गुरुवार, 17 जुलाई 2014

साईं के नाम पर इकठ्ठा होने वाला धन चढ़ावा या चंदा ?ये जाँच का विषय !

    सनातन धर्मियों को साईंयों से सतर्क रहने की जरूरत !सनातन मंदिरों पर साईंयों का बढ़ता दखल चिंता का विषय ! समय ऐसा भी आ सकता है जब देवी देवताओं की मूर्तियाँ मंदिरों के बाहर उठाकर रख दी जाएँ !

      कहीं ये सनातन धर्म की मान्य मान्यताओं को छिन्न भिन्न करके सनातन धर्म को समाप्त करने का षड्यंत्र ही तो नहीं किया जा रहा है क्योंकि ये सारा धन चढ़ावा के नाम पर चंदा के रूप में इकठ्ठा किया जा रहा है जिसे चढ़ावा बताया जा रहा है और दबे पाँव सनातन धर्म के मंदिरों पर कब्जा करने के लिए प्रयोग किया जा रहा है धीरे धीरे बड़े बड़े मंदिर साईंयों की चपेट में आने लगे हैं, मंदिरों की भुक्खड़ कमेटियों की पैसे की भूख कभी समाप्त ही नहीं होती है वो धन के लालच में अपने अपने मंदिरों में पांच दस फिट जगह यह सोच कर दे साईंयों को दे दे रहे हैं कि पैसा मिलेगा ,साईं वाले मूर्तियाँ रखवाने के लिए पैसे देते हैं और फिर जहाँ मूर्तियाँ रखवाई जाती हैं वहाँ भाड़े के प्रशंसाकर्मी रखे जाते हैं जो साईं प्रभाव की झूठी कसमें खाते हैं कि मैंने साईं से ऐसा माँगा था वैसा माँगा तो साईं ने दे दिया फिर शुरू होती है वहाँ भीड़ फिर उससे चढ़ावे के नाम पर इकठ्ठा किया जाता है मोटा फंड फिर उस फंड का प्रयोग किसी दूसरी जगह दूसरे मंदिर में कब्ज़ा करके साईं की मूर्ति घुसेड़ने के लिए किया जाता है पिछले बीस वर्षों में पूरे देश में दौड़ा दी गई हैं साईं मूर्तियाँ इतने कम समय में इतना काम अंधाधुंध पैसा झोंक कर ही किया जा सकता था जो किया जा रहा है!इसे चढ़ावा नहीं कहा जा सकता है ये सबकुछ योजना बद्ध ढंग से सोची समझी साजिश के तहत चलाया जा रहा है । 

     मीडिया भी आज साईं के पैसे के आगे घुटने टेक चुका है शंकराचार्य जी के शास्त्रीय आदेश को विवादित बयान बताकर शास्त्रीय बातों को रखने रखवाने में कंजूसी कर रहा है मीडिया !गुरुपूर्णिमा के दिन मीडिया पूरी तरह साईं रंग में रँगा था ये पैसे का ही कमाल था !

      एक चैनल की तो यह स्थिति है कि वो अभी पिछले वर्ष ही पैदा हुआ था तब तक उसकी भाग्य से एक बाबा जेल चले गए वो वाबा जी भी सनातन धर्म की मान्य मान्यताओं को ठेंगा दिखाते हुए अपने को खूब पूजाते थे किन्तु जिस टी.वी.चैनल को कोई जानता पहचानता ही नहीं था उस टी. वी. चैनल के लिए उनका जेल  जाना किसी भाग्योदय से कम नहीं था। उस चैनल ने उसके बाद उन्हीं बाबा जी के बहाने एक नहीं कई बार सनातन शास्त्रों ,सनातन साधू संतों एवं सनातन धर्मियों को खूब निशाने पर लिया तब से उसे धार्मिक धंधे बाजी का ऐसा लोभ लगा है  कि अक्सर कुछ अधार्मिकों को एकत्रित कर लगाया करता है तथा कथित धर्म संसद और किया करता है ऊट पटांग सवाल जवाब जिनका धर्म से कोई लेना देना नहीं होता है !कई बार वो सवाल जवाब सनातन धर्म की स्थापित मान्यताओं का उपहास उड़ाते से लगते हैं जिसमें चैनल स्वतः सम्मिलित होता है । यद्यपि अन्य चैनल भी सनातन धर्म की स्थापित मान्यताओं और महापुरुषों की टाँग खिंचाई का प्रयोग  धंधे की तरह करते हैं ऐसे लोगों एवं चैनलों पर नियंत्रण  होना चाहिए!

     सनातन  धर्म के साथ यह इतनी बड़ी साजिश लगती है कि कुछ सनातन धर्म से जुड़े लोग भी साईंयों के धन से पोषित होने के कारण उन्हीं के आगे पीछे दुम हिलाने  लगे हैं!उनमें कुछ लोग तो ऐसे धार्मिक हो सकते हैं जिनकी किसी कारणवश गधे से घोड़ा बनने  की इच्छा पूरी नहीं हो सकी अर्थात सतर्क सनातन धर्मियों ने उन्हें ऐसा करने नहीं दिया तो वो वेष  भूषा तो सनातन धर्मियों की धारण करते हैं किन्तु दुम साईंयों  के आगे पीछे हिलाते हैं जिससे कुछ मिल जाता है !

     इसी प्रकार से कुछ ऐसे बाबा लोग हैं जो करना तो राजनीति चाहते हैं और करते भी राजनीति ही हैं और राजनेताओं की तरह ही चिंतन भाषण और आरोप प्रत्यारोप आदि सब कुछ करते हैं किन्तु वेष भूषा सनातन धर्मी धार्मिकों की धारण करते हैं बिलकुल महात्माओं की तरह !ये समझ से परे है कि वो किस लोभ से राजनीति में जुड़े हैं और किस लोभ से बाबा बने हुए हैं और किस लोभ से साईयों का साथ देते हैं !हो सकता है कि उन्हें भी साईयों से चुनावी चंदा आदि मिल  जाता हो !किन्तु साइयों को जब जरूरत पड़ती है तब ऐसे सनातन धर्मियों को अपने पक्ष में लाकर भाड़े का टट्टू बनाकर खड़ा कर लेते हैं ऐसे लोग धार्मिक दृष्टि से कितने विश्वसनीय हैं !

        रही बात चढ़ावे में रिकार्ड टूटने की तो वो तो होगा ही क्योंकि जैसे जैसे साईंयों की संख्या बढ़ रही है वैसे वैसे चंदा इकठ्ठा करने वाले बढ़ रहे हैं  तो धन तो बढ़ेगा ही ,बात वो नहीं अपितु मुख्य बात तो ये है कि उस पैसे का प्रयोग सनातन धर्म के मंदिरों पर कब्ज़ा करने के लिए हो रहा है !ये मेरा आरोप नहीं अपितु ऐसा हो रहा है !

      उसी चंदे के बल पर साईं को भगवान कहा जाने लगा, साईं के वृद्धाश्रमों को मंदिर कहा जाने लगा,साईं के गपोड़ ग्रन्थ को साईं चरित कहा जाने लगा, आरती पूजा में देव पूजा पद्धति की नक़ल की जाने लगी ये सब कुछ चिंता का विषय है, साईंयों ने सभी धर्मों से अधिक चोट सनातन धर्म को पहुँचाई है ये तो समय ही बताएगा कि सनातन धर्म इससे उबर पाता है या नहीं किन्तु एक बात सच है कि यदि साईंयों पर अभी से लगाम नहीं लगाई जा सकी तो साईं की मूर्तियाँ मंदिरों के अंदर और देवताओं की मूर्तियाँ उठा उठकर मंदिरों से बाहर रख दी जाएँगी ! इसलिए जागने की जरूरत है अभी भी समय है !

 

1 टिप्पणी:

Unknown ने कहा…

sai nam ki bimari sanatan dhrm ko nast nahi kar sakti ye jwar hai jald utar jayega parntu any shankrachary moun knyo hai