शनिवार, 4 अप्रैल 2015

प्यार के नाम पर गंदे लड़कों का साथ क्यों देती हैं लड़कियाँ ?क्यों नहीं करती हैं उनकी अश्लील हरकतों का विरोध ?

   बंधुओ !प्यार की आग लगती है दोनों ओर से है किंतु झुलसता कौन कितना है ये बात और है !वैसे तो सेक्स अर्थात बासनापूर्ति हेतु होने वाले प्यार का फल कष्ट या मृत्यु और उपासना हेतु होने वाले प्यार का फल सुख और  मोक्ष होता है ! 
    इस तथाकथित प्यार पथ पर भटके हुए प्रेमी जोड़ों के आपसी अच्छे बुरे आचरणों के लिए सारा समाज कैसे दोषी है इसके लिए सारी  कानून व्यवस्था को कैसे कटघरे में खड़ा कर दिया जाए क्योंकि इतिहास साक्ष्य है कि बासनात्मक अर्थात सेक्सुअल प्यार के परिणाम दो उदाहरणों के रूप में ही सामने आते हैं मछली या फिर पतंगे के रूप में !अर्थात मछली अपने प्रेमास्पद से अलग होकर तड़प तड़प कर मर जाती है और पतंगा अपने प्रेमास्पद दीपक से लिपट कर मर जाता है दोनों ही परिस्थितियों में परिणाम दुखद ही होते हैं ऐसी परिस्थिति में जहाँ प्रेमालाप होगा वहाँ यदि कुछ ऐसा ही हुआ तो सारा समाज दोषी कैसे और सारी कानून व्यवस्था फेल कैसे मान ली जाए !क्या प्रेमी जोड़ों को विवाह होने तक की सबर नहीं करनी चाहिए !आखिर इंद्रियनिग्रह या ब्रह्मचर्य जैसे शब्दों को बिलकुल झुठलादेने के कुछ दुष्परिणाम तो सामने आएँगे ही जिसका समाधान प्रेमी जोड़े या तो आत्म संयम से और या फिर ज्योतिष के सहयोग से निकाल सकते हैं !

   विवाह ,उपविवाह(प्यार) इसी प्रकार मैरिज और सब मैरिज आदि महिलाओं के साथ के बिना अकेले कैसे संभव हैं दोनों की सहमति से ही हो पाता है यह तथाकथित प्यार अथवा विवाह ! किंतु उसमें किसी   भी प्रकार  का संकट होते ही कटघरे में खड़ा कर दिया जाता है संपूर्ण पुरुष समाज आखिर क्यों ?और उठने लगती है केवल महिलाओं की सुरक्षा की माँग आखिर क्यों ?पुरुषों की क्यों नहीं ! क्या पुरुष लोग पीड़ित नहीं हो सकते !आखिर ऐसा मान लेना पुरुषों के साथ अन्याय नहीं है क्या ?

    हर क्षेत्र में तरक्की करने वाली लड़कियाँ इस तथाकथित प्यार इस क्षेत्र में भी पीछे नहीं हैं फिर दोषी  केवल पुरुष समाज ही क्यों ?वस्तुतः प्यार (उपविवाह या सबमैरिज) आवश्यकता पूर्ति के लिए किया गया समझौता मात्र है जो दोनों ओर से किया जाता है जब जिसकी आपूर्ति का कोई वैकल्पिक साधन भी बनने लगता है तब आपस में भड़कती बिनाश बह्नि वो कितना बड़ा बिनाश करे ये किसी के बश में नहीं है फिर तो सहना ही होता है किंतु कहाँ कितना और कैसे बिनाश संभव है और उससे बचा कैसे जाए इसे जानने का केवल एक ही रास्ता है या तो किसी एक समझदार शुभ चिंतक की शरण में ठहर कर अपने घाव सहलाते हुए संतोष करने का प्रयास करे इसके साथ साथ या अलावा बचाव का दूसरा सबसे अधिक कारगर एक और उपाय है उसे जानने के लिए पढ़ें यह लिंक-seemore... http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_52.html

     तथाकथित  प्यार में आपसी सहमति के नाम पर सेक्स में सहमति क्यों ?आखिर विवाह तक की सबर क्यों नहीं होती ?दुनियाँ के सबसे बड़े हितैषी माता पिता से भी आखिर क्यों छिपाया जाता है जीवन का इतना बड़ा फैसला ?जो अपने माता पिता के विश्वास को तोड़ सकता है वो किसी और को बक्सेगा क्या ?युवा अवस्था की पीड़ा से परेशान तरुणाई विवाह होने तक के लिए करती है एक उपविवाह(प्यार) अर्थात sub marriage इसके द्वारा शारीरिक आवश्यकताओं की पूर्ति होती रहती है और शिक्षा या व्यापार में सुस्थापित स्तर हो जाने के बाद होता है उस उपविवाह का विसर्जन किसी किसी का विवाह बाद भी विसर्जन होते देखा गया है कुछ लोगों का यही विसर्जन बलिप्रथा तक पहुँच जाता है कई लोग उपविवाह में भी च्वाइस खोजते हैं ऐसे लोग वास्तविक विवाहों तक पहुँचते पहुँचते कई बार कर चुके होते हैं उपविवाहों का विसर्जन और ले दे चुके होते हैं एक दूसरे की अपनी या उनके अपनों की बलि !

        सहमति से सेक्स को पुलिस रोके तो 'प्यार पर पहरा' और यदि न रोके और कोई दुर्घटना घट जाए तो 'बलात्कार  या गैंगरेप' पुलिस आखिर करे तो क्या करे ?जब जब समाज में इस तरह  की बहस चलती है तब तब सहमति से सेक्स करने वाले लोग फैशन के नाम पर इसके समर्थन में उतर जाते हैं दूसरे लोग इसकी बुराई करने लगते हैं इनका काम तो केवल चर्चा करना होता है इसलिए चर्चा की और शांत हो गए किन्तु पुलिस क्या करे उसे तो प्रत्यक्ष रूप से कुछ करके दिखाना होगा वो क्या करे इन्हें रोके या न रोके !

       सहमति से सेक्स या अश्लील हरकतें करने वाले जोड़े खोजकर ऐसी जगह में ही बैठते हैं जो बिलकुल सुनसान हो इसलिए वहाँ पुलिस आदि का तो छोड़िए आम आदमी का जाना आना ही नहीं होता होगा ऐसी जगहों पर वो लड़का प्यार करे या बलात्कार या हत्या ही कर दे तो कौन है उसे देखने या रोकने वाला ?तो ऐसी संदिग्ध जगहों पर लड़कियां उनके साथ जाती ही क्यों हैं ?

          ये तथाकथित प्यार के सम्बन्ध दोनों तरफ से झूठ बोलकर ही बनाए गए होते हैं इसलिए दो में से किसी का झूठ जब खुलने लगता है तो वो कुछ और दबाते दबाते कब गला ही दबा दे किसी का क्या भरोस ?अन्यथा यदि सच बोलते तो या तो प्यार नहीं  होता या फिर सीधे विवाह ही होता तब तक वो अपनी बहती सेक्स भावना को रोक कर रखते किन्तु सेक्स के लिए बिल बिलाते  घूमते जवान जोड़े  आम समाज की परवाह किए बगैर ही राहों चौराहों गली मोहल्लों पार्कों ,मेट्रोस्टेशनों आदि सार्वजनिक जगहों पर भी कुत्ते बिल्लियों की तरह बेशर्मी पूर्वक वो सब किया करते हैं जो देखने वालों की दृष्टि से सभ्य समाज को शोभा नहीं देता है किन्तु इन्हें समझावे या रोके कौन ?

 गैंग रेप की घटनाएँ भी आजकल अधिक रूप में घटने लगीं हैं जो घोर निंदनीय हैं और रोकी जानी चाहिए । इसमें कुछ  और भी कारण सामने आए हैं जो विशेष चिंतनीय हैं एक तो वो जो लड़कियाँ सामूहिक जगहों पर अपनी सहमति से अपने साथ किसी प्रेमी नाम के लड़के को अश्लील हरकतें करने देती हैं या हँसते हँसते सहा करती हैं उन्हें देखने वाले सब नपुंसक नहीं होते ,सब संयमी नहीं होते ,सब डरपोक नहीं होते कई बार देखने वाले कई लोग एक जैसी मानसिकता के  भी मिल जाते हैं वो यह सब देखकर कुछ करने के इरादे से उनका पीछा करते हैं मैटो आदि सामूहिक जगहों से हटते ही वो कई लड़के मिलकर उन्हें दबोच लेते हैं वो अकेला प्रेमी नाम का जंतु क्या कर लेगा फिर उस लड़की से उसका कोई विवाह आदि सामाजिक सम्बंध तो होता नहीं है जिसके लिए वो अपनी कुर्बानी दे वो तो थोड़ी देर आँख मीच कर या तो निकल जाता है या समय पास कर लेता है।अगले दिन सौ पचास रुपए किसी डाक्टर को देकर ऐसी ऐसी जगहों पर पट्टियाँ करा लेता है ताकि लड़की को दिखा सके कि उसके लिए वो कितना लड़ा है ऐसी दुर्घटनाएँ घटने के बाद यदि अधिक तकलीफ नहीं हुई तो ऐसे प्रेम पाखंडी बच्चे डर की वजह से घरों में बताते भी नहीं हैं और जो बताते भी हैं  तो कुछ अन्य कारण बता देते हैं!

     ऐसी  घटनाएँ  कई बार देर  सबेर कारों में लिफ्ट लेने,या ऑटो पर बैठकर,या सूनी बसों में बैठकर,या अन्य सामूहिक जगहों पर की गई प्रेमी प्रेमिकाओं की आपसी अश्लील हरकतें  देखकर घटती हैं यह नोच खोंच देखते ही जो लोग संयम खो बैठते हैं उनके द्वारा घटती हैं ये भीषण दुर्घटनाएँ !इनमें सम्मिलित लोग अक्सर पेशेवर अपराधी नहीं होते हैं।ये सब देख सुनकर ही इनका दिमाग ख़राब होता है । 

       एक बात और सामने आई है कि आज कुछ लड़कियाँ कुछ निश्चित समय के लिए निश्चित एमाउंट अर्थात घंटों के हिसाब से धन लेकर शारीरिक सेवाएँ देने के लिए सहमति पूर्वक किसी लड़के के साथ जाती हैं उसमें उस नियत समय के लिए वह ग्राहक रूप लड़का लगभग स्वतन्त्र होता है उन्हें कहीं ले जाने के लिए! किन्तु उतने समय में उसे छोड़ना होता है। ऐसी परिस्थितियों में उस लड़की को बिना बताए ही वह लड़का उस समय में ही कंट्रीब्यूशन के लिए अपने साथी  कुछ और लड़कों को साझीदार बना लेता है जिससे वो लड़के आपस में आर्थिक कंट्रीब्यूशन  कर लेते हैं और कम कम पैसों में निपट जाते हैं किन्तु पहले करार इस प्रकार का न होने के कारण उस लड़की को बुरा लगना स्वाभाविक ही है उसके सामने दो विकल्प होते हैं या तो वह चुप करके घर बैठ जाए या फिर उन्हें सबक सिखाने के लिए कानून की शरण में जाए यदि वह कानून की शरण में जाती  है तो सारी  कार्यवाही   गैंग रेप की तरह   ही की जाती है यहाँ तक कि चिकित्सकीय रिपोर्ट भी उसी तरह की बनती है मीडिया में भी इसी प्रकार का प्रचार होता है! 

      इसीप्रकार आजकल कुछ छोटी छोटी बच्चियों के साथ किए जाने वाले बलात्कार नाम के जघन्यतम  अत्याचार देखने सुनने को मिल रहे हैं जिनका प्रमुख कारण अश्लील फिल्में तथा इंटर नेट आदि के द्वारा  उपलब्ध कराई  जा रही अश्लील सामग्री  आदि है आज जो बिलकुल अशिक्षित  मजदूर आदि लड़के भी बड़ी स्क्रीन वाला मोबाईल रखते हैं भले ही वह सेकेण्ड हैण्ड ही क्यों न हो ?होता होगा उनके पास उसका कोई और भी उपयोग !क्या कहा जाए! 

     इसीप्रकार के कुछ मटुक नाथ टाइप के ब्यभिचारी शिक्षकों ने प्यार की पवित्रता समझा समझाकर बर्बाद कर डाला है बहुतों का जीवन !

        बड़े बड़े विश्व विद्यालयों में पी.एच.डी. जैसी डिग्री हासिल करने के लिए लड़कियों को कई प्रकार के समझौते करने पड़ते हैं यदि गाईड संयम विहीन और पुरुष होता है तो !क्योंकि शोध प्रबंध उसके ही आधीन होता है वो जब तक चाहे उसे गलत करता रहे !वह थीसिस उसी की कृपा पर आश्रित होती है । 

         ज्योतिष के काम से जुड़े लोग पहले मन मिलाकर सामने वाले के मन की बात जान लेते हैं फिर उसका मिस यूज करते देखे जाते हैं। 

       चिकित्सक लोग बीमारी ढूँढने के बहाने सब सच सच उगलवा लेते हैं फिर ब्लेकमेल करते रहते हैं ।इसी प्रकार से कार्यक्षेत्र में कुछ लोग अपनी जूनियर्स  को डायरेक्ट सीनियर बनाने के लिए कुछ हवाई सपने दिखा चुके होते हैं उन सपनों को पकड़कर शारीरिक सेवाएँ लेते रहते हैं उनकी !किन्तु जब  महीनों वर्षों तक चलता रहता है ऐसा घिनौना खेल, किन्तु दिए गए आश्वासन झूठे सिद्ध होने लगते हैं तब झुँझलाहट बश जो सच सामने निकल कर आता है उनमें आरोप बलात्कार का लगाया जाता है किन्तु किसी भी रूप में आपसी सहमति से महीनों वर्षों तक चलने वाले शारीरिक सम्बन्धों को बलात्कार कहना कहाँ तक उचित होगा ?ऐसे स्वार्थ बश शरीर सौंपने के मामले राजनैतिकादि अन्य क्षेत्रों में भी घटित होते देखे जाते हैं वहाँ भी वही प्रश्न उठता है कि ऐसी परिस्थितियों में कैसे रुकें बलात्कार ?



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