अन्ना जी !आम आदमी पार्टी के विधायकों पर छिड़किए गंगाजल और उन्हें शुद्ध कीजिए !अपने को शुद्ध पवित्र दिखाने के लिए इतने पाखंड !आश्चर्य !!
केजरीवाल जी ! अन्ना जी से अब क्यों नहीं कह देते कि गंगाजल छिड़ककर पवित्र कर दीजिए पार्टी को !बड़ी आशाएँ थीं आम आदमी पार्टी से दिल्ली वालों को !अब क्या क्या दिखाई सुनाई पड़ रहा है !
सचिवालय शुद्ध करने का निवेदन अन्ना जी से आखिर तब क्यों कर रहे थे केजरीवाल ?और ये सचिवालय अशुद्ध हुआ कैसे ?ये भी तो बताया जाना चाहिए था !
केजरीवाल जी अन्ना जी से तब सचिवालय शुद्ध करने को तो कह रहे थे किंतु पार्टी का प्रदूषण उन्हें ध्यान ही नहीं रहा ! क्या वो इतने अनजान या भोले थे और यदि हाँ तो क्यों ?दूसरी पार्टी के बड़े बड़े नेताओं को भ्रष्टाचारी कह देना लुटेरा कह देना आदि उनके लिए कितना आसान था ऐसे व्यक्ति को क्यों नहीं बरतनी चाहिए थी के कार्यकर्ताओं के चयन में सतर्कता ! इतने सड़े विचारों का भंडार है पार्टी !कितने सतहे बयान आते हैं कितने आरोप प्रत्यारोप ! दिल्ली की जनता के अपनेपन को अपमानित किया गया है !
"केजरीवाल देश से ज्यादा कुर्सी के भूखे हैं" ऐसा कहनेवाले अन्ना जी को अब क्या अच्छाई दिखी केजरीवाल जी में !या उन्होंने मंच पर बैठाने से पहले कोई शुद्धि संस्कार किया था ?जिससे प्रभावित होकर अरविन्द जी को कहना पड़ा -"अन्ना जी सचिवालय आकर इसे शुद्ध कर दीजिए: केजरीवाल "
केजरीवाल जी ! वैसे तो अब आप नहीं अपितु आपका काम बोले उसी में आपकी भलाई है और जनता की भी !
किंतु केजरीवाल जी !
क्या सचिवालय वास्तव में अशुद्ध है ?और यदि हाँ तो हुआ कैसे !और अन्ना जी शुद्ध करेंगे कैसे वो तो राजनैतिक अशुद्धि से दूरी बनाकर चलने वाले स्वयं में पवित्र महापुरुष हैं कुछ दिन पहले तक राजनीति को अशुद्ध मानने वाले अन्ना जी भी तो आज आपके साथ प्रेम पूर्वक बैठे थे ।
इसलिए अरविन्द जी! अशुद्धि का कारण तो आपको बताना चाहिए आखिर ये सचिवालय अशुद्ध हुआ कैसे और
यदि इसका
कारण आप भ्रष्टाचार को मानते हैं तो भ्रष्टाचारियों को पकड़कर दण्डित
करवाने से पूर्व आप किसी को भ्रष्ट कैसे कह सकते हैं पिछले समय आपने जितने
प्रकार के भ्रष्टाचार के आरोप उस सरकार पर लगाकर जनता से सत्ता माँगी थी
जनता ने आपकी बातों पर विश्वास करके उससे अधिक मजबूती पूर्वक सत्ता आपको
सौंपी है अब बारी आपकी है कि उन भ्रष्टाचारियों को पकड़ कर जनता के सामने
पेश करो !ऐसा करने से पूर्व अब आपका किसी भी बात के लिए अधिक बोलना ठीक नहीं
होगा !जब तक आपके हाथ में सत्ता नहीं थी तभी तक आपकी ये सब बातें अच्छी लगती थीं
अब तो आप से केवल काम की अपेक्षा है संभव हो तो अब आप निर्विवाद बने रहिए
उसी में भलाई है मोदी जी को ये बात समझने में देर हो गई ! जहाँ तक बात
अन्ना जी के प्रति सम्मान की है ये तो अति उत्तम है ऐसा होना भी चाहिए !
अरविन्द जी! सचिवालय आपको किसी पार्टी की कृपा से नहीं मिला है ये
जनता ने आपको स्नेह पूर्वक जनता का काम करने के लिए सौंपा है यदि गलत काम करके कोई इसे अशुद्ध कर सकता है तो अच्छे काम करके आप शुद्ध कर लीजिए अरविन्द जी !इसे शुद्ध करने के लिए अन्ना जी की मदद की जरूरत आपको क्यों पड़ी !
अरविंद केजरीवाल जी !सचिवालय शुद्ध करने के चक्कर में आप पड़े
ही क्यों हैं रह जाइए कुछ दिन अशुद्ध में ही ! जनता तो जनार्दन होती है ये बोरा बिछा दे तो उसे ही पवित्र आसन मान कर बैठ जाइए ,जनता झोपड़ी में रख दे तो रह जाइए !आप यदि अपने को जन सेवाव्रती मानते हैं तो अपनी त्याग तपस्या और आचार व्यवहार से उसका परिचय भी दीजिए ! ये सब शुद्धि अशुद्धि की बातें करना उचित नहीं है ।
वैसे अरविन्द जी इस भाषायी शुद्धीकरण का रास्ता इतना आसान भी नहीं होगा दूसरों की तो बात ही और है किन्तु पार्टी ही इसे कितना पचा पाएगी कहना कठिन है । अरविंद जी !पहले आप अन्ना जी से दूर क्यों हो गए थे आखिर अकारण तो ऐसा नहीं ही हुआ होगा और कारण जो जहाँ थे वो आज भी मेरी समझ में वैसे ही हैं उनके रहते हुए यदि अन्ना जी अपने विचारों से पीछे हटेंगे तो जनता के मन में उनके प्रति अनास्था पैदा होगी आखिर उन्हें पहले किसने रोका था अरविन्द जी से मिलने के लिए और आज किस मजबूरी में आप मंच शेयर कर रहे हैं पहले पक्ष पार्टी और राजनीति सबसे दूर रहने की घोषणा करने वाले आदरणीय अन्नाजी एक प्रान्त के मुख्यमंत्री के साथ आज एकमंच पर यदि घुल मिल रहे हैं ? इसे क्या माना जाए कि पहले केजरीवाल जी से दूरी बनाकर चलने की घोषणा करके अन्ना जी ने कोई गलती की थी जिसका वे अब सुधार कर रहे हैं !आखिर तब अनशन स्थल पर पहुँचे आम आदमी पार्टी के कार्यकर्त्ताओं से दूरी क्यों बनाई थी अन्ना जी ने !जब गोपाल जी …! और आज उसी पार्टी के मुखिया के मुख्यमंत्री बनते ही क्यों घी शक्कर हो रहे हैं अन्ना जी !और ये चल कब तक पाएगा !खैर, ईश्वर अच्छा अच्छा करे हमारी शुभ कामना !
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अन्ना और अरविन्द में पहले आपसी दूरी क्यों बढ़ीं ?-ज्योतिष
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