कैसा रहेगा लालू और नितीश का गठबंधन
किन्तु इस फार्मूले में एक बहुत बड़ी कमी है वो ये कि आरजेडी
और जेडीयू दोनों ही विगत लोकसभा चुनाओं में इतने अधिक घायल हो गए हैं कि
दोनों अपने बल पर खड़े नहीं हो पा रहे हैं या यूँ कह लें कि यदि ये गठबंधन
हुआ तो दोनों दोनों पर बोझ सिद्ध होंगे !क्योंकि दो विकलांग लोग जैसे एक के
पैर ख़राब हों और एक की आँखें तब अँधा आदमी लंगड़े को अपने कंधे पर बैठा कर
ले जा सकता है एक रास्ता बताता रहेगा दूसरा चलता रहेगा किन्तु जब दोनों
अंधे और दोनों लंगड़े हों तो उनका गठबंधन कैसा होगा !कहने का मतलब लोकसभा
चुनावों में जब दोनों दलों का सूपड़ा साफ हुआ है और दोनों किसी लायक नहीं
बचे हैं तो किसका गठबंधन किससे गठबंधन क्या करने के लिए गठबंधन ?इस गठबंधन
को तो बुढ़ौती का विवाह समझो जो केवल लोगों को हँसाने के लिए किया जाता है !
रही बात भाजपा को हराने की तो वो बातें तो अब स्वप्न हो गईं जब लालू और नीतीश दोनों ने जीवन भर बिहार में ही पहलवानी की वहाँ से निकल कर कहीं और गए नहीं यहाँ तक कि एक ने 15 वर्षों तक शासन किया और एक अभी भी कर रहा है यदि
तब दो के दोनों बिहार की जनता का दिल नहीं जीत सके और बिहार से दूर दूर
रहने वाले मोदी ने इन लोक सभा चुनावों में दोनों दलों को उनके घर में घुस कर जम कर धुना है अब तो वही मोदी जी प्रधानमन्त्री हैं अब क्या कोरा छोड़ देंगें लालू नीतीश जी !इसलिए गठबंधन तक तो बात ठीक है किन्तु भाजपा को साफ करने का सपना मत देखना नहीं बची खुची हड्डियाँ भी तोड़ा बैठो !बाक़ी आपकी इच्छा ।
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