शनिवार, 5 जुलाई 2014

यदि साईं इतने ही चमत्कारी थे तो आजादी की लड़ाई के समय मुख छिपाकर क्यों बैठे रहे ?

    हमारे सभी भगवानों ने मानवता की रक्षा के लिए न केवल युद्ध लड़े  हैं अपितु जीत कर सिद्ध भी किया है कि वे भगवान हैं !

      सभी  भगवानों ने मानवता की रक्षा के लिए युद्ध लड़े हैं तब भगवान बने हैं   श्री राम, श्री कृष्ण,श्री शिव ,श्री दुर्गा जी ,श्री विष्णु जी ,श्री गणेश जी,श्री कार्तिकेय जी ,श्री हनुमान जी आदि सभी देवी देवताओं ने मानवता की रक्षा के लिए न केवल युद्ध लड़े हैं अपितु विजयी भी हुए  हैं  उन्हें भगवान माना नहीं गया है अपितु उन्होंने अपने आचरणों से सिद्ध किया है कि वो भगवान हैं । इसलिए भगवान न कोई बन सकता है और न ही  कोई बना सकता है भगवान तो होते हैं !भगवान जी के साथ ऐसा कुछ नहीं होता है कि उनके न रहने पर 'भगवान चरित्र 'नाम की कोई किताब लिखी जाए जो सौ प्रतिशत झूठ पर आधारित होने के कारण उसकी प्रमाणिकता पर ही विवाद हो !

        भगवान तो जब यहाँ होते हैं तभी उनके जन्म एवं कर्म इतने दिव्य होते हैं कि लोग स्वतः स्वीकार कर लेते हैं कि ये भगवान हैं उनके अनुयायिओं को सौ वर्षों बाद तर्क हीन  होकर बेइज्जती नहीं करानी पड़ती है । पानी से दीपक जला देना ये कोई भगवान होने की निशानी है या ऐसे और भी चमत्कारों  को बता कर किसी को भगवान नहीं बनाया जा सकता !  किसी को भगवान मानने के लिए शास्त्रीय लक्षण उसमें सिद्ध करने होंगे ये तो शास्त्र ही प्रमाणित करेंगे कि कौन भगवान है कौन नहीं !न कि चेला चेलियों की भीड़ !

       हमारे गुरू जी बताया करते थे कि बनारस में एक साधू हुए हैं जो बहुत तपस्वी थे उनके चेलों ने उनकी शादी यह कहते हुए करवा दी कि उन्हें सेवा की जरूरत है इसके बाद कुछ युवतियाँ उनसे गिड़गिड़ाने लगीं कि वो भी उनसे शादी करना चाहती हैं गुरू जी भक्तों की इच्छा का सम्मान करते चले गए ऐसे एक बहुत बड़ा कुनबा तैयार हो गया अंततः भक्तों की इच्छा का सम्मान करते करते साधू बाबा का साधुत्व सहित सब कुछ बर्बाद हो गया !

   इसलिए यह  भक्तों की इच्छा पर नहीं छोड़ा जा सकता कि वो किसी को भगवान बना दें यहाँ देखना ये होगा कि वो संत अपने को क्या और कैसा बनाना चाहता था उसकी इच्छाओं का सम्मान अवश्य होना चाहिए !क्या साईं बाबा भगवान बनना चाहते थे,क्या वो सोने चाँदी हीरा मोती आदि का मुकुट लगाना चाहते थे ये ध्यान देना होगा । यदि वो सिद्ध संत थे तो उनकी इच्छा अगर ऐसी होती तो वो लगा लेते !सोना  चाँदी हीरा मोती उनके लिए अलभ्य तो नहीं होता किन्तु यदि नहीं लगाया तो कुछ तो कारण रहा होगा उसे बिना जाने कैसे किया जाने लगा उनका मणियों से श्रृंगार ? और या फिर चेला ये मानते नहीं हैं कि तब भी वो पहन सकते थे इसलिए आज पहना रहे हैं !

   जहाँ तक "सबका मालिक एक " का उनका  सन्देश है तो इतना कहा जा सकता है कि हमारे जितने भी संत हुए हैं सबने ही सर्वात्मभाव का यही सन्देश दिया है ये तो अनादि काल से अपनी परंपरा में है अद्वैत दर्शन का अभिप्राय भी तो यही है !फिर अलग इसमें क्या है ?हाँ अलग इतना ही है कि पढ़े लिखे लोग अद्वैत समझ लेते हैं अनपढ़ लोग "सबका मालिक एक" समझ लेते हैं क्योंकि ये सरल भाषा में कहा गया है !

    वस्तुतः साईं बाबा के अनुयायिओं की धार्मिक अयोग्यता के कारण ही ये विवाद हुआ है इसमें स्वरूपानंद जी कहीं से भी रंच मात्र भी गलत नहीं हैं । चूँकि सनातन धर्म शास्त्रीय प्रमाणों के आधार पर चलता है और साईं के विषय में प्रमाण कोई होते  हैं नहीं उनके बारे में सब कुछ निराधार लिखा बोला गया है झूठ बोला जा रहा है क्योंकि यदि वो विरक्त संत थे तो वो अपनी जीवनी क्यों छपवाएँगें!मैंने यहाँ तक सुना है कि उन्हें साईं नाम भी किसी और ने दिया था उन्होंने अपना नाम भी प्रकाशित नहीं किया है और वैसे भी जिसने अपने अनुयायियों को अपना जाति  धर्म जन्म स्थान जन्मवर्ष आदि कुछ भी न बताया हो ऐसे किसी भी संत को देवता बनाने वाले पचड़ों में डालना उसकी  निजी इच्छाओं का अपमान है। हो सकता है कि साईंबाबा  भगवान बनना ही न चाहते हों क्योंकि उनकी यदि ऐसी कोई इच्छा होती तो अपने जीवित रहते ऐसा कोई प्रचार प्रसार करते ।

     जब बात आती है उनके द्वारा किए गए चमत्कारों की जैसे पानी से दीपक जलाना,आटा पीस के रोग भगा देना आदि आदि ऐसा अपने यहाँ अनेकों संत करते रहे हैं अभी तक ऐसे चमत्कार देखे सुने जा सकते हैं कानपुर के सुचर्चित संत शोभन सरकार ने कई बड़े चमत्कार किए हैं जिनके साक्ष्य लाखों नहीं अपितु  करोड़ों लोग हैं

 इसी प्रकार से भरुआ सुमेरपुर (हमीरपुर उ. प्र. ) में रोटीराम जी महाराज जी जो भंडारे के भोजन के लिए पूड़ियाँ नदी के पानी में तलवा लिया करते थे!बुंदेलखंड के सिसोलर स्वामी जी का नाम भी इन्हीं कारणों से कुछ जिलों में  प्रसिद्ध  है ऐसे चमत्कारों के लिए बहुत महात्माओं को बहुत लोग जानते होंगे किन्तु इसका मतलब यह कतई नहीं  है कि इन चमत्कारों के कारण उन्हें भगवान मान लिया जाए !

  कुल मिलाकर हमें शास्त्रीय विधि का अतिक्रमण नहीं करना चाहिए !


1 टिप्पणी:

बेनामी ने कहा…

sahi hi