साईं समर्थक बनावटी बाबा पंडित लोग या तो सनातन धर्मी हिन्दू नहीं हैं या फिर पढ़े लिखे नहीं हैं या फिर धर्म शास्त्रों का अध्ययन बिलकुल नहीं किया है इतना ही नहीं अपितु इन्होंने किसी पढ़े लिखे व्यक्ति का सत्संग भी नहीं किया है बेचारे इन मासूमों(बाबा पंडितों) को नहीं पता है कि उनकी धर्मशास्त्रीय मूर्खता की कीमत सनातन धर्म को कितनी और कैसे चुकानी पड़ेगी ! क्योंकि उन्हें शास्त्र के विषय में
ऐसे बाबाओं और पंडितों के धर्म शांकर्य ने देश को अनेकों बार धर्म संकट में डाला है ! साईं प्रकरण उठने से सनातन धर्म को एक बहुत बड़ा लाभ हुआ है वो ये कि जो धर्मसंकरी बाबा और पंडित साधुओं और विद्वानों का वेष बना कर सनातन धर्मियों में घुस आए थे जिसमें कुछ लोग धर्म के नाम पर अपना दाढ़ा झोटा बेच रहे थे कुछ ज्योतिष आदि किन्तु साईं प्रकरण सामने आने के बाद ऐसे सभी कालनेमि सामने आ गए हैं अब उनकी पहचान हो गई है जिनका बहिष्कार करना अब आसान हो गया है और ये काम समाज का है अन्यथा कल फिर ये लोग आपको ज्योतिष बताएँगे एवं धर्म सिखाएँगे जबकि ये धार्मिक दृष्टि से अँगूठा टेक हैं !इन्हें धर्म के विषय में कुछ भी नहीं पता है ये लोग समाज को आज तक मूर्ख बनाते रहे हैं आज से मत मानना ऐसे निरक्षरों की बात !आप स्वयं देखिए ये बात तो आपको भी समझ में आ जाएगी जो इन कुंद बुद्धियों को नहीं आ रही है !आप भी ध्यान दीजिए
कि जिनके पैदायशी दोष के कारण उन्हें सनातन धर्म के संस्कार नहीं मिल पाए और शास्त्रों का ज्ञान तो मिल ही नहीं पाया की उआ एक
ऐसे बाबाओं और पंडितों के धर्म शांकर्य ने देश को अनेकों बार धर्म संकट में डाला है ! साईं प्रकरण उठने से सनातन धर्म को एक बहुत बड़ा लाभ हुआ है वो ये कि जो धर्मसंकरी बाबा और पंडित साधुओं और विद्वानों का वेष बना कर सनातन धर्मियों में घुस आए थे जिसमें कुछ लोग धर्म के नाम पर अपना दाढ़ा झोटा बेच रहे थे कुछ ज्योतिष आदि किन्तु साईं प्रकरण सामने आने के बाद ऐसे सभी कालनेमि सामने आ गए हैं अब उनकी पहचान हो गई है जिनका बहिष्कार करना अब आसान हो गया है और ये काम समाज का है अन्यथा कल फिर ये लोग आपको ज्योतिष बताएँगे एवं धर्म सिखाएँगे जबकि ये धार्मिक दृष्टि से अँगूठा टेक हैं !इन्हें धर्म के विषय में कुछ भी नहीं पता है ये लोग समाज को आज तक मूर्ख बनाते रहे हैं आज से मत मानना ऐसे निरक्षरों की बात !आप स्वयं देखिए ये बात तो आपको भी समझ में आ जाएगी जो इन कुंद बुद्धियों को नहीं आ रही है !आप भी ध्यान दीजिए
जैसा कि प सबको पता है कि मूर्तियाँ पत्थर से मिट्टी से लकड़ी से या किसी भी धातु से बनायी जाती हैं बात ये मुख्य नहीं है मुख्य बात ये है कि उन मूर्तियों को देवी देवता देवता के रूप में प्रतिष्ठित करने के लिए मन्त्र होते हैं जिनके द्वारा उस मूर्ति में सम्बंधित देवी देवताओं का अंगन्यास करन्यास आदि करके उसी देवी देवता के मन्त्रों से उस देवता के प्राण तत्व का उस मूर्ति में आवाहन किया जाता है इस प्रकार से उस देवी देवता के नाम वाले वेद मन्त्रों की शक्ति से उस निर्जीव मूर्ति को देवी देवता के स्वरूप में परिवर्तित कर लिया जाता है ।
अब कोई मनुष्य संत या साधक या सिद्ध संभव है कि वो बहुत अधिक लोगों की आस्था का केंद्र बन जाए उसकी मूर्ति स्थापित भले कर ली जाए किन्तु पूजी नहीं जा सकती क्योंकि उसकी प्राण प्रतिष्ठा कैसे की जाएगी ?प्राण प्रतिष्ठा वेद मन्त्रों के बिना संभव है ही नहीं और वेदमंत्र वेद लिखने के साथ लिखे गए थे वेद बहुत पहले लिखे जा चुके थे !उसके बाद जिस किसी का जन्म हुआ उसका मन्त्र वेदों में हो ही नहीं सकता इसलिए बिना मन्त्र की प्रतिष्ठा कैसी अर्थात हो ही नहीं सकती फिर अगर कोई किसी मनुष्य संत या साधक या सिद्ध आदि की मूर्ति बनाकर पूजता है तो वो देवी देवता तो हुई नहीं वो तो पत्थर ही है और पत्थर को देवता या संत ,साधक , सिद्ध आदि बताकर समाज को भ्रमित करना धोखाधड़ी है कि नहीं ?
अब कोई मनुष्य संत या साधक या सिद्ध संभव है कि वो बहुत अधिक लोगों की आस्था का केंद्र बन जाए उसकी मूर्ति स्थापित भले कर ली जाए किन्तु पूजी नहीं जा सकती क्योंकि उसकी प्राण प्रतिष्ठा कैसे की जाएगी ?प्राण प्रतिष्ठा वेद मन्त्रों के बिना संभव है ही नहीं और वेदमंत्र वेद लिखने के साथ लिखे गए थे वेद बहुत पहले लिखे जा चुके थे !उसके बाद जिस किसी का जन्म हुआ उसका मन्त्र वेदों में हो ही नहीं सकता इसलिए बिना मन्त्र की प्रतिष्ठा कैसी अर्थात हो ही नहीं सकती फिर अगर कोई किसी मनुष्य संत या साधक या सिद्ध आदि की मूर्ति बनाकर पूजता है तो वो देवी देवता तो हुई नहीं वो तो पत्थर ही है और पत्थर को देवता या संत ,साधक , सिद्ध आदि बताकर समाज को भ्रमित करना धोखाधड़ी है कि नहीं ?
कि जिनके पैदायशी दोष के कारण उन्हें सनातन धर्म के संस्कार नहीं मिल पाए और शास्त्रों का ज्ञान तो मिल ही नहीं पाया की उआ एक
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