कुछ लोगों ने हमारी मूर्खता से क्रुद्ध होकर हमें मूर्ख या इसी टाइप का
गाली गलौच में भी अपने अपने बिद्याबुद्धि या खानदानी पेशे के हिसाब से और
कुछ कुछ कहा यह पत्र हमें गाली देनेवाली भारत माता की उन संतानों के लिए
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गाली देने वाले क्लीब क्रांतिकारियो !
ईश्वर करे आपकी गाली देने की क्षमता का विकास हो आपका गाली शब्दकोष बढ़े आपके घरवाले नाते रिश्तेदार हेती व्यवहारी सब गली देने की कला में निपुण हों, आपके बीबी बच्चे आपको गाली दें, बेटा बहुएँ गाली दें जो मिलने आवें वो गाली दें रास्ते चलते लोग गाली दें आपके बच्चे भी आपको प्रातः सायं गाली दें बीबी भोजन देने के साथ गाली दे डाक्टर दवा देने के साथ गाली दे अंत समय यमराज भी गाली दें !
फेसबुक पर गाली लिखने वाले काल्पनिक शेरो " मैं आप के विषय में तो कुछ नहीं कह सकता हूँ किन्तु आपको छोड़कर बाकी सनातनधर्मी मूर्ख हो ही नहीं सकते !और अगर कुछ लोग हों भी तो भी
मैं क्यों कहूँ अगर मुझे ज्यादा दर्द होगा तो मैं या तो उनसे किनारा कर
लूँगा या फिर उन्हें भी रास्ते पर लाने का प्रयास कर करूँगा जैसे अभी कर
रहा हूँ !
वैसे बंधुवर ! हमें
तो हमारे स्कूलों में यही पढ़ाया गया है कि जो पैदायशी मूर्ख होता है उसकी
एक ही पहचान होती है कि वो अपनी औकात देखे बिना अपने अलावा किसी को भी कभी
भी मूर्ख कह सकता है जबकि सच्चाई इससे उलट होती है वस्तुतः मूर्ख होता वो
स्वयं है किन्तु वो केवल अपनी गलतफहमी के कारण इस रत्नगर्भा वसुंधरा पर इस
ज्ञानवान दुनियाँ में किसी को भी मूर्ख बोलते हुए इस धरती का बोझ बनकर
मूर्खों की खोज में कस्तूरी वाले हिरन की तरह घूम रहा होता है !
ऐसे लोग यदि कभी अपनी आत्मा के दर्पण में अपना चेहरा एक बार धोखे से भी
देख भर लें तो सारे पुरखों तक का भ्रम दूर हो जाएगा और साफ साफ पता लग
जाएगा कि उसके अपने अंदर पाई जाने वाली मूर्खता उसके उसके खानदान में कितनी
पीढ़ियों से चली आ रही है यह भी पता लग जाएगा कि उसके अलावा उससे पहले
उसकी कितनी पीढ़ियाँ अपनी मूर्खता से इस सुन्दर सी दुनियाँ को गन्दा करने
का प्रयास कर चुकी हैं उसकी कितनी पीढ़ियों से इस तरह की आनुवंशिक बीमारी का
दंश झेल रही हैं उसकी संताने.और यह सुन्दर सी दुनियां ! साथ ही यह भी पता
लग जाएगा कि उसकी अपनी मूर्खता किसकी देन है अर्थात वो स्वयं किस मूर्ख
का प्रोडक्ट है !इसलिए मैं तो किसी को मूर्ख कहने में डरता हूँ बाकी हमें
कोई कहना चाहे तो उसका स्वागत है !
सीय राम मय सब जग जानी ।करउँ प्रनाम जोरि जुग पानी ॥ भवदीय -
आपका अपना सा मूर्ख सा वाजपेयी
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