सोमवार, 10 अगस्त 2015

बनावटी साधू संतों महंतों महामण्डलेश्वरों के पाखंडों से आखिर निपटा कैसे जाए ?

    धर्म ,ज्योतिष  एवं वास्तु से जुड़े पाखंडों को समाज के सहयोग के बिना रोकना संभव ही नहीं है किसी भी ज्योतिषी तांत्रिक योगी या बाबा बैरागी के भ्रष्टाचार से लेकर ब्याभिचार तक को बढ़ाने में मदद करने वाले उसके चेले होते हैं वही जिस दिन रूठ जाते हैं उस दिन पोल खुल जाती है जब तक वो उस पाप में साथ देते रहते हैं तब तक वो चला करता है !
     बात  दिल्ली की है  एक महिला एक बार मेरे पास आई थीं उनके पति की अत्यंत सामान्य कमाई थी वर्षों में मुश्किल से 80000 रूपए बचा पाई थीं किंतु एक ज्योतिषी के प्रति वो शारीरिक रूप से समर्पित हो गई थीं जिसमें उन्होंने सारे रूपए उन्हें दे दिए यहाँ तक कि अपनी जेवर भी दे दी थी ये सब कुछ पति को बिना बताए हुआ था इसके बाद ज्योतिषी नई नई लड़कियों के प्रति आकृष्ट होने लगा ये बात उस महिला को पची नहीं तब उनका आपस में झगड़ा हुआ फिर उन्हें सबक सिखाने के लिए वो मेरे पास कानूनी मदद मांगने के लिए आई थीं !मजे की बात तो ये कि उन्होंने आप बीती बात कई लोगों को बताई थी किंतु डर की वजह से पति को नहीं बताई थी किंतु जब वो मेरे पास आईं तो मैंने सबसे पहले उनके पति को उन्हीं से बोलवाया तब उनका सारा प्रकरण सामान्य हुआ किंतु उस पाखंडी ज्योतिषी ने उन्हें पहचानने से ही मना कर दिया था । 
     ऐसे सभी पाखंडों से बचने के लिए समाज को करना होगा एक  सबसे बड़ा काम!
 भारत सरकार ने अपने संस्कृत विश्व विद्यालयों में ज्योतिष तंत्र वेद पुराण आदि अलग अलग विभाग बनाए हुए  हैं इनमें रीडर प्रोफेसर आदि पढ़ा रहे हैं जिनकी लाखों रूपए सैलरी है कुल मिलाकर सब कुछ अन्य विषयों की तरह ही नियम है ज्योतिष आदि सभी विषयों में एम. ए. पी- एच.डी. आदि करवाई जाती है सरकार दे द्वारा इतने सारे प्रबंध करने पर भी समाज पाखंडों अंधविश्वासों की ओर भागता चला जा रहा है आखिर क्यों ? किसी ने अपने को ज्योतिषी,वास्तु स्पेशलिस्ट , तांत्रिक  आदि कुछ भी कहा तो हम आँख बंद करके  उस पर विश्वास करने लगते हैं भागने लगते हैं उसके पीछे आखिर क्यों ?क्या हमें मेडिकल की तरह ही ज्योतिषादि विषयों में भी उनके क्वालीफिकेशन के डिग्री प्रमाण पत्र क्यों न देखे जाएँ ! कई बार लोग आचार्य अर्थात एम.ए.किसी और विषय से करते हैं किंतु काम ज्योतिष का करने लगते हैं ऐसे लोग अपने नाम के साथ लगी  आचार्य  की डिग्री को भुनाया करते हैं जबकि ये ज्योतिष सब्जेक्ट से बिलकुल अपरिचित होते हैं ! इसी प्रकार से कुछ लोग संस्कृत विश्व विद्यालयों या महाविद्यालयों तक न पहुँच कर  पाखंडियों के द्वारा धोखा धडी करके चलाई जाने वाली ज्योतिष कक्षाओं से जुड़ कर उन्हीं से खरीद लेते हैं कोई डिग्री डिप्लोमा या गोल्ड मेडल आदि जो सम्पूर्ण रूप से धोखाधडी ही है किंतु समाज झोला छाप डॉक्टरों आदि का बहिष्कार तो करने लगा है किंतु झोला छाप ज्योतिषियों का बहिष्कार आखिर क्यों नहीं करता है ?
      इसी प्रकार से तरह तरह के बनावटी साधू संतों महंतों मण्डलेश्वरों से के पाखंडों से आखिर कैसे निपटा जाए ये बहुत बड़ा प्रश्न है ।
    बंधुओ !इनसे निपटने का एक मात्र रास्ता इनका वैराग्य पूर्ण शास्त्रीय आचरण है यदि ये शास्त्र सम्मत जीवन जीते हैं तब तो साधू अन्यथा काहे के साधू संत !दूसरी बात इनका सम्बन्ध किसी अखाड़े से अवश्य होना चाहिए यही उनकी मुख्य पहचान होती है यहाँ साधू संतों को भी सिखाए जाते हैं उनके शास्त्रीय नियम संयम !किंतु इसके अलावा और क्या नियम है पाखंडी बाबाओं से निपटने का ।
        आज तो भागवत की कथाओं में भी भ्रष्टाचार है लोग कथा आयोजनों के नाम पर नाच गा रहे हैं महिला कथाबाचक तो मासिक अशुद्धि में भी कथाएँ कर रही हैं ।साईं संप्रदाय के लोग हों, मलमल बाबा हों या तमाशाराम या भोगगुरु साक्षात कामदेव ही क्यों न हों ये लोग ड्रामा तो बाबा बैरागियों विरक्तों जैसा ही करते हैं किंतु संपत्ति बढ़ाने के लिए ये निरंतर बेझिझक झूठ बोलते जा रहे हैं और वही धन  बाद में एय्याशी के काम आता है !
  सनातन धर्म केवल अपने धर्म शास्त्रों के प्रति जवाब देय है!
   जो धर्म शास्त्रों को मानेगा उसे सनातन धर्मी अपना मानेंगे जो धर्मशास्त्रीय मर्यादाओं के समर्थन में प्राण प्रण से समर्पित हैं उन्हें ही अपना संत धर्माचार्य आदि माना जाएगा !सनातन धर्मी ऐसे किसी व्यक्ति को संत या धर्माचार्य मानने के लिए बाध्य नहीं है जो सनातन धर्म एवं धर्मशास्त्रों के विरुद्ध रची जा रही साजिश में न केवल सम्मिलित हों अपितु द्रव्य लोभ से साईँ जैसों की दलाली करते घूम रहे हों !यदि हमारी इस बात से किसी सनातन धर्मी को ठेस लगती हो तो साईं को भगवान बताकर पूजने के समर्थन में कोई एक भी शास्त्रीय सूत्र उन्हें देना चाहिए अन्यथा सनातन धर्म को शास्त्रों के हिसाब से चलने देना चाहिए !

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