सोमवार, 10 नवंबर 2014

प्रभु श्री राम आज उनके दर्शन के लिए तरस रहे हैं जो पहले कभी प्रभु श्री राम के दर्शनों के लिए अयोध्या आया करते थे !

  आखिर अब क्यों कतराने लगे हैं लोग श्री राम मंदिर का नाम लेने में ?ऐसे कैसे कब बन पाएगा श्री राम मंदिर और बनाएगा कौन ?श्री राम जी ने अपने भक्तों को दिया सिंहासन किन्तु वही उनके भक्त उन्हें  चबूतरासन पर बैठाकर आश्वासन देकर सारी  दुनियाँ का भ्रमण करते घूम रहे हैं किन्तु अयोध्या नहीं जा पाते हैं!
      श्री राम मंदिर निर्माण आंदोलन चलाने वालों को मिली सत्ता और सरकार किन्तु श्री राम जी को क्या मिला ? करोड़ों हिन्दुओं के अाराध्य श्री रामलला जिस ढाँचे में विराजते थे शर्दी गर्मी वर्षात से उनका बचाव होता था भव्य मंदिर बनाने का सपना दिखाकर उनसे वो छत छोड़ा ली गई आज वे एक चबूतरे पर बैठे  टेंट में दिन काट रहे हैं आखिर किसके लिए !
     जिन नेताओं और दलों को श्री रामवादी माना जाता है लगता है कि वो दल अब अपनी इस पहचान से पीछा छोड़ा लेना चाहते हैं आखिर क्यों और कौन सी गलती हो गई प्रभु श्री राम जी से !जिनकी पहचान ही श्री रामलला से है श्री राम ने उन्हें सबकुछ दिया पूर्ण बहुमत दिया आज वो श्री राम भक्त विश्व यात्राएँ कर रहे हैं किन्तु उन श्री राम प्रभु का दर्शन करने का उन्हें समय नहीं मिला है जिनके लिए प्रभु श्री रामलला छत छोड़कर टेंट में आ गए रामादल की अगुआई करने वाले अपने भक्तों को मंत्री और प्रधानमंत्री बनने के बाद कैसे लगते हैं कैसे बोलते हैं कैसे मिलते हैं कितने अपने हैं कितने पराए ये सबकुछ देखने की इच्छा क्या श्री रामलला की नहीं होती होगी ! यदि ये बड़े लोग दर्शन करने नहीं जा सकते थे तो दर्शन देने ही चले जाते यदि दर्शन मंजूर नहीं थे तो दर्शन की बात भूल जाते एक बार देख ही आते कि श्री राम प्रभु आज किस हालत में उनकी सरकार बनवाने के लिए धरने पर बैठे हैं !आज सुना जाता है कि पटेल साहब की भव्यमूर्ति बनवाने पर सरकार जोर शोर से लगी है ये बहुत अच्छा काम है किन्तु श्री राम मंदिर निर्माण की दिशा में भी कदम उठाए जाने चाहिए न जाने क्यों कोई  श्री राम मंदिर निर्माण का अब नाम भी नहीं ले रहा है सारे  देश को स्वच्छ बनाया जा रहा है किन्तु हमारी किसी को सुध नहीं है इन सब कार्यक्रमों के विरोधी हम कहाँ हैं हमें भी अच्छा लगता है किन्तु रहने के लिए मंदिर नाम की एक छत तो हमें भी चाहिए जो मंदिर निर्माण की बात नहीं करते थे उनसे तो आशा ही नहीं थी जो करते थे वो भी भूल गए मलाल इस बात का है !छोटी छोटी सभाओं में "जय श्री राम" कहने वाले लोगों ने चुनाव जीतने के बाद कभी किसी सभा में 'जय श्री राम' का उद्घोष नहीं किया बिलकुल भूल गए ! लगता है कि सत्तासीन रामभक्त हिन्दुओं के मानस पटल से डिलीट हो ही चुका है श्री राम मंदिर निर्माण के लिए खाई गई कसमों का डाटा !  आज बहुत कुछ भूल चुके से लगते हैं वो लोग !इसलिए धर्म की रक्षा के लिए अब सनातन धर्मियों को ही आगे आना होगा ! 
    वैसे भी सत्ता के शिखर तक पहुँचते पहुँचते हर दल काँग्रेस एवं हर व्यक्ति काँग्रेसी हो जाता है अर्थात मंदिर बनाने में अपनी मजबूरी गिनाने लगता है आखिर क्यों ?
    ऐसी बहादुरी किस काम की कि बड़े बड़े नारे लगाओ हाथ फटकार फटकार के भाषण दो कसमें खाओ औरों को भी खिलाओ और जब काम करने का समय आवे तो आँखें चुराते फिरो काशी चले जाओ ,नेपाल चले जाओ, अमेरिका आदि सारी दुनियाँ घूम आओ सारी धरती का चक्कर लगा लो किन्तु अयोध्या में श्री रामलला के दर्शन करने न जाओ जिनकी कृपा से ये सत्ता सुलभ हुई है आखिर ऐसा क्या अपराध हो गया है श्री राम जी से !क्यों बचते फिरा जा रहा है अयोध्या ,श्री रामलला एवं श्री राम मंदिर निर्माण संबंधी अत्यंत पुनीत कार्य से ?
    जिस दल का आस्तित्व ही श्री राममंदिर पर टिका हुआ हो, जिसकी पहचान ही श्री राममंदिर निर्माण संकल्प से जुड़ी  हो वो दल श्री राम मंदिर से दूरी बनाकर चले तो ये बात किसी के समझ में आने वाली नहीं है !बात और है कि समाज का ध्यान अभी उधर नहीं है किन्तु जब होगा तब जवाब देना भारी पड़ेगा !इसलिए ऐसा होने से पूर्व सुधारना होगा हमें अपने को भलाई इसी में है ।
    ऐसे ही दलों संगठनों द्वारा उस समय श्री राममंदिर निर्माण के विषय को कैसे फैलाया गया था पूरे विश्व में और झकझोरा गया था श्री राम  के प्रति असीम श्रद्धा रखने वाले भक्त श्रद्धालुओं के सुकोमल भावुक हृदयों को, उस समय हिन्दूधर्म से जुड़े ऋषियों, मुनियों, महापुरुषों , राजा महाराजाओं  ,  नेताओं , नायकों वीर बलिदानियों की दुहाई दे देकर श्री राम मंदिर निर्माण करने के लिए कैसे आंदोलित किया गया था सारा सनातन हिन्दू धर्मी समाज और हटा दिया गया था   शादियों पुराना बाबरी मस्जिद नामक विवादित ढाँचा ।
    उस समय इसी  रामादल के नेताओं  के माथे पर तिलक कंधे पर रामनामी और मुख में 'जय श्री राम' का  शब्द घोष सुनाई देता था तब ऐसा कोई सभा सम्मलेन नहीं होता था जिसमें दस बीस बार 'जय श्री राम' बोला और बोलवाया न जाता रहा हो किन्तु अब इतना शपथ ग्रहण समारोह हुआ और अन्य प्रांतों में भी हो रहे हैं किन्तु गायब है तो 'जय श्री राम' का पवित्र शब्द घोष !
      उस समय तो श्री राम मंदिर निर्माण समर्थक पार्टी की ओर से भगवा भाषणदात्री साध्वी वीरांगनाएँ अपनी वाग्ज्वाला से झुलसाती हुई हुंकार मार मार कर ललकार रही थीं हिंदुओं के सुषुप्त शौर्य को और कह रही थीं कि जब हमारी पार्टी सत्ता में आएगी तब संसद पर फहरेगा भगवा ध्वज और संसद में गूँजेगा 'जय श्री राम' ! उस समय ऐसा लग रहा था कि श्री राम मंदिर निर्माण के बिना कितने बेचैन हैं ये लोग, इसी  चिंता में इन लोगों को भूख भी नहीं लगती होगी ये श्री राम भक्त बेचारे शायद रात रात भर सोते भी नहीं होंगे ,इतना ही नहीं अपितु हिन्दू धर्म को आक्रांताओं की निशानियों से मुक्त करवाने की कसमें खाने के समय मस्जिद नाम के लगभग 3000 ढाँचे हटाने का संकल्प करवाया जा रहा था और कहा जा रहा था कि -
      अयोध्या मथुरा विश्वनाथ । तीनों लेंगे एक साथ ॥
 बंधुओ ! श्री राम मंदिर निर्माण के लिए इन्हीं पवित्र पुरुषों के द्वारा हम सभी लोगों को कसमें खिलाई जा रही थीं कि-
       " सौगंध राम की खाते हैं कि हम मंदिर वहीँ बनाएँगे "
          श्री राम लला हम आएँगे । मंदिर वहीं  बनाएँगे ॥ 
               बच्चा राम का , जन्म भूमि के काम का ॥ 
            अभी तो ये अँगड़ाई है ।  आगे कठिन लड़ाई है ॥ 
        आदि आदि और भी बहुत ऐसे ही जोशीले नारे  लगा लगा कर तोड़ दिया गया था वह विवादित ढाँचा जिसकी छाँव में प्रभु श्री राम लला जी  वर्षों से अपना समय व्यतीत कर रहे थे वो ढाँचा कैसा भी क्यों न हो किंतु शर्दी गर्मी वर्षा से बचाव तो होता था किन्तु आज प्रभु  श्री राम जी खुले मैदान में एक तम्बू लगाकर चबूतरे पर इसी प्रतीक्षा में वर्षों से बैठे हुए हैं ?कि आते ही होंगे हमारे लिए असीम श्रद्धा रखने वाले भारतीय संस्कृति के लिए समर्पित रण बाँकुरे !किन्तु वो हैं कि उन्हें श्री रामलला जी के सामने आँखें मिलाने में समस्या हो रही है ,गंगा जी को साफ करने की तैयारी चल रही है स्वच्छता के नाम पर देश में झाड़ू पकड़ कर फोटो खिचाने के समारोह आयोजित किए जा रहे हैं विकास की बातें भी हो रही हैं और काम भी किन्तु श्री राममंदिर निर्माण की चर्चा से बचा जा रहा है आखिर क्यों ?
     बंधुओ !आश्चर्य इस बात का है कि उन पवित्र रामभक्त लोगों का न जाने कहाँ विलुप्त सा हो गया है श्री राम जी के प्रति वो पवित्र श्रद्धा भाव ,वो जोश ,वो समर्पण वो बेचैनी ,वो आतुरता आदि उस सब कुछ के साथ साथ वो पवित्र कर्णप्रिय 'जय श्री राम' !
    अभी हाल ही में संपन्न हुए चुनावों में श्री रामभक्त दल के विभिन्न पदाधिकारियों पर सुमोहित सत्ता सुंदरी  जब विजयवर माला लेकर उनके  गले में पहनाने के लिए सामने आई और श्रीरामादल वाले विजयी वीरों के कलित कंठ की ओर बढ़ने के लिए अपने  डगमगाते डगों से नाप  रही थी वह स्वल्प दूरी ,उधर हर्ष की हिलोरों से छलकता शिष्टाचार संस्कृति संस्कारों का प्रतीक रामादल दंडवत करते हुए संसद की सीढ़ियों  की ओर बढ़ता जा रहा था और रखता जा रहा था धीरे धीरे एक एक कदम !उधर अत्यंत व्यस्त मीडिया उन विजयी लोगों के कपड़ों के कलर एवं बटनों की बनावट का वर्णन करता हुआ उस अनंत आनंद से अत्यंत ओत प्रोत था, इस रामादल में अद्भुत वातावरण था लोग इस विजय का श्रेय एक दूसरे को देने में तल्लीन थे सभी लोग अपनी अपनी संघर्ष गाथा अपने अपने शब्दों में एक दूसरे को बता देना चाह रहे थे कभी अपने एवं अपने त्याग और पूर्व पुरुषों के बलिदानों  की बातें करते करते भावुक हो उठते और किसी के प्रेमाश्रु उमड़ने लग पड़ते थे फिर पानी पी पी कर बताए जा रहे थे अपने जन सेवाव्रत के पवित्र सिद्धांत एवं देश की वोटदायिनी जनता पर मीडिया के माध्यम से करवाया जा रहा था अपनेपन का अमिय छिड़काव !  इस आनंद महोत्सव को मनाते मानते नाचते गाते आतिशबाजी छुटाते पलों के समान बीत गए वे प्रतीक्षा के कुछ दिन । समारोह में  सम्मिलित होने के लिए देश देश के लोकतांत्रिक राजाओं को आमंत्रित किया गया था और सबके साथ मिलजुलकर प्रेम पूर्वक धूमधाम से मनाया गया शपथ ग्रहण नामक समारोह ! 
    बंधुओ ! इस सरकारी शपथ ग्रहण समारोह में सब कुछ अद्भुत मनोहारी था अपनी सरकार बनने का एहसास पूरे देशवासियों को हो रहा था उसी के अनुरूप आनन  फानन में सरकार बनते ही बैठकें चालू हो गईं और लिए जाने लगे फटाफट फैसले एवं मीडिया को दिए जाने लगे त्वरित अभय सन्देश, उधर वृत्तहार अपने अपने टीवी चैनलों पर बैठ बैठकर पीटने लगे रामराज्य का ढिंढोरा और गढ़ने लगे अपने अपने मन मुताबिक मंत्रियों के लिए विशद विरुदावलियाँ इस प्रकार से चारों ओर अत्यंत आनंद का वातावरण था । 
   बंधुओ ! इस सरकारी शपथग्रहण समारोह में श्री राममंदिर निर्माण आंदोलन के समय ली गई शपथों की अनदेखी सारे समय उन राम भक्तों को खटकती रही जो केवल श्री राम की बात करने के लिए इस दल से जुड़े थे इस संपूर्ण समारोह में किसी रामभक्त के हाथ में न दिखाई दिया भगवाध्वज और न कंधे में केशरिया दुपट्टा और न ही सुनाई दिया मुख से 'जय श्री राम '
     श्री राम भक्तों में इतना बड़ा बदलाव देख सुन कर कई बार तो ऐसा लगने लगता है कि जैसे किसी आर्ष ऋषि के शाप प्रभाव से इनके स्मृति पटल से डिलीट हो चुका  है श्री राम मंदिर निर्माण भावना से जुड़ा हुआ संपूर्ण डाटा !


   अब श्री राममंदिर का नाम लेने से भी परहेज होने लगा है  ,सारी दुनियाँ में घूमना फिरना  अयोध्या जाने से डरना !
 नेताओं की मूर्तियाँ बनाने में करोड़ों रूपए लगाने की तैयारी और श्री राम मंदिर बनाने में लाचारी !
   जिस सरकार को बनवाने के लिए श्री राम लला जी का  अस्थायी आवास ध्वस्त कर दिया गया जिसमें श्री राम जी का वर्षा ऋतु में वर्षा से बचाव होता था गरमी में धूप से  एवं शर्दी में शीत से बचाव हो जाता था कुल मिलाकर हिंदुओं के हृदय सम्राट श्री राम प्रभु को जो छाया मिल रही थी वो अब वहाँ इसलिए नहीं है क्योंकि वहाँ भव्य मंदिर निर्माण होना है किन्तु कब ?सरकार एक बार पहले भी बन चुकी है किन्तु श्रीराम मंदिर नहीं बन सका !इसके बाद मंदिर निर्मात्री सरकार बिगड़गई ,पुनः सरकार बनी किन्तु मंदिर बनने की बात अभी भी शुरू नहीं हो पा रही है !
    जिस सरकार को पूर्ण बहुमत दिलवाने के लिए श्री रामलला एक चबूतरे पर शर्दी गर्मी बरसात सहते हुए धरने पर बैठे हैं वो सरकार तो बन गई किन्तु प्रभु श्री राम का मंदिर आखिर कब बनेगा ! 
    रामपंथी सरकार को पूर्ण बहुमत दिलाने की कृपा प्रभु श्री राम जी ने तो कर दी किन्तु वो सरकार श्री राम मंदिर बनाने का अपना बचन कब निभाएगी ?


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अयोध्या में श्री राममंदिर निर्माण के लिए शुभ समय और ज्योतिष-(19.6.2014 से प्रारम्भ होकर 14.7.2015 तक) see  more...http://snvajpayee.blogspot.in/2013/08/blog-post_24.htm




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