हम हिन्दू धर्मी लोग मिलजुलकर आत्म मंथन क्यों न करें !
सनातन धर्म के मंदिर ही कलंकित क्यों किए गए ! साईं घुसपैठिए अन्य धर्मों की ओर क्यों नहीं उठा सके आँख ! मेरे प्यारे भाई बहनो ! जो साईं बुढ़ऊ जीते जी हिंदू मंदिरों में नहीं गए हिन्दू तीर्थों में नहीं गए हिंदू देवताओं को नमस्कार नहीं किया उनके मंदिरों में उन देवताओं को दिखा दिखाकर साईं पत्थर पूजने लगे हम !हमें धिक्कार है अपने देवी देवताओं की इससे अधिक और क्या बेइज्जती करा सकते हैं हम !अपना स्वाभिमान तो बचा ही नहीं अपने देवी देवताओं के सम्मान के साथ भी इतना बड़ा खिलवाड़ ! साईं तो संत भी नहीं हैं संत तो भगवान के भक्त होते हैं किंतु साईं तो ऐसे नहीं हैं !बंधुओ ! जो हमारे देवी देवताओं का न हुआ हमें उसके सामने गिड़गिड़ाने में लज्जा क्यों नहीं लगती !कितने कितने भीरु हैं हम ! जिसने हमारे धर्म को नहीं माना हम उसके चरणों में चढ़ा दें अपना धर्म !कितना निंदनीय आचरण है इतना आत्मघाती धार्मिक समझौता किसी अन्य धर्म में किया गया हो ऐसा कोई उदाहरण नहीं है फिर हम्हीं इतने मूर्ख इतने इतने डरपोक इतने निर्लज्ज इतने धर्म द्रोही क्यों हैं कि सनातन धर्म के मंदिरों में सनातन धर्म शास्त्रों की उपेक्षा करके मनमाने ढंग से पुजवाने लगे साईं को !जिन बुढ़ऊ को कभी कन्याओं का पूजन करते नहीं देखा गया उन्हें हिंदू कैसे माना जाए !ऐसे लोगों के अनुयायी क्या जानें कन्याओं का सम्मान करना !श्री राम की तरह माता पिता को प्रणाम करते साईं को नहीं देखा गया उन साईं से क्या सीखें लोग ,साईं को गउओं का पूजन करते नहीं देखा गया गायों की सेवा करते नहीं देखा गया उनके माथे पर श्री कृष्ण का मुकुट और मुख में बाँसुरी घुसेड़ कर उन्हें साईं श्याम कहा जाना गद्दारी नहीं तो क्या है आखिर सनातन धर्म के देवी देवताओं में ऐसी कमी क्या दिखी जो उन्हें सस्पेंड करके साईं बुढ़ऊ को गोद लेने की मजबूरी हो गई !इतना गिरा तो रावण भी नहीं था वो हिन्दुओं के देवी देवताओं को पूजता था वो वेद का महान पंडित था वो बहुत बड़ा तपस्वी था किंतु उसके पुतले तो हम आज भी जलाते हैं किंतु जिसमें हिन्दू धर्म का एक भी गन नहीं है हम उसे गले लगाए बैठे हैं हमें धिक्कार है ! घुसपैठ की फिराक में बैठे साईं को उन्होंने मुख ही नहीं लगाया किंतु धर्म को भोगने के लिए धार्मिक बनने वाला गैर जिम्मेदार हिंदू नहीं बचाकर नहीं रख सका अपने धर्मस्थलों की पवित्रता !और भावी पीढ़ियों को भी साईं गर्त में धकेल दिया गया !इतिहास हमें कभी क्षमा नहीं करेगा !हे ईश्वर !हमें क्षमा करो हम अपने धर्म के काम न आ सके ! आपका अपमान देखकर भी जीवित हैं इतनी बेशर्मी हम हिन्दुओं के अलावा और कौन कर सकता है !आपका दिया हुआ शरीर है स्वस्थ है आपकी कृपा से प्रकृति भरण पोषण के लिए सब कुछ दे रही है फिर भी आपको दिया हुआ वो बचन नहीं निभा सके जिसके लिए यहाँ आए थे अपने हिस्से का इतिहास भी कलंकित होने से नहीं बचा सके !हतभाग्य !क्या अब क्या केवल भोग भोगने के लिए ही इस धरती पर बोझ बनकर जीता रहूँगा ! हमें धिक्कार है हमारी इतनी कजोर धर्मनिष्ठा पर !हम अपने बंधुओं को धर्म पथ से भटकने से बचा न सके धिक्कार है हमारी धार्मिकता को धिक्कार है हमारी विद्या बुद्धि को धिक्कार है हमारे उस सदाचरण के दम्भ को जिस पर प्रभावित करके हम अपने लोगों को अपने धर्म में समेट कर नहीं रख सके ! हे सनातन धर्म की भावी पीढ़ियों के होनहार लोगो !हमारे द्वारा वर्तमान में रचे जा रहे इस धार्मिक इतिहास पर भरोसा मत करना हम इस लायक विश्वसनीय नहीं रहे !आप अपने धर्म की मर्यादाओं के विषय में धर्म शास्त्रों को ही प्रमाण मानना ताकि भविष्य में भी शास्त्रीय सनातन समाज के लिए संजीवनी बना रहे ! विनयावनत -आपका -वाजपेयी -
सनातन धर्म के मंदिर ही कलंकित क्यों किए गए ! साईं घुसपैठिए अन्य धर्मों की ओर क्यों नहीं उठा सके आँख ! मेरे प्यारे भाई बहनो ! जो साईं बुढ़ऊ जीते जी हिंदू मंदिरों में नहीं गए हिन्दू तीर्थों में नहीं गए हिंदू देवताओं को नमस्कार नहीं किया उनके मंदिरों में उन देवताओं को दिखा दिखाकर साईं पत्थर पूजने लगे हम !हमें धिक्कार है अपने देवी देवताओं की इससे अधिक और क्या बेइज्जती करा सकते हैं हम !अपना स्वाभिमान तो बचा ही नहीं अपने देवी देवताओं के सम्मान के साथ भी इतना बड़ा खिलवाड़ ! साईं तो संत भी नहीं हैं संत तो भगवान के भक्त होते हैं किंतु साईं तो ऐसे नहीं हैं !बंधुओ ! जो हमारे देवी देवताओं का न हुआ हमें उसके सामने गिड़गिड़ाने में लज्जा क्यों नहीं लगती !कितने कितने भीरु हैं हम ! जिसने हमारे धर्म को नहीं माना हम उसके चरणों में चढ़ा दें अपना धर्म !कितना निंदनीय आचरण है इतना आत्मघाती धार्मिक समझौता किसी अन्य धर्म में किया गया हो ऐसा कोई उदाहरण नहीं है फिर हम्हीं इतने मूर्ख इतने इतने डरपोक इतने निर्लज्ज इतने धर्म द्रोही क्यों हैं कि सनातन धर्म के मंदिरों में सनातन धर्म शास्त्रों की उपेक्षा करके मनमाने ढंग से पुजवाने लगे साईं को !जिन बुढ़ऊ को कभी कन्याओं का पूजन करते नहीं देखा गया उन्हें हिंदू कैसे माना जाए !ऐसे लोगों के अनुयायी क्या जानें कन्याओं का सम्मान करना !श्री राम की तरह माता पिता को प्रणाम करते साईं को नहीं देखा गया उन साईं से क्या सीखें लोग ,साईं को गउओं का पूजन करते नहीं देखा गया गायों की सेवा करते नहीं देखा गया उनके माथे पर श्री कृष्ण का मुकुट और मुख में बाँसुरी घुसेड़ कर उन्हें साईं श्याम कहा जाना गद्दारी नहीं तो क्या है आखिर सनातन धर्म के देवी देवताओं में ऐसी कमी क्या दिखी जो उन्हें सस्पेंड करके साईं बुढ़ऊ को गोद लेने की मजबूरी हो गई !इतना गिरा तो रावण भी नहीं था वो हिन्दुओं के देवी देवताओं को पूजता था वो वेद का महान पंडित था वो बहुत बड़ा तपस्वी था किंतु उसके पुतले तो हम आज भी जलाते हैं किंतु जिसमें हिन्दू धर्म का एक भी गन नहीं है हम उसे गले लगाए बैठे हैं हमें धिक्कार है ! घुसपैठ की फिराक में बैठे साईं को उन्होंने मुख ही नहीं लगाया किंतु धर्म को भोगने के लिए धार्मिक बनने वाला गैर जिम्मेदार हिंदू नहीं बचाकर नहीं रख सका अपने धर्मस्थलों की पवित्रता !और भावी पीढ़ियों को भी साईं गर्त में धकेल दिया गया !इतिहास हमें कभी क्षमा नहीं करेगा !हे ईश्वर !हमें क्षमा करो हम अपने धर्म के काम न आ सके ! आपका अपमान देखकर भी जीवित हैं इतनी बेशर्मी हम हिन्दुओं के अलावा और कौन कर सकता है !आपका दिया हुआ शरीर है स्वस्थ है आपकी कृपा से प्रकृति भरण पोषण के लिए सब कुछ दे रही है फिर भी आपको दिया हुआ वो बचन नहीं निभा सके जिसके लिए यहाँ आए थे अपने हिस्से का इतिहास भी कलंकित होने से नहीं बचा सके !हतभाग्य !क्या अब क्या केवल भोग भोगने के लिए ही इस धरती पर बोझ बनकर जीता रहूँगा ! हमें धिक्कार है हमारी इतनी कजोर धर्मनिष्ठा पर !हम अपने बंधुओं को धर्म पथ से भटकने से बचा न सके धिक्कार है हमारी धार्मिकता को धिक्कार है हमारी विद्या बुद्धि को धिक्कार है हमारे उस सदाचरण के दम्भ को जिस पर प्रभावित करके हम अपने लोगों को अपने धर्म में समेट कर नहीं रख सके ! हे सनातन धर्म की भावी पीढ़ियों के होनहार लोगो !हमारे द्वारा वर्तमान में रचे जा रहे इस धार्मिक इतिहास पर भरोसा मत करना हम इस लायक विश्वसनीय नहीं रहे !आप अपने धर्म की मर्यादाओं के विषय में धर्म शास्त्रों को ही प्रमाण मानना ताकि भविष्य में भी शास्त्रीय सनातन समाज के लिए संजीवनी बना रहे ! विनयावनत -आपका -वाजपेयी -
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