शुक्रवार, 7 अगस्त 2015

भविष्य में नेपाल-भारत में भूकंप का खतरा: वैज्ञानिक

    किंतु भूकंप के विषय में इतनी बड़ी बात आखिर ऐसे कैसे कही जा सकती है वो भी उन लोगों के द्वारा जो आज तक किसी भूकंप का पूर्वानुमान ठीक ढंग से नहीं लगा पाए !अध्ययन के नाम पर बहुत कुछ कर रहे हैं परिणाम के नाम पर कुछ नहीं !भूकंपों का अध्ययन करने के लिए जमीन के अंदर की गैसों से आखिर कब तक चिपके रहा जाएगा और यदि यही सच होता तो भूकंपों के विषय में कोई पूर्वानुमान तो सच होना चाहिए था !और यदि ऐसा नहीं किया जा सका तो इस विषय में बोली गई बातों पर विश्वास जनता आखिर कैसे करे ! 
भूकंप विज्ञान विभाग का काम केवल इतना ही बताना है क्या ?
    "अभी आफ्टरशॉक्स आते रहेंगे ,इसलिए खुली जगहों में आ जाएँ,भूकम्प की तीव्रता इतनी थी इसका केंद्र यहाँ था इसकी गहराई इतनी थी आदि आदि ! इसके बाद बारी आती है प्लेटें गिनाने की अर्थात धरती के अंदर कहाँ कौन कैसी प्लेटें हैं फिर बताते हैं कि उनकी आपसी रगड़ से भूकम्प आता है जब कोई पूछ देता है कि यदि यही प्लेटें रगड़ना ही भूकम्पों का कारण तो ये बात आप पहले क्यों नहीं बता पाते हैं ,चलो आगे बता पाएँगे क्या ?तो कहते हैं नहीं भाई हम ठीक ठीक कुछ नहीं कह सकते हैं ।दूसरा तर्क होता है कि धरती के अंदर बहुत ऊर्जा एकत्रित है जिसके एडजेस्टमेंट में समय लग सकता है इसलिए भूकम्प तो अभी आते ही रहेंगे कोई वैज्ञानिक कहते हैं दो महीने तक आते रहेंगे ,कोई छै महीने तक तो कोई साल भर भूकम्प आते रहेंगे ऐसे बोल देते हैं ऐसी ऐसी भविष्यवाणियाँ करते दिखते हैं ये भूकंप वैज्ञानिक लोग !यदि इन बातों का आधार उनसे पूछो तो कुछ नहीं है हाथ खड़े कर देते हैं । आखिर क्यों ?"
   बंधुओ !ऐसी परिस्थिति में इन बातों के कहने का औचित्य आखिर क्या रह जाता है जब तक पुष्ट प्रमाण अपने पास न हों !बल्कि इस तरह की भ्रामक और डरावनी बातों से एक बड़ा नुक्सान यह होता है कि भूकंपों से डरे सहमे लोग यह सुनने और सहने की स्थिति में उस समय नहीं होते हैं कि कौन कौन शहर डेंजर जोन में बसे हुए हैं कहाँ कहाँ की प्लेटें खिसक सकती हैं और वहाँ भविष्य में यदि भूकंप आया तो कैसी कैसी तवाही होगी !वैज्ञानिकों की ये बातें बताकर टीवी वाले दिखाने लगते हैं वही तवाही के भयावने दृश्य !
   बंधुओ !क्या ऐसी ही भविष्यवाणियों के लिए बना है 'भूकंप विज्ञान विभाग'कितने कर्मचारी  होंगे उनकी कितनी सैलरी होगी उसके संसाधनों पर क्या कुछ खर्च नहीं होता होगा !
   दूसरी ओर भारत के ज्योतिष आदि प्राचीन विज्ञान के आधार पर  इन्हीं विषयों में बड़े पैमाने पर यदि कोई रिसर्चवर्क चलाया जाए तो उसके लिए सरकारें इतनी उदारता पूर्वक कहाँ कर पाती हैं सहयोग !
  अब समझिए विस्तार पूर्वक भारत के प्राचीन भूकंप विज्ञान के आधार पर 25-11-2015  नेपाल में आये भूकम्प को -   
    भूकंप के विषय में भारतीय प्राच्य विज्ञान का गंभीर अध्ययन एवं गहन शोध के बाद  निकाले निष्कर्ष के आधार पर कहा जा सकता है कि कोई भी भूकंप वायु के प्रकोप के बिना संभव ही नहीं है अर्थात धरती के अंदर की केवल प्लेटें गिनने की अपेक्षा वायुसमूहों का भी अध्ययन होना चाहिए । यही कारण है कि पुराने ऋषि वायु मंडल शुद्ध रखने के लिए यज्ञ करते थे यज्ञों से वायु मंडल शुद्ध रहता था उससे बादल बनते थे वो जिम्मेदार बदल प्रजा के हित  में वृष्टि  करते थे अर्थात जहाँ जितने पानी की आवश्यकता होती थी वहाँ उतनी वर्षा होती थी किंतु कथा बाँचने और सत्संग शिविरों के शौकीन नचैयों गवैयों ने यज्ञ में लगने वाला वो धार्मिकधन नाच गाकर छीन लिया लोगों से जिसके दुष्परिणाम स्वरूप यज्ञ कर्म धीरे धीरे बंद होते जा रहे हैं ।अभाव में डीजल पेट्रोल से चलने वाले बाहनों से निकलने वाले प्रदूषित धुएँ से बनने वाले गैर जिम्मेदार बादल कहीं भी फट पड़ते हैं उससे  बाढ़ आ जाती है बिजली गिर जाती है सूखा  पड़ जाता है आदि आदि !

       25-4-2015 को दिन में 11.56 पर आए भूकंप का ज्योतिष की दृष्टि से मुख्यकारण 21 -04-15 को आया भीषण आँधी तूफान था आँधी तूफान भी नेपाल से ही उठा था और भूकंप का केंद्र भी नेपाल में ही रहा !यथा -""केंद्र के निदेशक आरके गिरि का कहना है कि नेपाल में कम दबाव का क्षेत्र बना होने के कारण आंधी आई।" 'इस तूफान में 40 लोग बेमौत मारे गए। बड़ी संख्या में कच्चे-पक्के मकान और झोपड़ियों के गिरने की सूचना है।' बंधुओ !भयानक तूफान की तरह ही भूकंप भी भयंकर था !   
     बंधुओ !मैं प्राचीन विज्ञान के द्वारा प्राप्त संकेतों के आधार पर कह सकता हूँ कि इस बार नेपाल से लेकर भारत तक आए इस भूकंप से पृथ्वी काँपी अवश्य है किन्तु  इसके कारण केवल पृथ्वी के अंदर उतने नहीं मिल सकेंगे जितने बाहर हैं । भारत के प्राचीन शास्त्रीय  विज्ञान से प्राप्त संकेतों के आधार पर यदि अनुमान लगाया जाए तो धरती के अंदर होने वाली हलचल या प्लेटों की असहजता की अपेक्षा इस बार  भूकंप के कारण  पृथ्वी के ऊपर के वायु संघातों में अधिक विद्यमान थे और वायु समूहों की आपसी टकराहट के कारण ही आया था ये भयावना भूकम्प । 
प्राचीन विज्ञान में जिन चार प्रकार के भूकंपों का वर्णन है वो इस प्रकार से हैं - 
      सामान्य रूप से वायु, अग्नि, इंद्र और वरुण इन चार को भूकम्पों  का कारण माना गया है जो समय समय पर पृथ्वी को कँपाते रहते हैं इन्हीं चारों के कारण  भूकंप आते हैं !  25- 4 -2015 को दिन में 11.56 पर आए भूकंप के लक्षणों का मिलान ज्योतिष शास्त्र के भूकंप लक्षणों से किए जाने पर नेपाल में आए हुए इस भूकंप को वायु प्रकोप से आया हुया भूकंप मानने के लिए पर्याप्त प्रमाण हैं जो कहीं भी आवश्यकता पड़ने पर प्रस्तुत किए जा सकते हैं ।  
वायु प्रकोप से आने वाले भूकंपों के शास्त्रीय लक्षण -
   " सूर्योदय से लेकर मध्यदिन अर्थात लगभग दिन के बारह बजे तक आने वाला भूकंप वायु देवता के प्रकोप से माना जाना चाहिए इसकी सूचना केन संकेत वायु देवता एक सप्ताह पहले सभी प्राणियों को दे देते हैं !सूचना के संकेत इस प्रकार के होते हैं -एक सप्ताह पहले से आकाश में धुआँ धुँआ सा दिखाई पड़ने लगता है ,नेपाल जैसा भयंकर भूकंप आने से एक सप्ताह पहले से भयंकर आँधी तूफान आने लगते हैं पृथ्वी से धूल उड़ाती हुई वृक्षों को तोड़ती तहस नहस करती हुई हवा अर्थात आँधी चलने लगती है सूर्य की किरणें मंद होने लग जाती हैं आनाज,जल और औषधियों का नाश होने लगता है, लोगों के शरीरों में सूजन होने लगती है,गले में सूखा  जमा हुआ सा बलगम बनने लगता है जो बहुत खाँसने पर भी निकालना कठिन होता है ,दमा होने लगता है,उन्माद रोग,ज्वर रोग तथा खाँसी से उत्पन्न पीड़ा होने लगती है । 
    ऐसे भूकंप आने के दिन से  तीसरे ,चौथे,सातवें,पंद्रहवें ,तीसवें  और पैंतालीसवें दिन यदि फिर भूकंप आने की सम्भावनाएँ अधिक होती हैं इससे देश के राजा का विनाश होता है अर्थात देश के शासक के लिए बहुत हानि कर होता है जिसके प्रभाव की अवधि 180 दिनों की होती है ।
      यह वायु जनित भूकंप सबसे अधिक भूभाग को प्रभावित करता है शेष भूकंप इससे कम क्षेत्र को प्रभावित करते हैं। इस भूकंप के आने के कुछ निश्चित स्थान होते हैं जैसे अबकी ये भूकंप मगध अर्थात पटना गया नेपाल से बियतनाम तक का क्षेत्र  ,कुरुक्षेत्र,सौराष्ट्र ,दशार्ण अर्थात मध्य प्रदेश के विदिशाजिले  के आसपास का क्षेत्र और मत्स्य देश में विशेष प्रभाव डालता है । मत्स्य देश का केन्द्र आधुनिक जयपुर नगर है इसकी राजधानी विराटनगर थी।इस प्रकार से ये संपूर्ण क्षेत्र इस भूकंप से प्रभावित होता है ।ऐसा शास्त्र में वर्णन मिलता है । " 
इन शास्त्रीय लक्षणों में 25-4 -2015 के भूकंप में कितने मिलते हैं आप स्वयं देखिए और अनुभव कीजिए -
    बंधुओ !इन शास्त्रीय लक्षणों को मिलाकर यदि देखा जाए तो प्रकाशित समाचारों के आधार पर इस भूकंप में मिलते जुलते  ये लक्षण दिखाई पड़  रहे हैं जैसे शास्त्र में उपर्युक्त लक्षणों के विषय में लिखा गया है कि ये एक सप्ताह पहले से भयंकर आँधी तूफान आदि आने लगते हैं  तो यहाँ भी यह बड़ा भूकम्प आने के तीन दिन पहले अर्थात 22-04-15 को ही भयंकर तूफान आया था इस तूफान का उद्गम स्थल भी नेपाल में ही माना गया है "केंद्र के निदेशक आरके गिरि का कहना है कि नेपाल में कम दबाव का क्षेत्र बना होने के कारण आंधी आई।" बाद में यह तूफान जैसे जैसे जहाँ जहाँ जितने प्रभाव से गया भूकंप भी उसी नेपाल से उठा और तूफान वाले क्षेत्रों में कंपन करता चला गया था कुलमिलाकर जैसे तूफान से नेपाल और भारत दोनों प्रभावित हुए उसी प्रकार से भूकम्प से भी नेपाल और भारत दोनों प्रभावित हुए चूँकि भूकंप का केंद्र नेपाल था इसलिए उसका अधिक प्रभावित होना स्वाभाविक ही था ।         
  18/04/2014यूपी में तूफान और आंधी से 18 लोगों की मौत-see more ....... http://khabar.ndtv.com/news/india/dust-storm-in-uttar-pradesh-kills-18-385861
   बंधुओ ! इस प्रकार से हमारे आधुनिक वैज्ञानिक भूकंप आने के कारणों का ठीक ठीक पता लगा पाने में अभी तक सफल नहीं हो पाए हैं और न ही इतनी जल्दी होने की सम्भावनाएँ दिखाई ही पड़ती हैं क्योंकि वो हर भूकंप के लिए जमीन के अंदर की सतहों को प्लेटें बता बता कर उन्हीं के रगड़ने की बातें बता दिया करते हैं और जब प्रमाण बताने की बात आती है तो उनकी बातों के समर्थन में उनके पास कोई ठोस सबूत नहीं होते हैं बड़ी आसानी से हाथ खड़े कर देते हैं !फिर भी जब भूकंप आता है तब कुछ दिनों तक टीवी चैनल कुछ लोगों को अपने साथ पैनल में बैठाकर तरह तरह के कारणों पर चर्चा किया करते हैं और बीच बीच में ये भी कहते जाते हैं कि हमारी इन बातों के कोई ठोस आधार  नहीं हैं । यह कहते हुए भी जमीन के अंदर की प्लेटें गिनाने लगते हैं और उन्हीं के रगड़ने पर भूकंप आता है ऐसा सबको समझाया करते हैं उन्हीं कल्पित प्लेटों पर बसे शहरों के लोगों को यह कहकर डराया करते हैं कि इन क्षेत्रों में कभी भारी भूकंप आ सकता है जो कर सकता है बड़ा बिनाश !इसी के साथ ही जिम्मेदार चैनल किसी बहुत बड़े बिनाशकारी भूकम्प के चित्र दिखाने लगते हैं जिससे हाल ही में आए भूकंप से  डरे सहमे समाज को कल्पित कहानियाँ गढ़ गढ़ कर डराना कहाँ तक ठीक है जबकि ऐसे समय समाज को धैर्य बँधाने की जरूरत होती है साथ ही ऐसे समय दुखी समाज को ईश्वर का सहारा देकर ढाढस बँधाने की आवश्यकता होती है । क्योंकि जब विज्ञान खाली हाथ है सरकार बेबश है तो भगवान का भरोसा दिलाकर समाज को हिम्मत बँधाए जाने की आवश्यकता है वही रक्षा करेंगे !http://www.jagran.com/uttar-pradesh/lucknow-city-prone-of-earthquake-still-remains-12356127.html?src=fb
 
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