शुक्रवार, 5 जून 2015

bihar

 
                      जातीय राजनीति करने के लिए जातियों को जीवित रखना चाहते हैं नेता लोग   !           
      यदि जातिवाद समाप्त ही करना है तो जाति आधारित जनगणना क्यों और जाति के आधार पर क्यों बाँटी  जाती है आरक्षण समेत वो सभी सुविधाएँ !अपने को दलित मानने वाले लोग यदि जातियों की कमाई नहीं खाना चाहते तो  अपने नाम के साथ जातियाँ लगाना बंद करें और जातिगत आरक्षण का करें बहिष्कार !अपना स्वाभिमान उन्हें भी सभी की तरह स्वयं बनाना पड़ेगा ! नेता लोग जातियों के आधार पर चुनाव लड़ना बंद करें !यदि ये सब नहीं किया जा सकता तो मनुवाद की निंदा करने वाले कुंद  लोगों  को सोचना चाहिए कि वे जातियाँ रखना चाहते हैं या मिटाना ! ब्यर्थ में महर्षि मनु को गलियां क्यों दी जाती हैं ?
      एक संग नहीं होहिं भुआलू ।  हँसब ठठाइ फुलाउब गालू ॥

       बिहार के रामराज्य से प्रभावित है दिल्ली सरकार , न वहाँ घोटाले हैं न भ्रष्टाचार ॥
                   बिहार के पुलिस कर्मियों की दिल्ली तक में डिमांड है !
कुछ लोग वहाँ आम लीची रखा रहे हैं कुछ लोग यहाँ आम आदमी पार्टी !आम दोनों में है बस ! रखाना उन्हीं को है जो बिहार की जनता के सुरक्षा के भरोसे को नहीं रखा पाए वे दिल्ली ....! ईश्वर करे सबकुछ अच्छा ही रहे !!

  बिहार सरकार की चिंता के दो महत्वपूर्ण विषय -
        'आम और आम आदमी पार्टी '
   इन दोनों  में 'आम'  तो है किंतु ये वो आम है जिसके साथ कोई आदमी नहीं है !आदमी को अलग कर दिया गया है अब नितीश सरकार की पुलिस आम और आम आदमी पार्टी की सेवा में तो तैनात है किंतु असुरक्षित आम आदमी ऐसी सरकार से क्या आशा करे !
 
                              खूब होते आम खूब होती लीची ।चुनाव  न होते तो होती न ची ची ॥

     यदि देश में राजनीति न होती नेता न होते तो अखवार कोरे होते टीवी वाले खाली होते कोई समाचार आता तो पढ़ लिया करते फिर बैठ जाया करते दूसरे समाचार की तलाश में !आज नेता चूँ चूँ करते हैं इसी बहाने  कट रहा है देशवासियों का समय !
'सीएम केजरीवाल ने 'महज चार साल' में दिल्ली को बदलने का वादा किया-NDTV'
    किंतु केजरीवाल जी !वादे तो किए ही टूटने के लिए जाते हैं दिल्ली तो अपनी धुरी पर अपनी गति से पहले भी बदलती रही है आगे भी बदलती रहेगी इसमें किसी का कोई खास रोल नहीं है "आवश्यकता आविष्कारों की जननी" वाले सिद्धांत से जो जरूरत पड़ेगी वो इन्तिजाम करने पड़ेंगे सरकार किसी की भी हो !अंतर केवल इतना है जो दिल्ली या देश बदलने आते हैं साल छै महीना तो बड़ा उतावलापन  रहता है धीरे धीरे राजनीति करना सब सीख जाते हैं ! और आखें झुका कर जीने लगते हैं आपको अभी साल नहीं हुआ है दिल्ली वालों को 4 - 6 महीने अभी और सुननी पड़ेंगी आपकी लंबी चौड़ी बातें !क्या दिक्कत है सबकी सुनीगई हैं आपकी भी सुनी जाएँगी !इसी बहाने समय तो कट रहा है। 

गजब! PMO को नहीं पता मोदी सरकार की एक साल की उपलब्धियां..-dilli aajtak 
   किंतु .इतनी उपलब्धियां गिने कौन !एक दो हों तो गिनी जाएँ !फिर अपनों के लिए कुछ करना तो गिनना क्यों !जहाँ अपना पन  होता हैं वहाँ हिसाब किताब कहाँ रखे जाते हैं और जहाँ हिसाब किताब वहाँ अपनापन कहाँ !


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मुझे राहुल गांधी समझने की भूल न करें - अरविंद केजरीवाल..NDTV
    किंतु मोदी जी अगर आपको कुछ समझते ही होते तो आपके ऊपर उपराज्यपाल महोदय को इतना टाइट करके क्यों रखते ! बुद्धिमान के लिए इशारा काफी है ।
केजरीवाल ने कहा- LG को अमित शाह का चौकीदार भी बुलाए तो रेंगते हुए जाएंगे-आज तक
किंतु केजरीवाल जी !सोचने की बात तो ये है कि उस चौकीदार के बराबर भी मानने को नहीं तैयार हैं आपके मंत्रियों को !इसके बाद भी आप मोदी जी के लिए कह रहे हैं कि मुझे राहुल गाँधी न समझें ?हिम्मत की बात है आपकी !जो सच्चाई दुनियाँ समझ रही है वो आप भी समझिए कि भाजपा के मोदी मोदी हैं और आप के आप आप हैं !


गिलानी ने पासपोर्ट के लिए खुद को बताया भारतीय, फिर कहा-मजबूरी में ऐसा करना पड़ा -एक खबर
       किंतु मजबूरी किस बात की ?और यदि मजबूरी भी थी तो भी न करते अपने सिद्धातों की रक्षा के लिए कुछ तो बलिदान  करते !


कदंब वृक्ष'लगाने पर मोदी जी को बहुत बहुत बधाई ! बंधुओ ! जानिए कदंब वृक्ष के गुण क्या कहता है आयुर्वेद -
कदंबो मधुरः शीतः कषायो लवणो गुरुः |
सरो विष्टंभकृद् रूक्षः कफस्त्न्यानिल प्रदः ||
कदंब वृक्ष के गुण -
मधुर ,कषाय,लवण रस से युक्त ,शीतल, गुरु, सारक, रूक्ष, वातविष्टंभक, कफकारक, दुग्धबर्धक और वायु जनक होता है |


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