बुधवार, 15 अप्रैल 2015

दलितों के विकास में आरक्षण सबसे बड़ा रोड़ा है " मूस मोटाइ तौ लोढ़ा होई औ का हाथी घोड़ा होई? "

दलित नेताओं ने भी दलितों के साथ ही किया है विश्वास घात !आज वो भी करोड़ों अरबोंपति हो गए हैं आखिर कैसे ?सवर्ण तो षडयंत्र के तहत बदनाम किए गए हैं बाकी दलितों के हकों को नेताओं ने मिलजुलकर लूटा है !
     नेता दलित हों या कोई और किंतु नेता अक्सर गरीब नहीं होते आखिर क्यों ?इनके आयस्रोतों की जाँच ईमानदारी से हो तो दूध का दूध पानी का पानी हो जाएगा किंतु ऐसी जाँच कोई नेता कराएगा क्यों और आम जनता के पास ऐसे अधिकार नहीं होते !नेता जनता के हितों के लिए कभी नहीं झगड़ते झगड़ा हमेंशा अधिकारों के हिस्सा बाट पर ही होता है । 
     नेता लोग माँगते तो गरीबों को सुविधाएँ देने के नाम पर हैं किंतु खा खुद जाते हैं ! इस बात की  जाँच क्यों नहीं होती कि पिछले साठ वर्षों से दलितों के नाम पर निकाला गया पैसा गया आखिर कहाँ और नेताओं के पास करोड़ों अरबों का खजाना आया आखिर  कहाँ से ?नेताओं का धंधा क्या है और ये रोजी रोजगार करते कब हैं जहाजों से घूमने का इनके पास पैसा कहाँ से आता है कैसे बनीं है इनकी करोड़ों की कोठियाँ गाड़ी घोड़े बैंक बैलेंस आदि
    दलित भी सवर्णों की तरह ही अपने बल पर कर सकते हैं तरक्की !आखिर क्यों बदनाम किया जा रहा है उन्हें ! कि वे आरक्षण के बिना कुछ कर ही नहीं सकते ! दलितों की मदद का कारोबार करने वाले नेता आज अरबोंपति हो गए आखिर क्या हैं उनकी आय के स्रोत ?और कहाँ से इकठ्ठा हो रही है इतनी अकूत संपत्ति ?
  सारी दुनियाँ को दलितों के विषय में केवल पता ही नहीं है अपितु इन्हें राजनैतिक साजिश के तहत यह कहकर बदनाम किया गया है कि  हमारे यहाँ के जो दलित हैं वो अपने बल पर अपनी तरक्की नहीं कर सकते हैं ! इसलिए उन्हें आरक्षण चाहिए ! अब सारी  दुनियाँ ये जानना चाहती है कि ये आरक्षण के बिना अपने परिश्रम और स्वाभिमान के बल पर तरक्की क्यों नहीं कर सकते हैं आखिर इनमें ऐसी कमी क्या है और यदि ये जातियों को गलत सिद्ध करना और सवर्णों की बराबरी करना चाहते हैं इन्हें यह चुनौती स्वीकार करते हुए आरक्षण का बहिष्कार करना चाहिए और अपने संघर्ष के बल पर बढ़ना चाहिए आगे और दिखा देना चाहिए सारी दुनियाँ को कि हम सवर्णों से कहीं कम नहीं हैं तभी बन पाएगा दलितों का सम्मान और स्वाभिमान !अन्यथा जब एक गरीब सवर्ण बिना आरक्षण के बिना किसी सरकारी सहयोग के बिना किसी सरकार के सामने हाथ फैलाए अपने बल पर संघर्ष करके पढ़ भी सकता है तरक्की भी कर सकता है तो दलित क्यों नहीं कर सकते !आखिर इनमें बीमारी ऐसी क्या है दुनियाँ को शंका तो होती ही है ! आखिर इन्हें हर बात में आरक्षण क्यों चाहिए वो भी तब जब पिछले साथ वर्षों से आरक्षण ले रहे हैं अगर कभी किसी ने शोषण किया भी हो तो भी इतने सहयोग में तो अपने को खड़ा किया जा सकता था किंतु अभी भी आरक्षण की चाह का मतलब है कि योग्य लोगों को हटाकर अयोग्य लोगों को स्थापित करना क्या इससे देश की प्रतिभा की क्वालिटी में कमी नहीं आ  जाएगी !और जब तक इन्हें आरक्षण चाहिए तब तक नेता इन्हें आरक्षण देने का वायदा करते रहेंगे और भ्रष्टाचार करके अपने घर भरते रहेंगे !ये कहते हैं सवर्णों ने हमारा शोषण किया था तो दुनियाँ जानना चाहती है कि सवर्णों की संख्या तो बहुत कम थी जबकि दलितों की बहुत अधिक थी यदि सवर्ण शोषण करते तो दलित सह कैसे जाते !आदि आदि फिर उन्हें दीन हीन लाचार बताकर अब और अधिक बदनाम नहीं किया जाना चाहिए !

इसी विषय में पढ़िए हमारा यह लेख भी !

   जनसंख्या बल से कमजोर सवर्णो को दलितों के शोषण का झूठा आरोप लगाकर सताया जा रहा है और रची जा रही है सवर्णों के विरुद्ध आरक्षणी साजिश !
दलितों के शोषण का सवर्णों पर झूठा आरोप मढ़ना बंद किया जाए ! साथ ही सवर्णों की जनसंख्या इतनी घटी कैसे इसकी जाँच कराई जाए ! दलितों का शोषण कभी किसी ने किया ही नहीं है इसीलिए शोषण के नहीं मिलते हैं प्रमाण !फिर आरक्षण क्यों ?see more....http://samayvigyan.blogspot.in/2015/04/blog-post_14.html

कोई टिप्पणी नहीं: