मंगलवार, 30 दिसंबर 2014

क्या कश्मीर के मुखड़े से धारा 370 का घूँघट हटा पाएगी भारत सरकार !

 कश्मीर  हमेंशा  विवादित  रहा आखिर क्यों ?अब किसके गले पड़ेगी कश्मीर की वरमाला ? 

      ये वही कश्मीर है जिसकी रचना  भगवान विष्णु ने श्री नारद जी का घमंड तोड़ने के लिए की थी ये नगर इतना सुन्दर बनाया गया था ताकि इसके सौंदर्य पर नारद जैसा ऋषि बिना मोहित हुए न रह जाए !इसी कश्मीर में नारद का बन्दर जैसा मुख हुआ था ,इसी कश्मीर में भगवान को स्त्री विरह का शाप मिला था ,यहीं पर रुद्रगणों को राक्षस होने का शाप मिला था ये माया नगर कभी निर्विवाद नहीं रहा इसने हर किसी को अटका कर रखा है । इस कश्मीर विवाद को दुनियाँ जानती है यहाँ चुनावी प्रक्रिया बहाल कर पाना कितना कठिन था अब सरकारें बन पाना कठिन है जो बन जाती हैं उनका चलना कठिन होता है वो तो धक्का मार मार कर चलाई जाती हैं  अबकी ही बार बहुमत में अटकी है सरकार !ये कश्मीर है ये जिससे मिलता है उसके लिए तो घूँघट (370) डालकर रहता है किन्तु जो दूर है उसे इशारा करता है कश्मीर के इसी घूँघट और इशारे से न जाने कितने लोग घायल हैं आज भी सरकार नहीं बन पा रही है बनेगी तो चलेगी कब तक !देखना ये भी होगा !!

       ये भगवान की माया के द्वारा निर्मित सुन्दरतम कश्मीर है जो माया के द्वारा बनाए जाने के कारण  हर किसी को अपनी ओर सहज ही आकृष्ट कर लेता है   इसी मायामय नगर को कश्मीर कहा गया  है  यही कश्मीर पहले केकय देश के रूप में प्रसिद्ध था यहाँ की ही भरत माता कैकेयी एवं दासी मंथरा थीं जिनके कारण सुख शान्ति पूर्वक चलने वाली अवध की सत्ता में भूचाल आ गया था  न केवल इतना अपितु महाराज दशरथ को प्राण तक छोड़ना पड़ा !श्री राम सीता और लक्ष्मण को बन के लिए जाना पड़ा ! ये तो प्राचीन युगों की बातें हैं किन्तु तबसे लेकर आजतक कश्मीर को हर कोई हथिया लेना चाहता है यहाँ तक कि भारत और पाकिस्तान का विभाजन हुआ उसमें भी कश्मीर ने दोनों को अटका रखा है दोनों कहते हैं हमें तो संपूर्ण कश्मीर चाहिए ।इतना ही नहीं आतंकवादी भी कश्मीर को इतना अधिक पसंद करते हैं कि वो इसी कश्मीर को पाने के लिए न जाने कितनी कुरवानियाँ दे और ले चुके हैं किन्तु ये कश्मीर उनका नहीं हुआ ,भारत सरकार हर सुख सुविधा देने के नाम पर कश्मीर को हमेंशा महत्त्व देती रही है किन्तु कश्मीर है कि धारा 370 का घूँघट हटाने को तैयार ही नहीं है जैसे विश्वमोहिनी का स्वयम्बर हुआ था किन्तु विश्व मोहिनी ने जयमाला उनमें से किसी के गले में नहीं डाली थी और निराश भी किसी को नहीं किया था अंत में भगवान का ही वरण किया था उसी प्रकार से कश्मीर को तो सब अपना अपना कह रहे हैं किन्तु कश्मीर किसको अपना कहेगा देखने वाली बात ये है !     

     ये कथा रामायण से जुडी है । रामायण की कथाओं से जो लोग परिचित हैं ये बात उन्हें पता है कि एक बार नारद जी हिमालय का सुंदर दृश्य देखकर वहीँ ध्यान मग्न हो गए । यह देखकर   इंद्र को लगता है कि अब तो मेरा सिंहासन हिल जाएग अतएव नारद मुनि का ध्यान भंग करने के लिए इंद्र उनके अप्सराओं को भेजते हैं, मगर नारद जी का व्रत भंग नहीं हुआ।इससे  नारद जी को अपने ब्रह्मचर्य व्रत पर अहंकार हो गया नारद जी को लगने लगा  कि उन्होंने कामदेव को पराजित कर दिया है अपने मन की ये बात उन्होंने ब्रह्मा जी को  बता दी तो ब्रह्मा जी ने उन्हें समझाया कि मुझे बताया सो तो ठीक है किन्तु ये बात और किसी को मत बता देना !किन्तु नारद जी जहाँ जहाँ गए सबको बताया,शिव जी को भी बताया तो उन्होंने समझाया कि ये बात भगवान विष्णु को मत बताना किन्तु  नारद जी ने ये बात भगवान विष्णु जी को भी बता दी !विष्णु जी ने उनके सामने  उनके व्रती जीवन की प्रशंसा  करके उन्हें विदा कर दिया !

     भगवान का स्वभाव है कि वो किसी का घमंड रहने ही नहीं देते हैं तो वो नारद जी का घमंड क्यों रहने देते इसलिए उन्होंने नारद जी का यह घमंड तोड़ने के लिए अपनी माया के द्वारा एक अत्यंत सुन्दर नगर की रचना की  जिसमें सिद्धनिधि राजा को नियुक्त किया जाता है। वह राजा अपनी पुत्री विश्व मोहनी की शादी के लिए स्वयंबर कर  रहे थे जिसमें तमाम ऋषि, मुनि व राजा उपस्थित हुए उसमें नारद जी भी शामिल थे।  नारद जी  विश्वमोहिनी  का स्वरूप देखकर मोहित हो गए और उससे विवाह करने की इच्छा हो आई उसके लिए भगवान से सुन्दर स्वरूप माँगने गए भगवान विष्णु ने  उनका मुख बन्दर सा कर दिया अब वो स्वयम्बर इन पहुँचे किन्तु बंदर की शक्ल के कारण लोग इन्हें देखकर हँस रहे थे इसी बीच भगवान विष्णु आए कन्या ने उनके गले में जयमाला डाली उन्हीं से विवाह हो गया ।

        इससे क्रोधित होकर नारद जी ने  अपने ऊपर हँसने वालों को तो शाप दिया ही साथ में भगवान  को भी शाप दिया जिस्सके कारन भगवान को अवतार लेना पड़ा और सीता वियोग में बन बन भटकना पड़ा । इसी प्रकार से और भी बहुत कुछ हुआ ।

 

   




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