किसी भी प्रकार के प्रेम प्रकरण या प्रेम विवाह के सन्दर्भ में ज्योतिष
शास्त्र का मानना है कि जिस किसी को जीवन में जो सुख नहीं मिलने होते हैं उनके
प्रति बचपन से ही उसके मन में असुरक्षा की भावना बनी रहती है।इसीलिए उस
व्यक्ति का ध्यान उधर ही अधिक बना रहता है और वो उस दिशा में बचपन से ही प्रयासरत रहा करता है।
जो लोग मृत्यु पिछले जन्म में सेक्स सुख को अनुचित ढंग से पाने की इच्छा रखने के कारण असमय में मर जाते या आत्म ह्त्या कर लेते हैं या औरों के द्वारा मार दिए जाते हैं ऐसे लोग अगले जन्म में छोटी छोटी पढ़ने लिखने खेलने खाने की उम्र में सेक्स सुख की तलाश में भटकने लगते हैं जिसके लिए तमाम ऊटपटांग तरीके अख्तियार कर लेते हैं ऐसे लोग सेक्स सुख की इच्छा पूर्ति के लिए बड़ी से बड़ी कुर्बानी देने को हमेंशा तैयार रहा करते हैं ऐसे लोगों पर कठोर से कठोर कानून का भी कोई असर होना संभव ही नहीं है इन लोगों के लिए फाँसी जैसी कठोर सजा भी मामूली बात होती है क्योंकि ये लोग अपनी सेक्स इच्छा पूर्ति के लिए जैसा चाहते हैं यदि वैसा न हो सका या उससे सम्बन्ध बना पाने में असफल रहे तो आत्म हत्या जैसी बात इनके लिए बहुत आसान होती है ये स्वयं ही उसका वरण कर लेते हैं इसलिए ऐसे लोगों के लिए फाँसी जैसी कठोर सजा के भी क्या मायने हैं !इसलिए प्रत्येक बच्चे की कुंडली बचपन में ही सामान्य पण्डे पुजारियों एवं ज्योतिषीय जालसाजों से ऊपर उठकर विद्वान ज्योतिषियों से दिखा लेनी चाहिए या किसी प्रमाणित विश्वविद्यालय से ज्योतिष सब्जेक्ट में एम.ए. पी. एच.डी.आदि किए हुए अधिकृत ज्योतिष विद्वानों से दिखाकर रोकथाम के प्रयास प्रारम्भ से ही करने चाहिए ।
सामान्य जीवन में ऐसा माना जाता है कि जीवन में आपको जिस चीज की आवश्यकता हो
वह इच्छा होते ही जैसा चाहते हो वैसा या उससे भी अच्छा मिल जाए। इसका मतलब होता है कि यह सुख आपके भाग्य में बहुत
है अर्थात यह उस विषय का उत्तम सुख योग है, किंतु जिस चीज की इच्छा होने पर किसी
से कहना या मॉंगना पड़े तब मिले ये मध्यम सुख योग है, और
यदि तब भी न मिले तो ये उस बिषय का अधम या निम्न सुख योग मानना चाहिए।और
यदि वह सुख पाने के लिए पागलों की तरह गली गली भटकना पड़े लोगों के गाली
गलौच या मारपीट या और प्रकार के अपमान या तनाव का सामना करना पड़े तब मिले या तब भी न मिले तो इसे संबंधित विषय का सबसे निकृष्ट सुख योग
समझना चाहिए।
अब बात
विवाह की सच्चाई यह है कि शास्त्रों में आठ प्रकार के विवाहों का वर्णन है,जिसमें
आज प्रचलन में विवाह या प्रेम विवाह दो ही हैं।विवाह चाहें जितने प्रकार के जो
भी हों किन्तु विवाह का अभिप्राय पत्नी या पति से मिलने वाला सुख है। यह
सुख जिसे जितनी आसानी से जैसा चाहता है वैसा या उससे भी अच्छा मिल जाता है तो वह विवाह के विषय में उतना अधिक भाग्यशाली होता है, किंतु जो
समय से पहले विवाह की इच्छा होने से परेशान रहने लगे पढ़ाई छोड़कर या काम
छोड़ कर माता पिता आदि स्वजनों की ईच्छा के विरुद्ध लुक छिप कर वैवाहिक सुख के लिए किसी से कहना या माँगना पड़े तब मिले ये मध्यम सुख योग है, और
यदि तब भी न मिले तो ये उस बिषय का अधम या निम्न सुख योग मानना चाहिए।और
यदि वह सुख पाने के लिए पागलों की तरह गली गली भटकना पड़े लोगों के गाली
गलौच या मारपीट या और प्रकार के अपमान या तनाव का सामना करना पड़े तब मिले या तब भी न मिले तो इसे संबंधित विषय का सबसे निकृष्ट विवाह योग
समझना चाहिए।इस प्रकार जिसमें सब तरफ से तनाव,अपमान,परेशानियाँ,या हानि ही हानि हो वह प्रेम विवाह कैसे हो सकता है क्योंकि पवित्र प्रेम तो परमात्मा का स्वरूप होता है और जो परमात्मा का स्वरूप है उससे तनाव कैसा ?सच यह है कि ज्योतिष की दृष्टि से यह
बीमार विवाह योग है विवाह पूर्व इसका पता लगा लगने पर इसकी शांति कर लेनी
चाहिए जिससे सारा जीवन बर्बाद होने से बच जाता है।ऐसे विषयों में सही जाँच
एवं जानकारी करके बिना किसी बहम के सही मार्गनिर्देशन के लिए हमारे संस्थान की ओर से भी विशेष व्यवस्था की गई है।
उत्तम विवाह योग में प्रायः ऐसा देखा जाता है कि लड़का अभी कह रहा होता है कि अभी हमें
शादी नहीं करनी है अभी पढ़ना या अपने पैरों पर खड़ा होना है किंतु माता पिता
अपनी जिम्मेदारी समझकर विवाह कर रहे होते हैं ऐसे विवाह में यदि उनका पति पत्नी में आपसी स्नेह भी उत्तम हो
जाए, तो ये सर्वोत्तम विवाह योग होता है। इसमें उस लड़के को अपनी बासना अर्थात सेक्स
की इच्छा प्रकट नहीं करनी पड़ी, इसलिए माता पिता के लिए वो हमेंशा
शिष्ट,शालीन,सदाचारी आदि बना रहता है। ऐसे माता पिता अपने बच्चे का नाम
बड़े गर्व से हमेंशा लिया करते हैं कि उसने कभी किसी की ओर आँख उठाकर देखा भी
नहीं है। ऐसा उत्तम विवाह योग किसी किसी लड़के या लड़की को बड़े भाग्य से
मिलता है। बाकी जितना जिसे तड़प कर,बदनाम होकर या जलालत सहकर पति या पत्नी का सुख मिलता या नहीं भी मिलता है
उतना उसे इस बिषय में भाग्यहीन या अभागा समझना चाहिए।
ऐसे ही वैवाहिक
भाग्यहीन लोग प्रेम का धंधा करना शुरू कर देते हैं
एक को छोड़ते दूसरे को
पकड़ते दूसरे से तीसरा आदि ।ऐसे लोग इस विषय में कई बार हिंसक हो जाते
हैं।बलात्कार,छेड़छाड़,हत्याएँ ऐसे ही बीमार विवाह योगों के लक्षण हैं।जिनके
भाग्य में कम बीमार विवाह योग होता है उनका नुकसान कम होते देखा जाता
है।ऐसे समझदार लोग संयम और शालीनता पूर्वक ये सब करते हैं,
कुछ ऐसा नहीं भी करते हैं सहनशीलता के साथ संयमपूर्वक अच्छा बुरा कैसा भी
हो एक जीवन साथी चुन लेते हैं और उसी के साथ अपना भाग्य समझ कर निर्वाह भी
करते हैं ।
सामान्य रूप से असहन शील असंयमी बीमार विवाह योग वाले लोग ऐसा करते करते थक कर कहीं संतोष करके मन या बेमन
किसी के साथ जीवन बिताने लगते हैं जिसे देखकर लोग कहते हैं कि उनकी तो बहुत
अच्छी निभ रही है।सच्चाई तो उन्हें ही पता होती है।ऐसे ही निराश हताश लोग
कई बार अपनी जिंदगी को तमाशा ही बना लेते हैं कई बार हत्या या आत्महत्या
तक गुजर जाते हैं वो ऐसा समझते हैं कि वे प्रेम पथ पर मर रहे हैं जब सामने
वाला या वाली को उससे अच्छा कोई और दूसरा मिल गया होता है तो वो पहले वाले
से पीछा छुड़ाने के लिए उसे कैसे भी छोड़ना या मार देना चाहता है।ऐसे लोगों
का एक दूसरे के प्रति कोई समर्पण नहीं होता है जबकि प्रेम तो पूर्ण समर्पण
पर चलता है कोई भी प्रेमी अपने प्रेमास्पद को कभी दुखी नहीं देखना चाहता।
कई ने तो एक साथ कई कई पाल रखे होते हैं।ऐसे लोग कई बार सार्वजनिक जगहों
पर एक दूसरे के साथ शिथिल आसनों में बैठे होते हैं या एक दूसरे के मुख में
चम्मच घुसेड़ घुसेड़ कर खा खिला रहे होते हैं। इसी बीच तीसरी या तीसरा आ गया
उसने ज्योंही किसी और के साथ देखा तो पागल हो गया या हो गई जब पोल खुल गई
तो लड़ाई हुई कोई कहीं झूल गया कोई कहीं झूल गई।भाई ये कैसा प्रेम? ये तो
बीमार विवाह योग है।यहॉ विशेष बात ये है कि इस पथ पर बढ़ने वाले हर किसी
लड़के या लड़की की जिंदगी बीमार विवाह योग से पीड़ित होती है।इसी लिए ऐसे लोग
अपने जैसे बीमार विवाह वाले साथी ढूँढ़ ढूँढ़कर उन्हें ही धोखा दे देकर अपनी
और अपने जैसे अपने साथियों की जिंदगी बरबाद किया करते हैं।जैसे आतंकवादियों
को लगता है कि वे धर्म के लिए मर रहे हैं इसीप्रकार ऐसे तथाकथित प्रेमी भी
अपनी गलत फहमी में प्राण गॅंवाया करते हैं।
ऐसे लोगों की जन्मपत्रियॉं यदि बचपन में ही किसी सुयोग्य ज्योतिष विद्वान
से दिखा ली जाएँ तो ऐसे योग पड़े होने पर भी ऐसे लोगों को अच्छे ढंग से
प्रेरित करके जीवन की इस त्रासदी से बचाया जा सकता है।
- डॉ. शेष नारायण वाजपेयी
एम.ए. पी. एच.डी.ज्योतिष (BHU)
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