अपने देवी देवताओं को छोड़कर भूतों प्रेतों की पूजा करने का क्या औचित्य ?
जब किसी मनुष्य की मृत्यु होती है पापी होता है तो यम लोक जाता है और पुण्यात्मा होता है तो स्वर्ग लोक जाता है और भक्त होता है तो भगवान को प्राप्त होता है और सिद्ध साधक संत आदि होता है वो मोक्ष को प्राप्त करता है कुल मिलाकर जिसने जन्म लिया है उसे धरती त्यागकर जाना ही होता है भले वह संत ही क्यों न हो ! केवल भूत प्रेत हैं उनकी कोई गति नहीं होती उन्हें एक निश्चित समय तक यहीं रहना होता है ये शास्त्रीय सिद्धांत है फिर भी किसी व्यक्ति को मरने के बाद भी अगर कोई पूजता है तो यह प्रेत पूजन हुआ या नहीं
मूर्तियाँ पत्थर से मिट्टी से लकड़ी से या किसी भी धातु से बनायी जाती हैं बात ये मुख्य नहीं है मुख्य बात ये है कि उन मूर्तियों को देवी देवता देवता के रूप में प्रतिष्ठित करने के लिए मन्त्र होते हैं जिनके द्वारा उस मूर्ति में सम्बंधित देवी देवताओं का अंगन्यास करन्यास आदि करके उसी देवी देवता के मन्त्रों से उस देवता के प्राण तत्व का उस मूर्ति में आवाहन किया जाता है इस प्रकार से उस देवी देवता के नाम वाले वेद मन्त्रों की शक्ति से उस निर्जीव मूर्ति को देवी देवता के स्वरूप में परिवर्तित कर लिया जाता है ।
अब कोई मनुष्य संत या साधक या सिद्ध संभव है कि वो बहुत अधिक लोगों की आस्था का केंद्र बन जाए उसकी मूर्ति स्थापित भले कर ली जाए किन्तु पूजी नहीं जा सकती क्योंकि उसकी प्राण प्रतिष्ठा कैसे की जाएगी ?प्राण प्रतिष्ठा वेद मन्त्रों के बिना संभव है ही नहीं और वेदमंत्र वेद लिखने के साथ लिखे गए थे वेद बहुत पहले लिखे जा चुके थे !उसके बाद जिस किसी का जन्म हुआ उसका मन्त्र वेदों में हो ही नहीं सकता इसलिए बिना मन्त्र की प्रतिष्ठा कैसी अर्थात हो ही नहीं सकती फिर अगर कोई किसी मनुष्य संत या साधक या सिद्ध आदि की मूर्ति बनाकर पूजता है तो वो देवी देवता तो हुई नहीं वो तो पत्थर ही है और पत्थर को देवता या संत ,साधक , सिद्ध आदि बताकर समाज को भ्रमित करना धोखाधड़ी है कि नहीं ?
साईं विवाद प्रकरण में हिन्दू धार्मिक संगठनों के मौन के पीछे कौन ?
कुछ लोग कहते हैं कि शंकराचार्य जी के द्वारा साईं विवाद छेड़ने के पीछे काँग्रेस की साजिश है !मित्रो !यदि कहने वालों पर ध्यान दिया जाए तो लोग तो यह भी कहते हैं कि धार्मिक मुद्दों की ताक में रहकर तिल का ताड़ बनाकर विप्लव खड़ा कर देने वाले हिन्दू धार्मिक संगठनों के साईं विवाद पर मौन के पीछे कौन ?
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मोदी ने जनता को अच्छे दिन लाने का लॉलीपाप देकर गुमराह किया: केजरीवाल -पंजाब केशरी
किन्तु केजेरीवाल जी !अभी से ये कैसे कहा जा सकता है कि मोदी जी ने लॉलीपाप देकर जनता को गुमराह किया है !ये तो तब होता जब बीच में सरकार छोड़ कर भाग गए होते जैसे आप ! वैसे मोदी जी अभी तक तो अपने दिए हुए बचनों को पूरा करने के प्रयास में लगे हुए हैं अभी तक तो वो सही रास्ते पर चलते दिखाई पड़ रहे हैं फिर आलोचना क्यों ? रही बात महँगाई आदि बढ़ने की तो लम्बी दौड़ लगाने के लिए चार कदम पीछे जाना भी पड़ता है उससे रेस अच्छी बन जाती है मोदी जी बस उसी रेस की तैयारी में लगे हुए हैं शांति रखिए अभी तक तो आशा है कि मोदी जी अच्छे दिन लाएँगे ?
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