मंगलवार, 30 मई 2023

मौसम

 मुंबई में आई भीषण बाढ़:2005 में मुंबई समेत पूरे महाराष्ट्र में भीषण बाढ़ आई थी!|इसमें करीब 850 से ज्यादा लोगों की मौतें हुई थीं. अकेले मुंबई में मरने वालों की संख्या करीब 400 से ज्यादा थी |

 मौसमविज्ञान बेचारा !

      वैज्ञानिक लोग पूर्वानुमान या तो लगा नहीं पाते या फिर लगते हैं वो गलत निकल जाता है |1864 में चक्रवात के कारण कलकत्ता में हुई क्षति और 1866 और 1871 के अकाल के बाद मौसम संबंधी घटनाओं के विषय में पूर्वानुमान लगाने के लिए 1875 में भारत मौसम विज्ञान विभाग की स्थापना हुई।उसी समय से जनता के द्वारा दिए गए  टैक्स में से भारी भरकम धनराशि मौसमवैज्ञानिकों एवं उनके द्वारा किए जा रहे अनुसंधानों पर खर्च की जाती  रही है |ऐसा करते करते डेढ़ सौ वर्ष बिताए जा चुके हैं किंतु ऐसे अनुसंधानों से आखिर मिला क्या है और भविष्य में कब तक क्या मिलने की आशा की जानी चाहिए | 

   उपलब्धियाँ :

 

केदारनाथ जी में  सन 2013 में 16 \17 जून की रात केदारनाथ जी में भयंकर सैलाव आया था |

 जम्मू कश्मीर में आई भीषण बाढ़: सितंबर 2014 में जम्मू और कश्मीर ने अर्ध शताब्दी की सबसे भयानक बाढ़ आई थी । 450 गाँव डूब  गए थे ।

  प्रधानमंत्री जी की बनारस में होने वाली दो दो सभाएँ भीषण वर्षा के कारणरद्द करनी पड़ीं !28 जून 2015 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी की वाराणसी में सभा होने वाली थी किंतु भीषण वर्षा के कारण उस सभा को रद्द करना पड़ा |वही सभी दूसरी बार 16 जुलाई 2015 को वर्षा से निपटने की अधिक तैयारियों के साथआयोजित की गई वो भी भीषण वर्षा के कारण रद्द करनी पड़ी |

मद्रास में भीषण बाढ़ : नवंबर 2015 में चैन्नई में भीषण बाढ़ एक महीने से अधिक समय तक रही थी !
 
2016 अप्रैल मई में आग लगने की भीषण दुर्घटनाएँ : अप्रैल मई जून आदि के महीनों में गर्मी तो हर वर्ष होती है किंतु  2016 के अप्रैल मई में आधे भारत में गरमी से संबंधित कुछ भयंकर घटनाएँ घटित होने लगीं ! जमीन के अंदर का जलस्तर तेजी से नीचे जाने लगा बहुत इलाके पीने के पानी के लिए तरसने लगे |पहली बार पानी भरकर दिल्ली से लातूर एक ट्रेन भेजी गई थी आग लगने की घटनाएँ बहुत अधिक घट रही थीं | इस वर्ष आग लगने की घटनाएँ इतनी अधिक घटित हो रही थीं इस बिषय में संबंधित वैज्ञानिक कुछ कहने की स्थिति में नहीं थे उन्हें खुद कुछ समझ में ही नहीं आ रहा था | अंत में आग लगने की घटनाओं से हैरान परेशान होकर 28 अप्रैल 2016 को बिहार सरकार के राज्य आपदा प्रबंधन विभाग ने ग्रामीण इलाकों में सुबह नौ बजे से शाम छह बजे तक खाना न पकाने की सलाह दी थी . इतना ही नहीं अपितु इस बाबत जारी एडवाइजरी में इस दौरान पूजा करने, हवन करने, गेहूँ  का भूसा और डंठल जलाने पर भी पूरी तरह रोक लगा दी गई थी | 
 असम में भीषण वर्षा और बाढ़ : इसी वर्ष में 13 अप्रैल 2016 से असम आदि पूर्वोत्तरीय प्रदेशों में भीषण वर्षा और बाढ़ का भयावह दृश्य था त्राहि त्राहि मची हुई थी |यह वर्षा और बाढ़ का तांडव 60 दिनों से अधिक समय तक लगातार चलता रहा था |

2018 के अप्रैल मई में हिंसक आँधी तूफानों की घटनाएँ बार बार घटित हो रही थीं 2 मई की रात्रि में आए तूफ़ान से काफी जन धन हानि हुई थी इसका कभी कोई पूर्वानुमान नहीं बताया गया था | वैज्ञानिकों ने 7 और 8 मई 2018 को दिल्ली और उसके आस पास भीषण तूफ़ान आने की भविष्यवाणी बड़े जोर शोर से कर दी यह सुन कर कुछ प्रदेशों की भयभीत सरकारों ने अपने अपने प्रदेशों में स्कूल कालेज बंद कर दिए किंतु उन दो दिनों में हवा का एक झोंका भी नहीं आया !बताया जाता है कि इस बिषय को बाद में पीएमओ ने संज्ञान भी लिया था | इसी घटना के बिषय में एक निजी टीवी चैनल के साथ परिचर्चा में मौसम विज्ञान विभाग के महा निदेशक महोदय डॉ.के जे रमेश जी से एक पत्रकार महोदय ने प्रश्न कर दिया कि क्या कारण है कि आपका विभाग इतने भयंकर आँधी तूफानों के बिषय में कोई पूर्वानुमान नहीं लगा सका और जो लगाए भी गए वे गलत निकलते चले गए !इस पर डॉ.के जे रमेश जी ने कहा कि ग्लोबल वार्मिंग के कारण ऐसे तूफ़ान आ रहे हैं |

 केरल में भीषण बाढ़ :3 अगस्त 2018 को मौसम विज्ञान विभाग की ओर से जो प्रेस विज्ञप्ति जारी की गई उसमें भविष्यवाणी की गई थी कि अगस्त और सितंबर महीने में दक्षिण भारत में सामान्य वर्षा की संभावना है !जबकि 5 अगस्त से ही भीषण बारिश प्रारंभ हो गई थी जिससे केरल कर्नाटक आदि दक्षिण भारत में त्राहि त्राहि माही हुई थी | जिसके बिषय में केरल के तत्कालीन मुख्यमंत्री जी ने स्वीकार भी किया कि यदि मौसम विभाग की भविष्यवाणी झूठी न निकली होती तो बाढ़ से जनता इतनी अधिक पीड़ित न हुई होती | इसके बिषय में मौसम निदेशक डॉ.के. जे. रमेश से एक टीवी चैनल ने पूछा तो उन्होंने कहा कि केरल की बारिश अप्रत्याशित थी इसलिए इसके बिषय में पूर्वानुमान नहीं लगाया जा सका था | इसका कारण जलवायु परिवर्तन है जबकि दक्षिण भारत में 2018 के अगस्त महीने में हुई | 

  बिहार में आई भीषण बाढ़ :सितंबर 2019 में बिहार में आई भीषण बाढ़ के बिषय में कोई पूर्वानुमान बताने में मौसम विभाग असफल रहा था !मौसम पूर्वानुमान बताने वाले लोग कुछ बता ही नहीं पा  रहे थे और जो बता रहे थे वो गलत होता जा रहा था तो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी ने पत्रकारों से बात करते हुए स्वीकार किया था कि मौसम विभाग वाले लोग कुछ बता ही नहीं पा  रहे हैं वर्षा के बिषय में वे सुबह कुछ कहते हैं दोपहर में कुछ दूसरा कहते हैं और शाम होते होते कुछ और कहने लगते हैं | पत्रकारों ने पूछा तो इस बाढ़ के बिषय में आप जनता से क्या कहना चाहेंगे तो नीतीश जी ने कहा कि मेरा मानना है कि हथिया नक्षत्र के कारण यह अधिक बारिश हो रही है | इसीप्रकार से स्वास्थ्य राज्यमंत्री अश्विनी कुमार चौबे जी ने भी पत्रकारों के पूछने पर यही कहा था कि हथिया नक्षत्र के कारण ही बिहार में  अधिक बारिश हो रही है | मौसम विज्ञान पर विश्वास न करके ज्योतिष की नक्षत्र विद्या के ही गुण गाने लगे थे |  

सर्दियों के बिषय में  मौसम विभाग की गलत हुई भविष्यवाणी : सन 2019 \2020 की सर्दियों के बिषय में  मौसम विभाग की पुणे इकाई ने सामान्य से कम सर्दी का अनुमान व्यक्त किया था लेकिन सर्दी ने तो सौ साल के रिकार्ड तोड़ दिए । इस पर पत्रकारों ने मौसम विभाग की उत्तर क्षेत्रीय पूर्वानुमान इकाई के प्रमुख डॉ. कुलदीप श्रीवास्तव से पूछा कि सर्दी की दस्तक से पहले मौसम विभाग ने कहा था कि इस साल सर्दी सामान्य से कम रहेगी,लेकिन सर्दी ने तो सौ साल के रिकार्ड तोड़ दिए। पूर्वानुमानों में इतनी बड़ी गलती कि पूर्वानुमान सीधे सीधे इतने विपरीत चले गए |  

अधिक सर्दी होने की भविष्यवाणी गलत हुई :2020-21 में  लानीना का प्रभाव बताकर शीतऋतु में अधिक सर्दी होने की भविष्यवाणी की गई थी किंतु इस बार तो जनवरी माह से ही तापमान बढ़ने लग गया था | ऐसा होने के पीछे का कारण जब उन भविष्यवक्ताओं से पूछा गया तब उन्होंने वही जलवायु परिवर्तन एवं ग्लोबल वार्मिंग को कारण बता दिया था |

अत्यधिक बारिश हुई जिसका पूर्वानुमान नहीं लगाया जा सका !:

   सन 2020 के अप्रैल मई में  इतनी अधिक बारिश हुई जितनी पहले कभी नहीं हुई थी। इन दो माह में अब तक कुल 51.4 मिमी बारिश हो चुकी है।इसके बाद मौसम विभाग की ओर से और अधिक बारिश होने का अनुमान बताया गया | 

13 May 2020-इस बार पड़ेगी सूरज के तपिश की मार नहीं पड़ेगी , इस वर्ष ज्यादा गर्मी के आसार नहीं हैं !ये मौसमवैज्ञानिकों  के द्वारा बताया गया पूर्वानुमान तब  घोषित किया गया जब  गर्मी का आधा समय निकल  गया था | इसमें पूर्वानुमान क्या है और ऐसे पूर्वानुमान बताने के लिए वैज्ञानिकों की आवश्यकता कहाँ है |  
19 -9- 2020- सितंबर में पड़ रही अप्रैल-मई जैसी गर्मी, मौसम विभाग ने बताई आखिर क्या है वजह !प्रादेशिक मौसम विज्ञान केंद्र के प्रमुख कुलदीप श्रीवास्तव ने बताया कि इन दिनों आसमान में बादल बहुत कम हैं। बीच में कोई अवरोधक न होने से सूरज की रोशनी सीधे भी जमीन तक पहुँच रही है।

15 Oct 2020 : इस साल पड़ेगी कड़ाके की सर्दी !मौसम विभाग के महानिदेशक मृत्युंजय मोहापात्रा ने राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण यानी एनडीएमए की तरफ से 'शीत लहर के खतरे में कमी' पर आयोजित वेबिनार को संबोधित करते हुए कहा कि इस साल कड़ाके की ठंड पड़ सकती है। पिछले साल सर्दी के मौसम के दौरान शीत लहर अधिक लंबा खिंची थी। इसके बाद एक बार फिर गलत हुई मौसम वैज्ञानिकों की भविष्यवाणी !

   2020-21 में  वैज्ञानिकों के द्वारा लानीना का प्रभाव बताकर शीतऋतु में अधिक सर्दी होने की भविष्यवाणी की गई थी किंतु इस बार तो जनवरी से ही तापमान बढ़ने लग गया था ऐसा होने के पीछे का कारण जब उन भविष्यवक्ताओं से पूछा गया तब उन्होंने वही जलवायु परिवर्तन एवं ग्लोबल वार्मिंग को कारण बता दिया था | इस साल कड़ाके की ठंड पड़ने की क्या वजह बताई कि इस साल ला नीना की स्थिति के कारण कड़ाके की ठंड पड़ सकती है। 



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