बुधवार, 8 जुलाई 2015

मंदिरों को तोड़ने की प्रक्रिया आक्रमणकारियों जैसी ! अन्यथा शास्त्र विधि से भी तो हटाए जा सकते थे मंदिर !

मंदिरों  को तोड़ने वाली सरकारें पार्टियाँ और वहाँ की जनता अवश्य फँसती है संकट में और भोगती है तरह तरह के दुष्परिणाम !धारी देवी का प्रकोप भूल गए क्या ?

       मंदिरों को हटाने की शास्त्रीय विधि भी है फिर आक्रान्ताओं की तरह क्यों तोड़े जा रहे हैं देव मंदिर और चलाए जा रहे हैं बुलडोजर !  मंदिरों के विषय में क्या हम इतने स्वतंत्र हैं कि जब चाहें तब पूजने  लगें और जब चाहें तब तोड़ डालें !
      बंधुओ ! मंदिरों के देवता हमारे गुलाम हैं क्या ?कि  हम  जब चाहें तब पूजने लगें और जब चाहें तब मूर्तियाँ उखाड़ दें मंदिर तोड़ दें ! इस प्रकार से जब हम पूजने लगेंगे तब देवी देवता बैठकर पुजवाने  लगेंगे और  जब हमारा मन आवे तो हम तोड़ने लगें तो देवता क्या भाग खड़े होते होंगे !और यदि हाँ तो ऐसा क्यों ?क्या वो इतने डरपोक होते हैं कि जैसा हम चाहेंगे वैसा वो भी करने लगेंगे ! हिंदू धर्म को ऐसे छिछलेपन के प्रदर्शन से मजाक क्यों बनाया जा रहा है !
     प्रशासन को ये बात अच्छी तरह से समझ में आनी चाहिए कि  मंदिरों को हटाने की भी एक शास्त्रीय प्रक्रिया है जिसका पालन किया जाना चाहिए अन्यथा मंदिर हटाने और तोड़ने में एवं सरकारों और आक्रान्ताओं के आचरणों में अंतर क्या बचा ! आखिर मंदिर ही तो आक्रमणकारियों ने भी तोड़े थे !
     बंधुओ !  हिंदू धर्म को कैसे कैसे मजाक बनाया जा रहा है । जिन मंदिरों को दूर से देखकर आस्थावान लोग उनके कंगूरों को प्रणाम करते हैं मंदिरों के गेट को चौखट को देहली को यहाँ तक कि मंदिरों की जमीन तक को प्रणाम किया जाता है हिंदुओं की आस्था केवल देव मूर्तियों के प्रति ही नहीं है अपितु देव मंदिरों के प्रति भी असीम आस्था है । इसलिए ऐसे मंदिरों के विषय में सरकारों को भी शास्त्रीय अनुशासन का पालन अवश्य करना चाहिए !
    बंधुओ ! मंदिरों में देवी देवताओं के चबूतरों तक को लोग प्रणाम करते हैं इसके पीछे उनकी धारणा होती है कि देवता हम पर प्रसन्न होंगें तो वरदान देंगे ! बंधुओ !यदि उन जगहों पर प्रणाम करने से उन्हें आशीर्वाद मिलता है और उनके सारे काम बनने लगते हैं तो उन्हीं जगहों पर जो हथौड़े चलाते हैं उन्हें देवता क्या शाप नहीं देते होंगें ऐसी पार्टियाँ एवं उनकी सरकारें तथा ऐसे लोग प्रतिदिन एक नए प्रकार  के संकट में फँसते हैं !इसलिए इसका प्रायश्चित्त और शांति की जानी चाहिए !अन्यथा ऐसा करने वाले अक्सर बर्बाद होते देखे हैं।
     बंधुओ !मंदिर हटाने शास्त्रीय पद्धति है कि पहले शास्त्रीय विधि से देवी देवताओं की पूजा की जाए उसके बाद आनुषंगिक देवी देवताओं का पूजन समेत एक बड़ी शास्त्रीय प्रक्रिया का पालन करते हुए उसके बाद कई प्रकार के  खीर सार्षप आदि से होम का विधान है यह सब पद्धति विद्वान वैदिक विद्वानों द्वारा पूर्ण करवाकर तत्पश्चात देवताओं से ही मंदिर उस जगह को खोदने  की आज्ञा माँगकर कार्यारम्भ करे  !
       कुर्याद् शास्त्र विधानं च नृप राष्ट्रहिता वहम्  | 
          तदधस्तिष्ठतां देव प्रहरामि तवाज्ञया || 
                                     -निर्णय सिन्धो

1 टिप्पणी:

Pradeep Srivastava ने कहा…

BILKUM SAHI, KYA HAM ISE SHARE KAR SAKTE HAIN