं आप बड़ा से बड़ा अपराध कर सकते हैं इसलिए केवल उत्तर प्रदेश में ही नहीं अपितु सम्पूर्ण भारत में जिसकी जेब में घूँस देने के लिए पैसा है इसलिए वो कर रहा है अपराध !ऐसे अपराधों को रोकने के लिए IAS और IPS अधिकारियों के ट्रांसफर होने से कुछ नहीं होगा कुछ लोग सस्पेंड भी कर दिए जाएँ उससे भी कुछ नहीं होगा क्योंकि सारे अधिकारी और सारे नेता घूँस खोर नहीं होते हैं किन्तु नेताओं एवं अधिकारियों का बहुत बड़ा वर्ग अंधा घूँस खोर है जो घूस लिए बिना कुछ करते ही नहीं हैं दिल्ली जैसी नगरी में पुलिस वाले लोग पार्कों में क्राइम न हो इसलिए चक्कर मारने जाते हैं किन्तु पार्क में बैठे जोड़ों से साप्ताहिक लेकर चले आते हैं , चूँकि हेलमेट चेक करने में पैसे मिलते हैं इसलिए वो हेलमेट तो चेक करते हैं किन्तु रोड पर जाम लगा हो तो उसे नहीं खुलवाते क्योंकि उसमें कुछ मिलना नहीं होता है !
इसलिए किसी भी कर्मचारी की जब से नौकरी लगी हो तब से आज तक की आमदनी का लेखा जोखा सरकारी कर्मचारियों से ईमानदारी पूर्वक लिया जाना चाहिए इसी प्रकार से राजनीति में प्रत्येक पद पर पहुँचने से पहले किसी नेता की संपत्ति की जाँच होनी चाहिए और उस पद से हटने के बाद भी जाँच होनी चाहिए फिर भी यदि आय के स्रोतों से उसकी संपत्ति अधिक हो तो होनी चाहिए उस राजनेता पर भी कठोर कार्यवाही !जिस दिन ऐसा होने लगा उसी दिन बंद हो जाएगा भ्रष्टाचार और भ्रष्टाचार बंद होते ही बलात्कार हत्या आदि सारे अपराधों पर बिलकुल ही लगाम लग जाएगी ! किन्तु ईमानदारी पूर्वक ऐसा करने वाली सरकार कब आएगी यह कह पाना अत्यंत कठिन है !और अपना एवं अपनों का पेट भरने वाली सरकारों से नहीं की जा सकती है अपराध घटने की उम्मीद !
अपराधियों
को पता होता है कि कैसा अपराध करने के लिए कितना खर्च करना होगा उतने
पैसे का इंतजाम करके वो लोग करते हैं अपराध, फिर डर किस बात का ?इसलिए
बलात्कारियों की फाँसी से भले कुछ बलात्कारी मार दिए जाएँगे किन्तु उससे कई
गुना अधिक बलात्कारियों और अपराधियों को ये घूस खोर लोग पैदा कर देंगे
,इनसे कैसे निपटा जाए !और इन पर नियंत्रण कैसे किया जाए? इसके बिना
बलात्कार रोक पाना बिलकुल असंभव है !
बलात्कार या सभी प्रकार के अपराध करने वाले
लोग ईमानदार लोगों की अपेक्षा घूस का दान बहुत अधिक करते हैं इसलिए इन घूस
दानियों का सरकारी अमले में बहुत बड़ा सम्मान होता है सरकार कोई भी बनती
बिगड़ती बदलती रहे किन्तु जब तक अधिकारी कर्मचारी एवं सरकारें घूस की भूख को
नहीं रोक पाती हैं तबतक अपराध रोक पाना संभव नहीं है !
कहीं भी बलात्कार होने पर सारे नेता खूँटा
वहाँ ऐसे दौरे घूमते हैं जैसे वो बहुत बड़े दूध के धुले हों !उन्हें वहाँ
जाकर केवल तीन काम करने होते हैं पहला वर्तमान सरकार की निंदा करते हुए
उसकी बर्खास्तगी की माँग ,दूसरा राष्ट्रपति शासन की माँग और तीसरा CBI
जाँच और सबके बाद बलात्कारियों को फाँसी ! इन सबके पीछे छिपा होता है अपना
सत्ता का लोभ ! अन्यथा वो नेता यदि इतने ही दूध के धुले होते हैं तो उनके
सरकार में आने पर ही हो जाता अपराधों पर पूर्ण नियंत्रण !
यहाँ बदायूँ की बेटियों के साथ भी जो कुछ हुआ
उसमें भी एक विशेष बात ध्यान देने लायक है जो वहाँ के लोग एक टी. वी. चैनल
पर कह रहे थे कि पुलिस के पास शिकायत के लिए जाने पर वो पूछ रहे थे कि
इसमें सक्षम पार्टी कौन है अर्थात धन कौन कितना धन खर्च कर सकता है !
बंधुओं ! नेता लोग दिखावटी भागदौड़ करके ड्रामा चाहें जितना कर लें किन्तु
सारे अपराधों की जड़ भ्रष्टाचार ही है जो नेताओं की सह पर अधिकारी लोग किया
करते हैं जो सरकार में आता है वो जब तक इस भ्रष्टाचार को अपनी कमाई का
साधन बनाता रहेगा तब तक इस तरह की घटनाएँ कैसे रोकी जा सकती हैं !
बलात्कारियों को फाँसी हो या उससे भी बड़ी कोई सजा होती हो सो हो
जाए उसके भी समर्थन में अधिकाँश देश वासी हैं किन्तु अब बेटियों के विरुद्ध
चल रहे हर प्रकार के अपराधों में हर प्रकार से रोक लगनी ही चाहिए !
क्योंकि यह कोई सामान्य अपराध नहीं है !
कुछ लोगों के कहने से ऐसे बलात्कारों के लिए
मुलायम सिंह जी के बयान को जिम्मेदार भले मान लिया जाए ,इसकांड की जाँच
सी.बी.आई.से भले करा ली जाए, उत्तर प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगाया
जाए, किन्तु किसलिए ?क्या इससे उस पीड़ित परिवार को न्याय मिल पाएगा ! क्या
इन सबसे कभी फिर लौट सकेगी उस आँगन की किलकारियाँ , क्या वो बच्चियाँ देख
पाएँगी उन अत्याचारियों की फाँसी ! जिन परिवार वालों से नेता लोग मिलने
जा रहे हैं वो बेचारे इतने दुख में हैं कि उन्हें क्या पता कौन
राहुलगांधी, कौन मायावती या कोई और ! जब उनके काम कोई नहीं आ सका तो कोई
कितना भी बड़ा नेता खूँटा हो उन्हें किसी से क्या लेना देना !
लाख टके का सवाल है कि देश के इन नागरिकों के लिए शौचालय
क्यों नहीं बनाए गए ! यदि बलात्कार जैसी दारुण दुखद ये घटना न भी घटी होती
तो भी बच्चियों का देर शाम बाहर शौच जाना क्या सुरक्षित था !पहले सब लोग
जाया करते थे तब और बात थी किन्तु अब वातावरण बिलकुल बदल चुका है इसलिए
वर्षा बूंदी आंधी तूफान साँप बीछी और तमाम प्रकार के जंगली जीव जन्तुओं का
भी भय तो होता है रात बिरात बाहर शौच जाने से रोकने के लिए क्या व्यवस्था
की है इन नेताओं ने !आखिर क्यों नहीं बनाए गए शौचालय !क्या इच्छा नहीं थी
या पैसे नहीं थे यदि पैसे नहीं थे तो इन नेताओं के पास अपनी अपनी शौक शान
या मनमानी पर खर्च करने के लिए कहाँ से आ जाते हैं पैसे !सुना है काँग्रेस
सरकारें अपने परिवार विशेष के जन्मदिन पर बधाई संदेशों के विज्ञापन में
करोड़ों खर्च कर देती रही हैं इसी प्रकाार से नेता जी का सैफई महोत्सव एवं
मायावती जी का हाथी और अपनी मूर्तियाँ बनवाने के शौक पर करोड़ों अरबों रूपए
बहा दिया जाना किन्तु ग़रीबों के शौचालयों के लिए पैसे की कमी बताना ये सब
कहाँ का न्याय है !जब इन नेताओं के बश का कुछ है ही नहीं तो आखिर आज ये
नेता बदायूँ क्या करने जा रहे हैं केवल अखिलेश सरकार की निंदा करने और
उससे त्यागपत्र माँगने या राष्ट्रपति शासन की मांग करने !इससे हो सकता है
कि नेताओं के कुछ नंबर बढ़ जाएँ हो सकता है सरकार बदल जाए किन्तु कार्य
प्रणाली तो वही रहनी है ! इसलिए फिर भी होना तो वही सब कुछ है जो अभी चल
रहा है आखिर उसमें परिवर्तन कैसे हो चिंता इस बात की है कि उद्योगी करण के
पथ पर बढ़ती राजनीति में सेवा भावना आखिर कैसे जगे !
अभी तक राहुल गाँधी जी की सरकार रही जिस केंद्र सरकार के वही होल सेल
मालिक थे और मायावती जी भी कई बार मुख्यमंत्री रह चुकी हैं !देश की जनता
से टैक्स भी बराबर वसूला जाता है जिसका सरकारों के पास मोटा फंड होता है
आखिर वो धन जाता कहाँ है ? मायावती जी आप हों, राहुल जी हों, मुलायम सिंह
जी हों या और भी जो नेता लोग हैं सो जब आप लोग राजनीति में आए थे तब आपके
पास कितने पैसे थे और आज आप लोगों के पास कितने पैसे और प्रापर्टियाँ हैं
और जो हैं वो आई कहाँ से आप लोगों का धंधा व्यापार क्या है ? आखिर आपका धन
इतनी तेजी से बढ़ते कैसे चला जाता है ! कहीं ये धन ग़रीबों के लिए जुटाई
जाने वाली आवश्यक सुख सुविधाओं में किए गए भ्रष्टाचार का ही पैसा तो नहीं
होता है आखिर आप लोगों के पास इतना पैसा आता कहाँ से है आप लोग जहाज से
घूमते हैं ग़रीबों के पास साइकिल का ठिकाना नहीं होता है आप लोग काम भी कुछ
नहीं करते हैं गरीब लोग दिन रात मेहनत मजदूरी करते हैं फिर भी उन्हें दाल
रोटी पूरी करना मुश्किल हो जाता है और आप लोग चाहो तो सोने की दाल और सोने
की रोटियाँ खा सकते हो आप के पास बिना कुछ किए धरे राजाओं महाराजाओं की
तरह की सुख सुविधाएँ आखिर आती कहाँ से हैं यदि कोई घपला घोटाला नहीं होता
है तो ! मेरा निजी विचार है कि कोई किसी भी जाति संप्रदाय का नेता क्यों न
हो यदि उसके आर्थिक श्रोतों की जाँच ईमानदारी पूर्वक हो जाए तो सभी प्रकार
के सभी अपराधों एवं अपराधियों की पोल खुल जाएगी और सारी गुत्थी सुलझ जाएगी
कि क्यों नहीं बंद हो रहे हैं ये बलात्कार और अपराध ।
किसी भी थाने में या सरकारी आफिस या आफिसर से मिलने जाओ तो
हर काम के पैसे बँधे होते हैं यदि उनसे नैतिकता की दुहाई देकर पूछा जाए
तो वो ईमानदार अधिकारी लोग बता भी देते हैं कि ये पैसा ऊपर तक जाता है
इतना ही नहीं वो ये भी बता देते हैं कि कितना पैसा किस महीने में भेजना
होता है !किस शहर के किस विभाग में ट्राँसफर करवाने के लिए किसको कितनी
घूँस देनी पड़ती है यह भी लगभग हर सरकार में निश्चित होता है कहीं कुछ कम
कहीं कुछ ज्यादा और जहाँ भ्रष्टाचार जितना कम होगा वहाँ अपराध और बलात्कार
उतना ही कम होगा । जिसे ईमानदारी पूर्वक दालरोटी कमाना खाना है वह क्यों
और किस बात के लिए देगा किसी को घूस ! उनके भरोसे परदे के पीछे धन इकट्ठा
करने वाला टारगेट आखिर कैसे पूरा हो पाएगा आखिर कैसे खुश कर पाएँगे वो अपने
आका मंत्रियों और सरकार स्वामियों को ! और यदि नहीं खुश कर पाएँगे तो अगले
महीने ही ट्रांसफर कर दिया जाएगा किसी जंगली इलाके के लिए इसलिए उन्हें धन
संग्रह करना ही होता है इसके लिए चाहे नंबर दो का व्यापारी हो यो कोई
बलात्कारी या किसी और भी प्रकार का अपराधी ऐसे घूस प्रिय अधिकारी
कर्मचारियों नेताओं को मसीहा जैसा लगता है !
इसीलिए बलात्कार समेत सभी प्रकार के अपराधों पर लगाम लगाने के
लिए सरकारों में रह रहे या रह चुके उन सभी लोगों की संपत्तियों की जाँच यह
ध्यान में रखकर की जाए कि जब ये राजनीति में आए थे तब इनके पास संपत्ति
कितनी थी और आज कितनी है और उनका काम काज तब क्या था और आज क्या है
!इसप्रकार से ऐसे सभी संपत्तिवान नेताओं के संपर्कों की भी जाँच हो उन
संपर्कों के माध्यमों के तार जरूर किसी न किसी अपराधी से जुड़े होंगें
अन्यथा ईमानदारी पूर्वक सरकार चलाने का मतलब होता है सेवा सेवाकार्य और
सेवाकार्यों में कहाँ होता है पैसा ?
इसी विषय में पढ़ें मेरा यह लेख भी -
बरेली में बेटियों पर हुए बर्बर अत्याचार ने समाज को हिला दिया है !
वे दलित बेटियाँ क्यों समूचे भारत की बेटियाँ हैं ?वो हमारी और आपकी बेटियाँ हैं !
उत्तर प्रदेश के बदायूँ में दो बेटियों के साथ जो दारूण अत्याचार किया
गया है उससे सारी मानवता शर्मसार है देश की संस्कृति शर्मसार है देश का
धर्म शर्म सार है देश की शिक्षा पद्धति शर्मसार है सारा समाज शर्मसार है !
हमारी बनाई हुई लचर नीतियों के कारण इतना अत्याचार सह रही हैं बेटियाँ ! सच कहूँ तो see more...http://bharatjagrana.blogspot.in/2014/05/blog-post_2856.html
घूँस
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