मंगलवार, 8 जुलाई 2014

जो अपना भगवान बदल सकता है उसके ईमान पर भरोसा कैसे किया जाए !

  जो लोग श्री राम के सगे नहीं हुए वो साईं के क्या होंगे ?

प्रश्न - साईं भक्तों की आस्था को को चोट पहुँचाना ठीक है क्या ? 

 उत्तर -बिलकुल नहीं ,किसी की आस्था को चोट पहुँचाना जघन्यतम अपराध है बशर्ते उसकी आस्था से किसी और की आस्था आहत न होती हो तो ! जैसे किसी बाप के चार बेटे हों उनमें से एक बेटा पड़ोसी के बहकावे में आकर उसे खुश करने के लिए अपने बाप को चौराहे पर खड़ा करके बेइज्जत कर रहा हो तो शेष तीन बेटों को उसकी आस्था का सम्मान करते हुए उसे ऐसा करने देना चाहिए क्या ?

      यदि नहीं तो जो सनातन हिन्दू धर्म सभी हिन्दुओं का साझे का सबका है केवल कुछ लोगों की बपौती नहीं है !आखिर किस अधिकार से कुछ लोग विधर्मियों को खुश करने के लिए अपने देवी देवताओं को साईं के सामने छोटा सिद्ध करने पर तुले हुए हैं अपने भगवानों को क्यों बैठाते हैं विधर्मियों के चरणों में ,देव पूजा के लिए बनाए गए वेद मन्त्रों का प्रयोग विधर्मियों की पूजा के लिए क्यों कर रहे हैं शास्त्रीय पूजा पद्धतियों की परम्पराएँ नष्ट भ्रष्ट करके दुष्प्रचारित क्यों कर रहे हैं सनातन धर्म का मूल वेद माता गायत्री जैसे मन्त्र में देवताओं की जगह विधर्मियों का नाम जोड़ कर गायत्री का उपहास क्यों उड़ा रहे हैं ! सनातन हिन्दू धर्मियों के देवस्थानों अर्थात मंदिरों में विधर्मियों की मूर्तियाँ क्यों लगा रहे हैं!मंदिरों में भगवान के श्री विग्रहों के सामने विधर्मियों के लिए अनंत कोटि बह्मांड नायक के नारे क्यों लगाए जा रहे हैं !सनातन हिन्दू धर्मं पर यह सारा अत्याचार उनके सामने और उनके द्वारा किया जा रहा है जिनके कन्धों पर अपने पूर्वज  सनातन हिन्दू धर्म की रक्षा का भार सौंप कर गए थे यदि हमारे कुछ भाई बंधू और कुछ धन एवं राजनैतिक पद प्रतिष्ठा के लोभी राजनैतिक बाबा लोगों का समर्पण विधर्मियों की पूजा के लिए है तो भी धर्मशास्त्रीय सन्देश देना हमारा भी अधिकार है और कर्तव्य भी !यदि वो लोग हमारी आस्था की परवाह नहीं कर रहे हैं तो हम उनकी आस्था के प्रति समर्पित क्यों हों ?इसलिए किसी लोभ से विधर्मियों की पूजा करने के  लिए यदि हमारे भाई बंधू सम्मोहित कर ही लिए गए हैं तो क्या हमारा हमारे धर्म के लिए कोई कर्तव्य ही नहीं है ?

     जिन्होंने हमारी आस्थाओं की परवाह नहीं की उनकी आस्था पर हम क्यों विचार करें !अपने देवी देवताओं को साईं के सामने बेइज्जत करने से पहले उन्हें सोचना था कि इस धर्म पर केवल हमारी ही बपौती नहीं हैं हमारे अलावा भी  सनातन धर्मी हिन्दुओं का एक बहुत बड़ा वर्ग अभी भी इन देवी देवताओं की पूजा अपने प्राण पुष्पों से करता है वो अपने देवी देवताओं का ऐसा अपमान कभी नहीं सह नहीं पाएगा फिर भी उन्होंने लट्ठ के बल पर आग से खिलवाड़ किया है हमारे धर्म के शीर्ष धर्माचार्य को मूर्ख कहा है उनसे माफी माँगने के लिए कहा है उन्हें धमकाने के लिए रोडों पर प्रदर्शन किया है कानूनी दबाव बनाने का प्रयास किया है आखिर क्यों क्या वो सोचते हैं कि साईं लीला मंडली की इन हरकतों से सनातन धर्मी डर कर चुप हो जाएँगे और मर जाने देंगे सनातन हिन्दू धर्म ?

        इसलिए यदि उन्होंने अपनी और केवल अपनी आस्था पर अपने को तौल दिया है तो हमें भी हमारी आस्था पर समर्पित होने का अधिकार है जो हम करना चाहते हैं !हमें हमारे कर्तव्य से किसी भी प्रकार से बंचित नहीं किया जा सकता है । 

साईं भक्तों की आस्था को को चोट पहुँचाना ठीक है क्या ?

दूसरा उत्तर -किसी की आँखों के सामने कोई किसी की बहन बेटी के साथ प्यार करने के नाम पर दुराचार कर रहा हो तो उसके बाप और भाई का क्या दायित्व है ?

 

साईं भक्तों की आस्था को को चोट पहुँचाना ठीक है क्या ?

तीसरा उत्तर - यदि कोई लालच बश अपने देश के दुश्मनों से स्नेह कर बैठा हो और अपने देश को मिटा देने की सुपारी ले बैठा हो इस नाते वो पूरे देश वासियों को भ्रमित कर रहा हो और जब इस बात की पोल खुल जाए तब भी सहत रहना चाहिए क्या ?

साईं भक्तों की आस्था को को चोट पहुँचाना ठीक है क्या ?

 चौथा उत्तर - जिसे तुम अभी तक भगवान मानते रहे जिन वेद मन्त्रों को अपने देवी देवताओं की स्तुति मानते रहे उनका प्रयोग आज एक अदने से बुड्ढे को खुश करने के लिए करते हुए कैसे सहा जाए ?

 

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