आदरणीय प्रधान मंत्री जी ! सादर प्रणाम !
मैं भी अपना लिखा हुआ
काव्य कारगिल विजय आपको भेंट कर चुका हूँ जिसके लिए आपने प्रभात जी से मेरा
सहयोग करने को भी कहा था !महोदय !अब दुर्गा सप्तशती का दोहा चौपाई में
ट्रांसलेशन मेरे द्वारा लिखा हुआ प्रकाशित हुआ है आप दुर्गा जी के भक्त हैं
मैं वो आपको भेंट करना चाहता हूँ किंतु आपके यहाँ समय नहीं मिल पा रहा है
अस्तु यहीं से सादर स्वीकार करें फिर भी यदि आप समय देंगे तो बहुत अनुग्रह
होगा -
दुर्गा सप्तशती ( सरल दोहा चौपाइयों में बिलकुल सुंदरकांड की तरह)
जो भाई बहन संस्कृतभाषा नहीं जानते और दुर्गासप्तशती पढ़ना चाहते हैं या
अपने घरों में पंडितों पुजारियों से दुर्गासप्तशती पाठ न कराकर स्वयं करना
चाहते हैं उनके लिए हिंदी दोहाचौपाइयों में वही पुस्तक उपलब्ध है जो पूर्ण
प्रमाणित होने के नाते पाठ रूप में स्वीकृत है इसे सुंदरकांड की तरह ही
संगीतरूप में या पाठ रूप में भी आप पढ़ सकते हैं अकेले या समूह में बैठकर भी
पढ़ सकते हैं यदि आप दस लोग मिलकर इसे सौ बार पढ़ लेते हैं तो शतचंडीयज्ञ
और यदि इसीप्रकार से एक हजार पाठ कर लेते हैं तो बिना कोई धन खर्च किए भी
आपका सहस्रचंडी यज्ञ हो जाता है जिसका बहुत बड़ा महत्व है । हमारे जो भाई
बहन हिंदुओं के धर्म परिवर्तन से वास्तव में परेशान हैं उन्हें विचार करना
होगा कि हमारे धर्म ग्रंथ संस्कृत भाषा में होने के कारण कुछ
लोग पढ़ नहीं सकते और धन न होने के कारण पंडितों से वे पाठ करा नहीं सकते
ऐसे आस्थावान गरीब लोग सोचते हैं कि जिस धर्म का पालन हम कर ही नहीं सकते उसमें रहने का क्या लाभ और वो या तो साईं पूजा जैसे अंध विश्वास के शिकार हो जाते हैं या सीधे धर्म बदल लेते हैं !
इस धर्मपीड़ा से आहत होकर ही मैंने ऐसे सरल एवं प्रमाणित साहित्य को लिखने का व्रत लिया है मेरा मानना है कि ऐसे लोगों के लिए यह दुर्गा सप्तशती किसी वरदान से कम नहीं सिद्ध होगी !
आपका अपना शास्त्र सेवक -
डॉ.शेष नारायण वाजपेयी मेरा परिचय - -http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/p/blog-page_7811.html
इस धर्मपीड़ा से आहत होकर ही मैंने ऐसे सरल एवं प्रमाणित साहित्य को लिखने का व्रत लिया है मेरा मानना है कि ऐसे लोगों के लिए यह दुर्गा सप्तशती किसी वरदान से कम नहीं सिद्ध होगी !
नव दुर्गास्तुति ( सरल दोहा चौपाइयों में बिलकुल सुंदरकांड की तरह)
नवदुर्गास्तुति नामक पुस्तक उपलब्ध है जो
शास्त्र प्रमाणित होने के नाते पाठ रूप में स्वीकृत है इसकी विशेषता यह है
कि इसमें नवरात्र के नौ दिनों में नवदेवियों की स्तुतियाँ प्रत्येक अलग अलग
दी गई हैं जो एक दिन में एक देवी की स्तुति पढ़ने के लिए अधिक से अधिक 5 -7
मिनट का समय लगता है इसे भी सुंदरकांड की तरह ही
संगीतरूप में या पाठ रूप में पढ़ा जा सकता है !!
आपका अपना शास्त्र सेवक -
डॉ.शेष नारायण वाजपेयी मेरा परिचय - -http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/p/blog-page_7811.html
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