रविवार, 23 जुलाई 2023

क्योरा 2

 इजरायल और हमास का युद्ध क्यों हुआ ? ज्योतिष की दृष्टि में
    वर्ण विज्ञान की दृष्टि से इजरायल और हमास के बीच युद्ध होता ही नहीं ! इ अक्षर वाले इजरायल का ह अक्षर वाले हमास से कोई टकराव हो ही नहीं सकता ! इ अक्षर वाले इजरायल का टकराव इ अक्षर वाले ईरान से है | ईरान ने यह लड़ाई स्वयं न लड़कर  ह अक्षर वाले  हमास की दुर्दशा करवा डाली है | ह अक्षर वाले लोग या संगठन अपने से अधिक विश्वास उन दूसरों का करते हैं जो उन्हें अपनी गलत बात भी समझाने में सफल हो जाते हैं |
     रामायण में भी लड़ाई र अक्षर वाले राम जी और र अक्षर वाले रावण के बीच होनी थी किंतु लंका जलाने का काम ह अक्षर वाले हनुमान जी ने किया ! जांबवंत जी उन्हें ऐसा कुछ समझने में सफल हो गए !
    ह अक्षर वाले लोग यदि दूसरों के सिखावे में न चलें तो वो बहुत आगे बढ़ सकते हैं इसमें समस्या यह कि उनमें दृढ़ निर्णय लेने की क्षमता नहीं होती !
     'हमास'  का कितना साथ देगा 'हिज्बुल्ला ! '
       ह अक्षर से 'हमास' का नाम प्रारंभ होता है और ह अक्षर से ही 'हिज्बुल्ला' का भी नाम प्रारंभ होता है | कोई भी ह अक्षर वाले दो लोगों की सोच एक जैसी होती है और लक्ष्य भी एक जैसा ही होता है |एक ही लक्ष्य को पाने के लिए दोनों एक दूसरे को शत्रु समझने लगते हैं जिससे उन दोनों का आपस में टकराव शुरू हो जाता है | ऐसे टकराव में उन दोनों में कोई एक ही बचता है | 
    इसलिए हमास को हिज्बुल्ला की मदद फायदा कम नुक्सान अधिक करेगी !  
 
       इजरायल और इंडिया में रहेगा टकराव !
            जबकि भारत के साथ इजरायल के संबंध मधुर रहेंगे !
    इजरायल और इंडिया दोनों ही नाम इ अक्षर से प्रारंभ होते हैं इसलिए इनमें भी इजरायल और ईरान वाला ही समीकरण बन रहा है | इससे दोनों देशों की सोच एक दूसरे की सहयोगी नहीं रह सकती है ,किंतु यदि इंडिया की जगह अपने देश के  भारत नाम को ही व्यवहार में लाया जाए तो न केवल इजरायल और भारत के आपसी संबंध मधुर रहेंगे अपितु  इजरायल से भारत को सम्मान भी मिलेगा ,और भारत की बातों व्यवहारों पर इजरायल का विश्वास अधिक बढ़ता चला जाएगा ! नरेंद्र मोदी जी जबसे भारत नाम को अधिक व्यवहार में लाने लगे हैं तब से भारत और ईरान के आपसी संबंधों में मधुरता बढ़ती देखी जा  रही है | 
       आमआदमीपार्टी में नहीं रहेंगे अरविंदकेजरीवाल !- ज्योतिष
         अ अक्षर से  आम आदमी पार्टी का नाम शुरू होता है और अ अक्षर से ही अरविंद केजरीवाल जी का भी नाम शुरू होता है ! दोनों का नाम चूँकि अ अक्षर से ही प्रारंभ होता है इसलिए अ अक्षर वालों को न आम आदमी पार्टी पसंद करेगी और  अरविंद केजरीवाल ! यही कारण है कि आम आदमी पार्टी में जितने भी अ अक्षर से प्रारंभ नाम वाले नेता  लोग थे सब एक एक करके पार्टी से निकलते या निकाले जाते रहे ! देखिए वह सूची - 
      जो पार्टी अ अक्षर वाले इतने नेताओं को नहीं  सह सकी वही पार्टी अ अक्षर वाले अरविंद अमानत उल्ला और आतिशी  जैसे अ अक्षर वाले नेताओं को कब तक अपने साथ समेत कर रख सकेगी ! इन्हें भी बाहर जाना ही है |
  अ अक्षर वाले अरविंद जी की अ अक्षर वाले अन्ना हजारे,अग्निवेश,अमित त्रिवेदी, अनिल वैजल पूर्व (उपराज्यपाल दिल्ली)  एवं दिल्ली पुलिस कमिश्नर आलोक कुमार वर्मा एवं अमूल्य कुमार पटनायक  जी से भी शांति पूर्ण  संबंध नहीं निभ पाए ! 
     कुल मिलाकर  न आम आदमी पार्टी अ अक्षर वालों को सह पा रही है और न ही अरविंद केजरीवाल ऐसी परिस्थिति में अरविंद केजरीवाल जी कैसे रह पाएँगे आम आदमी पार्टी में !
 
                                 वायुप्रदूषण बढ़ने के विषय में सबसे बड़ा रिसर्च !
 
               जो काम विज्ञान नहीं कर सका वो काम किया गया है  रिसर्च में - आप स्वयं देखिए -
    वायुप्रदूषण कुछ देशों प्रदेशों में अधिक बढ़ता है और कुछ में कम ! इससे लगता है कि वायुप्रदूषण बढ़ने का कारण भौगोलिक  होते हैं |
     इसी प्रकार से किसी एक ही स्थान पर लगभग एक ही प्रकार की परिस्थितियों में ,एक ही दशक के कुछ वर्षों, महीनों या कुछ दिनों  में वायुप्रदूषण अधिक बढ़ता है तो कुछ वर्षों, महीनों दिनों  में कम बढ़ता है ! कभी कभी तो एक ही सप्ताह के कुछ दिनों में वायु प्रदूषण बढ़ा रहता है और कुछ दिनों कम !यह सब देखकर लगता है कि वायुप्रदूषण बढ़ने घटने का  कारण  समय संबंधी है |
    वायु प्रदूषण यदि सर्दी में बढ़े तो हवाएँ धीरे चलने को एवं गर्मी  में बढ़े तो तेज हवाओं के साथ धूल उड़ने को वायुप्रदूषण बढ़ने का कारण मान लिया जाता है | दीपावली के समय वायु प्रदूषण  बढ़े तो पटाखों के धुएँ को और धान काटने के  समय बढ़े तो पराली के धुएँ को इसके लिए जिम्मेदार मान लिया जाता है | इसके अलावा भी यदि वायुप्रदूषण कभी भी बढ़ने लगे तो उद्योगों वाहनों ईंटभट्ठों एवं  निर्माण कार्यों से उड़ने वाले धुएँ धूल आदि को वायुप्रदूषण बढ़ने के लिए जिम्मेदार मान लिया जाता है,क्योंकि ये लगभग  पूरे वर्ष ही चला करते हैं |
 

      इसमें विशेष बात यह है कि
 वायु प्रदूषण बढ़ने के लिए धुआँ धूल उड़ाने वाले संपूर्ण कार्यों को वायु प्रदूषण बढ़ने का कारण मान लिया जाता है ,
वायुप्रदूषण बढ़ने के लिए ये सब कारण जिम्मेदार हो सकते हैं ऐसा अंदाजा लगाया जा रहा है किंतु इन सबके पीछे आधारभूत कोई तर्कसंगत सही उत्तर वैज्ञानिकों के द्वारा अभी तक नहीं दिया जा सका है | 
      इसके बाद भी वायु प्रदूषण बढ़ जाने पर इसके बढ़ने के लिए जिम्मेदार वास्तविक कारण खोजे बिना कार्यवाही के नाम पर धुआँ धूल उड़ाने वाले कार्यों पर प्रतिबंध लगा दिया जाता है आखिर क्यों ?
     जनता के द्वारा दिए गए टैक्स के पैसे जिन वैज्ञानिकों की सैलरी एवं ऐसे अनुसंधान कार्यों पर खर्च किए जाते हैं | उनसे यदि वायुप्रदूषण बढ़ने का वास्तविक कारण खोजना एवं इसके विषय में पूर्वानुमान लगाना भी यदि संभव  पाया है तो अनुसंधानों से सरकारें समाज को आखिर ऐसी कौन सुविधा पहुँचा पाती हैं जो उन अनुसंधानों के बिना संभव नहीं है | 
    ऐसे सभी काल्पनिक कारणों से अलग मैंने एक ऐसा वायुप्रदूषण विज्ञान खोजा है जिसके आधार पर धुएँ धूल उड़ाने वाले कारणों को सम्मिलित किए बिना भी  वायुप्रदूषण संबंधी सही पूर्वानुमान लगा लिया जाता है | आप स्वयं देखिए और मिलान कीजिए - 23 जुलाई 2023 को प्रधानमंत्री जी को भेजी गई यह मेल -
 
 
              कोटा के कोचिंगों में छात्रों की आत्महत्याओं का कारण क्या है ? ज्योतिष की दृष्टि में  

       प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में भाग्य की भूमिका ही यही होती है कि वह व्यक्ति कैसे घर में पैदा होगा |क्या पढ़ेगा ,कितना पढ़ेगा ,पढ़ाई में उसे कितनी सफलता मिलेगी !क्या काम करेगा ,कहाँ काम करेगा आदि जीवन से संबंधित लगभग प्रत्येक  क्षेत्र में सफलता कहाँ और  कितनी मिलनी है| यह भाग्य के आधार पर निर्धारित  होता है | भाग्य के अनुशार जिस व्यक्ति को जो पढ़ने में सफलता मिलनी होती है | वह यदि उसी विषय को पढ़ेगा  तब तो उसे सफलता मिलेगी अन्यथा नहीं मिलेगी | यह प्रकृति का सिद्धांत है | 
      यहाँ विशेष बात यह है कि जिस छात्र के भाग्य में जिस विषय को पढ़ने में सफलता मिलनी निश्चित होती है | उसकी रुचि भी वही पढ़ने में होती है और उसे सफलता भी वही पढ़ने  में मिलती है | यह सारा भाग्य के द्वारा प्रायोजित होता है | इसमें दिक्कत तब शुरू होती है जब माता पिता अपनी इच्छा के अनुशार डाक्टर इंजीनियर आदि बनने के लिए बच्चे पर दबाव डालने लगते हैं | 
     माता पिता के अपने भाग्य में डाक्टर इंजीनियर आदि बनने का भाग्ययोग होता है ,किंतु किसी कारणबश  वो ऐसा नहीं कर पाए !अब वो चाहते हैं कि हम नहीं कर पाए तो हमारा बच्चा कर ले !इसमें कोई बुराई नहीं है किंतु ऐसा होना संभव नहीं होता है | उसका एक कारण तो यह होता है कि वे माता पिता जिनके अपने भाग्य में डाक्टर इंजीनियर बनना लिखा था | उन्होंने डाक्टर इंजीनियर बनने के क्षेत्र में प्रयत्न नहीं किया और वे दूसरे तीसरे क्षेत्रों में जीवन भर भटकते रहे | अब बच्चे के भाग्य में डाक्टर इंजीनियर बनना लिखा नहीं है किंतु उसे डाक्टर इंजीनियर बनाने के लिए उसे भटका रहे होते हैं | उसके भाग्य में डाक्टर इंजीनियर बनना लिखा नहीं होता है इसलिए न तो उस विषय को पढ़ने में उस बच्चे की रुचि होती है और न ही उसे सफलता मिलती है | 
    भाग्यबल का पता न लगा पाने के कारण स्वयं भी जीवन भर भटकते रहे बच्चे को भी उसके भाग्य के अनुशार न चलाकर अपनी इच्छा के अनुशार चलाते एवं भटकाते रहते हैं  | जिससे न खुद सफल हो पाते हैं और न ही बच्चे को सफल होने देते हैं | बच्चा जब असफल होता है तब उसे अपनी असफलता का दुःख तो होता ही है उसके साथ यह भी दुःख होता है कि माता पिता ने यदि मेरी इच्छा के अनुशार मुझे पढ़ने दिया होता तो मैं डाक्टर इंजीनियर भले न बन पाता,लेकिन किसी दूसरे क्षेत्र में तो सफल हो ही जाता !किंतु माता पिता ने वो होने नहीं दिया और माता पिता की इच्छा के अनुशार डाक्टर इंजीनियर बनना उसके भाग्य में ही नहीं लिखा था तो वो सफल कैसे हो जाता |ऐसे में बच्चे को एक तो अपने असफल होने का दुःख होता है दूसरे भविष्य की चिंता होती है तीसरे माता पिता की हठ के कारण वे अपने को असफल मानकर अपने जीवन को समाप्त करने का बिचार बना लेता है | 
     ऐसे लोगों को चाहिए कि वे हमारे यहाँ संपर्क करके पहले तो यह पता करें कि उनका बच्चा किस विषय की पढ़ाई पढ़ने में कितना सफल हो पाएगा |इसके बाद  उसी क्षेत्र में प्रयास करके सफल हुआ जा  सकता है |
 

 
 
 
 
 
 
 

चिकित्सा कितनी प्रभावी होती है ?

    किसी रोगी की चिकित्सा यदि कोई अच्छा चिकित्सक करे तो उसे रोग से मुक्ति मिल सकती है तो रोग से मुक्ति मिलना यदि चिकित्सा के ही आधीन है तो जिन साधन विहीन लोगों को चिकित्सा सुविधा नहीं मिल पाती है उन्हें रोग से मुक्ति नहीं मिलनी चाहिए उनके घाव नहीं भरने चाहिए ! किंतु ऐसा होता नहीं है | जिन्हें चिकित्सा मिलती है और जिन्हें चिकित्सा नहीं मिलती है | इन दोनों प्रकार के लोगों में से कुछ लोग स्वस्थ और कुछ अस्वस्थ तथा कुछ की मृत्यु होते देखी जाती है |इससे ये लगता है कि किसी रोगी के स्वस्थ अस्वस्थ या मृत्यु होने का कारण यदि चिकित्सा का मिलना या न मिलना नहीं है तो और दूसरा क्या है ?इस रहस्य को सुलझाने के लिए ज्योतिष के अलावा कोई दूसरा विज्ञान नहीं है |

   तनाव से मुक्ति दिलाने में  कितनी कारगर है 'काउंसलिंग'!

  जिसप्रकार से किसी नशाग्रस्त व्यक्ति को केवल काउंसलिंग के द्वारा नशा मुक्त नहीं किया जा सकता है.  उसी प्रकार से  किसी तनावग्रस्त व्यक्ति को साधारण काउंसलिंग से तनाव मुक्त नहीं किया जा सकता है|  उसका कारण यह है कि किसी तनावग्रस्त व्यक्ति को जब तक किसी की बात पर विश्वास नहीं होगा तब तक वो उसकी कही हुई कोई बात को मान क्यों लेगा ! उस व्यक्ति को विश्वास देने के लिए विज्ञान के पास कुछ भी तो नहीं है ! ज्योतिष विज्ञान के द्वारा ऐसे व्यक्ति को उसके जीवन में पहले घटित हुई कुछ ऐसी  बीती बातें बताकर उसे विश्वास में लिया जाता है  जिनका पता केवल उसे ही हो | इसके बाद वो उसकी कही हुई बातों पर विश्वास करना धीरे धीरे शुरू करता है |ये  कठिन कार्य केवल ज्योतिष विज्ञान  के द्वारा ही संभव है |

 आत्महत्या जैसी घटनाएँ रोकने के लिए वैज्ञानिक तैयारियाँ क्या हैं ?

   कोई भी व्यक्ति जब किसी कार्य में असफल हो जाता है तो उसे तनाव होना स्वाभाविक ही है,किंतु कुछ लोग उस असफलता को इतना अधिक अपने मन से लगा लेते हैं कि गंभीर तनाव में डूब जाते हैं |कई बार तनाव ग्रस्त लोग किसी नशे के आदी हो जाते हैं | कुछ लोग किसी अपराध में सम्मिलित होते देखे जाते हैं तो कुछ लोग  आत्महत्या तक कर लिया करते हैं |उनके की ऐसे क्रूर कर्म से आहत होकर कई बार कुछ स्वजन भी अपनी जीवन लीला समाप्त कर लेते हैं |ऐसी परिस्थितियाँ उनके अपने लिए अपनों के लिए एवं समाज के लिए अत्यंत दुखदायक होती हैं | ऐसे तनाव से मुक्ति दिलाने के लिए यदि कोई विज्ञान होता तो ऐसी अप्रिय घटनाएँ नहीं घटित होतीं ! इसके लिए ज्योतिष के अलावा कोई दूसरा ऐसा विज्ञान ही नहीं है जो तनाव से मुक्ति दिलाने में सक्षम हो |

तनाव से मुक्ति दिलाने के लिए विज्ञान कहाँ है ?

  संसार में बहुत सारे कार्य होने हैं | सभी मनुष्यों को उन्हीं कार्यों को करने में लगाया जाना है | किस प्रकार का कार्य किस प्रकार के व्यक्ति से करवाया जाना है |यह निर्णय प्रकृति को ही करना होता है |जिससे जो कार्य करवाए जाने का निश्चय हुआ है वो केवल उसीप्रकार के कार्य में सफल होगा या उसी विषय की पढ़ाई पढ़ने में सफल होगा | किस व्यक्ति को किसप्रकार का कार्य करने में सफलता मिलनी है या किस विषय को पढ़ने में सफलता मिलनी है | किसी को यदि यह पहले से पता लग जाए तो वह उसी कार्य को करने में या उसी विषय को पढ़ने में रुचि लेने लगेगा , किंतु किसे किस कार्य को करने में या किस विषय को पढ़ने सफलता मिलनी है | यह जानने के लिए ज्योतिष के अलावा कोई दूसरा विज्ञान नहीं है |

प्रकृति का नियम है कि प्रत्येक व्यक्ति को अलग अलग कार्य करना या अलग अलग विषयों की शिक्षा में सफल होना है | इसलिए कार्य में असफल हुआ है तो उसे सफलता किसी दूसरे क्षेत्र में मिलनी होगी !उधर प्रयास करे वह दूसरा क्षेत्र कौन सा होगा यह तो ज्योतिष विज्ञानं से ही पता लग सकता है | 

  एक कार्य या शिक्षा में असफल व्यक्ति सारा समाज विज्ञान पर इतना अधिक भरोसा करता है किंतु विज्ञान इतनी बड़ी समस्या पर मौन क्यों है ? किसी तनावग्रस्त व्यक्ति को काउंलिंग के द्वारा तनाव से बाहर लाना कैसे संभव है !इसके लिए कौन सा विज्ञान है !

 

 

 मनुष्य ही नहीं रहेंगे तो वैज्ञानिक आविष्कारों का क्या होगा ?      

    बिना पढ़े लिखे लोग अपराध करते हैं तो लगता है कि पढ़े लिखे नहीं हैं इसलिए ऐसा करते होंगे,किंतु इसका कारण यदि यह होता तो एक से एक पढ़े लिए सभ्य समझे जाने वाले लोगों में से भी  बहुत लोग हत्या आत्महत्या भ्रष्टाचार बलात्कार जैसे न जाने कितने प्रकार के अपराधों में संलिप्त पाए जाते हैं |ज्योतिष की दृष्टि से बढ़ते अपराधों को शिक्षा अशिक्षा के चश्मे से देखा जाना ठीक नहीं है | मनुष्यों की मानसिकता दिनोंदिन इतनी अधिक हिंसक क्यों होती जा रही है|छोटी छोटी बातों में हत्याएँ हो रही हैं |अपनों को भी छोटे छोटे टुकड़ों में काटा जा रहा है | यदि ऐसी घटनाओं के घटित होने के कारण और निवारण समय से न खोजे गए तो इतने बड़े बड़े आविष्कार किस काम के !इसे समझने के लिए ज्योतिष के अलावा दूसरा विज्ञान कौन सा है ? 

जीवन के लिए सबसे अधिक आवश्यक है ज्योतिष !

जीवन का विज्ञान इतना आसान नहीं है !

     प्रत्येक व्यक्ति अपने जीवन के सभी क्षेत्रों में अच्छा से अच्छा करने के लिए प्रयत्न करता है किंतु  उसे  बुरा होने का डर हमेंशा सताया करता है | बहुत लोग अच्छे अच्छे सपने सजाकर विवाह व्यापार साझेदारी मित्रता या संबंध आदि शुरू करते हैं वैसी ही भविष्य की अच्छी योजनाएँ बना लेते हैं ,किंतु जब बुरा होने लगता है तो डर जाते हैं | कुछ लोग कारोबार बढ़ाते चले जा रहे होते हैं !वैसी ही दस बीस वर्षों की योजनाएँ बना लिया करते हैं किंतु उसके  कुछ समय बाद उनकी मृत्यु हो जाती है |ऐसे रहस्यों से भरे अत्यंत कठिन जीवनविज्ञान को कोई ज्योतिषवैज्ञानिक ही समझ सकता है ,किंतु जबसे विवाह बनाने वाले ज्योतिषियों की अपेक्षा तलाक कराने वाले महँगे महँगे वकील खोजे जाने लगे तब से ज्योतिषियों ने अपने कदम पीछे खींच लिए और पंडितों पुजारियों को आगे कर दिया है !

ज्योतिष के अलावा भविष्य को देखने का कोई विज्ञान ही नहीं है !

 किसे पति या पत्नी का सुख होगा और किसे नहीं !ये कैसे पता लगे ?

    विवाह होने के कुछ वर्ष बाद  ही पति - पत्नी दोनों में किसी एक की मृत्यु हो जाती है | वे विधवा स्त्री या विधुर पुरुष यदि दूसरा विवाह करते हैं तो उनके बच्चों का जीवन बर्बाद होता है और यदि नहीं करते हैं तो ऐसे विधवा विधुर युवाओं का पहाड़ सा अपना जीवन उन्हें डरा रहा होता है | किसी के जीवन में ऐसी दुखद घटना घटे ही न इसके लिए सुयोग्य ज्योतिषी विवाह होने से पहले ही ऐसी घटनाओं का पूर्वानुमान लगाकर ऐसा होने से बचा भी लेते हैं |कुछ स्त्री-पुरुषों का तो पिछले कई जन्मों से विधवा या विधुर होने का ही क्रम चला आ रहा होता है | सुयोग्य ज्योतिषी इस क्रम को इसी जन्म में रोक लेते हैं |इसीलिए  अपने बच्चों का भला चाहने वाले माता पिता सुयोग्य ज्योतिषियों का सहयोग लेकर अपने बच्चों का वैवाहिकजीवन बिगड़ने से बचा लिया करते हैं|

 विवाह मिलान के बाद भी क्यों होते हैं तलाक !  

      कई बार अच्छीप्रकार से मिलान करने के बाद किए गए विवाहों में भी तलाक होते देखे जाते हैं |इसका  मतलब नहीं है कि ज्योतिष गलत है और न ही इसका मतलब यह है कि केवल ज्योतिषी ही गलत है |इसका मतलब यह भी है कि जिसने विवाह मिलान करवाया है गलती उसकी भी है |जिस किसी की पूरी कुंडली बनी हो उसके ही पूरे जीवन के विषय में पता लगाया जा सकता है | विवाह बिचार के लिए लड़के लड़की की संपूर्ण कुंडली सही बनी हुई चाहिए !जिसे देखकर उसके पूरे जीवन का अनुमान लगाया जा सके |कंप्यूटर की कुंडली बहुत विश्वसनीय नहीं होती है |एक पूरी कुंडली हाथ से बनाने में कम से कम चार पाँच दिन लग जाते हैं | लड़के लड़की दोनों की पूरी कुंडली बनाने में इसका दोगुना समय लगेगा !उसके बाद कुंडली मिलान के लिए संतान व्यापार परिवार प्रेम  धन स्वास्थ्य आदि सभी क्षेत्रों में लड़के लड़की का मिलान करना पड़ेगा !उसके बाद ये पता लगता है कि विवाह बन रहा है या नहीं !यदि ज्योतिषी यह सब करके सही सटीक मिलान करना भी चाहे तो उसका पारिश्रमिक कौन देगा !बड़े बड़े धनवान लोग भी इसके लिए धन नहीं खर्च करना चाहते हैं |जो  लड़के लड़कियाँ स्वयं अच्छी कमाई कर रहे होते हैं | वे अपना मिलान करने के लिए पर्याप्त धनराशि खर्च करके अपने जीवन को सुखद बना सकते हैं ,किंतु उन्हें ऐसा करने नहीं दिया जाता है | घरवाले खुद ऐसा करना नहीं चाहते !ऐसी स्थिति में ज्योतिषी की क्या गर्ज कि वो किसी लड़की लड़के की कुंडली पूरी बनाकर उसका मिलान करे |जिनके बच्चे होते हैं जब उन्हें ही अपने बच्चों के भविष्य की चिंता नहीं होती तो उनके बच्चे की चिंता में ज्योतिषी ही अपना समय एवं परिश्रम क्यों बर्बाद करे ! वे भी कंप्यूटर से ही कुंडली मिलान करके बता देते हैं जिसका परिणाम बाद में उन बच्चों को ही भुगतना पड़ता है और तलाक हो जाता है | उन माता पिता का धन यदि उनके बच्चों के काम नहीं आया तो वे क्या करेंगे ऐसी कमाई का !ऐसे बच्चे यदि अपना जीवन बनाने के लिए धन नहीं खर्च कर सके तो वे कमा किसके लिए रहे हैं | जिन बच्चों का जीवन तमाशा बन गया उसके लिए ज्योतिषी और ज्योतिष कैसे जिम्मेदार है !

 ज्योतिषियों की भी भविष्यवाणियाँ गलत निकलती हैं क्यों ?

     ज्योतिषबिचार की एक पांडित्यशैली है इसमें जिसने जितनी ज्योतिष सीख ली या न भी सीखी तो केवल वेषभूषा बनाकर भी अनपढ़लोग ज्योतिषी या पंडित पुजारी आदि बन जाते हैं |ये वर्ग ज्योतिष के नाम पर तब तक झूठ बोलता है जब तक पकड़ा नहीं जाता है |इसके अलावा  ज्योतिष की वैज्ञानिक शैली भी है | जिसमें संपूर्ण ज्योतिष शास्त्र का अध्ययन अनुसंधान आदि करना अनिवार्य होता है | प्राचीन काल में राजा लोग ऐसे ही विद्वानों को राजज्योतिषी बनाते थे |वे जनहित में सच भविष्यवाणियाँ किया करते थे |उनकी भविष्यवाणियाँ प्रायः सच निकलती रही हैं |वर्तमान समय वैज्ञानिकशैली वाले ज्योतिषियों का अभाव तो है ही जो हैं भी उन्हें समझने वाला सजीव समाज नहीं है !जिसकी कीमत समाज को विभिन्न समस्याओं के रूप में चुकानी पड़ रही है | 

 

  जो हैं भी समाज उनके साथ पंडितों पुजारियों जैसा वर्ताव करता है ! इसलिए उन्होंने ज्योतिष कार्यों में रूचि लेना प्रायः बंद कर दिया है |इससे वास्तविक ज्योतिष के अभाव में देशी घी की जगह डालडा ही बेचा ख़रीदा जा रहा है |

 

इससे योग्य ज्योतिषी उन्हें मिल नहीं पा रहे हैं जिन्हें उनकी आवश्यकता है

 

 इससे     

 

किसी के विधवा या विधुर होने का कारण विवाह होने के पहले ही कैसे पता लगे !

  विवाह मिलान सबसे कठिन काम है उसमें इतनी लापरवाही !

      तलाक होने की बढ़ती घटनाओं का कारण क्या है ?

    जिस प्रकार से किसी का कोई पच्चीस वर्ष  पुराना मित्र अचानक मिल जाए तो कोई उसे भूल नहीं जाता है उसी प्रकार से पिछले जन्म का पति या पत्नी इस जन्म में मिल जाए तो उसे कोई कैसे भूल जाएगा !पिछले जन्म में मृत्यु होने के बाद दुबारा जन्म लेकर विवाह लायक होने तक लगभग पच्चीस वर्ष ही तो लगते हैं | पिछले जन्म में जो पति पत्नी रह चुके हैं उन्हें ही यदि इस जन्म में भी एक दूसरे से मिला दिया जाए तो उन दोनों का एक दूसरे के प्रति अद्भुत समर्पण होता है |   

  विवाह मिलान क्यों किया जाता है ?

     पिछले जन्म में जो पति पत्नी रहे होंगे, उन दोनों ने कहीं न कहीं तो जन्म लिया ही होगा !उन्हीं दोनों को खोजकर एक दूसरे से मिला देना ही विवाह मिलान का उद्देश्य है ?

 इस के पति पत्नियों को इस जन्म में खोजकर एक दूसरे से मिला देना


को खोजना ही  विवाह मिलान है !यदि पिछले जन्म का ही जोड़ा इस जन्म में ही बन जाता है तो वो एक दूसरे को छोड़कर कहीं नहीं जाते हैं | विवाह मिलान के माध्यम से पिछले जन्म के जीवन साथी को ही खोजना होता है |विवाह मिलान गलत करने से जोड़ेभंग  हो रहे हैं प्रायः हर किसी का विवाह उसके अपने पति या पत्नी से नहीं हो पा रहा है | दूसरों के साथ रहना उनको पसंद नहीं आ रहा है | इसीलिए विवाह होने के तुरंत बाद ही परायों के साथ रहा नहीं जाता है |घुटन इतनी अधिक बढ़ जाती है कि झगड़े शुरू हो जाते हैं और तलाक की नौबत आ जाती है |   


 कंप्यूटर की कुंडलियाँ बहुत विश्वसनीय नहीं होती हैं |इसलिए विवाहमिलान जैसे विषय में उन पर भरोसा न करके केवल गणितीय कुंडलियों के आधार पर ही निर्णय लिया जाना चाहिए | इसमें ज्योतिष के बड़े बड़े विद्वानों को भी एक वैवाहिक मिलान करने में काफी परिश्रम करना पड़ता है | इसमें समय भी लगता है | यही सही प्रक्रिया है | इसके अभाव में कुछ लोग अपने आलस या कंजूसी के कारण पंडितों पुजारियों को ही ज्योतिषवैज्ञानिक मानकर उन्हीं से मिलान करवा लेते हैं

 

 कई बार विवाह के तुरंत या कुछ वर्ष बाद ही पति पत्नी में से किसी एक की मृत्यु हो जाती है | कई बार उनके छोटे छोटे बच्चे भी होते हैं |उन बेचारों की बहुत दुर्दशा हो जाती है| इसका कारण ऐसे स्त्री पुरुषों के विवाह बिचारते समय हुई लापरवाही होती है | ऐसे लोग उन्हीं से कुंडली मिलवाकर अपने बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ कर लिया करते हैं|कुछ लोग तो स्वयं ही कंप्यूटर से विवाह मिलान कर लिया करते हैं |विवाह का मिलान सबसे कठिन काम है इसमें ज्योतिष के सुयोग्य विद्वानों को भी काफी परिश्रम एवं समय लगाना पड़ता है 

 तनाव बढ़ने का कारण कैसे पता चले !

  जिस तनाव के पीछे कोई कारण दिखाई पड़ रहा हो !वो सकारण तनाव होता है |जिसका कोई कारण समझ में ही न आ रहा हो वो अकारण तनाव होता है |सकारण तनाव तो समस्या का समाधान होते ही समाप्त हो जाता है ,किंतु अकारण तनाव के पीछे कोई इच्छा या समस्या दिखाई ही नहीं देती है !इसलिए इसका कारण खोजना बहुत कठिन होता है |इसमें यदि किसी के  नमस्ते न करने का तनाव होता है तो नमस्ते करने का भी तनाव होता है |कोई सेवा न करे तो सेवा न करने का तनाव और सेवा करे तो सेवा करने का तनाव होता है !ऐसे लोग किसी को प्रसन्न नहीं देखना चाहते !किसी को अपने से आगे बढ़ते नहीं देखना चाहते !किसी का हँसना खेलना  हँसी मजाक करना पसंद ही नहीं करते !ऐसे मनोरोगियों को  स्वस्थ करने के लिए ज्योतिष के अलावा कोई दूसरा विज्ञान ही नहीं है |

 'समय' को समझे बिना न प्रकृति को समझना संभव है और न ही जीवन को!

   प्रकृति और जीवन में परिवर्तन होने का कारण क्या है ?

    सर्दी गर्मी वर्षा आदि किसी वर्ष कम और किसी वर्ष अधिक होने का कारण क्या है ? भूकंप आँधी तूफान एवं  बाढ़ जैसी घटनाएँ किसी वर्ष घटित होती हैं और किसी वर्ष नहीं घटित होती हैं क्यों? कोई व्यक्ति कभी सुखी तो कभी दुखी, कभी स्वस्थ तो कभी अस्वस्थ, कभी सफल तो कभी असफल आदि क्यों होता है ? किसी की किसी से कभी मित्रता तो कभी शत्रुता क्यों होती है? महामारी सैकड़ों वर्षों के बाद कभी आ जाती है तो कभी दशकों तक  नहीं आती है ! वायुप्रदूषण कभी बढ़ जाता है तो कभी नहीं भी बढ़ता है !प्रकृति और जीवन में घटित होने वाली ऐसी बहुत सारी  घटनाएँ हैं जो  कभी घटित होती हैं और कभी नहीं घटित होती हैं?इसका वास्तविक कारण खोजने के लिए ज्योतिषविज्ञान  के अलावा कोई दूसरा विज्ञान कहाँ है ?

ज्योतिष के बिना लोगों की आधी ऊर्जा यूँ ही बेकार चली जाती है !

     जिस प्रकार से किसी व्यक्ति के सफल और असफल होने का अपना समय होता है उसी प्रकार से किसी  कार्य के होने या न होने का भी समय होता है | जिस समय किसी कार्य के बनने या होने का समय आ जाए ,उसी समय कोई ऐसा व्यक्ति उस कार्य को करना शुरू कर दे जिसके सफल होने का समय अपना भी आ गया हो !तो  कार्य सफल हो जाता है |वह कार्य तो अपने समय पर ही हुआ होता है किंतु यश उसव्यक्ति को मिल जाता है !यदि उस कार्य के होने एवं उस व्यक्ति  सफल होने के समय का अंदाजा न हो तब तो कोई भी कार्य कभी भी शुरू कर दिया जाता है !उस समय अच्छा या बुरा कैसा भी समय चल रहा हो सकता है | जिसमें काम बनना बिगड़ना दोनों ही संभव है |इसमें आधी ऊर्जा यूँ ही बेकार चली जाती है !

       अपनी गलती से असफल हुए लोग भी दूसरों को ही दोष देते हैं !

   ज्योतिष की दृष्टि से जो कार्य जिस समय होना ही नहीं होता है | कुछ ऐसे लोग उसी कार्य को उसी समय करने की हठ ठान लेते हैं !जब जिनके असफल होने का समय चल रहा होता है |उस कार्य को करने में वो अपना धन संसाधन सोर्स  सिफारिश  आदि संपूर्ण ऊर्जा लगाकर भी सफल नहीं होते हैं ,बार बार असफल होते रहते हैं | ऐसे लोग उस कार्य को  करने में मदद भी उसी व्यक्ति से माँगने जाते हैं जो इस योग्य ही नहीं होता है | यदि कोई ऐसा योग्य मिल भी गया,तो उसकी योग्यता,विशेषज्ञता या विशिष्ट अनुभवों का लाभ लेने लायक उसे उचित  पारिश्रमिक नहीं देते !जिससे वो विशेषज्ञ उनके लिए जो कर सकता है वो भी नहीं करता !ऐसी तमाम छोटी बड़ी गलतियों के परिणाम स्वरूप वह कार्य बिगड़ जाता है जिसकी सजा पूरा परिवार भुगतता है  | 

कुछ विवाहित स्त्री पुरुष भी विवाहेतर संबंधों की ओर  आकृष्ट क्यों होते हैं ?

      प्रत्येक स्त्री पुरुष विवाह करके अपने जीवन को व्यवस्थित करने के लिए ही विवाह करता है | कुछ स्त्री पुरुष अपने वैवाहिक जीवन से संतुष्ट न होकर किसी दूसरे तीसरे चौथे पाँचवें आदि को अपना जीवन साथी बनाते और छोड़ते रहते हैं| बासनात्मक इच्छाओं की पूर्ति के लिए जीवन भर यही सब कुछ चला करता है, फिर भी उन्हें उनसे वो संतुष्टि नहीं मिल पाती है| बासनात्मक सुख तो उनसे भी मिल ही सकते थे ! सुंदरता ,समर्पण संपन्नता आदि गुण तो उनमें भी थे ,आखिर उनमें ऐसा नया क्या खोज रहे होते हैं | ऐसे लोगों का उद्देश्य क्या रहता  होगा !उनसे संतुष्टि न मिलने का कारण क्या रहा होगा ? ऐसा वे स्वयं करते हैं या कोई अदृश्य शक्ति उन्हें इस दलदल में झोंक देती है | ऐसे सभी प्रश्नों का उत्तर देने के लिए ज्योतिष के अलावा कोई दूसरा विज्ञान ही नहीं है | 

 प्रत्येक कार्य अपने समय पर ही संपन्न होता है !

       गलत कमाई से आया धन ऐसे दुःख देता है !

 ज्योतिष और विज्ञान !किसका कितना योगदान !!

    किसी अत्यंत संपन्न परिवार में संतान न होने के कारण बहू की चिकित्सा शुरू कर दी गई | गर्भाधान की कृत्रिम प्रक्रिया अपनाई गई !बहू को बार बार इंजेक्शन लगाए जाने लगे !ऐसे प्रयत्न बार बार होने के बाद भी संतान नहीं हुई !अंततः वे ज्योतिषीय सलाह लेने आए तो उनसे कहा गया कि आपके यहाँ तीन वर्ष बाद संतान होगी!किंतु वे तीन वर्ष तक इंतज़ार करना ही नहीं चाहते थे | इसलिए वह अत्यंत पीड़ाप्रद प्रक्रिया चलती रही !साढ़े तीन वर्ष बाद बहू गर्भिणी हुई !तीन वर्ष बाद संतान होगी ये तो पहले से ही पता था !संतान यदि तीन वर्ष बाद ही होनी थी तो बहू को इतना दर्द क्यों दिया गया !वस्तुतः जहाँ जैसा धन लगता है वहाँ वैसा मन लगता है |ज्योतिष पर धन खर्च नहीं हुआ जबकि चिकित्सा  काफी महँगी हुई !इसीलिए भरोसा भी चिकित्सा पर ही हुआ !जिसकी सजा बहू को मिली !

 ज्योतिष के विज्ञान होने पर संशय क्यों ? 

    जो लोग अपने एवं अपने बच्चों के उत्तम भविष्य या उत्तम वैवाहिक जीवन के लिए विद्वान ज्योतिषी खोज नहीं पाते हैं | विद्वान ज्योतिषियों का पारिश्रमिक दे पाने में असमर्थता जताते हैं |

ज्योतिष सही है किंतु ज्योतिषी हो सकते हैं गलत !

जो लोग किसी लाल पीले कपड़े  पहने या चोटी चंदन जनेऊ आदि धारण किए हुए अथवा किसी मठ मंदिर में बैठे व्यक्ति को ज्योतिषी मान लेते हैं ये उनकी गलती है | कौन नहीं या कौन ज्योतिष को कितना पढ़ा है !ये पता होने के बाद भी

 विवाह बिचारने के लिए क्या करना होता है !

   कंप्यूटर के द्वारा बनाई हुई कुंडली पूरी तरह सच न होने के कारण  किसी ज्योतिष विद्वान को लड़के लड़की दोनों की कुंडली पंचांग बनानी चाहिए !एक कुंडली बनाने में किसी ज्योतिष विद्वान को पाँच छह दिन लग जाते हैं | विवाह देखने लायक एक कुंडली संक्षिप्त बंनाने में भी लगभग तीन घंटे लग जाते हैं | दोनों की कुंडली सामने रखकर पूरे जीवन के प्रत्येक पक्ष को देखने, मिलान करने में लगभग दो घंटे का समय लग जाता है |यदि डेट ऑफ़ से कुंडली का मिलान सही सही करना हो तो लगभग आठ घंटे का समय एक कुंडली मिलाने पर लगता है |बहुत लोग ज्योतिषी को डेटऑफ़बर्थ देकर ये आशा लगा लेते हैं कि बाकी जिम्मेदारी उसकी !कई बार कई कई डेटऑफ़बर्थ देकर मिलान करवा लेना चाहते हैं | आखिर ज्योतिषी ऐसा क्यों स्वीकार करेगा और उनमें इतना परिश्रम क्यों करेगा !

 

इस दृष्टि से लड़के लड़की दोनों की ऐसी कुंडली बनाने में लगभग 6 घंटे लग जाते हैं |

 

ज्योतिषी की बात पर विश्वास इसलिए नहीं हुआ क्योंकि वहाँ धन नहीं लगा !

 

  और भरोसे के अनुशार ही लाभ मिलता है | 

पाप का पैसा अपने को एवं अपनों को ऐसे ही दुःख देता है |ज्योतिषी ऐसे लोगों की मदद कैसे कर सकते हैं |

 

इसके दो कारण थे

 

को इंजेक्शन लगाए जाने की पीड़ा अलग से हुई |

समस्याविज्ञान और समस्याएँ  !
    प्रत्येक व्यक्ति के जीवन मेंअनेकों प्रकार की समस्याएँ आती जाती रहती हैं व्यक्ति उन्हीं में उलझता जाता है | किस समस्या से मुक्ति पाने के लिए उसे किस प्रकार के व्यक्ति के पास जाए ये उसे पता ही नहीं होता है | इस कारण भटकता रहता है |कोई रोगी कई चिकित्सकों से चिकित्सा करा कर भी स्वस्थ न हो इसका मतलब उसका समय ही ख़राब है |ऐसे ही उन बहुत सारी समस्याओं के विषय में भी सोचा जाना चाहिए | वैज्ञानिकों के बहुत परिश्रम करने पर भी जिनका कोई  समाधान नहीं निकला है !इसका भी मतलब यही है कि उसका समय ही ख़राब है | उस खराब समय को ठीक करने के लिए पहले कोई उपाय खोजा जाए या फिर समस्या का समाधान पहले खोजा  जाए !पहले आवश्यक क्या है ये जानने के लिए ज्योतिष के अलावा कोई दूसरा विज्ञान नहीं है |

   

    समय विज्ञान और समस्या विज्ञान !

     प्रत्येक व्यक्ति का जीवन समस्या युक्त ही होता है |बुरे समय में समस्याएँ आती और अच्छे समय में चली जाती हैं | बुरे समय आने पर बुरी घटनाएँ घटित होती हैं | बुरा समय आने से पहले यदि इसका पूर्वानुमान लगाकर बचाव अपना बचाव करना शुरू कर दिया जाए तो अधिक नुक्सान नहीं होता है |अपना अच्छा बुरा समय अपनी डेट ऑफ बर्थसे पता लगा लिया जाता है | दूसरे वे लोग हैं जिनका बुरा समय आने पर जब समस्याएँ बढ़नी शुरू हो चुकी होती हैं तब इधर उधर भाग दौड़ करनी शुरू करते हैं |ऐसे समय केवल एक व्यक्ति की  डेट ऑफ बर्थ देखने मात्र से उन समस्याओं से मुक्ति नहीं मिलती है अपितु उस समस्या में सम्मिलित सभी लोगों के डेट ऑफ बर्थ देखने पढ़ते हैं |इसके लिए ज्योतिष के अलावा कोई दूसरा विज्ञान नहीं है | 


 

समस्याविज्ञान और समस्याएँ  !

    प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में अनेकों प्रकार की समस्याएँ आती जाती रहती हैं व्यक्ति उन्हीं में उलझता जाता है | किस समस्या से मुक्ति पाने के लिए उसे किस प्रकार के व्यक्ति के पास जाए ये उसे पता ही नहीं होता है | इस कारण भटकता रहता है |कोई रोगी कई चिकित्सकों से चिकित्सा करा कर भी स्वस्थ न हो इसका मतलब उसका समय ही ख़राब है |ऐसे ही उन बहुत सारी समस्याओं के विषय में भी सोचना चाहिए जिनके विशेषज्ञ बार बार प्रयत्न करें इसके बाद भी समाधान न निकले !ऐसे में वह व्यक्ति परेशान हो जाता है कि अब कहाँ जाएँ !ऐसे लोगों की समस्याओं का समाधान न निकलने पर उन्हें तनाव होता है तनाव से नींद नहीं आती !उससे भूख लगना बंद होता है |पेट की दूषित गैस हृदय में जाती है तो हार्टबीट बढ़ती है सिर में जाती है तो चक्कर आते हैं |सिर वाले चिकित्सक सिर की जाँच करवाते हैं ,आँख वाले आँख की, हृदय वाले हृदय की ,पेट वाले पेट की जॉंच करवाते हैं | मनोचिकित्सक काउंसलिंग करते हैं किंतु ऐसी समस्या इसीसमय आने का कारण क्या है ? यह जानने के लिए ज्योतिष के अलावा दूसरा कोई विज्ञान ही नहीं है | समय बिगड़ा तोकाम बिगड़े उससे तनाव हुआउससे नींद आना बंद हुआ उससे भूख  लगनी बंद हुई  गैस बनी जिससे हृदय दूषित हुआ सिर में जाने से सिर दूषित हुआ उसी के कारण आँखों में दिक्कत हुई |इन सारी समस्याओं के पड़ा होने का कारण है बुरा  समय न बुरा समय आया होता और न ही ये सारी  समस्याएँ  पैदा हुई होतीं | जब तक समय नहीं सुधरेगा तब तक सुधार नहीं होगा | थोड़ा बहुत सुधार हुआ भी तो फिर वहीँ पहुँच जाएगा | इतने पाकर के डॉक्टर एक साथ जिस शरीर पर काम करेंगे सब अपने अपने से संबंधित रोगों की चिकित्सा करेंगे सब अपनी अपनी औषधियाँ देंगे | इतनी सारी औषधियाँ एक साथ खानी पड़ें तो शरीर के अंग स्वतः डैमेज हो जाएँगे | जिससे वो कभी स्वस्थ नहीं हो पाएगा |

वो समस्या उसके पास आई क्यों ? उसका कारण वह स्वयं है कि कोई दूसरा है | यदि स्वयं है तो सुधार भी अपने में ही करना होगा,और यदि उस समस्या का कारण कोई दूसरा है तो उस समस्या का समाधान किसके पास होगा !यह जाने समझे बिना ही वो जिस किसी के पास जाता है उसका समाधान वहाँ नहीं मिल पता है |कई बार तो उसका नुक्सान भी हो जाता है | ऐसी परिस्थिति में   

 
किस पर कितना विश्वास किया जाए !
     जीवन जीने के लिए कुछ संबंधों या लोगों पर विश्वास करके चलना प्रत्येक व्यक्ति की मज़बूरी होती है |उस विश्वास में कौन कितना धोखा देगा ये किसी को पहले से पता नहीं होता है |संबंध प्रायः स्वार्थ साधन के लिए ही बनाए जाते हैं| चालाक लोगों का स्वार्थ प्रत्यक्ष दिखाई नहीं पड़ता है| ऐसे लोग धर्म कर्म त्याग वैराग्य ईमानदारी की बड़ी बड़ी बातें करके दूसरों को अपने जाल में फँसा लेते हैं | उनसे अपना स्वार्थ साधन करके किनारा कर लेते हैं|पीड़ित व्यक्ति का अपना जीवन तब तकबर्बाद हो चुका होता है |अपने लिए दूसरों का जीवन बर्बाद करने वाले नेता अफसर व्यापारी प्रेमी प्रेमिकाओंआदि ने न जाने कितनों के जीवन से खिलवाड़ किया है | ऐसे स्वार्थियों के चंगुल में फँसने से बचाने के लिए ज्योतिष के अतिरिक्त कोई दूसरा विज्ञान नहीं है ?
 
  पीड़ित पक्ष इसे विश्वासघात मानता है |कुछ पापी लोग अपना व्यापार खड़ा करने के लिए धर्मकर्म  त्याग वैराग्य की बड़ी बड़ी बातें करके न जाने कितनों को धोखा देकर धनवान बने होते हैं | 
 
साथ ते समय न जाने कितने भले लोगों के सगे बनकर
 
या प्रेमी लोग लोग अक्सर
 
यह विश्वासघात आर्थिक मानसिक सामाजिक शारीरिक चारित्र्यिक आदि होता है |
    
 किसी से मित्रता होने के बाद बिगड़ती क्यों है ?
      मित्रता के संबंध दो प्रकार से बनते हैं एक तो प्रभाव से और दूसरे स्वभाव से ! प्रभाव से बने संबंध तभी तक चलते हैं जब तक प्रभाव रहता है |किसी के प्रभाव से अपना स्वार्थ पूरा होता है | प्रभाव समाप्त होते ही संबंध समाप्त हो जाते हैं ,किंतु स्वभाव से बने संबंध जीवन भर चलते हैं ,क्योंकि किसी का स्वभाव कभी बदलता नहीं है आग की लपटों का ऊपर की ओर जाना और पानी नीचे की ओर जाना इनका स्वभाव है |इसीप्रकार से मनुष्यों का स्वभाव होता है किंतु उसमें भाग्य समय और नाम के कारण कुछ बदलाव होते रहते हैं |उन्हें यदि समय से समझ लिया  जाए तो कुछ उतार चढ़ाव के साथ संबंध आजीवन मधुर रहते हैं |ऐसे परिवर्तनों को समझने के लिए ज्योतिष के अलावा कोई दूसरा विज्ञान कहाँ है ?

आदरणीय प्रधानमंत्री जी

                        सादर नमस्कार 

विषय :समयवैज्ञानिक पूर्वानुमान के विषय में विनम्र निवेदन !
    
     महोदय,  
     भारत समेत संपूर्ण विश्व कोरोना की तरह ही एक जल आपदा से जूझने जा रहा है | इसका कारण  अलनीनो या जलवायु परिवर्तन मानना गलत होगा | इस विषय का कोई विज्ञान ही नहीं है इसलिए इसमें अध्ययन अनुसंधान एवं पूर्वानुमान लगाने की बातें करना अपने एवं जनता के साथ धोखा एवं विज्ञान के साथ विश्वासघात है |ये भारत की प्राचीन समयवैज्ञानिक पद्धति से लगाए जाने वाले ये पूर्वानुमान इस आगामी जल आपदा से निपटने में कुछ  सहायक हो सकते हैं |   
     2023 के जुलाई अगस्त सितंबर में भयंकर वर्षा एवं भीषण बाढ़ के दृश्य दिखाई देंगे ! इस वर्ष 3 जुलाई 2023 को कुछ दूसरे ग्रहों से जो बादल आए हैं वे पृथ्वी के वातावरण में प्रवेश कर चुके हैं ! ये बादल देखने में  भयंकर डरावने हिंसक तथा अधिक वर्षा करने वाले होते हैं | इन विकराल बादलों का आकाश में प्रत्यक्ष दर्शन 16 जुलाई से 21 जुलाई तक होगा !  इसके बाद 13 अगस्त से 20  अगस्त  तक ये दूसरी बार आकाश में प्रत्यक्ष देखे जा सकेंगे | यही बादल तीसरी बार 10 सितंबर से 20 सितंबर के बीच आकाश में प्रत्यक्ष देखे जा सकेंगे !ये काफी बड़े बड़े आकार प्रकार वाले काले काले अत्यंत भयंकर डरावने होते हैं |ये डरावने बादल संपूर्ण आकाश को ढक लेते हैं |इस समय में इतनी घनघोर घटाएँ घिरेंगी कि दिन में अंधकार सा छा जाएगा |इनकी गर्जना डरावनी होगी | ये बादल 3 जुलाई 2023 से 18 सितंबर 2023 तक पृथ्वी के वातावरण में विद्यमान रहेंगे ! इन दिनों में इतनी अधिक बारिश होगी कि बीते कम से कम सौ वर्षों का रिकार्ड टूटेगा | इस भीषण वर्षा एवं डरावनी भयंकर बाढ़ से संपूर्ण विश्व भयभीत होगा |बचाव के लिए सक्षम सरकारों के द्वारा किए जाने वाले अधिकतम उपाय भी निरर्थक सिद्ध होंगे |    
 
                               वर्षा और बाढ़ से मचेगी दुनियाँ में तवाही !

       सन 2023 के जुलाई अगस्त सितंबर महीनों में होगी बहुत अधिक बारिश !जुलाई का तो आधा महीना बीत चुका है आज 15 जुलाई 2023 है |कल से अधिक वर्षा शुरू होने जा रही है |अब जानिए किस महीने में किन किन तारीखों में कैसी बारिश होगी |
   जुलाई  2023 :के पूरे महीने में ही अधिक वर्षा होती रहेगी !उसमें भी 17,18,19,20,21,22,23,24 ,30, 31 जुलाई को काफी अधिक वर्षा होगी | इसमें भी 20 और 21 जुलाई को इस महीने की सबसे अधिक वर्षा होगी |जुलाई महीने की15,24,25,29,30 तारीखों में धूप के दर्शन हो सकते हैं |
   अगस्त 2023 :इस वर्ष की सबसे अधिक बारिश इसी अगस्त में महीने में होगी |यह प्रक्रिया लगभग पूरे महीने ही चलेगी !21 से 31 अगस्त के बीच वर्षा के वेग बहुत अधिक होगा !जिसके कारण  बाढ़ से भारत समेत संपूर्ण विश्व में हाहाकार हो उठेगा | अगस्त महीने की  1,2,3,4,5,6,12,13, 14,15,16,17, 18,19,20,27 ,28,29, 30, 31तारीखों में काफी अधिक वर्षा होगी !इसमें भी लाल रंग वाली तारीखों में सबसे अधिक वर्षा होगी |अगस्त महीने की 6,11,21,26 तारीखों में धूप के दर्शन हो सकते हैं | 
   सितंबर 2023 :इस वर्ष सितंबर महीने की 1,2,9,10,11,12,13,14,15,16,23,24,25,26,27,28,29 आदि तारीखों में काफी अधिक वर्षा होगी | इसमें भी 12,13,14,25,26,27 तारीखों में बहुत अधिक वर्षा होगी |कुल मिलाकर 1 से 18 सितंबर के बीच काफी अधिक बारिश होगी एवं 19 सितंबर से 31 सितंबर के बीच बारिश क्रमशः कम होनी शुरू हो जाएगी और यहीं से वर्षा तथा बाढ़ का भय समाप्त होना शुरू हो जाएगा | सितंबर  महीने की 3,8,17,22,30 तारीखों में धूप के दर्शन हो सकते हैं |
 
  विशेष बात : 2023 के जुलाई अगस्त सितंबर में भयंकर वर्षा एवं भीषण बाढ़ के दृश्य दिखाई देंगे ! इस वर्ष 3 जुलाई 2023 को कुछ दूसरे ग्रहों से जो बादल आए हैं वे पृथ्वी के वातावरण में प्रवेश कर चुके हैं ! ये बादल देखने में  भयंकर डरावने हिंसक तथा अधिक वर्षा करने वाले होते हैं | इन विकराल बादलों का आकाश में प्रत्यक्ष दर्शन 16 जुलाई से 21 जुलाई तक होगा !  इसके बाद 13 अगस्त से 20  अगस्त  तक ये दूसरी बार आकाश में प्रत्यक्ष देखे जा सकेंगे | यही बादल तीसरी बार 10 सितंबर से 20 सितंबर के बीच आकाश में प्रत्यक्ष देखे जा सकेंगे !ये काफी बड़े बड़े आकार प्रकार वाले काले काले अत्यंत भयंकर डरावने होते हैं |ये डरावने बादल संपूर्ण आकाश को ढक लेते हैं |इस समय में इतनी घनघोर घटाएँ घिरेंगी कि दिन में अंधकार सा छा जाएगा |इनकी गर्जना डरावनी होगी | ये बादल 3 जुलाई 2023 से 18 सितंबर 2023 तक पृथ्वी के वातावरण में विद्यमान रहेंगे ! इन दिनों में इतनी अधिक बारिश होगी कि बीते कम से कम सौ वर्षों का रिकार्ड टूटेगा | इस भीषण वर्षा एवं डरावनी भयंकर बाढ़ से संपूर्ण विश्व भयभीत होगा |बचाव के लिए सक्षम सरकारों के द्वारा किए जाने वाले अधिकतम उपाय भी निरर्थक सिद्ध होंगे |
 
     निवेदन :भारत समेत संपूर्ण विश्व कोरोना की तरह ही एक जल आपदा से जूझने जा रहा है | इसका कारण  अलनीनो या जलवायु परिवर्तन मानना गलत होगा | इस विषय का कोई विज्ञान ही नहीं है इसलिए इसमें अध्ययन अनुसंधान एवं पूर्वानुमान लगाने की बातें करना अपने एवं जनता के साथ धोखा एवं विज्ञान के साथ विश्वासघात है |ये भारत की प्राचीन समयवैज्ञानिक पद्धति से लगाए जाने वाले ये पूर्वानुमान इस आगामी जल आपदा से निपटने में कुछ  सहायक हो सकते हैं | 
 
 
  

  -निवेदक  भवदीय - 

  समय वैज्ञानिक :आचार्यडॉ.शेषनारायण वाजपेयी

संस्थापक :राजेश्वरीप्राच्यविद्याशोधसंस्थान(रजि.)

 पीएच.डी हिंदी (ज्योतिष)-बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी (BHU )वाराणसी

A -7 \41,लालक्वार्टर मार्केट, कृष्णा नगर, दिल्ली -110051

मोबाइल नं  9811226983

 
 

 
 
सुखों से संतुष्टि क्यों नहीं है
   अच्छी पढ़ाई लिखाई करके लोग बड़े बड़े पदों पर पहुँचते हैं |अच्छी सैलरी लेते हैं !अच्छे  घर वाहन आदि का सुख भोगते हैं |इनमें से कुछ साधनसंपन्न लोग अच्छी सैलरी पाने  के बाद भी  घूस लेते हैं |सुंदर जीवन साथी होने के बाद भी विवाहेतर संबंध रखते हैं |सब सुख साधनों से संपन्न लोग भी कई बार आत्महत्या करते ! आखिर क्यों ?अधिक धन होने के बाद भी घूस लेने की इच्छा का मतलब वे धन से संतुष्ट नहीं हैं | सुंदर जीवन साथी के बाद भी विवाहेतर संबंध की इच्छा का मतलब विषयभोग से संतुष्ट नहीं हैं | आत्महत्या करने का मतलब अपने जीवन से संतुष्ट नहीं हैं !ऐसे सब सुख होने के बाद भी इन्हें घूस लेने ,विवाहेतर संबंध बनाने या आत्महत्या करने का कारण खोजने की जिम्मेदारी यदि ज्योतिष की नहीं तो किसकी है |इसके लिए विज्ञान कहाँ है ?
  
दुखियों की मदद करके अपने दुःख कम किए जा सकते हैं |  
   संसार में भाग्य के प्रभाव से सुख दुःख तो प्रायः हर व्यक्ति पाता है | किसे कौन दुःख कब मिलने लगे ये किसी को पता नहीं होता है | इसलिए अपने जीवन को दुखों से बचाने के लिए प्रत्येक व्यक्ति को दूसरों की मदद करनी चाहिए | जिसप्रकार के दुःख को हम अपने जीवन में नहीं आने देना चाहते उसप्रकार के दुखों से दुखी लोगों की मदद करते रहनी चाहिए | इससे अपने हिस्से का वह दुःख दूसरे के दुःख में सहभागी होकर कम किया जा सकता है |यह भी एक प्रकार का उपाय होता है |यह मदद केवल रुपए पैसे की ही नहीं अपितु कैसी भी हो सकती है | किस व्यक्ति के जीवन में किसप्रकार के दुखों की संभावना कितनी है इसके विषय में पहले से  पता लगाने के लिए  ज्योतिष के अलावा कोई दूसरा विज्ञान नहीं है |    
 
 वर्षा और  बाढ़ से नुक्सान होने का कारण !
    मौसमविज्ञान का उद्देश्य ही यही है कि भविष्य में घटित होने वाली मौसम संबंधी घटनाओं के विषय में पूर्वानुमान लगाया जाए !जिससेआपदा प्रबंधन के कार्यों में तो मदद मिलेगी ही इसके साथ ही साथ  लोग व्यक्तिगत तौर पर भी अपने बचाव के लिए भी प्रयत्न करेंगे !दिल्ली में इतनी बड़ी बाढ़ आने वाली है इसका पूर्वानुमान किसी के द्वारा बताया नहीं जा सका !इसलिए बाढ़ का सामना करने के लिए न तो सरकार तैयार थी और न ही जनता | इसका कारण भविष्य में कौन घटना कब घटित होगी यह जानने के लिए ज्योतिष के अलावा अभी तक न तो कोई विज्ञान है और न ही वैज्ञानिक !विज्ञान के बिना केवल तीरतुक्कों के आधार पर मौसम भविष्यवाणियों के नामपर जो कुछ बोला जाता है वो यदि सच हो तो प्राकृतिक आपदाओं से इतनी जनधन की हानि न होने पाए  !   
 
                                                      विज्ञान या विश्वासघात ! 
      अपने खूनपसीने की कठोर कमाई से जनता सरकार को टैक्स देती है कि सरकार हमारी सुख सुविधाओं एवं सुरक्षा संबंधी कार्यों पर खर्च करे !सरकार उस धन को महामारी और मौसम संबंधी अनुसंधानों पर इसी उद्देश्य से खर्च करती है इनसे संबंधित कोई संकट आने से पहले उसके विषय में पूर्वानुमान लगाया जा सके|मौसम और महामारी दोनों ही विषयों में अनुसंधान हमेंशा होते रहते हैं ,किंतु जब महामारी आई तो उसके विषय में पहले से कोई पूर्वानुमान नहीं लगाया जा सका और जब कोई प्राकृतिक आपदा घटित होती है तो उसके भी विषय में कोई पूर्वानुमान नहीं लगाया जा सका |महामारी की लहरों से संबंधित पूर्वानुमान गलत निकल जाने के लिए उसके स्वरूप परिवर्तन को और प्राकृतिक आपदाओं का पूर्वानुमान गलत निकल जाने के लिए जलवायुपरिवर्तन को जिम्मेदार बता दिया जाता है | यदि ऐसे परिवर्तनों के कारण पूर्वानुमान नहीं लगाए जा सकते हैं तो फिर पूर्वानुमान लगाए ही क्यों जाते रहे ! वैज्ञानिकों के द्वारा लगाए गए पूर्वानुमान सही निकल जाएँ तो पूर्वानुमान और गलत निकल जाऍं तो स्वरूपपरिवर्तन या जलवायुपरिवर्तन  जैसी बातें क्यों की जाती हैं |सच्चाई यदि यही है कि स्वरूपपरिवर्तन के कारण महामारी के विषय में पूर्वानुमान नहीं लगाया जा सकता और जलवायुपरिवर्तन के कारण महामारी के विषय में पूर्वानुमान नहीं लगाया जा सकता तो क्या पूर्वानुमानों के नाम पर अभी तक केवल झूठ बोला जाता रहा है |यदि ऐसा नहीं है तो भविष्य में घटित होने वाली घटनाओं का पूर्वानुमान लगाने के लिए विज्ञान कौन सा है और वैज्ञानिक कहाँ हैं ?यदि भविष्य में घटित होने वाली घटनाओं का पता लगाने के लिए कोई ये विज्ञान ही नहीं है तो सही पूर्वानुमान लगाना संभव ही नहीं है | ऐसी स्थिति में भविष्यविज्ञान के अभाव में निराधार भविष्यवाणियाँ करके उनके गलत निकलने पर महामारी के स्वरूपपरिवर्तन या जलवायुपरिवर्तन को दोष देना कितना उचित हो सकता है |विशेष बात यह है कि महामारी से संबंधित वैज्ञानिकों के द्वारा बार बार कहा जाता रहा है कि महामारी पैदा या समाप्त होने का कारण मौसम हो सकता है | इसलिए महामारी को समझने एवं उसके विषय में सही पूर्वानुमान लगाने के लिए मौसमसंबंधी  अध्ययनों  अनुसंधानों  को आवश्यक माना गया |इसके लिए प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली की प्रारंभिक प्रक्रिया प्रारंभ की गई है उन अनुसंधानों में मौसमविभाग को भी सम्मिलित किया गया है,किंतु सबसे बड़ी बात यह है कि जो मौसम वैज्ञानिक अभी तक मौसम संबंधी सही पूर्वानुमान नहीं लगा सके वे महामारी संबंधी अनुसंधानों में अपने मौसम संबंधी अनुभवों से क्या योगदान दे सकते हैं |   
 
  मनुष्य की कितनी शंकाओं का समाधान दे पा रहा है विज्ञान !
    प्रकृति और जीवन में भविष्य में कब क्या घटित होगा | यह जानना हर कोई जानना चाहता है किंतु इनका उत्तर देगा कौन जब इसके लिए कोई विज्ञान ही नहीं है ! ऐसी स्थिति में मनुष्य को जीवन की सभी दिशाओं में प्रत्येक कदम डर डर कर रखना पड़ रहा है |विवाह होगा या नहीं !होगा तो टिकेगा या नहीं !संतान होगी या नहीं !नौकरी लगेगी या नहीं !जो लगेगी वह  कब तक चलेगी !व्यापार कर पाएँगे या नहीं !जो व्यापार चल रहा है वो बंद तो नहीं हो जाएगा !किस मित्र के साथ मित्रता कब तक रहेगी !जिससे मित्रता की है वो धोखा तो नहीं देगा ! अचानक कोई रोग तो नहीं हो जाएगा !जो रोग है वो ठीक होगा या नहीं !ऐसे न जाने किंतने प्रश्न लोगों के मन को दिन रात डराया करते हैं |इन आवश्यक प्रश्नों के उत्तर खोजने के लिए एक मात्र विज्ञान ज्योतिष ही है !
 
 ऐसे विज्ञान पर गर्व कैसे किया जाए !
    प्रायः  प्रत्येक व्यक्ति जीवन बड़ी बड़ी बड़ी योजनाएँ बनाता और उन्हें पूरा करने के लिए दिन रात परिश्रम  करता दिखाई देता है इसी बीच अचानक कोई प्राकृतिक आपदा ,दुर्घटना या कोई बड़ा रोग होता है और जीवन अचानक समाप्त हो जाता है |ये बिल्कुल उसी प्रकार की घटना होती है  जिस प्रकार से किसी नदी को पार करते जा रहे हों उसी बीच अचानक किसी गहरे गड्ढे में पैर चला जाए  और  वहीं जीवन समाप्त हो जाए !यही स्थिति जीवन की है | ऐसी असंख्य घटनाएँ घटित होते देखी जाती हैं किंतु उनके विषय में पहले से कुछ पता नहीं होता है
     
 भाग्य का योगदान !
   कोई भी कार्य कभी अकेला नहीं होता है अपितु उसके बहुत सारे घटक होते हैं | सभी घटक साथ दें तो कार्य संपन्न हो | ऐसी स्थिति में यदि कोई व्यक्ति हिम्मत करके अकेले कोई कार्य शुरू कर भी देता है तो बाक़ी घटक साथ नहीं देते हैं इसलिए वो कार्य पूरा नहीं हो पाता है|जो कार्य भाग्य के सहयोग से होता है उसमें रुकावटें नहीं आती हैं |
    जिस प्रकार से प्रधानमंत्री मुख्यमंत्री आदि की कोई सभा होती है तो उस सभास्थल के पास अग्निशमन एंबुलेंस आदि सभी विभागों के लोग अपनी अपनी सेवाएँ देने के लिए आगे से आगे तैयार खड़े होते हैं | उसीप्रकार से भाग्यवान व्यक्ति जिस कार्य को करने के लिए चलता है उससे पहले वहाँ वे सभी संसाधन साथ देने के लिए स्वयं ही पहुँच जाते हैं जिनकी उस कार्य में आवश्यकता पड़नी होती है | 
   इसलिए किसी  भी कार्य को करने के लिए भाग्य के सहयोग की आवश्यकता होती है,क्योंकि जब संसाधनों के बल पर कार्य किया जाता है तब न जाने कौन संसाधन कब कम पड़ जाए या धोखा दे जाए !तो कार्य तुरंत रुक जाएगा किंतु जब भाग्य साथ देने लगता है तब संसाधनों की चिंता उतनी नहीं रह जाती है क्योंकि सभी आवश्यक संसाधन स्वयं ही साथ देने लग जाते हैं | ऐसा लगता है कि जैसे हमारा सहयोग करने के लिए हमें स्वयं वे ही खोज रहे थे | महाराज दशरथ जी के यहाँ जब संतान होने का समय आया तब उन्हें संतान न होने की ग्लानि हुई तो वे तुरंत गुरुवशिष्ठ के पास पहुँचे और संतान के लिए प्रार्थना की  !उन्होंने कहा धैर्य धारण करो चार पुत्र होंगे !यज्ञ करने के लिए श्रृंगी ऋषि को बुलाया गया तो वे तुरंत आ गए और यज्ञ शुरू हुआ चार पुत्र हुए !दशरथ जी ने संतान विहीन अवस्था में सारा जीवन व्यतीत कर डाला |जब भाग्य ने साथ दिया तो सभी कार्य बनते चले गए | 
     जिस प्रकार से जिस प्रकार से बच्चे को जब भूख लगती है तब माँ के स्तनों में दूध उतर आता है |भूख को न बच्चा रोक सकता है और न ही स्तनों में दूध उतरने को माँ रोक सकती है | ऐसे ही चन्द्रमा जैसे जैसे  बढ़ने लगता है समुद्र की लहरें भी वैसे वैसे ऊँची उठने लगती हैं |किसी लड़की के विवाह का जब समय आता है उस समय उसे वो लड़का मिल ही जाता है जिससे उसका विवाह होना होता है | उस लड़के का परिवार भी अपने आप से ही अपनी शर्तों से समझौता करते हुए लड़की वालों की परिस्थिति में ही अपने लड़के का विवाह करने के लिए तैयार हो जाता है |ऐसा ही व्यवहार लड़के वालों के साथ लड़की वाले भी करते देखे जाते हैं | ऐसा ही सभी कार्य व्यापार आदि में भाग्य का सहयोग मिलने से होने लगता है |ऐसे ही किसी भी कार्य में भाग्य के साथ देने पर कार्य कम प्रयत्न में ही स्वतः संपन्न होने लगता है |  

   तनाव को कम कैसे किया जाए !
     जीवन पतंग के समान है जिस प्रकार से आकाश में पतंग उधर को ही उड़ती है जिधर हवा का रुख होता है | पतंग उड़ने वाले लोग पतंग को हवा के विरुद्ध उड़ाने का यदि प्रयत्न भी करते हैं तो पतंग फड़फड़ाकर फट जाती है किंतु हवा के रुख के विरुद्ध नहीं जाती है | इसीप्रकार से मनुष्यजीवन में किया जाने वाला प्रत्येक प्रयास भाग्य के रुख के अनुशार ही सफल असफल होता है |जिस दिशा में हमारा भाग्य हमें ले जाना चाहता है हमारा प्रयास भी यदि उसी दिशा का होता है तब तो प्रयास सफल हो जाता है प्रयास यदि भाग्य से बिपरीत दिशा का हुआ तो असफल हो जाता है |असफल होने पर तनाव बढ़ता है कई बार हार्ट अटैक जैसी घटनाएँ भी घटित होती हैं |
इसलिए अपने भाग्य का रुख हर किसी को पता होना चाहिए जो ज्योतिष के बिना संभव नहीं है | प्रत्येक व्यक्ति के लिए
 
    जिधर उड़ाने वाला ले जाना चाहता है अपितु उधर जाती है जिधर हवा का रुख होता है,इसी प्रकार से हमारा जीवन हमारे प्रयासों की परवाह किए बिना उधर ही बढ़ता है जिधर हमारा भाग्य हमें ले जाता है |यही कारण है कि जीवन के कुछ क्षेत्रों में हम जो पढ़ने,या जो व्यापार करने या जो सुख पाने के लिए हम बहुत प्रयत्न करते हैं फिर भी सफल नहीं होते हैं |चिकित्सक जिस रोगी को स्वस्थ करने के संपूर्ण प्रयत्न करता है उन रोगियों को भी कभी कभी अस्वस्थ रहते या मृत्यु को प्राप्त होते देखा जाता है |जिस प्रकार से कलह न चाहने वाले लोग सबसे समझौता करके चलते हैं उसी प्रकार से जीवन में असफल न होने की इच्छा रखने वाले लोगों को भाग्य के अनुशार ही जीवन यापन करना चाहिए |
 
  सफलता असफलता में भाग्य की भूमिका !
    
     प्रधानमंत्री मुख्यमंत्री आदि जहाँ जाते हैं वहाँ अग्निशमन एंबुलेंस आदि सभी विभागों के लोग अपनी अपनी सेवाएँ देने के लिए आगे से आगे तैयार खड़े होते हैं  न जाने कब किसकी जरूरत पड़ जाए !इसी प्रकार से जब जिसका भाग्य साथ देता है उस समय वह व्यक्ति जिस कार्य को करने के लिए निकलता है, उसके पहुँचने से पहले वहाँ वे सभी संसाधन साथ देने के लिए स्वयं ही पहुँच जाते हैं जिनकी उस कार्य में आवश्यकता पड़ सकती है |भाग्य साथ दे तो सभी सहायक भी साथ देते हैं |भाग्य का साथ न होने पर भी कुछ लोग धन और संसाधनों के बलपर कार्य शुरू तो कर देते हैं किंतु वो कार्य पूरा नहीं हो पाता है,क्योंकि सहयोगी तभी साथ देंगे जब भाग्य साथ देगा और भाग्य साथ कब देगा यह जानने के लिए ज्योतिष के अलावा कोई दूसरा विज्ञान नहीं है !
 
सभी घटक साथ दें तो कार्य संपन्न हो | ऐसी स्थिति में यदि कोई व्यक्ति हिम्मत करके अकेले कोई कार्य शुरू कर भी देता है तो बाक़ी सहयोगियों साथ नहीं देते हैं इसलिए वो कार्य पूरा नहीं हो पाता है|जो कार्य भाग्य के सहयोग से होता है उसमें रुकावटें नहीं आती हैं | 
      भविष्य को जाने बिना जीवन कितना अंधकारमय होता है ! 
  मंत्री मुख्यमंत्री प्रधानमंत्री या बड़े बड़े अधिकारी या उद्योगपति जो  दूसरों को सुरक्षा की गारंटी  देते घूम रहे होते हैं उन्हें खुद के विषय में नहीं पता होता है कि अगले पल स्वयं उन्हें या उनके परिवार के सदस्यों को किस प्रकार की परिस्थिति का सामना करना पड़ेगा ! इतने बड़े बड़े लोगों के जीवन में अगले पल का बहुत अधिक महत्व होता है ,क्योंकि उन्हें भविष्य के लिए बहुत बड़े बड़े निर्णय लेने होते हैं | जिनमें बहुत बड़ा हानि लाभ हो सकता है | अगला पल बुरा भी तो निकल सकता है उस समय बचाव के लिए अचानक क्या किया जा सकेगा ! इसलिए ऐसे बुरे समय की जानकारी पहले से होनी बहुत आवश्यक है किंतु उसके लिए ज्योतिष के अलावा कोई दूसरा विज्ञान भी तो नहीं है |ऐसे में उस अगले का पूर्वानुमान कैसे लगाया जा सकता है !  
 
  वो कई बार सामान्य होता है और कई बार अभी की अपेक्षा बहुत अच्छा होता है तो कई बार बहुत बुरा होता है | यदि बहुत बुरा हुआ तो उससे बचाव के लिए उस समय तुरंत क्या किया जा सकेगा | उससे बचाव के लिए उसके विषय में पहले से पता होना आवश्यक है |इसके लिए ज्योतिष के अलावा कोई दूसरा विज्ञान नहीं है |
अच्छा बुरा तो सभी के साथ होता है !  
   दुःख संकट रोग तनाव आदि प्रतिकूल परिस्थितियाँ यदि संसाधनों के आधीन होतीं तो केवल गरीबों के साथ ही यह सब कुछ घटित होना चाहिए धनी लोगों के साथ नहीं,क्योंकि धनी लोगों के पास तो सभी संसाधन होते ही हैं | इसलिए उनके साथ तो सब कुछ अच्छा अच्छा ही होना चाहिए,किंतु ऐसा होता नहीं है, क्योंकि मंत्री मुख्यमंत्री प्रधानमंत्री या बड़े बड़े अधिकारी उद्योगपति आदि भी तो दुःख संकट रोग तनाव आदि ब्यथित होते देखे जाते हैं | इसका मतलब ये हुआ कि दुःख संकट रोग तनाव आदि परेशानियाँ गरीबों अमीरों दोनों को ही सामान रूप से परेशान करती हैं | इसका मतलब सुख और दुःख धन एवं संसाधनों के होने और न होने से नहीं होते हैं |ये तो समय और भाग्य के आधीन होते हैं |अच्छे बुरे समय और भाग्य को  समझने के लिए ज्योतिष ही एकमात्र विज्ञान है |  
 
काउंसलिंग कितनी कारगर हो सकती है !
   किसी परिवार में पति पत्नी और उनके दो बच्चे हैं |पत्नी को अचानक तनाव होने लगता है कुछ समय तक ऐसा चलने के बाद एक दिन पत्नी यह कहकर बच्चों के साथ घर छोड़कर चली जाती है कि अब वह वापस इस घर में कभी नहीं आएगी !यह सब देख सुनकर हैरान परेशान तनावग्रस्त उसका पति किसी काउंसलर अर्थात परामर्श चिकित्सक के पास जाता है |वो पूरी कहानी सुनकर अन्य तमाम सलाहों के साथ ही साथ उसे दूसरा विवाह कर लेने की सलाह देता है,किंतु उस तनावग्रस्त पति का अपने पत्नी बच्चों से इतना अधिक लगाव है कि उसके लिए उन्हें भूलना संभव ही नहीं है|ऐसे तनावग्रस्त पति का तनाव कम कराने एवं उस उजड़े हुए घर को उन्हीं सदस्यों के साथ प्रेमपूर्वक दुबारा बसाने के लिए ज्योतिष के अलावा कोई दूसरा विज्ञान भी है क्या ?
पाप का पैसा ऐसे भी परेशान करता है !
   किसी भ्रष्टाचारी को ईमानदार लोग,उनकी ईमानदारी की बातें एवं उनकी ईमानदार सेवाएँ पसंद ही नहीं आती हैं |ऐसे पापी लोग अपने लिए चिकित्सक वकील ज्योतिषी आदि ऐसे ही पसंद करते हैं जो उन्हीं की तरह के भ्रष्टाचारी हों |ऐसे लोग अपनी या अपनों की छोटी छोटी समस्याएँ लेकर  जिन भ्रष्ट चिकित्सक वकील ज्योतिषियों आदि के पास जाते हैं| वे उनकी छोटी छोटी समस्याओं को स्वयं बड़ा बना लेते हैं | ऐसे लोगों के पापों की सजा कई बार उनके परिवार के लोग भी भोगते देखे जाते हैं |इसीलिए तो उनके छोटे छोटे रोगों के भी बड़े बड़े आपरेशन कर दिए जाते हैं |यदि ऐसी समस्याएँ पहले से पता हों कि किसे से किस उम्र या समय मेंकितनी बड़ी तक समस्या का सामना करना पड़ सकता है तो उन्हें ऐसे संकटों से बचाया जा सकता है | 
 किसी रोगी के स्वस्थ होने या न होने का कारण क्या है ? 
 किस रोगी को स्वस्थ होना है किसको नहीं इसका निर्णय उस रोगी के आधार पर होता है या चिकित्सा के आधार पर !वस्तुतः मनुष्य को स्वस्थ रखने के लिए विज्ञान ने प्रयत्न बहुत किए हैं किंतु उनसे वही रोगी स्वस्थ हो पाते हैं जिन्हें स्वस्थ होना होता है ,जिन्हें स्वस्थ नहीं होना होता है | वे चिकित्सा से भी स्वस्थ नहीं होते हैं | किसी का स्वस्थ होना या न होना यदि उस रोगी पर ही निर्भर करता है तो उसके स्वस्थ होने में चिकित्सा की सार्थकता कैसे सिद्ध होती है ! चिकित्सा की सार्थकता तो तब है जब चिकित्सा के द्वारा उन रोगियों को स्वस्थ किया जाए जो स्वस्थ होने लायक नहीं हैं |कौन रोगी स्वस्थ होने लायक हैं और कौन नहीं यह पता लगाने के लिए विज्ञान कहाँ है | ज्योतिष ही एक मात्र ऐसा विज्ञान है जिसके द्वारा किसी रोगी के स्वस्थ होने या न होने के विषय में पता लगाया जा सकता है ?
 
 विज्ञान का पहला लक्ष्य मनुष्यजीवन की सुरक्षा  होना चाहिए !
     विज्ञान के द्वारा कितना भी विकास क्यों न कर लिया जाए किंतु वह मनुष्य के लिए उपयोगी तभी हो सकता है जब मनुष्य का जीवन सुरक्षित रहे !किंतु मनुष्यों को सुरक्षित रखने के लिए  विज्ञान के पास तैयारी आखिर क्या है| महामारी में विज्ञान को विफल होते दुनियाँ ने देखा है | उन्नत चिकित्सा का लाभ लेने के बाद भी तो बहुत लोगों की मृत्यु होते देखी जाती है | किसी की मृत्यु होने का कारण उसका रोगी होना या न होना होता है या कुछ और ! मृत्यु होने का कारण उसके शरीर के अंदर विद्यमान होता है या बाहर ?मृत्यु देने वाली कितनी ताकतवर होती है क्या किसी मनुष्यकृत उपाय से मृत्यु को टालना संभव है !ऐसे  महत्त्वपूर्ण प्रश्नों का उत्तर खोजने के लिए ज्योतिष के अलावा क्या कोई दूसरा ऐसा विज्ञान है जिसके द्वारा ऐसे प्रश्नों के उत्तर खोजे जाना संभव  हो !

मृत्यु से बचाव किया जाना तो चिकित्सा से भी संभव नहीं है |इसलिए किसी की मृत्यु होने का कारण खोज लेना क्या विज्ञान के बल पर संभव हो पाया है ?मृत्यु देने वाली शक्ति कितनी ताकतवर है विज्ञान के द्वारा  इसका पता लगाया जा सकता है क्या ?विज्ञानकृत उपायों के द्वारा क्या किसी के मृत्यु होने  के समय को टालना संभव है क्या ? यदि हाँ तब तो विज्ञान के आविष्कारों की सार्थकता है अन्यथा मृत्यु से सशंकित मनुष्य वैज्ञानिक उत्थानों का आनंद कैसे ले सकेगा !

 
पर विजय पा लेना क्या विज्ञान के बल पर संभव है | यदि नहीं तो मृत्यु होने का कारण खोज पाना क्या विज्ञान के बश की बात है | 
 
 ये प्रगति एक सीमा तक ही स्वस्थ रख सकती है बहुतों को स्वस्थ भी नहीं पाती है|जो लोग अत्यंत स्वस्थ हैं उन्हें कोई रोग नहीं है किंतु उनकी हत्या कोई दूसरा कर देता है |उन्हें बचाने का उपाय भी विज्ञान को ही खोजना है ये मनुष्य की आवश्यकता है | ऐसे ही जो लोग आत्म हत्या करते हैं उन्हें बचाना भी विज्ञान का ही काम है | जो लोग ऐसे अपराध करते हैं उन्हें पहचानने का या उनसे समाज को सुरक्षित रखने के लिए ज्योतिष के अलावा विज्ञान ने क्या खोजा है |
 

 
 
,किसी की मृत्यु न हो इसका कोई उपाय विज्ञान के पास नहीं है | वर्तमान समय में जो लोग
ऐसा पर विजय     किंतु    

विज्ञान का पहला लक्ष्य महामारी जैसे संकट का सामना करने में विज्ञान से कितनी मदद मिल पाई !प्राकृतिक आपदाओं के समय विज्ञान से कितनी मदद मिल पाती है |टूटते परिवारों को बचाने में विज्ञान कितना सक्षम है |

मानव जीवन सुखी हो, संपन्न हो, सुरक्षित हो, प्रसन्न हो विज्ञान का लक्ष्य यदि यही है तो इस भाव की आपूर्ति में कितना सफल हुआ है विज्ञान !यह सोचने और निर्णय लेने का समय आ गया है|
 
आदरणीय प्रधानमंत्री जी

                        सादर नमस्कार 

विषय :वायुप्रदूषण संबंधी समयवैज्ञानिक  पूर्वानुमान के विषय में विनम्र निवेदन !
    
     महोदय,  

    
निर्माणकार्यों वाहनों उद्योगों ईंटभट्ठों परालीदहन रावणदहन दीपावली पटाका फोड़ने आदि को वायुप्रदूषण  बढ़ने का कारण मानकर उनके विरुद्ध कार्यवाही कर दी जाती है !किंतु वायुप्रदूषण बढ़ने के वास्तविक कारण क्या हैं | इसके विषय में अभी तक कुछ भी निश्चित रूप से कहा जाना संभव नहीं है |
   गणितविज्ञान के आधार पर मैं पिछले 25 वर्षों से वायुप्रदूषण बढ़ने घटने के विषय में पूर्वानुमान लगाता आ रहा हूँ |वे प्रायः सही निकलते रहे हैं |विशेष बात यह है कि इस अध्ययन में धुआँ धूल बढ़ने संबंधी कारणों को सम्मिलित नहीं किया जाता है फिर भी इनके सही निकलने का मतलब है कि वायु प्रदूषण बढ़ने कारण धुआँ धूल बढ़ना नहीं है |
                                2023 में वायु प्रदूषण बढ़ने के विषय में पूर्वानुमान !

       दिल्ली आदि वायु प्रदूषण बढ़ने वाले प्रदेशों में सन 2023 में वायुप्रदूषण पिछले वर्षों की अपेक्षा अधिक बढ़ेगा !

26 अक्टूबर 2023 से वायुप्रदूषण बढ़ना शुरू होकर 7जनवरी 2024 के बीच में वायुप्रदूषण अधिक  बढ़ा रहेगा |उसके बाद क्रमिक रूप से कम होना शुरू होगा | 

                           2023 के नवंबर में वायु प्रदूषण बढ़ने का पूर्वानुमान !

  1 से 4 नवंबर के बीच वायुप्रदूषण 40 प्रतिशत रहेगा | 5 से 11 नवंबर के बीच वायुप्रदूषण 60 प्रतिशत रहेगा |विशेष बात यह है कि  12 से 17 नवंबर के बीच वायुप्रदूषण 80 प्रतिशत रहेगा |इन दिनों में पृथ्वी अपने गर्भ में संचित प्रदूषित हवाओं का बिसर्जन अरब सागर में करेगी | वही प्रदूषित हवाएँ महाराष्ट्र में प्रवेश करके भारत के राजस्थान दिल्ली हरियाणा पंजाब मध्यप्रदेश उत्तर प्रदेश बिहार छत्तीस गढ़ झारखंड समेत समस्त पूर्वोत्तर भारत के आकाश में छा जाएँगी | 18  से 25  नवंबर के बीच वायुप्रदूषण 70 प्रतिशत रहेगा |26 से 30 नवंबर के बीच वायु प्रदूषण 90 प्रतिशत तक पहुँचेगा | ये प्रदूषित हवाएँ हिमालयी क्षेत्र से भारत में प्रवेश करके मध्यभारत  से होती हुई पश्चिमी प्रदेशों की ओर जाएँगी |

    2023 के दिसंबर में वायु प्रदूषण बढ़ने का पूर्वानुमान !

 1 से 3 दिसंबर के बीच वायु प्रदूषण 50 प्रतिशत तक बढ़ेगा |4से 10 दिसंबर के बीच वायु प्रदूषण 60 प्रतिशत तक रहेगा |11 से 16 दिसंबर के बीच 70 प्रतिशत तक वायु प्रदूषण बढ़ेगा | इस समय अरब देशों की ओर से आने वाली हवाएँ अपने साथ धूल लाकर भारतीय आकाश को मलिन कर देंगी ! 17 से 22  दिसंबर के बीच वायु प्रदूषण 50 प्रतिशत रहेगा |23 से 26  दिसंबर के बीच चीन म्यांमार आदि में वायु प्रदूषण बहुत अधिक बढ़ जाएगा क्रमशः बढ़ते हुए वायुप्रदूषण 80 प्रतिशत तक बढ़ा रहेगा | 

    2024 में 5 से 10 जनवरी तक कहीं कहीं वायु प्रदूषण बढ़ने का पूर्वानुमान  है !



 -निवेदक  भवदीय - 

  समय वैज्ञानिक :आचार्यडॉ.शेषनारायण वाजपेयी

संस्थापक :राजेश्वरीप्राच्यविद्याशोधसंस्थान(रजि.)

 पीएच.डी हिंदी (ज्योतिष)-बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी (BHU )वाराणसी

A -7 \41,लालक्वार्टर मार्केट, कृष्णा नगर, दिल्ली -110051

मोबाइल नं  9811226983


 
 
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 आदरणीय प्रणाम  !
      मौसम से संबंधित गणितीय पूर्वानुमान के विषय में मैंने आपसे निवेदन किया ही था !उसी संदर्भ में मैंने पहली बार तीन महीने का वर्षा संबंधी पूर्वानुमान एक साथ निकाल कर 13 जुल॰ 2023 को पीएमओ की मेल पर भी भेज दिया था |मेरी जानकारी के अनुशार इतनी लंबी अवधि का पूर्वानुमान लगाने के लिए गणित विज्ञान के अलावा अभी तक कोई दूसरा विज्ञान नहीं है |  
   पीएमओ को भेजी गई मेल में मैंने लिखा है - "जुलाई के पूरे महीने में ही अधिक वर्षा होती रहेगी !उसमें भी 17,18,19,20,21,22,23,24 ,30, 31 जुलाई को काफी अधिक वर्षा होगी | इसमें भी 20 और 21 जुलाई को इस महीने की सबसे अधिक वर्षा होगी |" 20 और 21 जुलाई को गुजरात राजस्थान महाराष्ट्र जम्मू कश्मीर हिमाचल उत्तराखंड पंजाब हरियाणा आदि में अधिक वर्षा हुई भी है |जुलाई की तरह ही यदि अगस्त सितंबर का भी वर्षा संबंधी पूर्वानुमान यदि सही निकलता है | इसका मतलब ये होगा कि सूर्य चंद्र ग्रहण की तरह ही मौसम संबंधी पूर्वानुमान भी सैकड़ों हजारों वर्ष पहले  लगाना अभी भी संभव है |अभी तक  वर्षा का केवल समय निकालना संभव हुआ है| निकट भविष्य में वर्षा के संभावित स्थान के विषय में भी पूर्वानुमान लगाना संभव हो जाएगा |
   इसे अभीतक कहीं प्रकाशित नहीं किया गया है अन्यथा कुछ पत्र पत्रिकाओं से लेकर मौसम विभाग में भी इस  पूर्वानुमान को अपने अपने नाम से प्रकाशित कर दिया जाता है | अभी ये परीक्षणार्थ ही है |यदि ये तीनों महीनों का पूर्वानुमान सही निकल आता है तो ये समाज एवं सरकार के लिए काफी उपयोगी हो सकता है |समाज एवं सरकार तक अपनी बात पहुँचाने के लिए मेरे पास कोई माध्यम नहीं है | मेरी मेल भी पीएमओ में शायद ही पढ़ी जाती हो फिर भी मैं साक्ष्य सुरक्षित रखने के लिए भेज देता हूँ |  

इसके साथ ही मेल भी संलग्न है - 

 विज्ञानअधूरा है ?

    जितनी भी महामारियाँ या भूकंप बाढ़ तूफ़ान आदि प्राकृतिक आपदाएँ हैं,वे अत्यंत तेजी से आकर अचानक हमला करती हैं |उनके हमले से तुरंत जनधन हानि होनी शुरू हो जाती है | यह देखकर आपदा प्रबंधन के लोग तुरंत अपनी जिम्मेदारी सँभाल लेते हैं | वे अपनी जान पर खेल कर  समाज की सुरक्षा करने में लग जाते हैं |कहने के लिए तो हमारे यहाँ महामारीविज्ञान है मौसमविज्ञान है प्रकृतिविज्ञान है |इनसे जुड़े वैज्ञानिक भी हैं|वे अनुसंधान भी करते हैं | इसके लिए सरकारों के द्वारा उन्हें पारिश्रमिक भी दिया जाता होगा |संभव है कि वो पारिश्रमिक समाज के द्वारा दिए जा रहे टैक्स के धन से दिया जाता हो | उस धन के बदले ऐसे वैज्ञानिक अनुसंधानों से समाज को  ऐसा क्या लाभ होता होगा !जो इनके बिना संभव न था | ऐसे अनुसंधान यदि न किए जा रहे होते तो क्या इससे भी अधिक नुक्सान हो सकता था !वो क्या ?यदि नहीं तो ऐसे अनुसंधानों की उपयोगिता ही क्या है जिनका जनहित में कोई उपयोग ही न हो !इतनी बड़ी प्राकृतिक आपदाओं से समाज को सुरक्षित रखने के लिए विज्ञान ने क्या यही  जिम्मेदारी सँभाल रखी है |  

भविष्य को जानना  यदि कठिन न होता तब तो वैज्ञानिक भी लगा सकते थे सही पूर्वानुमान !

    जिस भविष्य को जानने के लिए विश्व में न तो कोई विज्ञान है और न ही वैज्ञानिक !न कोई रडार है और न ही उपग्रह !ऐसा कोई सुपर कंप्यूटर भी नहीं है !भविष्य का पता लगाना विशुद्ध विज्ञान है|इस विज्ञान को समझने के लिए विद्वान भविष्यवैज्ञानिकों की आवश्यकता होती है | कुछ लोग अपना भविष्य पंडितों पुजारियों से पूछते हैं उसके गलत निकलने पर वही लोग शास्त्रों की निंदा करते हैं | महामारी एवं मौसम के विषय में वैज्ञानिक लोग सही भविष्यवाणियाँ नहीं कर पाए और वे जो करते भी रहे हैं वे बार बार गलत निकलती रही हैं |जिस काम को इतने बड़े बड़े वैज्ञानिक नहीं कर पाए वही कार्य उन पंडितों पुजारियों से करने की आशा कैसे की जा सकती है जिन्होंने ज्योतिष को पढ़ा ही नहीं होता है | यह अत्यंत कठिन कार्य है किसी सुयोग्य ज्योतिषी के बिना संभव नहीं है |

 जिनका भविष्यविज्ञान से दूर दूर तक कोई संबंध ही नहीं होता है |ऐसे लोगों से भविष्य जानने वाले लोग स्वयं अपने एवं अपनों के साथ ही धोखा कर रहे होते हैं |ऐसे धोखा खाने के लती लोगों के साथ कुछ अप्रिय घटित  होता है तब वही गैर जिम्मेदार लोग ज्योतिष एवं ज्योतिषियों को झूठा बताते हैं |इसलिए ज्योतिष एवं ज्योतिषियों से भविष्य की सही जानकारी पाने की इच्छा केवल उसी को रखनी चाहिए जिसके मन में ज्योतिष एवं ज्योतिषियों के प्रति विज्ञान एवं वैज्ञानिकों जैसी शृद्धा एवं विश्वास हो |

 शास्त्रों के साथ मीडिया का पक्षपात !

      सूर्य चन्द्र ग्रहणों के समय टीवी चैनल बड़ी बड़ी बहस करवाने के लिए जो पैनल गठित करते हैं | उसमें वैज्ञानिकों का पक्ष रखने के लिए तो घोषित पढ़े लिखे विद्वान रीडर प्रोफेसर आदि वैज्ञानिक होते हैं |उनके सामने शास्त्रों का पक्ष रखने के लिए भी संस्कृत विश्व विद्यालयों के रीडर प्रोफेसर आदि बैठाए जाने चाहिए ,किंतु ऐसा नहीं किया जाता है | उन विद्वान वैज्ञानिकों से बहस करने के लिए कुछ अनपढ़ लाल पीले रंगों में रँगे हुए बड़े बड़े बाल वाले तरह तरह के आडंबरी लोग बैठा लिए जाते हैं | जिनका शास्त्रों से कोई संबंध ही नहीं होता है |वैज्ञानिक लोग जब तथ्य रखते हैं तब ये कलरफुल लोग हुल्लड़ मचाते हैं |अपने ही शास्त्रों की इतनी मजाक उड़ाने और सहने वाले समाज को अब अपने भविष्य को जानने की  इच्छा छोड़ देनी चाहिए !

 

 

किसी भूखी गाय को चारा न दिया जाए,प्यासी गाय को पानी  न  पिलाया जाए !बीमार होने पर चिकित्सा न की जाए !दूध दुहने  के लिए उसके पास पहुँच जाया जाए तो बिना कुछ खाए पिए गाय का दूध देना संभव है क्या ? 

 ज्योतिषविज्ञान की इतनी उपेक्षा फिर भी उससे इतनी अपेक्षा !

     विश्व में केवल ज्योतिष ही ऐसा विज्ञान है जिसके द्वारा प्रकृति या जीवन की भविष्य संबंधी घटनाओं का पूर्वानुमान लगाया जा सकता है |ये दिव्यविद्या केवल भारत के पास ही है| ऐसे विषयों की उपेक्षा पहले तो सरकार करती रही ,जब सरकार ने रूचि लेनी शुरू की तो संस्कृत विश्व विद्यालयों में ऐसे विद्वान् नहीं हैं जो ऐसे विषयों में वास्तविक अनुसंधान करने की क्षमता रखते हों |समाज का ऐसे शास्त्रीय अनुसंधानों में मदद करना तो दूर लोग  ज्योतिषियों से ली जाने वाली निजी सेवाओं का भी पर्याप्त पारिश्रमिक नहीं चुकाना चाहते हैं |ऐसी स्थिति में ज्योतिष जैसा इतना बड़ा विज्ञान सरकारों,संस्कृत विद्वानों एवं समाज की उपेक्षा का शिकार है |ज्योतिष के समाप्त होने में सरकार समाज एवं संस्कृत से जुड़े लोग तीनों ही बराबर के दोषी हैं |

 

में घटित बहुत बड़ा विज्ञान है कोई माता पिता अपने बच्चे को ज्योतिष नहीं पढ़ाना चाहते ,सब डॉक्टर इंजीनियर ही बनाना चाहते हैं| उसका कारण  वैज्ञानिक अनुसंधानों की तरह ही ज्योतिष संबंधी अनुसंधानों पर न तो सरकारें धन खर्च करना चाहती हैं और न ही समाज !काम पड़े तो विद्वान डॉक्टर इंजीनियर खोज लिए जाते हैं किंतु काम पड़ने पर भी विद्वान ज्योतिषियों को खोजने में लापरवाही की जाती है | 

किया जाता है समाज को खोजने पर भी विद्वान ज्योतिषी ज्योतिषिं नहीं मिलते उन सेवाओं का भी  पारिश्रमिक चुकाना मुश्किल होता है जो ज्योतिषियों से व्यक्तिगत जीवन के लिए ली जाती हैं |ऐसी परिस्थिति में ज्योतिषविज्ञान से उस प्रकार की वैज्ञानिकता की अपेक्षा कैसे की जा सकती है !

 ज्योतिष को आगे करके भारत बन सकता है विश्वगुरु !

   महामारी या प्राकृतिक आपदाएँ तो संपूर्ण विश्व में ही घटित होती हैं | इनसे बचाव के लिए एक मात्र उपाय है कि ऐसी घटनाएँ घटित होने से पहले इनके विषय में पूर्वानुमान लगाया जाए | कोई घटना घटने की संभावना घटित होते देख उसके विषय में पहले से पूर्वानुमान लगाया जाए !पूर्वानुमान लगाने का विज्ञान  केवल ज्योतिष ही  है | जिसके द्वारा प्रकृति या जीवन संबंधी भविष्य में घटित होने वाली घटनाओं का पूर्वानुमान लगाया जा सकता है | पूर्वानुमान लगाने के लिए ज्योतिष जैसी दिव्यविद्या केवल भारत के ही पास है|महामारी या प्राकृतिक आपदाओं से संबंधित पूर्वानुमान  भारत को विश्व को देने चाहिए ताकि विश्व भारत की प्रतिभा को पहचाने एवं उसे महत्त्व दे !यदि ऐसा होता है तो भारत को विश्वगुरु बनने में देर न लगेगी ! 

 

ऐसे विषयों की उपेक्षा पहले तो सरकार करती रही ,जब सरकार ने रूचि लेनी शुरू की तो संस्कृत विश्व विद्यालयों में ऐसे विद्वान् नहीं हैं जो ऐसे विषयों में वास्तविक अनुसंधान करने की क्षमता रखते हों |समाज का ऐसे शास्त्रीय अनुसंधानों में मदद करना तो दूर लोग  ज्योतिषियों से ली जाने वाली निजी सेवाओं का भी पर्याप्त पारिश्रमिक नहीं चुकाना चाहते हैं |ऐसी स्थिति में ज्योतिष जैसा इतना बड़ा विज्ञान सरकारों,संस्कृत विद्वानों एवं समाज की उपेक्षा का शिकार है |ज्योतिष के समाप्त होने में सरकार समाज एवं संस्कृत से जुड़े लोग तीनों ही बराबर के दोषी हैं |


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