मनोरोगियों की रक्षा में सहायक है ज्योतिष भी !
इसमें ज्योतिषीय काउंसलिंग अर्थात ज्योतिषीय परामर्श मनोविज्ञान कैसे करता है अपना काम ?
लगभग हर प्रकार का मनोरोग में मानसिक तनाव से पैदा होता है तनाव से रात्रि में नींद नहीं आती है नींद न आने से पेट साफ नहीं रहता है अर्थात कब्ज रहता है कब्ज से गैस बनती है वही गन्दी वायु (गैस) हृदय में जाती है तो घबड़ाहट पैदा करती है उलटी लगती है धड़कन बढ़ा देती है और शिर में चढ़ती है तो शिर दर्द होता है चक्कर आता है कई बार ऐसी ही मिली जुली सभी परिस्थितियों से रक्त चाप अर्थात ब्लड प्रेशर बढ़ने लगता है ।
मनोरोग वह बीमारी है जो हमारी बढ़ी हुई महत्वाकाँक्षा से पैदा होती है अर्थात हम जो और जैसा पाना या करना चाहते हैं या जैसा चाहते हैं वो और वैसा न हो पाने पर हमें तनाव होता है यह तनाव जिसका जैसा समय होता है उस पर वैसा प्रभाव करता है जिनका समय जितना ठीक होता है वो ऐसे तनावों से उतना लड़ पाने में सक्षम होते हैं अर्थात तनाव को उतना सह पाते हैं कई लोगों का समय बहुत अच्छा होता है उन पर तनाव का असर बिलकुल कम होता है।
मनोरोगी केवल अपनी समस्या का समाधान चाहता है और केवल उसी विषय में सुनना चाहता है और कोई बात उसे पसंद ही नहीं होती है । इसलिए यहाँ एक बात सबसे जरूरी और विशेष रूप से ध्यान देने योग्य होती है कि एक जैसा मानसिक तनाव अलग अलग लोगों पर अलग अलग प्रकार से असर करता है अर्थात जिसका समय जितना प्रतिकूल या हानि कारक होता है उस पर उतना अधिक असर होता है इसलिए अधिकाँश लोगों का यह फार्मूला कतई ठीक नहीं है कि किसी मनोरोगी के समय का सम्यक रूप से अध्ययन किए बिना ही आप बीती या औरों पर बीती बातें बता बता कर उसे समझाने लग जाना !ऐसा करने का असर कुछ तो होता है किन्तु बहुत नहीं होता है क्योंकि समझने वाले को उसकी मनोदशा एवं उसके समय की स्थिति का ज्ञान बिलकुल ही नहीं होता है और समय का अध्ययन ऐसे केसों में सबसे अधिक महत्वपूर्ण होता है इसके लिए ज्योतिष शास्त्र के अध्ययन की आवश्यकता होती है क्योंकि ज्योतिष शास्त्र के अलावा समय के अध्ययन का और कोई विकल्प है ही नहीं इसलिए ज्योतिष विशेषज्ञों की राय के अनुसार मनोरोगियों की चिकित्सा की जाए तो ऐसी चिकित्सा का असर और अधिक शीघ्र एवं प्रभावी होता है
ज्योतिष विशेषज्ञों की पहचान -
सरकार के द्वारा संचालित संस्कृत विश्व विद्यालयों में ज्योतिष डिपार्टमेंट से ज्योतिष को सब्जेक्ट रूप में पढ़ते हुए इसी से बी.ए. एम.ए. पीएच. डी.आदि करने वाले लोग ही ऐसे मनोरोगियों के विषय में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं । इसमें वेलएजुकेटेड ज्योतिष वैज्ञानिकों के द्वारा परिश्रम पूर्वक समस्या का समाधान यथासंभव निकल सकता है बशर्ते उसका पारिश्रमिक देने में कंजूसी न की जाए !
ज्योतिष वैज्ञानिकों के साथ पंडितों एवं पुजारियों जैसा वर्ताव नहीं करना चाहिए उससे वो भी वैसा ही करने लगते हैं और काम बिगड़ जाते हैं
ज्योतिष वैज्ञानिकों की योग्यता का आदर न करने वाले लोग उनके पास पहुँच भले ही जाएँ किन्तु उनकी योग्यता का लाभ ले नहीं पाते हैं ऐसे लोगों के काम वो लोग भी टाल जाते हैं अर्थात परिश्रम करने में आलस कर जाते हैं आखिर आवश्यकताएँ उनकी भी तो होती ही हैं । ऐसे ज्योतिष वैज्ञानिकों के साथ लोग पंडितों पुजारियों जैसा कृपात्मक व्यवहार करना चाहते हैं किन्तु विद्वान लोग किसी दरिद्र व्यक्ति की दया से उपकृत क्यों होना चाहेंगे !इसीलिए उनके कामों को वो भी टाल जाते हैं अतएव ऐसे विद्वानों से पहले ही संभावित खर्चे के बारे में जानकारी ले लेनी चाहिए ताकि ऐसी परिस्थिति पैदा ही न हो ।
मनोरोगियों या ज्योतिष सम्बन्धी किसी भी परिस्थिति को समझने के लिए जितने परिश्रम की आवश्यकता होती है उतना कोई करना तभी चाहेगा जब कोई ज्योतिषी करवाना चाहेगा स्वाभाविक है। समुद्र में जितना बड़ा बर्तन लेकर जाओ उतना ही जल मिलता है इसी प्रकार से जितने वाड का वल्व लगे उतना प्रकाश मिलता है फिर ऐसा ही ज्योतिष में भी समझना चाहिए !
कई बार ऐसे मनोरोग उस व्यक्ति के अपने कारण न होकर परिवार के किसी अन्य सदस्य के ग्रहों की खराबी के कारण उसे तंग कर रहे होते हैं वो भी ग्रहों की परिस्थितियाँ होती हैं ऐसे में उन सदस्यों की जन्मपत्रियों का अध्ययन भी मनोरोगी की तरह से ही करना होता है। कई बार जिस घर में वो मनोरोगी रह रहा होता है उस जगह का अधिष्ठातृ वास्तु देवता ही उसे वहाँ रहने नहीं देता है उस कारण से भी ऐसी परिस्थिति पैदा हो जाती है ।इनका अध्ययन भी ज्योतिष के द्वारा ही किया जाता है ।
कई बार किसी प्रेतांशिक दोषों के कारण भी ऐसी परिस्थितियाँ पैदा होती हैं जिनका वृहद्वर्णन तंत्र एवं आयुर्वेद आदि के ग्रंथों में मिलता है इसकी जानकारी के लिए भी ज्योतिष शास्त्र में ही व्यवस्था है ।
कई बार ऐसा भी होता है कि किसी के ऊपर तंत्र मंत्र के द्वारा अभिचार आदि प्रयोग किए जाएँ तो भी ऐसे मनोरोग होते देखे गए हैं जिनका वर्णन तंत्र शास्त्रों में मिलता है ।
कई बार किसी के ऊपर बशीकरण आदि तंत्र प्रयोग करके किसी को किसी दिन नक्षत्र आदि के योग में कुछ खिला पिला दिया जाता है जिससे मनोरोग पैदा हो जाता है इसका भी तंत्र शास्त्रों में वर्णन मिलता है ।
नोट - बंधुओ!ये जादू टोना आदि वाला तंत्र नहीं है अपितु शास्त्रीय तंत्र है जिसकी शिक्षा सरकारी संस्कृत विश्व विद्यालयों के आगम विभाग में दी जाती है !
विशेष बात -सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि जब तक जिसका समय अच्छा होता है तब तक उसके ऊपर ऐसे किसी भी दुष्ट प्रयोग का कोई विशेष असर नहीं होता है यही कारण है जिनका समय अच्छा चल रहा होता है वो अक्सर कहा करते हैं कि मैं तो इन चीजों को मानता ही नहीं हूँ वहीँ इसके विपरीत जिनका समय बुरा चल रहा होता है उन्हें बात बात में लगता है कि उनके ऊपर कुछ कर दिया गया है इस मतिभ्रम का निवारण भी ज्योतिष से ही होता है और उसी से पता चलता है कि क्या सच और झूठ क्या है ?
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