शुक्रवार, 29 अगस्त 2014

क्या हिंदू धर्म केवल नारों और भाषणों तक ही सीमित रहेगा ?

    धर्म की रक्षा के लिए अब सनातन धर्मियों को आगे आना होगा !   
    ऐसी बहादुरी किस काम की कि बड़े बड़े नारे लगाओ हाथ फटकार फटकार के भाषण दो कसमें खाओ औरों को भी खिलाओ और जब काम करने का समय आवे तो आँखें चुराते फिरो अमेरिका घूम आओ,काशी चले जाओ किन्तु अयोध्या में श्री रामलला के दर्शन करने न जाओ आखिर ऐसा क्या अपराध हो गया श्री राम जी से !क्यों बचते फिर जा रहा है अयोध्या ,श्री रामलला एवं श्री राम मंदिर निर्माण संबंधी अत्यंत पुनीत कार्य से ?
    श्री राममंदिरनिर्माण के विषय को कैसे फैलाया गया था पूरे विश्व में और झकझोरा गया था श्री राम  के प्रति असीम श्रद्धा रखने वाले भक्त श्रद्धालुओं के सुकोमल हृदयों को, उस समय हिन्दूधर्म से जुड़े ऋषियों, मुनियों, महापुरुषों,राजा महाराजाओं,नेताओं,नायकों वीर बलिदानियों की दुहाई दे देकर श्री राम मंदिर निर्माण करने के लिए कैसे आंदोलित किया गया था सारा सनातन हिन्दू धर्मी समाज और हटा दिया गया था   शादियों पुराना बाबरी मस्जिद नामक विवादित ढाँचा ।
    उस समय हर नेता के माथे पर तिलक कंधे पर रामनामी और मुख में 'जय श्री राम' का  शब्द  था , श्री राम मंदिर निर्माण समर्थक पार्टी की ओर से भगवा भाषणदात्री साध्वी वीरांगनाएँ अपनी वाग्ज्वाला से झुलसाती हुई हुंकार मार मार कर ललकार रही थीं कि जब हमारी पार्टी सत्ता में आएगी तब संसद पर फहरेगा भगवा ध्वज और संसद में गूँजेगा 'जय श्री राम' ! उस समय ऐसा लग रहा था कि श्री राम मंदिर निर्माण के बिना कितने बेचैन हैं ये लोग इसी  चिंता में इन लोगों को भूख भी नहीं लगती होगी ये श्री राम भक्त बेचारे शायद रात रात भर सोते भी नहीं होंगे । हिन्दू धर्म को आक्रांताओं की निशानियों से मुक्त करवाने की कसमें खाने के समय मस्जिद नाम के लगभग 3000 ढाँचे हटाने का संकल्प करवाया जा रहा था और कहा जा रहा था कि -
      अयोध्या मथुरा विश्वनाथ । तीनों लेंगे एक साथ ॥
 बंधुओ ! श्री राम मंदिर निर्माण के लिए इन्हीं पवित्र पुरुषों के द्वारा हम सभी लोगों को कसमें खिलाई जा रही थीं कि-
       " सौगंध राम की खाते हैं कि हम मंदिर वहीँ बनाएँगे "
          श्री राम लला हम आएँगे । मंदिर वहीं  बनाएँगे ॥ 
               बच्चा राम का , जन्म भूमि के काम का ॥ 
            अभी तो ये अँगड़ाई है ।  आगे कठिन लड़ाई है ॥ 
        आदि आदि और भी बहुत ऐसे ही जोशीले नारे  लगा लगा कर तोड़ दिया गया था वह विवादित ढाँचा जिसकी छाँव में प्रभु श्री राम लला जी  वर्षों से रह रहे थे वो ढाँचा कैसा भी क्यों न हो किंतु शर्दी गर्मी वर्षा से बचाव तो होता था किन्तु आज प्रभु  श्री राम जी खुले मैदान में एक तम्बू लगाकर चबूतरे पर इसी प्रतीक्षा में वर्षों से बैठे हुए हैं ?कि आते ही होंगे हमारे लिए असीम श्रद्धा रखने वाले भारतीय संस्कृति के लिए समर्पित रण बाँकुरे !



   बंधुओ ! उन पवित्र रामभक्त लोगों का न जाने कहाँ विलुप्त सा हो गया श्री राम जी के प्रति वो पवित्र श्रद्धा भाव ,वो जोश ,वो समर्पण वो बेचैनी ,वो आतुरता आदि सब कुछ !
    अभी हाल ही में संपन्न हुए चुनावों में सत्ता सुंदरी ने जब विजयवर माला लेकर गले में पहनाने के लिए जब श्रीरामादल वाले विजयी वीरों के कलित कंठ की ओर बढ़ने के लिए अपने  डगमगाते डगों से नाप  रही थी वह स्वल्प दूरी उधर हर्ष की हिलोरों से छलकता शिष्टाचार संस्कृति संस्कारों का प्रतीक रामादल दंडवत करते हुए संसद की ओर बढ़ता जा रहा था और रखता जा रहा था धीरे धीरे एक एक कदम !उधर अत्यंत व्यस्त मीडिया लोगों के कपड़ों के कलर एवं बटनों की बनावट का वर्णन करता हुआ उस अनंत आनंद से अत्यंत ओतप्रोत था इस रामादल में अद्भुत वातावरण था लोग इस विजय का श्रेय एक दूसरे को देने में तल्लीन थे सभी लोग अपनी अपनी संघर्ष गाथा अपने अपने शब्दों में एक दूसरे को बता देना चाह रहे थे कभी अपने एवं अपने त्याग और पूर्व पुरुषों के बलिदान की बातें करते करते किसी के प्रेमाश्रु उमड़ पड़ते थे फिर पानी पी पी कर बताए जा रहे थे अपने जन सेवाव्रत के पवित्र सिद्धांत एवं देश की वोटदायिनी जनता पर मीडिया के माध्यम से किया जा रहा था अपनेपन का अमिय छिड़काव !  इस आनंद महोत्सव को मनाते मानते नाचते गाते आतिशबाजी छुटाते पलों के समान बीत गए प्रतीक्षा के कुछदिन देश देश के लोकतांत्रिक राजाओं को आमंत्रित किया गया और सबके साथ मिलजुलकर प्रेम पूर्वक धूमधाम से मनाया गया शपथ ग्रहण नामक समारोह !     बंधुओ ! इस शपथ ग्रहण समारोह में सब कुछ अद्भुत था मनोहारी था अपनी सरकार बनने का एहसास पूरे देशवासियों को हो रहा था उसी के अनुरूप आनन  फानन में सरकार बनाते ही बैठकें चालू हो गेन लिए जाने लगे फटाफट फैसले और मीडिया को दिए जाने लगे त्वरित सन्देश उधर वृत्तहार अपने अपने इवी चैनलों पर बैठ बैठकर पीटने लगे रामराज्य का ढिंढोरा और गढ़ने लगे अपने अपने मन मुताबिक मंत्रियों के लिए विरुदावलियाँ इस प्रकार से अत्यंत आनंद का वातावरण था ! किन्तु इस शपथग्रहण समारोह में श्री राममंदिर निर्माण आंदोलन के समय ली गई शपथों की अनदेखी खटकती रही इस संपूर्ण समारोह में किसी रामभक्त के हाथ में न दिखाई दिया भगवाध्वज और न कंधे में केशरिया दुपट्टा और न ही सुनाई दिया मुख से 'जय श्री राम '
     श्री राम भक्तों में इतना बड़ा बदलाव देख सुन कर कई बार तो ऐसा लगने लगता है कि जैसे किसी आर्ष ऋषि के शाप प्रभाव से इनके स्मृति पटल से डिलीट हो चुका  है श्री राम मंदिर से जुड़ा हुआ संपूर्ण डाटा !



 श्री राममंदिर का नाम लेने से परहेज आने लगो ,सारी दुनियाँ में घूम आओ अयोध्या जाने में डर लगे , नेताओं की मूर्तियाँ बनाने में करोड़ों रूपए लगाने की तैयारी और श्री राम मंदिर बनाने में लाचारी 
तब  कहो  कि  हमें तो श्रीराम मंदिर का नाम लेने में डर लगता है । जिस सरकार को बनाने के लिए श्री राम जी का बाबरी मस्जिद नामक अस्थायी आवास ध्वस्त कर दिया गया जिसमें श्री राम जी का वर्षा ऋतु में वर्षा से बचाव होता था गरमी में धूप से  एवं शर्दी में शीत से बचाव हो जाता था कुल मिलकर हिंदुओं के हृदय सम्राट श्री राम प्रभु को जो छाया मिल रही थी वो अब वहाँ इसलिए नहीं है क्योंकि वहाँ भव्य मंदिर निर्माण होना है किन्तु कब ?सरकार एक बार पहले भी बन चुकी है किन्तु श्रीराम मंदिर नहीं बन सका !इसके बाद मंदिर निर्मात्री सरकार बिगड़गई ,पुनः सरकार बनी किन्तु मंदिर बनने की बात अभी भी शुरू नहीं हो पा रही है 
    जिस सरकार को बनवाने के लिए श्री रामलला एक चबूतरे पर शर्दी गर्मी बरसात सहते हुए धरने पर बैठे हैं वो सरकार तो बन गई किन्तु प्रभु श्री राम का मंदिर आखिर कब बनेगा !भाजपा को पूर्ण बहुमत दिलाने की कृपा प्रभु श्री राम ने तो कर दी किन्तु भाजपा श्री राम मंदिर बनाने का अपना बचन कब निभाएगी ? लोग मंत्री बनाए एवं बदले  जा रहे हैं न काम जिम्मेदारी


 

 हिंदुओं की बहादुरी ने बिगाड़े अक्सर काम !गैर जिम्मेदारी से बिगड़ रहे हैं बड़े जरूरी काम !


          
  

अयोध्या में श्री राममंदिर निर्माण के लिए शुभ समय और ज्योतिष-(19.6.2014 से प्रारम्भ होकर 14.7.2015 तक) see  more...http://snvajpayee.blogspot.in/2013/08/blog-post_24.htm


    आज भारत की पहचान हिंदुस्थान और भारत वर्ष दोनों ही नामों से होती है ।चूँकि  सम्राट 'भरत' के नाम से इस देश का नाम भारतवर्ष पड़ा है इसलिए महाराज भरत के राष्ट्र की शासन व्यवस्था तो शास्त्र प्रतिपादित थी अर्थात सभी कार्य शास्त्रों के अनुशार किए जाते थे सनातन धर्मशास्त्रों से नियंत्रित शासन व्यवस्था जिस देश की हो वो भारत वर्ष है पहले अपने देश में भी ऐसा ही था। 
    हिंदुस्थान या हिन्दूराष्ट्र  ये दोनों एक जैसे शब्द हैं हिन्दुओं के रहने का स्थान 'हिंदुस्थान'और हिंदुओं का राष्ट्र (देश) ही हिंदुस्थान या हिन्दूराष्ट्र है ।
         


      ही है दूसरा हिंदुओं के रहने का स्थान होने के कारण हिंदुस्थान कहा गया इंडिया शब्द का हमारे देश की पहचान से कोई सम्बन्ध नहीं है ये तो मिला हुआ नाम है ।

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